Last Updated on December 3, 2021 by admin
वेरिकोस वेन आधुनिक समय में अत्यंत सामान्य समस्या है। एक अनुमान के अनुसार, आबादी के 10 से 20 प्रतिशत लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह बीमारी बहुत ज्यादा होती है। महिलाओं में यह बीमारी पुरुषों की तुलना में चार गुणा ज्यादा व्याप्त है। खास तौर पर ऊँची एड़ी की सैंडल एवं जूतियां तथा टाइट पोशाक पहनने वाली फैशनपरस्त महिलाओं के इस बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका बहुत अधिक होती है।
वेरिकोस वेन के लक्षण (Varicose Veins Symptoms in Hindi)
वेरिकोस वेन के क्या लक्षण होते हैं ?
- वेरिकोस वेन होने पर पैरों में स्थायी रूप से सूजन एवं भारीपन की शिकायत रहती है।
- पैर की त्वचा काले-नीले रंग की हो जाती है।
- पैरों एवं जांघों में केंचुए के आकार की नीली गुच्छेदार नसें उभर जाती हैं, जिससे पैर बदसूरत हो जाते हैं।
- खड़े होने एवं चलने फिरने पर पैरों में भयंकर दर्द होता है ।
- इलाज में देर होने या इलाज नहीं होने पर पैरों में एक्जिमा तथा कभी नहीं भरने वाले जख्म (वेरिकोस अल्सर) हो जाते हैं। बाद में इनसे भारी रक्तस्राव होने लगता है
- लंबे समय तक इलाज नहीं होने पर मरीज चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ होकर अपाहिज जीवन जीने को मजबूर हो जाता है।
वेरिकोस वेन के कारण (Varicose Veins Causes in Hindi)
वेरिकोस वेन क्यों होता है ?
वेरिकोस वेन होने के लिए वैसे तो आनुवंशिक कारण जिम्मेदार हैं, लेकिन –
- मोटापा,
- व्यायाम नहीं करने की आदत,
- महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान रक्त शिराओं पर अधिक दबाव पड़ने,
- रहन-सहन के गलत तौर-तरीकों,
- अधिक समय तक खड़े रहने,
- अधिक समय तक पैर लटका कर बैठने आदि के कारण भी वेरिकोस वेन की आशंका बढ़ती है।
- करीब 40 प्रतिशत मरीजों में वेरिकोस वेन की बीमारी वंशानुगत होती है। ऐसे परिवारों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह बीमारी चलती जाती है।
वेरिकोस वेन का उपचार (Varicose Veins Treatment in Hindi)
वेरिकोस वेन का उपचार कैसे किया जाता हैं ?
प्रारंभिक अवस्था में इसका इलाज व्यायाम एवं इंजेक्शन (स्क्लेरोथेरेपी) के जरिए किया जा सकता है, लेकिन इस रोग के बढ़ जाने पर ऑपरेशन की मदद से वेरिकोस वेन को निकाल दिया जाता है । इसके लिए फ्लेबेक्टोमी, वेन स्ट्रिपिंग और एंडोस्कोपी जैसी विधियों का इस्तेमाल किया जाता है।
फ्लेबेक्टोमी के तहत पैर पर छोटे-छोटे चीरे लगाकर सभी छोटे-छोटे वेरिकोस वेन निकाल लिए जाते हैं। वेन स्ट्रिपिंग के तहत छोटे चीरे के जरिए लंबे वेरिकोस वेन को निकाला जाता है।
जब बीमारी अधिक गंभीर हो जाए और पैर में ठीक नहीं होने वाले जख्म बन जाएँ तो इंडोस्कोपी की मदद से सर्जरी करने की जरूरत पड़ सकती है। इस तकनीक में मरीज को कम तकलीफ होती है, कम रक्तस्राव होता है और मरीज को कम समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है।
वैरिकोज वेन का घरेलू उपचार (varicose veins home remedies in hindi)
वैरिकोज वेन का इलाज कैसे करें ?
- व्यायाम :
नियमित व्यायाम जैसे – स्विमिंग, पैदल चलना, साइकिलिंग आदि करने से शरीर के अंगों में रक्त प्रवाह बेहतर होता है जिससे वैरिकोज वेन की समस्या से बचा जा सकता है ।
- कंप्रेशन स्टॉकिंग :
कंप्रेशन स्टॉकिंग को आप मेडिकल से प्राप्त कर सकते है । यह पैरों के ऊपर दबाव बनाकर नसों को हृदय तक रक्त प्रवाह करने में सहायता करती हैं। इसका उपयोग वैरिकोज वेन से होने वाले दर्द तथा अकड़न को कम करता है ।
- फ्लेवेनॉइड युक्त आहार :
प्याज, लहसुन, पालक, ब्रोकली, खट्टे फल जैसे – अंगूर, चैरी और ब्लूबैरी में फ्लेवेनॉइड पर्याप्त मात्रा में होता है । फ्लेवेनॉइड खून के प्रवाह को बेहतर करने के साथ रक्त वाहिनियों को आराम पहुंचाता है, जिससे वैरिकोज वेन की समस्या मे कमी हो सकती है।
- मालिश :
रोगी के प्रभावित हिस्से पर तेल से मालिश करने से भी राहत मिलती है। मालिश करते समय इस बात का ख्याल रखें की यह हलके हाथों से किया जाए, ज्यादा दबाव से नाजुक ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।