Last Updated on February 6, 2023 by admin
विद्युत चिकित्सा क्या है ? (vidyut chikitsa kya hai)
बहुत से प्राकृतिक चिकित्सकों का मानना है कि विद्युत चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा का ही एक अंग है और यह `अग्नि चिकित्सा´ के अंर्तगत आती है लेकिन कुछ चिकित्सक विद्युत चिकित्सा को प्राकृतिक तथा स्वाभाविक चिकित्सा मानते ही नहीं है, क्योंकि एक तो विद्युत चिकित्सा का माध्यम `बिजली´ पांचों तत्व आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी की तरह सब जगह सारी दशाओं में आसानी से पैदा करके उपलब्ध नहीं किया जा सकता। दूसरे यंत्रों द्वारा इसको इस्तेमाल करने की विधि मुश्किल होने के कारण सर्वसाधारण बिना पूरी तरह से शिक्षा प्राप्त किए इससे लाभ नहीं उठा सकते हैं और तीसरे किसी तरह की सावधानी न बरतने के कारण बिजली से उसका इलाज करने से किसी तरह का खतरा होने की संभावना बनी रहती है। फिर भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि विद्युत-चिकित्सा एक पूरी तरह की वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें विद्युत के सही तरीके से इस्तेमाल से बहुत सारे रोगों को ठीक किया जा सकता है।
एक बहुत ही महान व्यक्ति विद्युत चिकित्सा को प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत नहीं मानता था क्योंकि विद्युत चिकित्सा हर इंसान के लिए आसान नहीं थी। नहीं तो पूरी दुनिया में विद्युत के बिना कुछ भी नहीं है। सारे पदार्थों, प्राणियों और वनस्पतियों में विद्युत शक्ति मौजूद रहती है। अगर किसी चीज में विद्युत शक्ति नहीं है तो इसका मतलब है कि उस चीज का सर्वनाश होना निश्चित है। इसी तरह मनुष्य, पशु-पक्षी या पेड़-पौधे आदि किसी के अंदर भी विद्युत शक्ति की कमी का मतलब है उसके अंदर कोई रोग होना। इसके विपरीत जिसमें विद्युत शक्ति पूरी मात्रा में रहती है वह हमेशा निरोगी और मजबूत रहता है। जब मनुष्य के शरीर में इसी विद्युत शक्ति की कमी हो जाती है तो उसे बहुत से रोग घेर लेते हैं। इसलिए जिस प्रणाली से किसी मनुष्य के शरीर में विद्युत शक्ति की कमी को पूरा करके उसके रोगों को समाप्त किया जा सकता है, उसे ही विद्युत चिकित्सा प्रणाली या विद्युत द्वारा उपचार या `इलेक्ट्रोकल्चर´ कहते हैं।
दुनिया के सारे पेड़-पौधों, मनुष्य और पशु-पक्षियों पर विद्युत चिकित्सा का एक सा ही सिद्धांत लागू होता है। काफी प्रयोगों के द्वारा वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि पेड़ों में जो पानी और गैस पहुंचती है वह उनके हर बारीक से बारीक भाग में पहुंच जाती है, जिससे उनमें हरकत पैदा होती है जो पेड़ों के अंदर विद्युत के पहुंचने का कारण होती है, इसलिए मुरझाए हुए और सूखे पेड़ों के अंदर के कोषों पर वैज्ञानिक तरीके से बाहरी बिजली का असर डालकर उन्हें पूरी तरह से दुबारा हरा-भरा बनाया जा सकता है।
पशुओं के लिए विद्युत चिकित्सा के उपाय :
जानवरों को ज्यादा ताकतवर बनाने और रोगों से दूर रखने के लिए विद्युत चिकित्सा प्रणाली में मुख्यता: 3 उपाय बताए गए हैं-
- जानवरों के खाने वाले चारे को सुबह के समय सूरज की निकलती हुई किरणों के सामने रख देना चाहिए, जिससे उनमें स्थित हानिकारक कीटाणु समाप्त हो जाएं और सूरज की किरणों के असर से उसके अंदर स्वास्थ्य को बढ़ाने वाले गुण पैदा हो जाए।
- जानवरों के गले में बिजली के तार से कभी-कभी हल्का सा स्पार्किंग दिया जाए। लेकिन ध्यान रहें कि जानवर को बिजली के तारों को कभी भी न छुआएं नहीं तो उनकी मृत्यु हो सकती है।
- विद्युत का पानी जानवरों की सानी में मिलाने से वह उनको पचने लायक बना देता है, इससे नहाने से जानवर स्वस्थ रहते हैं।
- जानवरों के गले के ऊपर मैगनेट का तार लगाकर हैंडल चलाने से बिजली की चिंगारियां जानवरों के शरीर के अंदर पहुंच जाती है, इन चिंगारियों से जानवरों के शरीर में चुस्ती-फुर्ती आ जाती है। जानवरों के घाव पर बिजली का पानी डालने से घाव जल्दी भर जाते है, लेकिन इसके साथ ही उनको स्पार्किंग भी जरूर देनी चाहिए।
विद्युत चिकित्सा कैसे काम करती है ? :
जानवरों के शरीर और वनस्पतियों की ही तरह मनुष्य के शरीर में भी बिजली मौजूद रहती है। जिस मनुष्य में यह बिजली पूरी मात्रा में नहीं होती उस व्यक्ति को जरूर कोई न कोई रोग होता है क्योंकि शरीर में स्थित बिजली का ही दूसरा नाम जीवनीशक्ति है। एक बहुत मशहूर व्यक्ति का कहना है कि भोजन करने से मनुष्य को जो शक्ति मिलती है उसका एक भाग शरीर में स्थित बिजली के रूप में बदल जाता है, जिससे बाद में शरीर के स्नायुमंडल, मांसपेशियों और अवयवों की शक्ति तथा स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। मनुष्य को जीवित शरीर की गर्मी नहीं रखती बल्कि उसके शरीर में स्थित बिजली रखती है।
मनुष्य के ज्यादातर पदार्थों की तरह ही उसके शरीर पर भी बिजली का दोहरा असर पड़ता है। पहला असर तो उससे शरीर के दोष दूर हो जाते हैं और दूसरा मनुष्य का शरीर ताकतवर बन जाता है। जब बाहर से बिजली सही तरीके से और सही मात्रा में शरीर के संपर्क में लाई जाती है तो उससे नाड़ीमंडल उत्तेजित हो जाता है, साफ खून बहने लगता है तथा जिस जगह पर बिजली का इस्तेमाल किया जाता है, वहां पर वह शक्ति का संचार कर देती है। इससे शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है और शरीर के ढीले पड़ गए और कमजोर अंग दुबारा मजबूत बन जाते हैं। पुराने रोगों में विद्युत चिकित्सा में खास लाभ होता है।
विद्युत चिकित्सा में बिजली को इस्तेमाल करने के तरीके :
रोगों को ठीक करने के लिए रोगी के शरीर पर बिजली को इस्तेमाल करने के मुख्यत: 5 तरीके बताए गए हैं-
1. गैलवैनिक विद्युतवाह द्वारा – इस मशीन के 2 सिरे होते हैं, जिसमें से 1 को उद्द्युत (पोजिटिव) कहते हैं और दूसरे को निद्युत (नेगेटिव) कहते हैं। ये दोनों शरीर पर अलग-अलग असर डालते हैं।
2. फैराडिक विद्युतवाह द्वारा – इससे कमजोर मांसपेशियां मजबूत और सुसंचालित होती हैं।
3. सिनूस्वैंडल विद्युतवाह द्वारा – इससे मांसपेशियों के सारे रोग जैसे लकवा आदि ठीक हो जाते हैं।
4. हाईफ्रीवकैंसी (उच्च बारम्बारता) विद्युत द्वारा – इसके अंदर बहुत ज्यादा वोल्टेज की बिजली इस्तेमाल होती है। इससे रोगी के अंग में बहुत ज्यादा खून आदि पहुंचाना सम्भव होता है।
5. स्टेटिक विद्युतवाह द्वारा – इस प्रयोग को भी स्टेटिक मशीन से ही किया जाता है।
विद्युत स्फुलिंग (इलैक्ट्रिक स्पार्क) का इस्तेमाल और फायदे :
मनुष्य के शरीर के ऊपर विद्युत स्फुलिंग के इस्तेमाल को स्पार्किंग कहते हैं। यह स्पार्किंग बिजली की 5 मशीनों के द्वारा अच्छी तरह सीखने के बाद ही करनी चाहिए। अक्सर यह काम बाजारों में मिलने वाली `मैगनेटों´ से भी किया जाता है। स्पार्किंग करने के लिए हाथ में तार के हैंडल को लेकर तार के सिरे को सबसे पहले रोगी के गले की ग्रंथियों से लगभग 2 मिनट तक छुआएं। इसके बाद नाभि के ऊपर लगभग 2 मिनट तक रखें। फिर गुदा मार्ग से लेकर गले के नीचे तक नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे तार के सिरे को 10 बार चलाएं। बाद में पीठ के आसपास पसलियों के गड्ढ़ों को एक सिरे से दूसरे सिरे पर एक-एक बार छुएं। आखिरी में शरीर के जिस स्थान पर रोग का हमला ज्यादातर हो या दर्द आदि हो, उस स्थान पर लगभग 5 मिनट तक तार को छुआकर स्पार्किंग कर दें। अगर स्पार्किंग देते समय रोगी को ज्यादा करंट लगना प्रतीत हो तो तार को शरीर के मांस वाले भाग तक अंदर की तरफ थोड़ा सा गढ़ाकर स्पार्किंग देना चाहिए। छोटे बच्चों को अगर सिर्फ नाभि में ही स्पार्किंग दिया जाए तो उनको लाभ हो जाता है या फिर तार के सिरे को शरीर के रोगग्रस्त भाग पर बहुत जल्दी-जल्दी छुआते हुए स्पार्किंग करना चाहिए।
गले की गांठों का शरीर के बाकी अवयवों से खासकर पाचन संस्थान से सीधा सम्बंध होता है। इसलिए उन पर स्पार्किंग करने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
इस तरीके से बिजली का इस्तेमाल करने से शरीर में खून का संचार सही तरह से होने लगता है और बेजान पड़ी हुई नस-नाड़ियों, मांसपेशियों और कोषों को शक्ति मिलती है जिससे रोगी व्यक्ति को ठीक होने में देर नहीं लगती।
विद्युत प्रकाश का इस्तेमाल और फायदे :
विद्युत प्रकाश का इस्तेमाल अक्सर विद्युत प्रकाश स्नान में होता है जो बारिश आदि के दिनों में या किसी कारण से सूरज की किरणों से स्नान ना कर सकने की स्थिति में इस्तेमाल होता है।
विद्युत के प्रकाश से स्नान करने के लिए एक यंत्र की जरूरत होती है जिसमें सफेद रोशनी देने वाली आर्क लैंप लगी होती है और जो सूरज की किरणों को विकीर्ण करने वाले यंत्र के जैसा ही लाभकारी होता है। इस यंत्र में कार्बन लैंप या रंगीन लैंप को भी जरूरत के मुताबिक लगाया जा सकता है। इस यंत्र के न होने की स्थिति में विद्युत के प्रकाश से स्नान के लिए एक ऐसे बॉक्स को इस्तेमाल में लाया जाता है, जिसके अंदर रोगी लेटकर या बैठकर आसानी से विद्युत प्रकाश स्नान कर सकता है। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि बॉक्स में रोगी की गर्दन बाहर होनी चाहिए। विद्युत का प्रकाश स्नान करते समय व्यक्ति के सिर के ऊपर ठंडे पानी से भीगा और निचौड़ा हुआ तौलिया जरूर रखना चाहिए। जिन रोगियों का दिल कमजोर होता है उनके दिल पर ऐसी ठंडी पट्टी जरूर रखनी चाहिए। विद्युत प्रकाश स्नान करते समय विद्युत प्रकाश की किरणें पूरे शरीर पर या उसके किसी हिस्से पर पड़ते ही शरीर के अंदर की तरफ रक्तकोषों तक पहुंच जाती हैं, जिसकी वजह से त्वचा के छेद खुलकर फैल जाते हैं, जिनमें से होकर शरीर का जहरीला पदार्थ पसीने के साथ बाहर निकल जाता है।
विद्युत प्रकाश स्नान करने से पुराना गठिया का रोग, वातरोग, साइटिका, डायबिटीज, मोटापा, जिगर का खराब होना, मूत्राशय के रोग, पेट के रोग तथा आंतों के रोग कुछ ही समय में दूर हो जाते हैं।
विद्युतयुक्त वायु का इस्तेमाल और फायदे :
सुबह के समय की हवा में विद्युत बहुत ज्यादा होती है। सुबह के समय रबर के जूते पहनकर या सूखी घास के ऊपर सूरज की ओर मुंह करके खड़े होकर धीरे-धीरे सांस लेनी चाहिए और जितनी देर तक सांस को अंदर रोका जा सके रोकनी चाहिए। सांस लेने की यह क्रिया एक तरह का प्राणायाम कहलाती है, जिसके द्वारा प्राणों में बिजली पहुंचती है। सांस लेने की इस क्रिया के सम्बंध में एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि सांस लेने, रोकने और सांस छोड़ने में किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
विद्युतयुक्त जल का इस्तेमाल और फायदे :
एक बात को ज्यादातर सारे ही लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि बारिश का पानी खासकर उस समय की बारिश का पानी, जब बारिश होने के साथ-साथ बिजली भी कड़कती है, पेड़-पौधों और दुनिया के सारे प्राणियों के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक साबित होती है। यह इस कारण से होता है क्योंकि उस पानी में बिजली की ताकत मौजूद होती है, जो सबको जीवन देती है। प्राकृतिक जल में बिजली की रफ्तार बहुत तेज हो जाती है। इसी कारण से जिस वस्तु में पानी का अंश होगा, उसमें बिजली की रफ्तार बहुत तेज होती है। बिजली के कड़कने के साथ-साथ होने वाली बारिश का पानी विद्युन्मय होता है। लेकिन ऐसा पानी हमेशा और हर जगह नहीं मिलता, इसलिए पानी को विद्युन्मय बनाने की आसान तरकीब दी जा रही है।
स्पार्किंग करने के लिए इस्तेमाल मैग्नेटों को चालू करके उसके तार को पानी से भरे शीशे के गिलास, मटके या तालाब में डालकर क्रम से 5, 10, 15 और 60 मिनट तक चलाते रहने से उनमें भरा पानी विद्युन्मय हो जाएगा जो जड़ और चेतन सभी के लिए बहुत ही असरदार साबित होगा। अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने और रोगों को दूर रखने के लिए इस पानी को रोजाना पीना चाहिए और इसी से नहाना चाहिए। विद्युन्मय पानी से स्नान करने के लिए लगभग 6 फुट लंबा नहाने का टब, जिसके अंदर एक आदमी आसानी से लेटकर नहा सके ले लेना चाहिए। उस टब के अंदर गुनगुना सा विद्युन्मय पानी 98 डिग्री फारेनहाइट ताप का विद्युन्मय पानी भरने के बाद नहाने वाले व्यक्ति के सारे कपड़े उतारकर उसके अंदर उसे इस तरह से लिटाना चाहिए कि उसका पूरा शरीर (गर्दन को छोड़कर) पानी में डूबा रहे। करीब 10 से लेकर 15 मिनट तक पानी में इस तरह से स्नान करने के बाद शरीर को पोंछना चाहिए।
इस स्नान को नियमित रूप से करने से बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं, साथ में सूखे रोग वाले बच्चों के लिए भी यह स्नान बहुत लाभकारी है। इस स्नान को करने से स्नायुमंडल को आराम मिलता है और शरीर की थकावट दूर होकर उसमें चुस्ती-फुर्ती आ जाती है। विद्युन्मय पानी से फोड़े-फुंसियों को साफ करने से बहुत लाभ मिलता है। ऐसे ही आंखों में जलन होने पर, कान में दर्द होने पर, दांत के दर्द में और पायरिया जैसे रोगों में इस पानी से रोग वाले स्थान को धोने से आराम आता है। जिन लोगों को भूख कम लगती है या लगती ही नहीं वे अगर इस पानी को पिये तो उन्हें खुलकर भूख लगने लगती है। अगर औषधियों को बिजली वाले पानी से तैयार किया जाए तो औषधियों के गुण बढ़ जाते हैं और इन औषधियों से रोग बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।
प्याज से विद्युतयुक्त पानी बनाना :
अगर किसी कारण से मैग्नेट नहीं मिलते तो विद्युन्मय पानी को एक दूसरे तरीके से भी बनाया जा सकता है। एक प्याज को उसी समय जमीन में से उखाड़कर 100 गुने पानी में लगभग 5 मिनट तक डालने से वह सारा पानी विद्युन्मय हो जाता है। इस पानी में भी मैग्नेट द्वारा बनाए गए सारे गुण होते हैं।
विद्युतयुक्त भोजन का इस्तेमाल :
पानी के अलावा भोजन को भी विद्युन्मय बनाकर रोगों को दूर करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए जिस भोजन के पदार्थ को विद्युन्मय बनाना हो उसे सुबह के समय सिर्फ आधे घंटे तक धूप में रखने से भोजन का वह पदार्थ विद्युन्मय हो जाता है। इसी सिद्धांत के जरिये यह साबित किया जाता है कि ताजी साग-सब्जियां जैसे- गाजर, मूली, शलजम, चुकन्दर, पालक, करमकल्ला आदि जो धूप से नहाए हुए खेत से सीधे लाकर और उनका सलाद बनाकर कच्चा ही खाया जाता है। ये सब्जियां खुद ही विद्युन्मय होने के कारण शरीर को खासतौर से जीवनीशक्ति देती हैं और रोगों को भी दूर करने में मदद करती हैं।
विद्युतयुक्त माला का इस्तेमाल :
अलग-अलग धातुओं के तारों में अलग-अलग रंग के छेददार दानों को पिरोकर क्रमश: 3-4 लड़ियों की मालाएं रात को सोते समय पहनने से विद्युत धारा पैदा होकर शरीर पर अपना असर डालने लगता है। इससे जिन लोगों को रात में नींद न आने का रोग होता है वह ठीक हो जाता है।
विद्युतयुक्त रबर का इस्तेमाल :
चारपाई के चारों पायों के नीचे एक पाए की चौड़ाई के बराबर या 3-4 वर्ग इंच के रबर के टुकड़े रखकर सोने से रात को बहुत ज्यादा गहरी नींद आती है और स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)