Last Updated on May 2, 2024 by admin
अभयंग (तेल मालिश) आयुर्वेदिक प्रक्रिया की एक विशिष्टता है। तेल मालिश कराने से पूर्व व्यक्ति को मल-मूत्र त्यागकर अपने हाथों को साफ कर लेना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो कपड़े उतार दें। शरीर के ढकने योग्य अंगों को ढका जा सकता एक कप में 25 मिलीलीटर तिल का तेल लें तथा शरीर के तापमान के बराबर गरम करें। उसे अधिक या कम गरम नहीं करना चाहिए। इस तेल को सिर से पैर के अँगूठे तक अच्छी तरह लगाना चाहिए। कोई भी स्थान छोड़ना नहीं चाहिए।जोड़ों में गोलाकार तरीके से मालिश करनी चाहिए। कानों में भी तेल या ईयर ड्रॉप डालना चाहिए।
मालिश जोर से नहीं बल्कि हलके हाथ से की जानी चाहिए, क्योंकि वह वात को बढ़ाती है। हलकी मालिश वात को शांत करती है।
तेल मालिश कैसे करें ? :
- किसी चौड़े मुँह वाले कटोरे में मालिश का तेल या घी ले लें ताकि उसमें आप अपनी उँगलियाँ ठीक से डूबा सकें।
- तेल गरम होना चाहिए। आप इस कटोरे को गरम पानी से भरे हुए दूसरे बर्तन में भी रख सकते हैं, जिससे मालिश के दौरान तेल गरम बना रहेगा।
- बैठने से पहले नीचे कोई पुरानी चादर या तौलिया बिछा लें, इससे इधर-उधर दाग-धब्बे नहीं पड़ेंगे।
- अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से बाएँ हाथ और बाँह पर तेल लगाना आरम्भ कीजिए । शुरू में हल्के-हल्के और धीरे-धीरे सभी जोड़ों को दबाते हुए मालिश करें।
- पर्याप्त मात्रा में तेल लगाते हुए पूरी बाँह की मालिश कर लें। अब बाएँ हाथ से दाहिने हाथ की मालिश करें। इसके बाद दोनों हाथों से बाएँ पैर की धीरे-धीरे नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें।
- पैर के सभी जोड़ों को ठीक से दबाएँ और जाँघ की जोर लगाकर मालिश करें। ठीक इसी प्रकार से दाहिने पैर की मालिश करें।
- इसके बाद, दोनों हाथों से देह के अग्र भाग की मालिश करें । कन्धों, गर्दन और आँखें के आस-पास का हिस्सा छोड़कर चेहरे पर तेल लगा लें ।
- जहाँ तक आपका हाथ जा सके वहाँ तक अपनी पीठ की मालिश करें। अगर सम्भव हो तो कोई दुसरा व्यक्ति भी आपकी पीठ की मालिश कर सकता है।
- पूरी देह पर तेल लगा लेने के बाद, एक बार फिर से इस प्रक्रिया को दुहरा लें।
- जिन लोगों की बहुत शुष्क त्वचा है उन्हें इस प्रक्रिया को तीसरी बार भी दुहरा लेना चाहिए। इसके पीछे विचार यही है कि देह को तेल या घी से तब तक सन्तृप्त करें जब तक वह और सोखना बन्द न कर दे।
- अगर आप इसे सप्ताह में एक बार या समय-समय पर करते रहते हैं, तो आपकी देह को तीसरी बार इस प्रक्रिया को दुहराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- मालिश कर लेने के बाद, कुछ मिनट तक विश्राम करें और फिर कपड़े पहनने से पहले गरम और भीगे हुए तौलिए से देह का सारा अतिरिक्त तेल पोंछ डालें।
- गरम पानी से स्नान करने से पहले बेहतर यही होगा कि पूरा दिन, या रात-भर, या कम-से-कम कुछ घंटों के लिए तेल लगा रहने दिया जाए।
- इस अभ्यास का प्रशामक प्रभाव पड़ता है और यह वात-विकार को ठीक करता है। यह त्वचा को मुलायम, मजबूत और चोट-चपेट के खिलाफ अधिक प्रतिरोधी बनाता है।
- यह रूप-रंग को निखारता और कान्तिवान बनाता है।
- पूर्वकर्म के अन्तर्गत, तीन या चार दिनों के अन्तर पर कम-से-कम दो बार तेल मालिश अवश्य करनी चाहिए।
सिर की मालिश कैसे करें ? :
- इन सत्रों के दौरान कम-से-कम एक बार सिर की मालिश भी करनी चाहिए।
- सिर की मालिश तिल, नारियल या जैतून के तेल से होनी चाहिए।
- शिरोवल्क (scalp), और बालों की देखभाल के लिए कुछ विशेष आयुर्वेदिक तेल भी होते हैं।
- बालों की जड़ों और शिरोवल्क के पूरे हिस्से के लिए उँगलियों के पोरों से तेल लगाइए। इस तरह मालिश करें कि सारा तेल सोख लिया जाए। तेल को रात-भर लगाए रखना चाहिए। तेल के दाग-धब्बों से बचने के लिए तकिए के ऊपर पुरानी चादर या तौलिया बिछा लें।
तेल मालिश के लाभ :
1. शरीर की थकान दूर होती है।
2. नियमित तेल मालिश से वृद्धावस्था को टाला जा सकता है।
3. इससे किसी भी प्रकार के दर्द से राहत मिलती है।
4. नियमित मालिश से नेत्रदृष्टि तीव्र होती है।
5. शरीर को मजबूती मिलती है।
6. अच्छी नींद आती है।
7. त्वचा का रंग चमकता तथा निखरता है।
मालिश के बाद या मालिश के दौरान तुरंत ठंडी जलवायु में या बाहर के वातावरण में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे सर्दी का प्रकोप हो सकता है। शरीर की मालिश में 10-15 मिनट लग सकते हैं। मालिश के तेल को आयुर्वेदिक पाउडर या साबुन से हटाया जा सकता है। वात प्रकृति के लोगों के लिए तिल का तेल उत्तम है, परंतु पित्त प्रकृतिवालों के लिए नारियल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। तेल त्वचा में आसानी से अवशोषित हो जाता है, क्योंकि उसका मॉलीक्यूल (अणु) रेबिड वायरस से छोटा होता है। त्वचा पर तेल के मृदुल तथा शीतकारक प्रभाव के बारे में सभी जानते हैं। वात का एक स्थान त्वचा भी है। इसलिए मालिश का तंत्रिका तंत्र पर तत्काल प्रभाव पड़ता है।