Last Updated on March 12, 2020 by admin
पहला प्रयोग :
- पूरा श्वास भरकर उसे अंदर रोके बीना पूरी तरह बाहर निकाल दें |
- श्वास भीतर भरते समय भावना करें कि हम निश्चिंतता, आनंद, शांति भीतर भर रहे हैं तथा मुँह से फूँक मारते हुये श्वास बाहर छोड़ते समय भावना करें कि हम चिंता, तनाव, हताशा, निराशा को बाहर निकाल रहे हैं |
- ऐसा २० – २५ बार करने से चिंता, तनाव (tanav )एवं थकान दूर होकर तृप्ति का अनुभव होता है |
दूसरा प्रयोग :
- चिंता(Chinta) के कारण रात को नींद नहीं आती हो तो पुकारो : ‘हे हरि, हे गोविंद, हे माधव !’ १५ से २५ मिनट भगवान का नाम लो और २ – ४ मिनट हास्य-प्रयोग करों, ‘हरि ॐ…..ॐ…..ॐ….. मेरे ॐ…..प्यारे ॐ ….. हा…हा…हा…’
- प्रारब्ध तो पहले बना है, पीछे बना है शरीर ! संत तुलसीदासजी कहते हैं कि चिंता क्या करते हो ? भज लो श्रीरघुवीर …. हे गोविंद ! हे रघुवीर ! हे राम !
- दुःख मन में आता है, चिंता चित्त में आती है; मैं तो निर्लेप नारायण, अमर आत्मा हूँ | मैं प्रभु का हूँ, प्रभु मेरे हैं | इससे चिंता(chinta) भागेगी |
- काहे को चिंता करना ? जो होगा देखा जायेगा | हम ईश्वर के, ईश्वर हमारे ! ईश्वर चेतनस्वरूप हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, आनंदस्वरूप हैं और हमारे सुह्रद हैं | चिंता कुतिया आयी तो क्या कर लेगी ? गुरु का संग जीवात्मा को दु:खों से असंग कर देता है | चिंताओं से असंग कर देता है | हरि ॐ …ॐ….ॐ…
चिंता से चतुराई घटे, घटे रूप और ज्ञान |
चिंता बड़ी अभागिनी, चिंता चिता समान ||