उदासीनता के कारण, लक्षण, और ईलाज

उदासीनता क्या है ? :

उदासीनता या अवसाद एक दिमागी रोग है जिसमें मनुष्य को अपने जीवन में कमियां ही कमियां नजर आती हैं। इस रोग में व्यक्ति उदास रहने लगता है जिससे उसमें ऊर्जा की कमी होने लगती है और उसके जीवन से प्रसन्नता कम होने लगती है। मानसिक और शारीरिक उत्साह की कमी हो जाने को ही उदासीनता या अवसाद कहते हैं।

उदासीनता के कारण :

  • मानसिक अवसाद के कारणों में अधिवृक्क ग्रंथि की कार्य प्रणाली मुख्य है।
  • सब्जियों को खाने में कम प्रयोग करना और कार्बोहाइड्रेट (अनाज, चीनी, चाय, कॉफी, चॉकलेट आदि) का खाने में अधिक मात्रा में लेने से अपच उत्पन्न होकर यह रोग पैदा होता है जिससे हृदय और फेफड़ों में दर्द होने लगता है और ऊतकों को ऑक्सीजन कम मात्रा में मिल पाती है जिससे दूषित वायु की मात्रा बढ़ जाती है और न चाहते हुए भी मानसिक उदासी व्यक्ति के अन्दर आ जाती है।
  • जो व्यक्ति दवाओं का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं, उनके शरीर में विटामिन्स और खनिज पदार्थों का विपरीत असर पड़ता है जिससे मानसिक उदासी उत्पन्न होती है।
  • मनुष्य के शरीर में यदि कैल्शियम की मात्रा की कमी हो जाए तो मधुमेह और यकृत (लीवर, प्लीहा) में कमजोरी आ जाती है जिससे मानसिक अवसाद उत्पन्न होता है।

उदासीनता के लक्षण :

  • इस रोग में व्यक्ति के मन में हिंसा और शोषण के भाव उत्पन्न होते हैं।
  • इस रोग में रोगी को भूख नहीं लगती है,
  • दिमाग में चक्कर आते रहते हैं,
  • बेचैनी और घबराहट रहती है।
  • शरीर कमजोर होना,
  • कब्ज रहना, दर्द होना,
  • उदास रहना,
  • एकाग्रता की कमी,
  • किसी कार्य का फैसला ठीक से न लेना आदि मानसिक अवसाद के लक्षण हैं।

भोजन व परहेज :

  • अवसाद से पीड़ित रोगी को भोजन में फल, रोटी, दाल और सब्जियों का अधिक मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। फलों और सब्जियों को खाने से मनुष्य का दिमाग व शरीर स्वस्थ रहता है।
  • उदासीनता में दूध, फल और बिस्कुट का प्रयोग सुबह नाश्ते में लेना चाहिए।
  • दूध, हरी सब्जियां, सलाद और अंकुरित अनाज रात को भोजन में लेने से मानसिक अवसाद दूर होता है।

विभिन्न औषधियों से उदासीनता का उपचार :

1. मट्ठा : दिन के भोजन में मट्ठा के साथ उबली हुई सब्जियों के अलावा चपाती का सेवन करना चाहिए। इससे मानसिक अवसाद का रोग दूर हो जाता है।

2. संगीत : वर्षा में स्नान करने, संगीत सुनने, धैर्य, हंसी-मजाक करने और प्रसन्न रहने से मानसिक अवसाद से छुटकारा पाया जा सकता है।

3. आंवला : प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा सेवन करने से मानसिक अवसाद या उदासी दूर हो जाती है।

4. घास : सुबह-शाम नंगे पांव घास पर आधे घंटे तक घूमने से मानसिक अवसाद या उदासी में आराम मिलता है।

5. बेल : लगभग 10 ग्राम बेल की जड़ को पीसकर सुबह-शाम लेने से आलस्य, उदासीनता और पागलपन खत्म होता है।

6. दमनपापड़ा : लगभग 25 से 50 मिलीलीटर दमनपापड़ा का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से अवसाद व उदासी दूर होती है।

7. कपास : कपास के फूलों का शर्बत बनाकर अवसाद या आलस्य के रोगी को प्रतिदिन 3-4 बार पिलाने से आलस्य या उदासी समाप्त होती है।

8. ब्राह्मी : लगभग 10 मिलीलीटर ब्राह्मी (जलनीम) का रस या लगभग आधे से एक ग्राम चूर्ण लेने से उदासीनता, अवसाद या सुस्ती दूर होती है।

9. मूसाकानी : लगभग आधे से एक ग्राम मूसाकानी (मूसाकर्णी) के पंचांग को पानी में घोलकर सुबह-शाम लेने से मल साफ होता है और शरीर का आलस्य दूर होता है।

10. कॉफी : शारीरिक आलस्य को दूर करने के लिए कॉफी के बीजों को भूनकर चूर्ण बनाकर पानी के साथ उबालकर पीने से सुस्ती दूर होती है तथा शरीर में ऊर्जा मिलती है।

11. चाय : पानी में चाय की पत्तियों को उबालकर गर्म-गर्म पीने से शरीर के अन्दर जोश आ जाता है और आलस्य व अवसाद खत्म होता है।

12. बिरंजासिफ (ACHILLEA MILLEFOLIUM) : 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में बिरंजासिफ का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 2 या 3 बार लेने से आलस्य खत्म होता है और शरीर में स्फूर्ति आती है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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