सांस को ज्यादा समय तक फेफड़ों के अंदर रोकने की कला

Last Updated on April 18, 2023 by admin

अधिक समय तक सांस को फेफड़ों में रोकने का तरीका : 

swas rokne ke fayde

जब आप सांस को अंदर लें, तब अपने अंगूठे के ऊपरवाले भाग को उंगली से दबाएं। ऐसा करने से सांस को ज्यादा समय तक अंदर रोककर रखा जा सकता है। अंगूठे के बीच में अगर दबाव दिया जाए तो सांस को और भी ज्यादा समय तक रोककर रखा जा सकता है। अगूंठे की जड़ में भी अगर इसी तरह से दबाव दिया जाए तो सांस को काफी देर तक अंदर रोककर रख सकते हैं।

       अगर फेफड़ों में सांस को ज्यादा देर तक रोक कर रखा जाए तो इससे फेफड़ों को बहुत लाभ मिलता है। शरीर और खून को ज्यादा ताकत मिलती है। विद्वानों के मुताबिक हमारी उम्र की गिनती सांसों में होती है, वर्षो, मिनट या दिनों में नहीं। अगर इस तरह से प्राणायाम के द्वारा सांस को ज्यादा देर तक अंदर रोका जाए तो पूरे दिन में ली जानेवाले सांस लेने की क्रिया को काफी कम किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप हमारी उम्र भी बढ़ जाती है।

सूर्य प्राणायाम : 

       शरीर के अंदर गर्मी को बढ़ाने के लिए प्राणायाम बहुत ही ज्यादा लाभकारी है। नाक के बाईं तरफ के छेद को बंद करके सिर्फ  दाईं और की छेद से सांस लें और छोड़ें। नाक के दाईं तरफ के छेद के सूर्य से संबंधित होने के कारण शरीर में गर्मी बढ़ जाती है। यह पद्धत्ति दमा, ब्रोंकाइटिस, पोलियों आदि रोगों में बहुत लाभकारी होती है तथा बरसात और सर्दियों के मौसम में बहुत उपयोगी है।

चंद्र प्राणायाम : 

       चंद्र प्राणायाम शरीर में ठंडक पैदा करता है। अपनी नाक के दाईं ओर के छेद को बंद करके केवल नाक के बाईं तरफ के छेद से सांस लें और बाहर छोड़ें। नाक के बाईं तरफ का छेद चांद से सम्बंधित होता है। यह प्राणायाम गर्मी के मौसम और खासकर के बुखार या लू लगने पर बहुत ज्यादा लाभ करता है।

गर्मी और सर्दी को बराबर मात्रा में लाने के लिए प्राणायाम : 

       जब आपने फेफड़ों के अंदर सांस को रोककर रखा हो तो पेट को अंदर की ओर खींचने से बहुत अच्छा असर होता है। इससे पेट सिकुड़कर कम हो जाएगा। जब आप सांस को अंदर ले तब आपकी छाती कम से कम 2 से 3 इंच तक फूलनी चाहिए। इस प्राणायाम को जमीन पर, कुर्सी पर, सीधे बैठकर, चलते-चलते या खड़े-खड़े भी कर सकते हैं।

       इस तरह से रोजाना प्राणायाम करने से शरीर में प्राणवायु अपने आप ही पहुंच जाती है, खून साफ होकर शरीर में से सारे रोग समाप्त हो जाते है। साफ खून शरीर के अंदर मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को तथा दूसरी खराबियों को सांस को बाहर निकालने की क्रिया द्वारा दूर करेगा। इसके नतीजतन किडनी पर पड़नेवाला बहुत ज्यादा बोझ कम हो जाएगा और इससे किडनी खराब होने के या चमड़ी के रोग होने की संभावना बिल्कुल कम हो जाएगी। साफ खून शरीर के हर भाग को ठीक से सक्रिय बनाकर शरीर के अंदर ताकत और चुस्ती-फुर्ती पैदा करता है।

कपालभाति : 

       सबसे पहले किसी शांत सी जगह पर बिल्कुल तनकर बैठिए। बहुत तेज गति से नाक के छेदों से सांस लीजिए और बाहर छोड़ दीजिए। 1 मिनट में 10 बार से शुरू करके 50 बार तक ये क्रिया कीजिए। इसी प्रकार रोजाना 2 बार 2-2 मिनट कीजिए।

       मुंह को खोलकर धीरे-धीरे से सांस लीजिए और तुरंत ही सांस को जोर से नाक से बाहर छोड़िए। इस क्रिया को 10 से 15 बार कीजिए। कपालभाति करने के बाद हर बार इस क्रिया को दुबारा कीजिए।

       सांस को बाहर छोड़ने की ये क्रियाएं रोजाना करने से शरीर के सभी अंगों को बराबर मात्रा में प्राणवायु मिलती रहती है जिससे बहुत से रोग दूर हो जाते हैं। शरीर में हर जगह प्राणवायु अच्छी तरह से पहुंचने से खून साफ होगा और शरीर में मौजूद अंगारवायु और दूसरे दूषित पदार्थ बाहर निकल जाएंगे। इसके नतीजतन किडनी पर पड़नेवाला बहुत ज्यादा बोझ कम हो जाएगा और इससे किडनी खराब होने के या चमड़ी के रोग होने की संभावना बिल्कुल कम हो जाएगी। इसके अलावा शरीर के सारे अंगों की काम करने की ताकत बढ़ जाती है जिससे शरीर में नई ताकत और उमंग आती है।

       सांस को बाहर छोड़ने की ये क्रियाएं हर आदमी के लिए लाभकारी है इसलिए उसे रोजाना करनी चाहिए। लेकिन जिन लोगों को सर्दी, कफ, दमा, टी.बी., पोलियों, मेनिन्जाइटिस, नर्वस ब्रेकडाउन, मस्क्युलर डीस्ट्रोफी आदि दिमाग के रोग हो, उन्हे तो खास तौर से ये सांस को बाहर छोड़ने की कसरतें और प्राणायाम रोजाना करने चाहिए।

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