स्त्री और पुरुषों के गुप्त रोगों का आयुर्वेदिक इलाज | Gupt Rogo ka Ayurvedic Ilaj

Last Updated on March 5, 2023 by admin

शीघ्रपतन : shighrapatan ka ilaj

  1. सेमल की छाल 10 ग्राम लेकर दूध में पीसकर उसमें मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से शीघ्रपतन ठीक हो जाता है।
  2. दालचीनी का पाउडर 2 ग्राम दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य में वृद्धि होती है और शीघ्रपतन समाप्त होता है।
  3. इलायची, जावित्री, बादाम, गाय का मक्खन और शकर, सभी को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाने से धातु पुष्ट होती है और शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है।

( और पढ़े – शीघ्र स्खलन (शीघ्रपतन) के कारण लक्षण और इलाज )

नपुंसकता : napunsakta ka ilaj

  1. सफेद प्याज का रस 20 मि.ली., शहद 10 ग्राम और अदरक का रस 3 मि.ली. तथा घी 2 ग्राम लेकर सबको एक साथ मिलाकर 21 दिन तक लेने से नपुंसकता से मुक्ति मिल जाती है।
  2. लहसुन 200 ग्राम पीसकर उसमें शहद 600 ग्राम मिलाकर एक साफ शीशी में भरकर अच्छी तरह से ढक्कन बंद करके गेहूं की बोरी में रख दें। 31 दिनों के बाद उसे बाहर निकालें। 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक लेने से नपुंसकता दूर हो जाती है।
  3. एक महात्मा का फकीरी नुस्खा दृष्टव्य है – पीपल के पके फल 10 नग, पीपल की जड़ की छाल 10 ग्राम, पीपल की कोपलें 10 नग आधा किलो पानी में डालकर काढ़ा बनावें। जब 125 ग्राम पानी शेष रह जाए तो उतार कर ठंडा कर लें। उसमें शहद मिलाकर सेवन करें। इससे नपुंसकता दूर होती है।

( और पढ़े – नपुंसकता के कारण और उपचार )

धातु दुर्बलता : dhatu durbalta ka ilaj

  1. खजूर 3 नग लेकर घी में भूनकर प्रतिदिन सुबह के समय खाकर ऊपर से इलायची, शकर और कौंच बीज का चूर्ण डालकर उबाला हुआ दूध पिएं । इससे धातु पुष्ट होती है।
  2. अमलतास की छाल का बारीक चूर्ण दो ग्राम लेकर उसमें चार ग्राम शकर मिलाकर गाय के दूध के साथ सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
  3. ताजे आंवले का रस 20 मि.ली. लेकर इसमें शहद मिलाकर सेवन करने से धातु पुष्ट होती है।

( और पढ़े – वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )

उपदंश / सिफिलिस : syphilis ka ilaj

  1. आम के पेड़ की सूखी छाल का रस 40 मि.ली. तक बकरी के दूध के साथ सुबह पीना सिफिलिस से लाभकारी है।
  2. मेहंदी के पत्तों का रस 40 मि.ली. निकालकर उसमें 20 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से उपदंश रोग ठीक होता है।
  3. मलसिंदूर 125 ग्राम, जायफल चूर्ण एक ग्राम, लवंग चूर्ण आधा ग्राम एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पुराना सिफिलिस में शीघ्र ठीक हो जाता है।

( और पढ़े – उपदंश रोग के 23 घरेलू उपचार )

सूजाक / गोनोरिया : Sujak (Gonorrhea) ka ilaj

  1. चंदन का तेल सूजाक के लिए रामबाण औषधि है। इसे 6 बूंद बताशे में रखकर सुबह – शाम खाने से सूजाक ठीक हो जाता है।
  2. रेवन्द चीनी का चूर्ण 3-3 ग्राम सुबह शाम पानी के साथ लेने से पुराना सूजाक भी ठीक हो जाता है।
  3. खरैटी का बीज 25 ग्राम, मोचरस 25 ग्राम, रेवन्द चीनी 45 ग्राम, शकर 75 ग्राम लेकर कपड़छन चूर्ण बना लें। इसे पांच ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम 21 दिनों तक सेवन करें। इससे सूजाक निश्चित ही ठीक हो जाता है।

श्वेत प्रदर / ल्यूकोरिया : leukorrhea ka ayurvedic ilaj

  1. बेलगिरि 10 ग्राम, रसौत 10 ग्राम, नागकेसर 10 ग्राम को लेकर बारीक पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को चावल के मांड के साथ लें।
  2. वंशलोचन, नागकेसर, छोटी इलायची को समभाग लेकर पीस लें । इसमें मिश्री मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें।
  3. आंवले का रस दो चम्मच और शहद एक चम्मच दोनों को मिलाकर सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें। 20 दिनों तक सेवन करने से श्वेत प्रदर जाता रहता है।

( और पढ़े – श्वेत प्रदर लिकोरिया का रामबाण इलाज )

रक्त प्रदर / मेनोरेजिया : rakt pradar ka ayurvedic ilaj

  1. सुपारी के फूल 50 ग्राम कूट पीस कर शीशी में सुरक्षित रख लें। 6 से 10 ग्राम पानी के साथ सेवन करें।
  2. नागकेशर और मालकांगनी के बीज 10-10 ग्राम लेकर तथा मिश्री 20 ग्राम मिलाकर रख लें। 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मक्खन के साथ सेवन करें। इससे आपको लाभ मिलेगा।
  3. (अ) चंद्रकला रस 350 मि.ग्रा., मुक्तापिष्टि 250 मि.ग्रा., कहरवापिष्टि 250 मि.ग्रा., बोलपर्पटी 250 मि.ग्रा.-ऐसी एक मात्रा दिन में तीन बार शहद के साथ लें।
    (ब) अशोकारिष्ट एवं पत्रांगासव 4-4 चम्मच सुबह-शाम भोजन के बाद पानी मिलाकर लें।
    (स) चंद्रप्रभावटी एवं शिलाजीत्वादि वटी एक-एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ लें।

( और पढ़े – रक्तप्रदर दूर करने के 77 घरेलू उपचार )

बन्ध्या / बांझपन : banjhpan ka ayurvedic ilaj

  1. नागकेशर चूर्ण एवं गोक्षुरादि चूर्ण का प्रयोग बांझपन में लाभकारी है।
  2. अश्वगंधा, शतावरी एवं जीवन्ती कमजोर स्त्रियों को बलपुष्टि करके गर्भाधान के लिए सक्षम बनाती है।
  3. (अ) स्वर्णपुष्पधन्वा रस 125 मि.ग्रा., लक्ष्मणलौह 250 मि.ग्रा., त्रिबंगभस्म 250 मि.ग्रा., गिलोयसत्व 250 मि.ग्रा.-ऐसी एक मात्रा सुबह-शाम शहद के साथ लें।
    (ब) चंद्रप्रभावटी 2-2 गोली सुबह-शाम पानी से दें।
    (स) अशोकारिष्ट व पत्रांगासव 4-4 चम्मच भोजन के बाद सुबह-शाम समान मात्रा पानी मिलाकर दें।
    (द) फलघृत एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ दें।

( और पढ़े – बाँझपन के 16 रामबाण घरेलू उपाय )

गर्भस्राव और गर्भपात : garbhpat se bachne ke liye upay

  1. प्रवाल भस्म 3 रत्ती, शहद 50 ग्राम, गाय का दूध (ताजा) 250 ग्राम-इन तीनों को एक साथ मिलाकर सेवन करने से गर्भस्राव में लाभ होता है।
  2. सिद्धमकरध्वज, मुक्ताशुक्ति पिष्टि,जीवपाषाण का मिश्रण 4 रत्ती मिलाकर ठंडे गाय के दूध के साथ लेने से गर्भपात की अवस्था में लाभ हो जाता है।
  3. (अ) गर्भपाल रस- एक-एक गोली सुबह-शाम शहद में दें।
    (ब) सोमघृत 1-1 चम्मच सुबह-शाम दूध में घोलकर दें।
    (स) अश्वगंधारिष्ट व द्राक्षासव 4-4 चम्मच भोजन के बाद सुबह-शाम बराबर पानी मिलाकर दें।
    (द) ईसबगोल की भूसी 2 चम्मच रात को पानी से दें।
    (इ) शतावती चूर्ण एक-एक चम्मच सुबहशाम दूध के साथ दें।

( और पढ़े – गर्भपात से बचने के घरेलू उपाय )

कष्टार्तव / रजःकृच्छता / डिसमेनोरीया : dysmenorrhea ka ayurvedic ilaj

  1. रज:प्रवर्तनी वटी-चंद्रप्रभा वटी 2-2 गोली दिन में तीन बार हल्के गर्म पानी के साथ
  2. अश्वगंधारिष्ट एवं कुर्मायासव 4-4 चम्मच भोजन के बाद सुबह-शाम बराबर पानी मिलाकर पिलावें।
  3. अशोकारिष्ट-आयुर्वेद के अनुसार इस रोग को मुक्त करने के लिए जरूर सेवन करना चाहिये। रसतंत्रसार में लिखा है कि औरतों को माहवारी ठीक करने के लिए सुबह की चाय छोड़कर, चाय के स्थान पर अशोकारिष्ट के चार चम्मच तथा चार चम्मच पानी मिलाकर सुबह-शाम छह माह तक सेवन करते रहें। माहवारी के दिनों में यह प्रयोग नहीं करें तथा माहवारी निपट जाने पर इसे फिर शुरू कर देना चाहिये।

( और पढ़े – मासिक धर्म के दर्द का घरेलू उपचार )

धातु स्राव :

  • इलायची 50 ग्राम मिश्री 10 ग्राम और तुलसी के 15 पत्तों की क्वाथ बनाकर नियमित सेवन करें
  • इलायची के दाने और सेकी हुई हींग का लगभग 3 रत्ती चूर्ण घी और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब में धातु जाती हो तो उसमें लाभ होता है।
  • 20 ग्राम उड़द की दाल का आटा लेकर उसे गाय के दूध में उबालिये फिर उसमें थोड़ा घी मिलाकर गुनगुना पी जाएं 1 महीने तक नियमित सेवन करने से मूत्रमार्ग से होने वाला धातुस्राव बंद हो जाता है।

पौरुष शक्ति बढ़ाने हेतु :

  • सुबह नाश्ते में एक गिलास टमाटर के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर पीने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
  • लहसुन को पौरुष शक्ति बढ़ाने में बहुत उपयोगी माना जाता है। लहसुन की दो-तीन कलियां रोजाना खाने से पौरुष शक्ति बढ़ती है।
  • दो से चार सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में पकाकर खाएं और ऊपर से दूध पिएं।

योनि का ढीला हो जाना :

  • माजू कपूर और शहद एक साथ मिलाकर योनि में मलें इससे योनि संकुचित हो जाती है।
  • काले तिल का चूर्ण 5 ग्राम गोखरू चूर्ण 10 ग्राम को 20 ग्राम शहद मिले आधा लीटर दूध के साथ सेवन करने से ढीली योनि कुंवारी कन्या के समान हो जाती है।

अविकसित स्तन :

  • बादाम तेल की नियमित मालिश करने से स्तन विकसित व पुष्ट होते हैं।
  • अश्वगंधा और शतावरी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ 45 दिनों तक ले। स्तन विकसित हो जाएंगे। रामबाण इलाज है।
  • महानारायण तेल का मसाज भी बहुत लाभकारी है।

अति स्थूल स्तन :

  • सबसे पहले तो चर्बी बढ़ाने वाली चीजों को खाना कम कर दें जैसे दूध, मक्खन, मलाई, मिठाइयां आदि।
  • महानारायण तेल स्तनों पर लगाकर उंगलियों से दबाकर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें। मालिश के बाद गुनगुने पानी की 5-10 मिनट तक धार दे स्तनों की चर्बी कम होगी।
  • काली गाय के दूध में सफेद मोथा पीसकर लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।

स्तनों की सूजन :

  • धतूरे के पत्ते और हल्दी को पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों की सूजन से छुटकारा मिलता है।
  • एलोवेरा के गूदे में हल्दी को मिलाकर थोड़ा गर्म करके लेप करने से सूजन दूर होती है।
  • अजवाइन के तेल को गुनगुना करके दो तीन बार स्तनों पर मालिश करें फिर ऊपर से एरंड का पत्ता बांध दें।

योनि में खुजली :

  • नारियल के तेल में भीमसेनी कपूर मिलाकर योनि मार्ग में लगाने से खुजली दूर होती है।
  • केले के गूदे में आंवले का रस और मिश्री मिलाकर खाने से यह रोग ठीक होता है।
  • योनि में खुजली होने पर तुलसी के रस का लेप लगाएं।

योनि में सूजन :

  • योनिशोथ में आंवला एक लाभप्रद नुस्खा है। 3 ग्राम आंवला तथा 6 ग्राम शहद मिलाकर प्रतिदिन एक बार लेने से योनि शोथ में लाभ होता है।
  • चावल पका कर मांड निकालें और गुनगुना ही पी जाएं। ध्यान रखें कि मांड ज्यादा गाढ़ा ना हो मांड पीने के 1 घंटा पहले व एक घंटा बाद तक कुछ भी ना लें।
  • एक पके केले को छिलका 6 ग्राम देशी घी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से 1 सप्ताह में योनिशोथ दूर हो जाता है।

अनियमित माहवारी :

खाने के पहले कौर के साथ 2 ग्राम राई पीसकर खाने से माहवारी की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
गाजर का सूप पीने से भी महावारी की अनियमितता दूर होती है।
गुड़ के साथ काले तिल को पानी में उबालकर दिन में दो-तीन बार पीने से मासिक धर्म खुलकर होने लगता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न : FAQ (Frequently Asked Questions)

प्रश्न – मेरी इन्द्रिय के मूत्र मार्ग के पास घाव है, पेशाब भारी जलन के साथ, लाल रंग का, बूंद-बूंद करके आता है । मूत्र के साथ रक्त और पीप निकलता है। इन्द्रिय को दबाने पर मूत्र मार्ग से पीप निकलता है। कमर में भारीपन व कब्ज रहता है और कभी कभी बुखार हो जाता है।

उत्तर – आपको सुज़ाक रोग हो गया है। यह रोग सुजाक रोग से पीड़ित स्त्री से सहवास करने पर पुरुष को और सुजाक रोग से ग्रस्त पुरुष से मैथुन करने पर स्त्री को हो जाता है । चरित्रहीन युवक या युवती ही इस महा भयानक रोग से पीड़ित होते हैं और भयंकर कष्ट भोगते हैं। मन के कहने में आ कर दो घड़ी मौज-मज़ा करने का परिणाम कितना भंयकर होता है यह भुक्त भोगी ही जानता है।

चिकित्सा – रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण या हरड चूर्ण एक चम्मच, गर्म पानी के साथ लें ताकि सुबह साफ़ दस्त हो सके। एक गिलास कच्चा दूध और एक गिलास पानी मिला कर एक चम्मच पिसी मिश्री डाल कर घोल लें और सुबह शाम पिएं। इससे पेशाब खुल कर आएगा और जलन शान्त होगी। ताज़े मीठे और जमे
हुए दही की लस्सी बना कर इसमें जवाखार एक चम्मच डाल कर पीने से पेशाब खुल कर होता है।

आयुर्वेदिक नुस्खा – स्वर्ण बंग व गन्धक रसायन 10-10 ग्राम, रोप्य भस्म, शीतल पर्पटी व प्रवाल पिष्टी 5-5 ग्राम – इन सबको मिला कर 30 पुड़िया बना कर 1-1 पुड़िया शहद में मिला कर सुबह शाम लें। इसके एक घण्टे बाद पंच निम्बादि वटी और आरोग्यवर्द्धिनी वटी विशेष नं. 1 की 2-2 गोली पानी के साथ ले लें। भोजन के बाद दोनों वक्त, रक्तशोधान्तक और चन्दनासव 4-4 चम्मच आधा कप पानी में डाल कर पिएं । पूर्ण लाभ न होने तक चिकित्सा जारी रखें।

प्रश्न – मेरे शरीर में जलन, पेशाब में रुकावट, इन्द्रिय और अण्ड कोशों में जलन व पीड़ा युक्त शोथ, नींद न आना, घबराहट, बेचैनी, अग्निमांद्य, प्यास अधिक लगना, रक्त दूषित हो कर शरीर पर चकते होना आदि लक्षण हैं।

उत्तर – आपको उपदंश रोग है। यह रोग भी सुजाक की तरह उपदंश पीड़ित स्त्री-पुरुष से मैथुन करने पर होता है । यह अति कठिन साध्य रोग है अतः धैर्यपूर्वक पूरा लाभ न होने तक चिकित्सा जारी रखना चाहिए।

चिकित्सा – व्याधिहरण रसायन और प्रवाल पिष्टी 5-5 ग्राम, गन्धक रसायन 64 भावना और मंजिष्टादि ताल सिन्दूर 10-10 ग्राम – सब को मिला कर 30 पुड़िया बना लें। एक-एक पुड़िया शहद के साथ सुबह-शाम लें। उपदंश के स्थान पर पारदादि मलहम सुबह शाम पूर्ण लाभ न होने तक लगाएं।

प्रश्न – मुझे क़ब्ज़ की शिकायत हमेशा बनी रहती है, खुल कर भूख नहीं लगती, गाल पिचके और आंखें धंसी हुई हैं । सबसे बड़ी शिकायत है स्वप्नदोष होने की, बहुत दुःखी और परेशान हूं। सप्ताह में दो तीन बार स्वप्नदोष हो जाया करता है। क्या इलाज करूं ?

उत्तर – आजकल ऐसी स्थिति अधिकांश युवकों की है। आप उचित आहार विहार और दिनचर्या का पालन करें ताकि क़ब्ज़ न रहे, खुल कर भूख लगे और शरीर भरने लगे ताकि गाल भी भर जाएं, पिचके हुए न रहें। इसी के साथ मन का भी इलाज करें यानी मन शुद्ध विचारों वाला रखें । कामुक चिन्तन न करें, अनावश्यक रूप से कामोत्तेजित न हुआ करें। प्रसन्न और निश्चिन्त रहा करें। स्वप्नदोष के होने से चिन्तित न हुआ करें। रात को जल्दी सो जाया करें और सुबह जल्दी उठ कर सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लिया करें। रात को सोने से 3 घण्टे पहले खाना खा लिया करें और सोते समय दूध न पिया करें।

चिकित्सा – वीर्यशोधनवटी और चन्द्रप्रभावटी विशेष नं. 1 की 2-2 गोली सुबह शाम लाभ न होने तक सेवन करते रहें। पेट साफ़ रखने के लिए त्रिफला चूर्ण 1 चम्मच रात को सोते समय एक कप गर्म पानी के साथ ले लिया करें। सोने से पहले शौच के लिए अवश्य जाया करें।

प्रश्न – मेरी इन्द्रिय छोटी है और हस्त मैथुन करने के कारण टेढ़ापन भी है। क्या मुझे सन्तान पैदा करने में दिक्कत आएगी ?

उत्तर – नहीं, सन्तान पैदा करने में ये दोनों स्थितियां बाधक नहीं होतीं। सन्तान पैदा करने के लिए वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या (Count) 60 मिलियन से अधिक होना चाहिए और उनमें जीवनी शक्ति (Motallty) का प्रतिशत भी अच्छा होना चाहिए। इसकी जानकारी आप वीर्य (Semen) की जांच करवा कर प्राप्त कर सकते हैं। यदि इन्द्रिय छोटीन हो कर खासी बड़ी हो और टेढ़ापन भी न हो फिर भी यदि शक्राणओं की संख्या पर्याप्त न हो और जीवनी शक्ति का प्रतिशत कम हो तो सन्तान पैदा नहीं का जा सकती।

प्रश्न – यदि कोई पुरुष लम्बे समय तक सहवास न करे तो क्या वह नपुंसक हो जाएगा ?

उत्तर – जी हां आयर्वेद इस स्थिति को ब्रह्मचर्यजन्य नपुंसकता कहता है लेकिन यह नपुंसकता स्थायी नहीं होती और न इसे दूर करने के लिए दवा-इलाज करना ज़रूरी होता है। यदि ऐसा पुरुष अच्छे खुशनुमा वातावरण में, प्रोत्साहित उमंग भरी मानसिकता के साथ तीन चार बार समागम करने का प्रयत्न करे तो उसका सोया हुआ पौरुषबल जाग जाएगा और उसकी नपुंसकता दूर हो जाएगी। शरीर के जिस अंग से लम्बे समय तक काम नहीं लिया जाएगा, उसे गतिशील नहीं रखा जाएगा, वह अंग-शिथिल, निर्बल और निष्क्रिय हो ही जाएगा। ध्यान रहे, गति से शक्ति पैदा होती है और शक्ति से गति पैदा होती है। गति न होना जड़ हो जाना है और जड़ हो जाना नपुंसकता है।

प्रश्न – मुझे नपुंसकता की शिकायत हो गई है। बिल्कुल ही कामोत्तेजना नहीं होती।

उत्तर – यह शिकायत होना आज कल आम बात हो गई है। गलत आचार – विचार इसका प्रमुख कारण है। आप यह चिकित्सा दो तीन माह तक नियमपूर्वक करें।

चिकित्सा – कामचूड़ा मणि रस, दिव्य रसायन वटी 1-1 गोली और गोक्षुरादि चूर्ण एक चम्मच चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ लें।

प्रश्न – मुझे 5-7 साल से मधुमेह की शिकायत है । कुछ दिनों से यौन शक्ति बिल्कुल
खत्म हो गई है पत्नी-सहवास में रुचि नहीं रही है और नपुंसकता आ गई है।

उत्तर – आपकी नपुंसकता मधुमेह रोग के कारण पैदा हुई है। आप यह चिकित्सा करें। वसन्त कुसुमाकर रस, शिलाजत्वादि वटी अम्बर युक्त और विगोजेम टेबलेट – तीनों की 1-1 गोली सुबह शाम फीके दूध के साथ तीन मास तक लें।ब्रह्मचर्य का पालन करें। मिठाई,मीठे पदार्थ, खटाई और खट्टे पदार्थों का सेवन न करें।

प्रश्न – मुझे शीघ्रपतन की शिकायत है। स्तम्भन शक्ति बिल्कुल खत्म हो गई है ।

उत्तर – आप तीन माह तक ऊपर बताया हुआ परहेज़ करते हुए वीर्य स्तम्भन वटी, विगोजेम और दिव्य रसायन वटी की 1-1 गोली सुबह शाम दूध के साथ लें और इसी के साथ अश्वगन्धा पाक 10-10 ग्राम सुबह शाम खाते हुए, साथ में दूध पीते रहें।

प्रश्न – मुझे बार-बार पेशाब आता है, पेशाब के साथ वीर्य भी निकलता है । शरीर कमजोर और चेहरा निस्तेज हो गया है ।

उत्तर – आप बहुमूत्रान्तक रस और चन्द्र प्रभावटी विशेष नं. 1 की 2-2 गोली, सुबह शाम दूध के साथ, लाभ न होने तक लेते रहें।

प्रश्न – मेरे स्तन बहुत ही छोटे हैं। इस कारण मुझमें हीन भावना आ गई है। सहेलियां मजाक उड़ाती हैं।

उत्तर – आप गम्भारी की छाल 50 ग्राम ले कर कूट पीस कर खूब महीन बारीक चूर्ण कर लें। इसे जैतून के तैल में मिला कर गाढ़ा लेप बना लें। इसे सुबह नहाने से पहले स्तनों पर लगा कर मालिश करें। रात को सोते समय लेप कर मालिश करें और सुबह स्नान करते समय धो लें । यदि शरीर दुबला पतला हो तो पौष्टिक आहार लें । 3-4 माह में स्तनों का आकार सुडौल और पुष्ट हो जाएगा।

प्रश्न – विवाह को 6 वर्ष हो गये हैं पर अभी तक पत्नी गर्भवती नहीं हो सकी है। मुझे कोई यौन रोग या यौन शक्ति में कमी की शिकायत नहीं है। हम दोनों यौन विषय में बहुत ज्यादा सन्तुष्ट हैं तो समझ नहीं पाते थे कि आखिर और क्या बात हो सकती है जो पत्नी गर्भधारण नहीं कर पा रही है। हमने जांच करवाई तो पत्नी की सभी रिपोर्ट नार्मल आई लेकिन हमारी जांच रिपोर्ट में यह दोष पाया गया कि वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम है और उनकी जीवनीशक्ति का प्रतिशत भी कम है अतः गर्भ की स्थापना करने वाली क्षमता न होने के कारण ही अभी तक गर्भ स्थापित नहीं हो पाया । डॉक्टरों और लेडी डॉक्टर ने जो हमें बताया उसी से हमारी समझ में यह आया कि शुक्राणुओं की संख्या कम होने से अभी तक गर्भ की स्थापना नहीं हो सकी।

उत्तर – आप ठीक समझे हैं। शुक्राणुओं की संख्या पर्याप्त मात्रा में कम से कम 60 मिलियन और शुक्राणुओं (Sperms) की जीवनी शक्ति (Motallty) का प्रतिशत ज्यादा हो तो गर्भ की स्थापना होती है।

चिकित्सा – वीर्यशोधन वटी, दिव्य रसायन वटी और पुष्पधन्वा रस – तीनों 1-1 गोली सुबह शाम मीठे दूध के साथ लें। इलाज कम से कम 6 माह तक लें और फिर अपने वीर्य की पेथालॉजिकल जांच करा लें।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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