Last Updated on December 31, 2022 by admin
वहम की बीमारी (चित्तभ्रम) क्या है ? (Delusional Disorder in Hindi)
मनुष्य के मन में विभिन्न तरह की आशंकायें व इच्छाएं होती हैं और जब किसी कारण से उसकी इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं तो उसके मन में कई प्रकार का मानसिक भ्रम पैदा होने लगता है जिसे चित्तीभ्रम कहते हैं। वास्तव में चित्त भ्रम कोई रोग नहीं है बल्कि एक प्रकार का मानसिक विकार है।
वहम की बीमारी (चित्तभ्रम) के कारण (vaham ki bimari ke karan)
- यह रोग अचानक शोक,
- दु:ख,
- भय,
- स्नायविक दुर्बलता,
- सिर में चोट लगना,
- नशा करना,
- अधिक वीर्य की कमी आदि कारणों से होता है।
- इसके अलावा शराब का नशा करने वाले व्यक्ति,
- अधिक क्रोध,
- निराशा,
- कार्य का पूरा न होना,
- मन की इच्छा पूरी न होना,
- प्यार में धोखा और
- अधिक सोचना आदि कारणों से चित्तभ्रम (डिल्यूशन डिसऑर्डर) होता है।
वहम की बीमारी (डिल्यूशन डिसऑर्डर) के लक्षण (vaham ki bimari ke lakshan )
- हमेशा नकारात्मक भाव प्रकट करना,
- घर-गृहस्थी और बच्चों के प्रति उदासी,
- आत्महत्या करने की इच्छा करना,
- जीवन के प्रति उदास हो जाना,
- संसार की कोई भी चीज अच्छी न लगना,
- हंसते-हंसते चुप होकर सोचने लग जाना,
- अकेले रहना,
- गहरी सांस छोड़ना,
- चुपचाप रहना आदि चित्तभ्रम रोग के लक्षण हैं।
वहम की बीमारी (डिल्यूशन डिसऑर्डर) का उपचार (vaham ki bimari ka ilaj)
1. सौंठ : लगभग 2 ग्राम सौंठ, 4 कालीमिर्च, 2 पीपल की फली और जरा-सा कालानमक को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण दूध के साथ सोने से पहले खाने से चित्तभ्रम की बीमारी दूर होती है।
2. तेल : बादाम का तेल सिर के बीच में मलने से मन को शान्ति मिलती है और चित्तभ्रम रोग ठीक होता है।
3. मुलेठी : मुंह में मुलेठी को रखकर चूसने से वहम की बीमारी (चित्त भ्रम) में आराम मिलता है।
4. नशीले पदार्थ : नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए और अपने स्वभाव को हंसमुख बनाना चाहिए। ऐसा करने पर आत्मविश्वास आता है और चित्तभ्रम नहीं होता है।
5. अगस्ता : अगस्ते के पत्तों के रस में सौंठ, पीपर और गुड़ समभाग मिलाकर एक या दो बूंद नाक में डालने से चित्तभ्रम (डिल्यूशन डिसऑर्डर) रोग में लाभ मिलता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)