Last Updated on July 22, 2019 by admin
अगर आप आस्तिक है, भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखते हैं, तो भगवान को जरूर पूजा करते होंगे। शहरों में रहने वाले लोग अपने बजट के हिसाब से छोटे व बडे कमरे या फ्लैटों में निवास करते हैं। जिनकी आय बहुत कम है, वे अपना गुजर-बस वन रूम सेट में करते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि व्यक्ति अपने आराध्यदेव की पूजा कहां करे? ऐसे घरों में पूजा घर के लिए निर्धारित जगह नहीं होतं है। पर आप चाहें तो अपने रहने के कमरे में ही आराध्य देव की पूजा कर सकते हैं।
✥ अगर आपके पास एक कमरे का फ्लैट है, तो पूजा करने के लिए कमरे के उत्तर-पूर्वी कोने का चयन करें। यहां आराध्य देव की स्थापना करें। इससे वास्तु के कई दोषों का भी स्वत: नाश हो जाता है और परिवार के लोग सदा सुखी रहते हैं। घर में रोग नहीं आता है।
✥ ईशान में पूजा स्थल के लिए चबूतरा बनवाएं।
✥ दक्षिण दिशा में कतई पूजा न करें।
✥ फ्लैट के पश्चिम भाग में बैठक अथवा वायव्य के कमरे के पश्चिम भाग में पूजा-स्थल बनवाएं।
✥ अगर जगह की कमी हो तो ईशान दिशा या कोने की बॉलकनी में पूर्व य पश्चिममुखी रहकर आराध्य देव का केवल विग्रह रखकर पूजा कर सकते हैं।
✥ सूर्य की दिशा में मुंह करके पूजा करें।
✥ प्रायः वन-रूम-सेट में रहने वाले लोग पूजा घर के लिए किचन का चयन करते हैं। वे सोचते हैं कि अगर किचन में पूजाघर बना लिया जाए तो कमरे यानी बेडरूम क उपयोग कई तरह के अन्य कार्यों के लिए भी किया जा सकता है। पर उनका यह सोचन गलत है। किचन में पूजाघर भूलकर भी न बनाएं।
✥ अगर किचन में पूजाघर बनाना ही चाहते हैं, तो किचन की पवित्रता का ध्यान रखें और पूजा स्थल को पर्दा लगाकर किचन से अलग कर दें।
✥ ईशान में स्थित पूजा घर में देवता के सामने दीप की बजाए अगरबत्ती जलाएं।
✥ सीढ़ियों के नीचे भूलकर भी पूजाघर न बनवाएं, अन्यथा विनाश होगा।
✥ यदि पूजास्थल पर आराध्यदेव की प्रतिमा का मुंह पूर्व की ओर है, तो साधक के स्थिति पश्चिम की तरफ होती है। यदि देवता का मुंह ईशान में है, तो साधक का चेहर नैर्ऋत्य में होता है। यह स्थिति अत्यंत अशुभ है।
✥ वास्तु के अनुसार यदि फ्लैट में पूजाघर उचित स्थान पर है, तो फ्लैट में निवास करने वाले व्यक्ति का आधा दोष यूं ही दूर हो जाता है।
✥ पूजा के समय अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें।
✥ कभी भी तहखाने में पूजास्थल न बनवाएं।
✥ पूजास्थल को कभी भी ढक कर न रखें।
✥ पूजास्थल पर खंडित मूर्तियां लगाने से बचें।
✥ यदि फ्लैट के ईशान में पूजा स्थल बनवाना संभव न हो, तो पूर्व दिशा में पूजा स्थल बनवाएं।
✥ पूजा कक्ष में संगमरमर के प्रयोग से बचें।
✥ पूजा स्थल पर शंख व घंटी रखें।
✥ पूजा के पश्चात शंख के जल का घर में छिड़काव करें।
✥ पूजा स्थल पर जल का पात्र ईशान कोण में तथा दीपक अग्निकोण में रखें।
✥ पूजा स्थल की पवित्रता बनाए रखें।
✥ जो लोग बहुमंजिले भवनों के फ्लैट में निवास करते हैं, उन्हें चाहिए कि भगवान के पूजा करने के लिए अलग से मंदिर बनवाएं, जो ग्राउण्ड फ्लोर पर स्थित होना चाहिए। यह काफी अच्छा रहता है।