कॉर्नियल अल्सर के कारण, लक्षण और इलाज – Corneal ulcer ke Karan Lakshan aur Ilaj

Last Updated on September 30, 2022 by admin

कॉर्नियल अल्सर के लक्षण :

जिस आंख की कॉर्नियल अल्सर (कनीनिका प्रदाह) रोग हो जाता है, उसमें निम्न लिखित लक्षण दिखाई पड़ सकते है –

  • आंखों से पानी गिरना,
  • आंखों में शूल (दर्द) होना,
  • आंखों में कुछ पत्थर जैसा चुभता हुआ महसूस होना,
  • चौंधियापन (रोशनी में आते ही आंखें बंद हो जाना) तथा
  • जख्म (घाव) आदि रोग पैदा हो जाते हैं।

कॉर्नियल अल्सर के कारण :

कॉर्नियल अल्सर कई वजहों से हो सकता है जैसे –

  • डिप्थीरिया,
  • उपदंश (फिरंग),
  • आंखों में सूजन,
  • आंखों में नुकीली वस्तु चुभने,
  • चोट लगना आदि कारणों से यह होता है।

कॉर्नियल अल्सर का उपचार : Corneal ulcer ka Upchar in Hindi

1. नागरमोथा : आंखों के व्रण (जख्म) में मोथा या नागर मोथा के कन्द (फल) को साफ करके घी में भूनकर और पीसकर आंखों में लगाने से 3 से 4 दिनों के अन्दर ही आराम हो जाता है।

2. फरहद (coral tree) : फरहद के छाल के अन्दर की ओर घी लगाकर जलाकर बची राख को काजल बनाकर लगाने से आंखों के सारे रोगों में आराम आता है।

3. समुद्रफल : आंखों से अगर पानी निकलता हो तो समुद्रफल को गुलाबजल के साथ पीसकर रोजाना 2 से 3 बार लगाने से आंखों में पूरा आराम आता है।

4. ममीरा : ममीरा को आंखों में लगाने से आंखों के कई रोगों में फायदा होता है।

5. मिश्री :

  • 6 ग्राम महात्रिफला घृत (घी) में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
  • 10 ग्राम मिश्री और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तूतिया (कोपर सल्फेट) को मिलाकर मिक्स कर लें और अच्छी तरह मिल जाने पर सुरमे की तरह आंखों में लगाने से यह रोग पूरी तरह से समाप्त हो जाता है।

6. बहेड़े : 2 भाग पीली हरड़ के बीज, 3 भाग बहेड़े के बीज और 4 आंवले की गिरी को एक साथ पीस-छानकर पानी में भिगोकर गोली बनाकर रख लें। जरूरत पड़ने पर इसे पानी या शहद में मिलाकर आंखों में रोजाना 2 से 3 बार लगाने से कनीनिका प्रदाह का रोग दूर हो जाता है।

7. कुन्दर (पटेरा/पतेरा) : कुन्दर को जलाकर गुलाब जल में मिलाकर घोल बना लें। इस घोल से रोजाना 1 से 2 बार आंखों को धोने से ढलका रोग (आंखों से पानी आना) में आराम मिलता है।

8. बबूल : बबूल के पत्तों के काढ़े को उबालकर गाढ़ा कर लें। इस गाढ़े काढ़े में शहद को मिलाकर आंखों में रोजाना 3 से 4 बार लगाने से कनीनिका की जलन, व्रण (घाव), या ढलका रोग (आंखों से पानी आना) पूरी तरह से दूर हो जाता है।

9. पुनर्नवा : पुनर्नवा (गदपुरैना) की जड़ को साफ पानी में अच्छी तरह से धोकर और उसे पीसकर शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार आंखों में लगाने से पूरा आराम मिलता है।

10. बेर : बेर की गुठली को घिसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से कनीनिका प्रदाह ठीक हो जाता है। आंखों से बहने वाला पानी बंद हो जाता है।

11. हिंगोट : हिंगोट के फल को पीसकर पानी में मिलाकर आंखों में लगाने से कनीनिका प्रदाह और आंखों से पानी गिरना रोग ठीक हो जाता है।

12. त्रिफला : त्रिफला के पानी से रोजाना 2 से 3 बार आंखों को धोना चाहिए।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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