1)* घर में तुलसी, श्वेत आर्क, शमी का पौधा अवश्य लगाएं।
इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है।
2)* ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को हमेशा साफ-सुथरा रखें
ताकि सूर्य की जीवनदायिनी किरणें घर में प्रवेश कर सकें।
3)* भोजन बनाते समय गृहिणी का हमेशा मुख पूर्व की ओर
होना चाहिए। इससे भोजन सुपाच्य और स्वादिष्ट
बनता है। साथ ही पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से
व्यक्ति की पाचन शक्ति में वृद्धि होती है।
4)* जो बच्चे में पढ़ने में कमजोर हैं, उन्हें पूर्व की ओर मुख करके
अध्ययन करना चाहिए। इससे उन्हें लाभ होगा।
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5)*जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा है, उन्हें
वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) के कमरे में रहना चाहिए।
इससे उनका विवाह अच्छे और समृद्ध परिवार में होगा।
6)* रात को सोते वक्त व्यक्ति का सिर हमेशा दक्षिण
दिशा में होना चाहिए। कभी भी उत्तर दिशा की ओर सिर
करके नहीं सोना चाहिए। इससे अनिद्रा रोग होने
की संभावना होती है साथ ही व्यक्ति की पाचन
शक्ति पर विपरीत असर पड़ता है।
7)* घर में कभी-कभी नमक के पानी से पोंछा लगाना चाहिए।
इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
8)*घर से निकलते समय माता-पिता को विधिवत (झुककर) प्रणाम
करना चाहिए। इससे बृहस्पति और बुध
ठीक होते हैं। इससे व्यक्ति के जटिल से जटिल काम बन जाते हैं।
9)* घर का प्रवेश द्वार एकदम स्वच्छ होना चाहिए। प्रवेश
द्वार जितना स्वच्छ होगा घर में लक्ष्मी आने
की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।
10)* प्रवेश द्वार के आगे स्वस्तिक, ॐ, शुभ-लाभ जैसे
मांगलिक चिह्नों को उपयोग अवश्य करें।
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11)* विवाह पत्रिका कभी भूलकर भी न फाड़े क्योंकि इससे व्यक्ति को
गुरु और मंगल का दोष लग जाता है।
12)* शयन कक्ष में टेलीविजन कदापि न रखें
क्योंकि इससे शारीरिक क्षमताओं पर विपरीत असर पड़ता है।
13)* दफ्तर में काम करते समय उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके
बैठें तो शुभ रहेगा, जबकि बॉस (कार्यालय प्रमुख)
का केबिन नैऋत्य कोण में होना चाहिए।
14)* घर के भीतर शंख अवश्य रखें। इससे बजाने से 500 मीटर
के दायरे में रोगाणु नष्ट होते हैं।
15)* पक्षियों को दाना खिलाने और गाय को रोटी और
चारा खिलाने से गृह दोष का निवारण होता है।