शरीर को स्वस्थ, सुंदर और बलवान बनाने के उपाय

Last Updated on August 26, 2021 by admin

स्वस्थ और फुरतीला कौन नहीं रहना चाहता। युवा पीढ़ी में आज ऐसा भ्रम फैला हुआ है कि छरहरी काया प्राप्त करनी है तो डायटिंग करना जरूरी है। दोस्त आपस में एक-दूसरे को कहते भी हैं कि यार, आजकल डायटिंग कर रहा हूँ। वेट बढ़ गया है। लेकिन उनका डायटिंग का तरीका एकदम गलत है। जरूरी नहीं है कि डायटिंग करने से आपका शरीर सुडौल बनेगा ही, बल्कि कई बार इससे अच्छीखासी परेशानी खड़ी हो जाती है। शरीर में जरूरी पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है। अगर चाहत छरहरी काया रखने की है तो आपको थोड़ी सावधानियाँ तथा भोजन के प्रति सचेत होना पड़ेगा।

इसके लिए अपने खान-पान तथा दिनचर्या को संतुलित बनाना होगा। संतुलित भोजन से मतलब है कि आपके भोजन में संतुलित खाद्य-पदार्थ उचित मात्रा में हों। प्रतिदिन के भोजन में मौसम के अनुसार ताजा फल, मक्खन, पत्तेदार हरी सब्जियाँ अवश्य शामिल होनी चाहिए। आप जितना श्रम रोजाना करते हैं, उसके अनुसार शरीर को कैलोरी मिलनी चाहिए। इससे अनावश्यक मोटापा चढ़ने की कोई गुंजाइश नहीं रहती।

स्वस्थ व सुंदर शरीर के लिए जरूरी उपाय (Sharir ko Swasth Sundar Banane ke Upay)

शरीर को स्वस्थ और सुंदर कैसे बनाएं ?

स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के अभाव में व्यक्ति अपने शरीर को बेडौल बना लेता है, इसके बाद जीवन-पर्यंत उसे ठीक बनाने में लगा रहता है। शरीर को स्वस्थ तथा छरहरा बनाने के लिए निम्न कुछ बातों तथा उपायों को उपयोग में लाया जा सकता है –

1. प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठे और नीबू पानी अथवा ताँबे के बरतन में रखा बासी पानी पर्याप्त मात्रा में पिएँ। इससे पेट साफ रहेगा और कब्ज नहीं बनेगी।

2. प्रातः और सायंकाल हलका व्यायाम अथवा टहलना अत्यंत लाभदायक होता है। आप जैसे भी हों-बाल, वृद्ध या युवा, बीमार अथवा स्वस्थ, गरीब या अमीर, बेकार अथवा अत्यंत व्यस्त, आपको यह नियम अवश्य बनाना चाहिए कि हलका व्यायाम अवश्य करें।

3. स्नान और प्रार्थना भी नित्य नियम से करनी चाहिए। शरीर की शुद्धि के लिए स्नान जितना जरूरी है, मन की शुद्धि के लिए उतनी ही प्रार्थना भी, लेकिन दोनों ही क्रियाएँ औपचारिकता की तरह नहीं होनी चाहिए। जो भी करें, मन लगाकर करें।

4. नाश्ते और भोजन में मधुर, रसदार तथा पौष्टिक आहार लेना चाहिए। सड़ेगले, जले-भुने, बासी और सस्ते फास्टफूड से बचना चाहिए। उत्तम भोजन घर का पकाया गया सात्त्विक भोजन ही हो सकता है।

5. परिश्रम से जी न चुराएँ। जितना संभव हो, शारीरिक और मानसिक श्रम करें तथा पूरी तन्मयता से करें, प्रसन्नतापूर्वक करें। यह स्वस्थ शरीर के लिए बहुत जरूरी है।

6. नींद और विश्राम में कटौती न करें। भोजन और श्रम की तरह नींद भी आवश्यक है। वह टॉनिक की तरह शरीर तथा मन को ताजगी प्रदान करती है।

7. विहार में संतुलन रखें। ऋतु काल और शक्ति के अनुसार काम सेवन (सहवास) करें, न तो अत्यधिक और न ही अति अल्प।

8. सप्ताह में एक दिन का हर कार्यालय में अवकाश रहता है, ठीक इसी प्रकार पेट को भी विश्राम देना चाहिए। व्रत के नाम पर शरीर को मारना नहीं चाहिए, बल्कि नीबू पानी, छाछ या फलों का रस पीकर पेट को तनिक विश्राम देना चाहिए, ताकि आगे के दिनों के लिए पाचनतंत्र शक्ति संचय कर सके।

9. दिन भर में एक क्षण ऐसा निकालना चाहिए, जब आप एकांत में आत्मनिरीक्षण कर सकें। इससे आपको अच्छा बनने में मदद मिलेगी।

10. आत्मविश्वास, ईश्वर विश्वास, सदैव सक्रियता तथा जागृति सुखी एवं स्वस्थ जीवन के लिए संजीवनी का कार्य करते हैं।

11. इनके अलावा बाजार की खुली चीजें, डिब्बा बंद खाद्य का प्रयोग न करें, यदि विवशता हो तो, न के बराबर करें।

12. भूख लगने पर ही भोजन करें। बिना भूख या हर समय खाते रहने की आदत न बनाएँ।

13. धूम्रपान जैसी बुरी लत से बचें, यह स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।

14. भोजन में रेशेदार खाद्य-पदार्थ अवश्य रखने चाहिए।

15. ज्यादा मसालेदार और नमक-मिर्च वाला भोजन पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचाता है। यह लीवर पर अत्याचार है।

16. बासी व कई दिनों से फ्रिज में रखा भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। उससे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं, वह मात्र छूछा रह जाता है।

17. भोजनोपरांत थोड़ा मिष्टान्न-गुड़, पेठा, मिसरी आदि अवश्य लेनी चाहिए। इससे पाचक लार ज्यादा मात्रा में बनती है और भोजन जल्दी पचता है।

उपर्युक्त सावधानियाँ अपने दैनिक में शामिल कर लें तो हमारा शरीर स्वस्थ तथा छरहरा बना रह सकता है । तब अन्य उपाय आजमाने की जरूरत नहीं रहेगी।

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