Last Updated on May 4, 2023 by admin
गुणकारी सेंहुड :
सेहुंड की कई जातियां होती है। सेहुंड का तना व टहनियां कांटों से भरी होती हैं। इसे बगीचों के चारों ओर बाड़ के रूप में लगाया जाता है। इसकी कई जातियां हैं जिनमें सेहुंड और सीज प्रमुख हैं। इसकी डालियां पतली व मुलायम होती हैं। सेहुंड की जातियों में त्रिधारा, चर्तुधारा, पंच, षष्ठ और चतुर्दश धारा तथा विंश धारा भी होती है। त्रिधारा सेहुंड एक प्रख्यात वनस्पति है जो सारे भारतवर्ष में सूखे स्थानों में अक्सर पाई जाती है। सेहुंड की डालियां त्रिधारी और पंचधारी होती हैं। इसके पत्ते बहुत छोटे-छोटे होते हैं और किसी-किसी झाड़ में नहीं भी लगते हैं।
सेहुंड का पेड़ कैसा होता है ? :
सेहुंड का पेड़ 6 से 20 फुट तक ऊंचा होता है। इसका तना और शाखाएं कंटकित, संधियुक्त, गोलाकार या अस्पष्ट पंचकोषीय होता है। इसके कांटे छोटे उपपत्रीय युग्म अनुलम्ब या कुन्तली रेखाओं में उभारों पर स्थित होते हैं। इसके पत्ते 6 से 12 इंच लम्बे, मांसल, आयताकार शाखाओं के आगे वाले भाग समूहबद्ध होते हैं। इसके फूल हरे, पीले और अधोमुखी होते हैं।
सेहुंड का विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिंदी | थूहर, सेहुंड। |
संस्कृत | सेहुंड, स्नुही, सुधा, समन्त, दुग्धा। |
गुजराती | कंडालो, थोर। |
मराठी | वाय नियडुइंग। |
बंगाली | मनसासिज। |
पंजाबी | थोर, थोहर, दंडें। |
मलयालम | इल्लैकिल्ल। |
अरबी | जकूम। |
सेहुंड के गुण (Sehund ke Gun)
- सेहुंड रेचक (दस्त लाने वाला), तेज, पेट में जलन को कम करने वाला होता है।
- यह शरीर में से कफ (बलगम), गुल्म, पेट के रोग, वातरोग, पागलपन, प्रमेह, कुष्ठ, बवासीर, सूजन, पथरी, पीलिया, फोड़े-फुंसियों, बुखार, विष (जहर) और दूषित विष को खत्म करता है।
- सेहुंड का दूध : सेहुंड का दूध गर्म वीर्य, स्निग्ध, चरपरा, हल्का, गुल्म, कुष्ठ, पेट के रोग व कब्ज में लाभदायक होता है।
- सेहुंड का तना: सेहुंड का तना बहुत से कांटों वाला वाला होता है। आचार्य चरक के अनुसार बहुकांटों वाला अधिक तेज होता है। 2-3 वर्ष के पुराने सेहुंड को पतझड़ के अंत में उसमें किसी अस्त्र से चीर कर दूध निकालना चाहिए। सेहुंड, शीशम, पलाश, त्रिफला यह सब मेदनाशक एवं शुक्रदोष को नष्ट करने वाले हैं। प्रमेह, अर्श (बवासीर), पीलिया रोग नाशक एवं शर्करा को दूर करने के लिए उत्तम है।
विभिन्न रोगों के उपचार में सेहुंड के फायदे और उपयोग (Sehund ke Fayde aur Upyog )
1. दांतों में कीड़े लगना : दांतों में कीड़े लग जाने के कारण अधिक दर्द होने पर सेहुंड, अकरकरा अथवा अजवायन में से किसी एक को पीसकर दांतों पर मलने से लाभ होता है।
2. बवासीर (अर्श) : सेहुंड के दूध में हल्दी का बारीक चूर्ण मिलाकर उसमें सूत का धागा भिगोकर छाया में सुखा लें। इस धागे से बवासीर के मस्सों को बांधें। मस्सों को धागे से बांधने पर 4-5 दिन तक खून निकलता है तथा बाद में मस्से सूखकर गिर जाते हैं। नोट : इसका प्रयोग कमजोर रोगियों पर न करें।
3. भगन्दर : सेहुंड का दूध, आक का दूध और हल्दी को मिलाकर बत्ती बनाकर नासूर में रखने से भगन्दर का रोग ठीक हो जाता है।
4. दांतों का दर्द :
- दांतों में कीड़े लग जाने के कारण दांत टूटकर गिर जाते हैं तथा दांत का छोटा सा टुकड़ा मांस में रह जाता है, जिससे अधिक दर्द होता है। इस प्रकार के दर्द में सेहुंड का दूध दांत के टुकड़े में भर दें। इससे दांत के कीड़े मर जाते हैं तथा दांत का टुकड़ा बाहर निकल आता है।
- सेहुंड की जड़ को चबाकर मुंह में दर्द वाले दांत के नीचे दबाने से दांत का दर्द ठीक होता है।
5. प्रसव : सेंहुड के दूध को स्त्री के हाथ और पांव पर मलने से नवजात शिशु का जन्म बिना किसी दर्द के हो जाता है।
6. तालुरोग :
- सेहुंड का दूध तालु में लगाने से तालुरोग में बहुत लाभ होता है।
- तालुरोग को दूर करने के लिए सेहुंड के दूध का लेप करने से तालुरोग ठीक हो जाता है।
7. घाव : पुराने सेहुंड को जलाकर उसकी राख को पानी में पीसकर लेप करने से शरीर पर गर्म तरल पदार्थ गिरने से उत्पन्न हुए फफोले सही हो जाते हैं।
8. गठिया रोग : गठिया के रोगी को सेहुंड की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन कराने से लाभ मिलता है।
9. नासूर : सेहुंड के दूध, आक के दूध तथा दारूहल्दी को पीसकर बत्ती बनाकर घाव में रखने से हर तरह का नासूर मिट जाता है।
10. फीलपांव (हाथीपांव) : सेहुंड के पत्तों को पीसकर उसमें नमक मिलाकर 20 ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करने से फीलपांव का रोग ठीक हो जाता है।
11. नाड़ी का दर्द : सेहुंड के दूध में तिल का तेल मिलाकर नाड़ी के दर्द वाले स्थान पर लेप करने से दर्द ठीक हो जाता है।
12. शरीर में सूजन: शरीर पर सेहुंड़ के पत्तों के रस की मालिश करने से शरीर की सूजन दूर हो जाती है।
13. कब्ज :
- सेहुंड के दूध में काली मिर्च, लौंग या पीपल भिंगा को सुखाकर रख लें। कब्ज (पेट मे गैस) से परेशान व्यक्ति को काली मिर्च या लौंग खिला देने से पेट बिल्कुल साफ हो जाता है।
- अंगुलिया सेहुंड (अंगुलियों जैसी पतली शाखावाली पसीज) की 2 बूंद, दूध, बेसन और शहद के साथ छोटी गोली बनाकर लेने से मल आसानी से बाहर निकल जाता है और कब्ज का रोग ठीक हो जाता है।
14. दस्त के लिए : सेहुंड की जड़ को लाल धागे मे लपेटकर कमर पर बांधने से दस्त का आना समाप्त होता है।
15. जलोदर के लिए : सेहुंड के दूध में हरड़, पीपल और निसोत को मिलाकर पानी में भिगोकर रोगी को खिलाने से पेट की सूजन, अफारा (पेट की गैस) और जलोदर (पेट मे पानी भरना) आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
16. पेट दर्द: अंगुलिया सेहुंड (अंगुली जैसी पतली शाखा वाली सीज) की जड़ के बने काढ़े को पीने से पेट के दर्द में लाभ मिलता है।
17. मस्सा और तिल :
- तिधारा सेहुंड (तिधारा पसीज) का दूध मस्सों पर लगाने से मस्सें खुद ही गिर जाते हैं और ठीक हो जाते हैं।
- सेहुंड (मुठिया, सीज) के कांटे का दूध चेहरे के चर्मकील, मस्सों पर लगाने से मस्सें खुद ही ठीक होकर गिर जाते हैं।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)