Last Updated on November 19, 2019 by admin
काया को पवित्र व निर्मल बनानेवाला तुलसी(Tulsi)– प्रयोग
“त्रिकाल संध्या के बाद ७ तुलसीदल सेवन करने से शरीर स्वस्थ, मन प्रसन्न और बुद्धि तेजस्वी व निर्मल बनती है |”
पूज्यश्री कहते हैं :
“यदि प्रात:, दोपहर और संध्या के समय तुलसी (Tulsi)का सेवन किया जाय तो उससे मनुष्य की काया इतनी शुद्ध हो जाती है जितनी अनेक बार चान्द्रायण व्रत रखने से भी नहीं होती | तुलसी तन, मन और बुद्धि – तीनों को निर्मल, सात्त्विक व पवित्र बनाती है | यह काया को स्थिर रखती है, इसलिए इसे ‘कायस्था’ कहा गया है |”
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विशेष : अच्युताय हरिओम तुलसी अर्क (Achyutaya Hariom Tulsi Ark)सर्दी -जुकाम खांसी ,एसिडिटी ज्वर ,दस्त ,वमन,हिचकी ,मुख की दुर्गन्ध ,मन्दाग्नि ,पेचिस में लाभ दायी व हृदय के लिए हितकर है ,यह रक्त में से अतिरिक्त स्निग्धांश को हटाकर रक्त को शुद्ध करता है।यह सौन्दर्य ,बल ब्रह्मचर्य एवं स्मृती वर्धक व कीटाणु ,त्रिदोष और विषनाशक है ।
प्राप्ति-स्थान : संत श्री आशारामजी आश्रमों और श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र |
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