स्त्री की अत्यधिक कामवासना को नियंत्रित करने के उपाय

Last Updated on July 20, 2019 by admin

रोग परिचय :

इस रोग से ग्रसित स्त्रियों को सहवास (प्रसंग) करने की इच्छा बहुत अधिक हुआ करती है । यदि वे बार बार रति क्रिया सम्पन्न नहीं कर पाती हैं। तो इतनी अधिक कामातुर हो जाती हैं कि सामाजिक मान मर्यादा का विचार त्याग करके अपने समीप के पुरुषों को ही यहाँ तक कि किसी सगे सम्बन्धियों को संसर्ग करने हेतु उकसाती रहती हैं । ऐसी कामातुर स्त्री पागलों की तरह गप्पें मारती हैं। अपने यौवन को एवं शरीर को विचित्र तरीकों से प्रदर्शित करती हुई ऐंठन और अँगड़ाई के साथ अकड़ती हुई मुद्राएँ करती रहती हैं। | वह हर किसी के सामने अपना प्रयण-निवेदन प्रस्तुत कर देती है। उसे बारबार मैथुन करने के बाद भी कभी सन्तुष्टि नही होती है ।

रोग का कारण एवं लक्षण :

• इस रोग का प्रधान कारण बचपन की कुसंगतियां ।
• वासनामयी गन्दी-गन्दी बातें सुनना ।
• यौवन के प्रारम्भ में ही हस्तमैथुन ।
• पशुमैथुन इत्यादि लतों का शिकार हो जाना ।
• गन्दे उपन्यास ।
• नंगे अथवा अश्लील चित्र देखना इत्यादि होते हैं ।

ऐसी रोगिणी जब किसी से संसर्ग हेतु प्रयण निवेदन करती है और उसकी पुरुष द्वारा स्वीकृति नहीं मिलती है तब वह झुंझला कर, बेचैन होकर ठन्डी आहे भरती हुई चीख उठती है। उसके माथे पर शिकन तथा मुख मण्डल पर सूखापन व उदासी छायी रहती है । यद्यपि वह पुरुषों (दूसरों) को रिझाने हेतु क्रीम पाउडर, काजल आदि से खूब श्रृंगार आदि करके हर समय टिप-टाप बनी रहती है ।

स्त्री की कामेच्छा कम करने के उपाय :

✥ रोगिणी को नाश्ता व खाना हल्का दें। चर्बी और मांस बढ़ाने वाले भोजन एवं पेय पदार्थ घी-तेल, दूध मक्खन, मलाई, सूखे फल, दाल, चने के बने पदार्थ, मेवा, मिष्ठान, गेहूँ की रोटी आदि बिल्कुल न दें ।
✥उसे केवल पुराने चावल का भात, मूंग की दाल, महुआ की रोटी, परवल, पपीते की सब्जी
आदि ही खाने को दें

✥ शारीरिक मेहनत खूब करवायें और भजन कीर्तन एवं सत्संग के द्वारा उसके मन को सात्विक बनायें ।

✥ सर्वप्रथम रोगिणी को रिफाइन्ड कैस्टर आयल यथोचित मात्रा में पिलाकर दस्त करवाकर उदर शुद्धि करवायें । फिर यथाशक्ति उपवास करवायें ‘प्रात:काल 4-5 बजे 1 कागजी नीबू को 200 मि.ली. जल में निचोड़कर पाखाना जाने के पहले प्रतिदिन पिलायें । नीबू के अभाव में अंग्रेजी दवा विटामिन सी (सेलिन) ग्लैक्सो कम्पनी द्वारा निर्मित) 500 मि.ग्रा. की 1 टिकिया दें।

✥ धतूरे के फूल की जीरा (पुंकेश्वर) 6 रत्ती से 1 माशा तक सुबह शाम ताजा जल से पिलाने से भी स्त्री की भयंकर कामवासना शान्त हो जाती है ।

✥ बढ़िया ढेला कपूर आधे से एक माशा अथवा आवश्यकतानुसार खिलाने से भी स्त्री एवं पुरुषों की कामवासना शान्त हो जाती है ।

नोट:- यही औषधि सूक्ष्म मात्रा में कामवासना को जागृत भी करती है । अत: आवश्यकतानुसार अधिक मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं । किन्तु यह भी ध्यान रहे कि कपूर भी विष है । अत: अधिक मात्रा सेवन न करें ।

✥ धनिया के 1 तोला बीज को पानी के साथ रगड़ कर सेवन करने से भी कामवासना की अधिकता शान्त हो जाती है । इसे इस रोग से ग्रसित पुरुष भी प्रयोग कर सकते हैं । धनिया की तासीर ठण्डी (शीतल) होती है ।

✥ ‘शुद्ध अफीम, अमृतसार लौह, विड लवण तथा मोंथा सभी सम मात्रा में लेकर चित्रक-मूल के काढ़ों में भली प्रकार खरल करके 1-1 माशा की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें । यह 1-1 गोली सुबह शाम जल से खिलायें । कामवासना की तीव्र लालसा भी शान्त हो जायेगी ।

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नोट :- ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।

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