अल्सर के सबसे असरकारक 15 घरेलु उपचार | Ulcer Home Remedies in Hindi

Last Updated on May 17, 2020 by admin

अल्सर का कारण : alsar(ulcer) ka karan in hindi

  • खान-पान में गड़बड़ी के कारण पेट में जख्म बन जाता है जिसे अल्सर कहते हैं।
  • चाय, कॉफी, सिगरेट व शराब का अधिक सेवन करने से अल्सर होता है।
  • अधिक खट्टे, मसालेदार, गर्म चीजों का सेवन करने से अल्सर होता है।
  •  चिन्ता, ईर्ष्या गुस्सा, काम का बोझ, मानसिक परेशानी, बैचेनी आदि कारणों से भी यह रोग होता है।
  • कभी-कभी पेट में जहरीला रोग पैदा होकर दूषित द्रव्य एकत्रित होकर आमाशय और पक्वाशय में जख्म बना देता है।
  • इस तरह आमाशय में घाव होने से पाचक रसों का बनना रुक जाता है और अल्सर उत्पन्न हो जाता है।

अल्सर के लक्षण : ulcer (alsar) ke lakshan

  • जब किसी व्यक्ति को अल्सर ( ulcer/ alsar )रोग हो जाता है तो रोगी के पेट में जलन तथा पेट में दर्द होने लगता है।
  • खट्टी डकारे आती हैं, उल्टी होती है, सिर चकराता है, भोजन अच्छा नहीं लगता।
  • कब्ज की शिकायत होती है।
  • दस्त के साथ खून आता है।
  • शरीर में कमजोरी आ जाती है और मन बैचेन रहता है।
  • अल्सर रोग से पीड़ित रोगी जब भोजन करने में जल्दबाजी में करता है या चिंता-फिक्र अधिक करता है या फिर चिकनाई युक्त भोजन करता है तो इस रोग की अवस्था और भी बिगड़ने लगती है।

अल्सर में भोजन और परहेज : ulcer (alsar) me kya khana chahiye

indian diet for ulcer patients in hindi

  1. अल्सर में आराम मिलने पर भोजन में दूध, सब्जियों का सूप, मसाले, कस्टर्ड और दलिया लेना चाहिए।
  2. सब्जियां मिलाकर बनाया गया दलिया, चपाती और पका चावल का सेवन करना रोगी के लिए लाभकारी होता है।
  3. दूध, पका हुआ केला, चीकू, शरीफा और सेब खाना चाहिए।
  4. रेशे वाले पदार्थो का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से अल्सर से उत्पन्न पेट की जलन शांत होती है।alsar ke karan lakshan v Ayurvedic gharelu Upchaar
  5. अधिक मीठे और खट्टे पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
  6. अनन्नास, संतरा, अमरूद और टमाटर खाना रोगी के लिए हानिकारक होता है।
  7. खट्टे फल और फलों का रस सेवन नहीं करना चाहिए।
  8. शारीरिक परिश्रम और मानसिक चिंता से बचना चाहिए ताकि पेट का सिकुड़न कम होकर अल्सर ठीक हो जाए।
  9. चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
  10. मैदा, कार्नफलोर, पेस्ट्री, केक, जैम और जैली का सेवन नहीं करना चाहिए।
  11. कच्ची सब्जियां, अंकुरित दाल और पत्तेदार सब्जियां नहीं खानी चाहिए।
  12. अल्सर के रोगी को तले हुए और मसालेदार मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे श्लैष्मिक झिल्ली में जलन होती है।

अल्सर का आयुर्वेदिक घरेलू उपचार : Alsar (ulcer) ka Ayurvedic gharelu Upchaar

alsar ka gharelu upay

1. निर्गुण्डी : 50 ग्राम निर्गुण्डी के पत्ते को आधा लीटर पानी में धीमी आग पर पकाकर चौथाई भाग शेष बचे तो 10-20 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार पीएं। इससे पेप्टिक अल्सर के रोग से छुटकारा मिलता है।

2. आंवला :

  • एक चम्मच आंवले का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेट में दूषित द्रव्य जमा होने के कारण उत्पन्न अल्सर ठीक होता है।
  • आंवले का चूर्ण एक चम्मच, सोंठ का चूर्ण आधा चम्मच, जीरे का चूर्ण आधा चम्मच और मिश्री एक चम्मच को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पेट का जख्म ठीक होता है और दर्द व उल्टी में आराम मिलता है।

3. केले : केले में अम्ल की मात्रा कम करने और घाव को भरने की शक्ति होती है। पेट में जख्म होने पर प्रतिदिन 3 केला खाना खाने के बाद खाना चाहिए।

4. पान : पान के हरे पत्तों का आधा चम्मच रस प्रतिदिन पीने से पेट का घाव व दर्द शांत होता है।

5. मूली : पुरानी कब्ज, तीखे व जलन पैदा करने वाले पदार्थों का सेवन करने से आन्तों का घाव होता है। मीठे मूली का 100 मिलीलीटर रस दिन में 2-3 बार सेवन करने से अल्सर ठीक होता है।

6. गाजर : गाजर के 150 मिलीलीटर रस, 100 मिलीलीटर पालक का रस और 50 मिलीलीटर गोभी का रस मिलाकर कुछ महीने तक पीने से अल्सर में बहुत लाभ मिलता है।

7. घी : हल्दी और मुलेठी का चूर्ण पानी में उबालकर ठंडा करके पेट पर लगाने से अल्सर रोग में आराम मिलता है।

8. केला : अल्सर की बीमारी में दूध और केला एक साथ खाने से लाभ होता है।

9. हरड़ : 2 छोटी हरड़ और 4 मुनक्के को पीसकर सुबह खाने से पेट की जलन व उल्टी समाप्त होती है।

10. एरण्ड : 2 चम्मच एरण्ड का तेल गौमूत्र या दूध में मिलाकर सेवन करने से आंतों का अल्सर ठीक होता है।

11. देवदारु :

  •  देवदारू, ढाक, आम की जड़, गजपीपल, सहजन और असगंध को गाय के ताजे मूत्र में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट का जख्म ठीक होता है।
  • देवदारु, सहजन और बिजौरा नींबू बराबर मात्रा में लेकर गौमूत्र में मिलाकर रोगी को सेवन करना चाहिए।

12. सोंठ : 1 चम्मच चव्य और 1 चम्मच सोंठ को पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर सेवन करने से पेट का जख्म व दर्द ठीक होता है।

13. असगंध : पेट जख्म से परेशान रोगी को 4 ग्राम असगंध को गौमूत्र में पीसकर सेवन करना चाहिए।

14. मुलहठी : पेट और आंत के घाव में मुलहठी की जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अल्सर कुछ सप्ताह में ही ठीक हो जाता है। ध्यान रखें कि मिर्च-मसालों का प्रयोग खाने में बिल्कुल न करें।

15. दूध : अल्सर से पीड़ित रोगी को बार-बार दूध पीना चाहिए और अनार का रस और आंवले का मुरब्बा खाना चाहिए।

अल्सर रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार: Alsar(ulcer) ka Prakritik Upchar

  •  अल्सर रोग से पीड़ित रोगी को सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए तथा इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार कराना चाहिए।
  • अल्सर रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को नियमित अंतराल पर ठंडा दूध पीना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
  • अल्सर रोग से पीड़ित रोगी को सबसे पहले भोजन करने का समय बनाना चाहिए तथा इसके बाद उत्तेजक पदार्थ, मिर्च मसालेदार भोजन, मांसाहारी पदार्थ का सेवन करना छोड़ देना चाहिए क्योंकि इन पदार्थों का सेवन करने से रोग की अवस्था और भी गम्भीर हो सकती है।
  • अल्सर रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में ठंडे पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके और कब्ज की शिकायत हो तो दूर हो सके। इस प्रकार से उपचार करने से अल्सर रोग ठीक हो जाता है।
  • अल्सर रोग से पीड़ित रोगी को अपने पेट पर प्रतिदिन ठंडे कपड़े की लपेट का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पेट पर मिट्टी का लेप करने से पेट से गैस बाहर निकल जाती है जिसके परिणामस्वरूप अल्सर रोग ठीक हो जाता है।
  • अल्सर रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन ठंडे पानी से कटि-स्नान करना चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
  • अल्सर रोग से पीड़ित रोगी के पेट में अधिक जलन हो रही हो तो उसके पेट पर तुरंत बर्फ की थैली का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार का उपचार करने से पेट में जलन होना तथा दर्द होना बंद हो जाता है।
  • अल्सर रोग से पीड़ित रोगी को शारीरिक तथा मानसिक रूप से अधिक आराम करना चाहिए तथा प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार करना चाहिए तभी यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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