Last Updated on January 25, 2022 by admin
मसाज नवजात शिशु के शारीरिक विकास के लिए ही नहीं मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है। शिशु की मसाज प्रक्रिया को और भी आरामदायक व आनंदपूर्ण बनाने के लिए कुछ खास बातों को ध्यान में रखें।
- चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. श्यामानंद के अनुसार, बेबी की मसाज अगर माँ स्वयं करे तो ज्यादा अच्छा रहे। इसे शिशु के जन्म के 20 दिन बाद ही शुरू करें।
- बेबी मसाज बहुत हल्के हाथों से करें। ज्यादा तेजी से करने पर शिशु की मांसपेशियां खिंच सकती हैं और हड्डियां टूट सकती हैं।
- मसाज केवल बेबी की हड्डियों पर ही करें, तिल के तेल को हल्का गर्म करके 20 मिनट तक मसाज करें।
- शिशु को अच्छी नींद आए, इसके लिए शाम के समय मसाज करें ताकि वह रात को ठीक से सो सके।
- मसाज कभी भी कुछ खिलाने-पिलाने के तुरंत बाद न करें। इससे शिशु को उल्टी हो सकती है।
- सर्दी के मौसम में शिशु की मसाज करते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें कि कमरे में गरमाहट हो।
- बेबी मसाज के लिए किसी भी कास्मेटिक ऑयल और क्रीम का प्रयोग न करें। जो भी तेल प्रयोग करें वह विटामिन डी व ई युक्त हो,जो शिशु की हड्डियों को मजबूत बनाएगा।
- शिशु की मसाज करने से पहले जिस जगह आप मालिश कर रही हों वहां हवा का आवागमन ज्यादा न हों।
- अगर आपके नाखून बड़े हों तो उन्हें काट लें और चूड़ियां व रिंग भी उतार लें क्योंकि इनसे शिशु की कोमल त्वचा पर खरोंच पड़ सकती हैं।
- शिशु की मसाज या तो खाली पेट करें या फिर कुछ खिलाने-पिलाने के एक घंटे के बाद।
- मसाज या तो कारपेट पर बैठ कर करें या फिर कंबल को अपनी टांगों पर बिछा कर उस पर शिशु को लिटा कर करें। फिर किसी बढ़िया से बेबी मसाज ऑयल या कोई भी वेजिटेबल ऑयल जैसे – नारियल, तिल तेल, सरसों, ऑलिव ऑयल से मसाज करें।
- मसाज करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि शिशु आराम की मुद्रा में हो। मसाज जल्दबाजी में न करें बल्कि पर्याप्त समय दें।
- मसाज के दौरान शिशु की आँखों में झांक कर बात करें या गुनगुनाएं ताकि बेबी का ध्यान आपकी तरफ केंद्रित हो।
- मसाज ऑयल को अपने दोनों हाथों में लें और रब करें। फिर शिशु के सिर पर लगा उसे हलका-सा थपथपाएं। उसके बाद उंगलियों को गोलाई में हलके से घुमाते हुए माथे पर से गालों तक ले आएं। दोनों अंगूठों को नाक के आसपास थपथपा कर नाक के ऊपरी छोर को ऊपर की ओर उठाएं। कानों पर भी मसाज करें पर आँखों के आसपास बिल्कुल न करें।
- फिर दोनों हाथों को गोलाई में घुमाते हुए छाती व गर्दन के दोनों तरफ मालिश करें।
- पेट पर मालिश बहुत सावधानीपूर्वक करें। शिशु की नाभि के आसपास कतई मालिश न करें। उंगलियों को गोलाई में ही हलके से पेट के चारों तरफ घुमाएं।
- फिर बांहों की मालिश करें। दोनों हाथों को बांहों के दाएं-बाएं गोलाई में घुमाएं। पहले हाथों को कंधों से कुहनियों तक, फिर कुहनियों से कलाइयों तक लाएं। वापस कलाइयों से कंधों तक ले जाएं। अंगूठों से शिशु की हथेलियों को हलका-सा दबाएं। हर उंगली को भी बारी-बारी से स्ट्रेच करें।
- फिर टांगों की मालिश करें। पहले जांघों से ले कर घुटनों तक फिर घुटनों से पैरों तक हाथों को गोलाई में घुमाएं। उसके बाद वापस पैरों से घुटनों तक और घुटनों से जांघों तक मसाज करें। अपने अंगूठों से एड़ियों और हर उंगली को हलका-सा दबाएं।
- इसके बाद पीठ की मालिश करें। पहले शिशु को पेट के बल लिटाएं। चूंकि रीढ़ की हड्डी बहुत नाजुक होती है इसलिए ज्यादा तेजी से प्रेशर डाल कर मालिश न करें। पहले गर्दन से नितम्बों तक हथेलियों को फिसलते हुए स्ट्रोक दें। फिर हथेलियों को पीठ से गर्दन तक ऊपर की ओर ले जाएं। कमर व रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर पहले हाथों से सहलाते हुए मालिश करें। उसके बाद अंगूठों से भी हलका-सा दबाते हुए मसाज करें।
मसाज की सभी क्रियाएं समाप्त होने पर शिशु के शरीर को उंगलियों से हलका-सा गुदगुदाएं ताकि आपके कोमल स्पर्श से वह प्रसन्नता महसूस करे। उसके बाद शिशु को भरपूर नींद सोने दें। चाहे तो एक घंटे बाद नहला दें।
शिशु के अस्वस्थ होने या इंजेक्शन आदि लगने पर उसकी मसाज न करें। मसाज से जहां शिशु की हड्डियां लचीली व सुदृढ़ बनेंगी वहीं त्वचा भी सॉफ्ट रहेगी और शिशु प्रसन्नचित रहेगा।