Last Updated on October 31, 2019 by admin
सर्वरोग निवारक मंत्र :
शरीर में चाहे जो भी रोग हो और वह रोग केवल शाबर मंत्र द्वारा ही जाने वाला हो तो निम्नलिखित शाबर मंत्र को सिद्ध कर प्रयोग में लाना चाहिए।
मंत्र –
वन में बैठी बानरी अंजनी जायो हनुमंत, बाला डमरू व्याहि, बिलाई, आंख की पीडा, मस्तक पीड़ा, चौरासी बाय, बली बली भस्म होइ जाम , पके न फूटे, पीड़ा करे तो गोरखनाथ जती रक्षा करे। गुरु की शक्ति मेरी भक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
इस मंत्र की जप-संख्या सवा लाख है, जिसे इकतालीस दिनों में अवश्य पूरा किया जाना चाहिए। इसी से मंत्र सिद्ध हो जाता है। मंत्र की जप-क्रिया हनुमान प्रतिमा के समक्ष बैठकर अथवा हनुमान मंदिर में रहकर संपन्न की जाती है। मंत्र सिद्दी के पश्चात किसी के भी रोग को दूर करने के लिए एक सौ आठ बार मंत्रपढकर मोरपंख से झाड़ा लगाना चाहिए तथा हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाए रखना चाहिए।
सर्व रोगादि दोष नाशक शाबर मंत्र :
मंत्र –
ॐ नमो आदेश गुरु को,
गिरह बाज नटनी का जाया।
चलती बेर कबूतर खाया॥
पीवै दारू, खायजु मांस।
रोग दोष को लावै फांस॥
कहां कहां से लावेगा।
गुदा में सुं लावेगा।
नौ नाड़ी बहत्तर कोठा,
सुं लावेगा, मार मार
बन्दी कर कर लावेगा
ना लावेगा तो अपनी माता की शैया
पर पांव धरेगा, मेरा भाई मेरा देखा दिखलाया तो ,
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
इस मंत्र को सवा लाख की संख्या में जप कर सिद्ध करें। अब जब भी कोई रोगी आए तो मंत्र को जपते हुए इक्कीस बार रोगी को झाड़ा लगाएं। इससे उसके रोगों का शमन हो जाएगा।
सर्वरोग शांति का सिद्ध शाबर मंत्र :
मंत्र –
पर्वत ऊपर पर्वत, पर्वत ऊपर स्फटिक शिला
स्फटिक शिला पर अंजनी, जिन जाया हनुमंत
नेहला टेहला, कांख की कंखराई
पीछे की आदटी, कान की कनफेट राल की
बद कंठ की कंठमाला, घुटने का डहरू
दाढ़ की दाढ़शूल, पेट की ताप तिल्ली किया
इतने को दूर करे, भस्मंत न करे,
तो तुझे माता अंजनी का दूध पिया हराम
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
सत्य नाम आदेश गुरु का ।
इस मंत्र का प्रयोग ब्रह्मचारी लोग ही करें। प्रयोग के समय मंत्र का जप करते हुए झाड़ा लगाने से रोगी के समस्त रोग शांत हो जाते हैं।