कालीमिर्च के 51 हैरान कर देने वाले जबरदस्त फायदे : Kali mirch ke Fayde in Hindi

Last Updated on September 11, 2024 by admin

कालीमिर्च क्या है ? : Kali mirch in Hindi

  • कालीमिर्च की बेल होती है। कालीमिर्च की बेल 20 से 25 फुट लंबी होती है। इसके पत्ते पान के पत्तों की तरह 3 से 7 इंच तक लंबे होते हैं।
  • कालीमिर्च को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे- मिर्च, कृष्णा, कोल, कंकोल, कटुक, कालीमिर्च, गोल मिर्च आदि।
  • कालीमिर्च का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
  • कालीमिर्च अधिकतर मालावार प्रांत और कोंकण में उगाई जाती हैं।
  • कालीमिर्च का प्रयोग अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।
  • कालीमिर्च कम दाहक होने के कारण लालमिर्च की अपेक्षा अधिक उपयोगी होती है।

काली मिर्च के औषधीय गुण : Kali Mirch ke Gun in Hindi

  • कालीमिर्च तेज व हल्की, चरपरी होती है और रस स्वाद में कडुवा होता है।
  • यह भोजन के प्रति रुचि पैदा करने वाली, स्वाद को बढ़ाने वाली, कफ (बलगम) को समाप्त करने वाली, अग्निदीपक (पाचनशक्ति को बढ़ाने वाली) तथा वातदोष (गैस) को नाश करने वाली होती है।
  • यह कीड़ों को नष्ट करती है, दर्द और खांसी को दूर करती है। यह हृदय के लिए भी लाभकारी होती है।

काली मिर्च के फायदे और उपयोग : Benefits and Uses of Black Pepper in hindi

1) मुहांसे: 3 से 4 कालीमिर्च के दाने को गुलाबजल के साथ पीसकर रात को सोने से पहले चेहरे पर लगाएं और सुबह गर्म पानी से चेहरे को साफ कर लें। इससे चेहरे के कील, मुंहासे, झुर्रियां आदि साफ होकर चेहरा चमकने लगता है।  ( और पढ़ें – कील मुहासों के 19 रामबाण घरेलु उपचार )

2) पित्ती उछलना: पित्ती उछलने पर 10 कालीमिर्च को पिसकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को आधा चम्मच घी में मिलाकर पीएं और इससे शरीर की मालिश करें। इससे पित्ती उछलना ठीक होती है।

3) भूख का न लगना: नींबू की शिकंजी में एक चुटकी भर कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से भूख खुलती है। इसका सेवन भोजन करने से आधे घंटे पहले करना चाहिए।  ( और पढ़ें – भूख बढ़ाने के 55 घरेलू नुस्खे )

4) हिस्टीरिया: हिस्टीरिया रोग से पीड़ित स्त्री को 1 ग्राम कालीमिर्च एवं 3 ग्राम मीठी बच को खट्टी दही में मिलाकर खाली पेट दिन में कम से कम 3 बार खाना चाहिए। इससे हिस्टीरिया रोग दूर होता है।

5) पलकों की फुंसी: आंखों की पलकों पर दर्द वाली फुंसी होने पर कालीमिर्च को पानी में घिसकर लेप करना चाहिए। इससे पलकों की फुंसी पककर फूटकर ठीक हो जाती है।

6) पुराना जुकाम: कालीमिर्च 2 ग्राम को गुड़ और दही के साथ सेवन करें। इससे पीनस का रोग नष्ट हो जाता है।  ( और पढ़ें – सर्दी-जुकाम के घरेलु उपचार )

7) गठिया (आमवात):

  • गठिया के रोगी को कालीमिर्च से प्राप्त तेल से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया (आमवात) के रोग में लाभ मिलता है।
  • कालीमिर्च के तेल से गठिया या जोड़ों पर मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है।  ( और पढ़ें –  गठिया वात रोग के 13 रामबाण घरेलु उपचार )

8) जी मिचलना: यदि किसी रोगी का जी मिचला रहा हो तो उसे कालीमिर्च चबाना चाहिए। इससे मिचली के रोग में लाभ मिलता है।

9) कमजोरी:

  • बच्चों को कालीमिर्च का चूर्ण घी या चीनी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम चटाने से भूख बढ़ती है और कमजोरी दूर होती है।
  • कालीमिर्च का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से स्नायु की कमजोरी दूर होती है।
  • 30 ग्राम कालीमिर्च, 30 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम छोटी पीपल, 170 ग्राम छिला हुआ तिल और 170 ग्राम अखरोट की मींगी, इन सबको पीसकर छान लें और फिर इसे 2 किलो चीनी की चाशनी में पका लें। जब चाशनी ठंडी हो जाए तो इसमें 250 ग्राम शहद मिलाकर रख लें। इस तरह तैयार औषधि 4-4 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। ( और पढ़ें – शक्तिवर्धक कुछ खास प्रयोग  )

10) हरताल का जहर: यदि हरताल का विश शरीर पर फैल गया हो तो ऐसे में कालीमिर्च का चूर्ण पानी में घोटकर लगाना चाहिए। इससे हरताल का जहर उतर जाता है।

11) सोमल का जहर: सोमल का जहर फैल जाने पर 5 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण को 50 ग्राम मक्खन में मिलाकर रोगी को खिलाने से सोमल का जहर उतर जाता है।

12) वमन (उल्टी):

  • कालीमिर्च और नमक को एक साथ मिलाकर चूर्ण बनाकर फांकने से उल्टी आनी बंद होती है।
  • 3 कालीमिर्च के दानों को बारीक पीसकर 6 ग्राम करेले की पत्तियों के रस में मिलाकर पीने से उल्टी बंद होती है।
  • Kali mirch ke labh in hindi4 दाने कालीमिर्च को मुंह में रखकर चूसने से उल्टी बंद होती है।  ( और पढ़ें – उल्टी के 37 घरेलु उपचार )

13) पेचिश (दस्त में आंव व खून आना):

  •  कालीमिर्च का बारीक चूर्ण शहद के साथ चटाना चाहिए और ऊपर से छाछ पीने से पेशिच (दस्त में खून व आंव आना) ठीक होता है। कालीमिर्च को केवल छाछ के साथ पीने से भी पेचिश रोग ठीक होता है।
  • पेचिश रोग से पीड़ित रोगी को 5 कालीमिर्च पीसकर पानी के साथ सेवन करना चाहिए। इससे दस्त में खून व आंव आना बंद होता है।
  • पेचिश से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च, चीते की जड़ की छाल और सेंधानमक बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मट्ठा (लस्सी) के साथ सेवन करने से पेचिश में लाभ मिलता है।

14) चक्कर आना:

  • कालीमिर्च का चूर्ण, चीनी और घी में मिलाकर सेवन करने से सिर का चकराना दूर होता है। इसका प्रयोग भ्रम रोग में भी किया जाता है।
  • 12 कालीमिर्च को कूटकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को घी में भून लें। इसके बाद घी किसी दूसरे बर्तन में निकालकर उसी घी में गेहूं का आटा एवं गुड़ या चीनी डालकर हलुवा बना लें। फिर इस हलुवा में तली हुई कालीमिर्च डालकर सुबह-शाम खाना खाने से पहले इसका सेवन करें। इसके प्रयोग से किसी भी कारण से उत्पन्न चक्कर दूर होता है।  ( और पढ़ें –  चक्कर आना दूर करेंगे यह सरल घरेलू नुस्खे  )

15) नाक से खून गिरना (नकसीर): नकसीर से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च को दही और पुराने गुड़ में मिलाकर खाना चाहिए। इससे नाक से खून गिरना बंद होता है।

16) अकड़न: यदि शरीर अकड़ जाने के कारण रोगी शरीर को हिला-डुला न पा रहा हो तो कालीमिर्च को ठंडे पानी में बारीक पीसकर लेप बनाकर रोगी के पूरे शरीर पर लेप करना चाहिए। इससे वायु के कारण आई अकड़ दूर होती है।

17) शीतपित्त:

  • कालीमिर्च का चूर्ण घी के साथ मिलाकर चाटने और कालीमिर्च के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से शीतपित्त का रोग ठीक होता है।
  • शीतपित्त के रोग से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम और अजवायन का चूर्ण 1 ग्राम को मिलाकर थोड़े से गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए। इससे शीतपित्त रोग में बेहद लाभ मिलता है।

18) खाज-खुजली:

  • त्वचा की खाज-खुजली को दूर करने के लिए कालीमिर्च और गंधक को बारीक पीसकर घी में अच्छी तरह मिलाकर शरीर पर लगाकर धूप में बैठना चाहिए। इससे खाज-खुजली मिटती है।
  • 10 ग्राम गंधक और 5 ग्राम कालीमिर्च को बारीक पीसकर कपड़े में छान लें। फिर इसमें थोड़ा सा घी मिलाकर लेप बना लें और इस लेप को खुजली वाले स्थान पर लगाएं। इस लेप के प्रयोग कुछ दिनों तक करने से खाज खुजली शांत होती है।
  • 5 कालीमिर्च पीसकर एक चम्मच घी में मिलाकर रोजाना 2 बार लेने से सभी प्रकार की खुजली दूर होती है। इसका प्रयोग विषैले प्रभाव को उतारने के लिए भी किया जाता है।
  • कालीमिर्च को तेल में पकाकर खुजली वाले स्थान पर रोजाना 2 से 3 बार लगाना से खुजली दूर होती है।  ( और पढ़ें – खुजली के सबसे बेहतरीन 15 घरेलू उपचार  )

19) अफारा (पेट का गैस या वायु रोग):

  • कालीमिर्च और लहसुन को पीसकर घी के साथ मिलाकर भोजन करते समय सेवन करना चाहिए। इसका सेवन भोजन के शुरू में ही करना चाहिए। इसका प्रयोग कुछ दिनों तक करते रहने से वायु रोग खत्म होने के साथ दर्द ठीक होता है।
  • 5 कालीमिर्च को पिसकर चूर्ण बना लें और ऊपर से गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीएं। इसका सेवन सुबह-शाम करने से अफारा ठीक होता है।
  • अफारा से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च और लहसुन की कली को बराबर मात्रा में पीसकर भोजन करने से पहले खाना चाहिए। इसका सेवन सुबह-शाम एक चम्मच की मात्रा में कुछ दिनों तक करने से पेट में गैस का बनना दूर होता है।
  • 4 से 5 कालीमिर्च को पीसकर गर्म पानी में मिला लें और इसमें आधा नींबू का रस मिलाकर पीएं। इसके सेवन से अफारा में लाभ मिलता है।
  • यदि किसी को बार-बार गैस की परेशानी हो तो उसे कालीमिर्च 3 ग्राम और मिश्री 6 ग्राम को पीसकर चूर्ण बनाकर सेवन करना चाहिए और ऊपर से पानी पीना चाहिए। इससे पेट की गैस (अफारा) दूर होती है।
  • कालीमिर्च के 4 दाने, 2 चुटकी काला नमक, 2 पूती (फली) लहसुन और हल्का पोदीना। इन सभी को मिलाकर पीने से अफारा में लाभ मिलता है।
  • 6 कालीमिर्च, 3 लौंग और थोड़े से नमक को एक कप पानी में उबालकर पीने से गैस का बनना बंद होता है।
  • कालीमिर्च को गाय के पेशाब में पीसकर सेवन करने से अफारा रोग ठीक होता है।  ( और पढ़ें –  पेट की गैस के आयुर्वेदिक उपाय )

20) पुराने बुखार: पुराने बुखार से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए। इससे पुराना बुखार ठीक होता है।

21) मलेरिया का बुखार:

  • मलेरिया से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च का चूर्ण व तुलसी के रस को शहद में मिलाकर पिलाना चाहिए। इसके प्रयोग से विषम ज्वर (मलेरिया) में लाभ मिलता है।
  • कालीमिर्च 3 ग्राम, करंज की मींगी (गिरी) 3 ग्राम और संहालू के हरे पत्ते 3 ग्राम, इन सभी को एक साथ पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। बुखार आने से पहले इसमें से 1-1 गोली ताजे पानी के साथ 4-4 घंटे के अंतर पर रोगी को खिलाएं। इससे बुखार में बेहद लाभ मिलता है।
  • कालीमिर्च के चूर्ण को तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर सूखा लें और यह जब सूख जाए तो फिर से तुलसी के रस में मिलाकर सूखाएं। इस तरह सात बार कालीमिर्च को तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर सूखाने के बाद मटर के बराबर गोलियां बना लें। बुखार आने से 4 घंटे पहले 1-1 गोली खाने से बुखार नहीं चढ़ता।
  • बुखार उतर जाने के बाद रोगी को 5 कालीमिर्च खिलाने से बुखार दुबारा नहीं आता है।
  • कालीमिर्च का चूर्ण और प्याज का 50 ग्राम रस दोनों को मिलाकर सुबह और शाम मलेरिया से पीड़ित रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है। इसके सेवन से बुखार जल्दी समाप्त होता है।

22) पायरिया: 10 ग्राम कालीमिर्च और 20 ग्राम तंबाकू को कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और कपड़े से छान लें। इससे मंजन करने से पायरिया रोग दूर होता है।

23) गीली खांसी (कफ वाली खांसी):

  • कालीमिर्च और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और फिर इसे देशी घी में मिलाकर बेर की आकार की गोलियां बना लें। इसमें से 1-1 गोली दिन में 3 से 4 बार चूसने से गीली खांसी दूर होती है। इसके सेवन से कफ निकलता है और खांसी में आराम मिलती है।
  • कालीमिर्च को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसे 4 गुना गुड़ में मिलाकर आधे-आधे ग्राम की गोलियां बना लें। इसमें से 3-4 गोलियां चूसने से सभी प्रकार की खांसी दूर होती है।

24) काली खांसी:

  • 5 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम पिप्पली व 20 ग्राम अनारदाना को एक साथ मिलाकर पीस लें और फिर इसमें गुड़ मिलाकर चने के आकार की गोलियां बना लें। फिर इन गोलियों को छाया में सुखाकर रख लें। काली खांसी से पीड़ित रोगी को इसमें से 1-1 गोली दिन में 2 से 3 बार चूसना चाहिए। इससे काली खांसी दूर होती है।
  • 5 कालीमिर्च और 10 ग्राम आखड़े के फूल को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिला लें। रोजाना खाना खाने से पहले इसका सेवन करने से काली खांसी ठीक होती है।

25) खांसी:

  • कालीमिर्च और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। यह तैयार चूर्ण आधे चम्मच की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करने से खांसी ठीक होती है। इसका प्रयोग गला बैठ जाने (स्वरभंग) के रोग में भी किया जाता है।
  • 5 कालीमिर्च और चौथाई चम्मच पिसी हुई सोंठ को एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम चांटने से कफ वाली खांसी ठीक होती है।
  • खांसी से पीड़ित रोगी को 10 कालीमिर्च को पीसकर शहद में मिलाकर चाटना चाहिए। इससे सूखी खांसी ठीक होती है।
  • गाजर का रस निकालकर इसमें थोड़ा सा मिश्री मिला लें और फिर इसे आग पर गाढ़ा होने तक पकाएं। जब यह गाढ़ा हो जाए तो इसमें थोड़ी सी पिसी हुई कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खांसी के रोगी को खिलाएं। इस अन्दर फंसे कफ निकलकर खांसी ठीक होती है।
  • 3 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण और 3 ग्राम सोंठ का चूर्ण, इन दोनों के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चाटने से खांसी दूर होती है।
  • कालीमिर्च को शहद और घी के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।
  • कालीमिर्च को कूटकर चूर्ण बना लें और कपडे़ से छान लें। यह चूर्ण शहद में मिलाकर रोजाना 2 बार चटाने से खांसी रोग में आराम मिलता है।
  • कालीमिर्च और चीनी को पीसकर शहद के साथ मिलाकर चाटने से सांस रोग, खांसी व कफ दूर होती है।
  • एक चम्मच पिसी हुई कालीमिर्च को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से खांसी ठीक होती है।
  • खांसी के रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए 5 कालीमिर्च, 10 ग्राम अनार का छिल्का, 20 ग्राम छोटी पीपल एवं 5 ग्राम जवाखार। इन सभी को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसमें 100 ग्राम गुड़ मिलाकर चने के आकार की गोलियां बना लें। इन गोलियों में से 2-2 गोलियां प्रतिदिन सुबह-शाम चूसने से खांसी में बेहद लाभ होता है। इसको चूसने से गले की खराश में भी लाभ मिलता है।
  • कालीमिर्च एवं बताशे को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीएं। प्रतिदिन इसका सेवन करने से शरीर में दर्द और जुकाम के साथ खांसी दूर होती है।
  • खांसी से पीड़ित रोगी को 10 ग्राम कालीमिर्च, 20 ग्राम जायफल, 6 ग्राम इलायची, 5 ग्राम देशी कपूर एवं डेढ़ ग्राम नौसादर का प्रयोग करना चाहिए। इन सभी को एक साथ बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर एक शीशी में भरकर रख लेना चाहिए। इसे प्रतिदिन सूंघाने से बंद नाक खुलती है और जुकाम व खांसी में आराम मिलता है। इसे सूंघने से जुकाम व खांसी के कारण होने वाला सिर दर्द ठीक होता है।
  • 4-5 कालीमिर्च, एक चम्मच अदरक का गूदा, 4-5 तुलसी के पत्ते एवं 2 लौंग के दाने को एक कप पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में थोड़ी चीनी या मिश्रण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इसके सेवन से खांसी दूर होती है।
  • पिसी हुई कालीमिर्च को देशी घी में मिलाकर खाने से सूखी खांसी नष्ट होती है।
  • कालीमिर्च और मुलेठी को एक साथ लेकर पीस लें और फिर इसमें गुड़ मिलाकर मटर के बराबर गोलियां बना लें। इसमें से 2-2 गोलियां सुबह-शाम खाने से खांसी ठीक होती है।
  • एक ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण, 10 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद को एक साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पुरानी खांसी में बहुत अधिक लाभ मिलता है।  ( और पढ़ें –  खांसी और कफ हो दूर करेंने के घरेलु उपचार )

26) अजंनहारी, गुहेरी:

  •  10 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम रसौत, 10 ग्राम पीपर और 10 ग्राम सौंठ को एक साथ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ा सा पानी मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सूखा लें। इन गालियों में से 1-1 गोली को पानी के साथ घिसकर गुहेरी पर लेप करें। इसके लेप प्रतिदिन करने से गुहेरी (अजंनहारी) में जल्दी आराम मिलता है।
  • कालीमिर्च को पानी के साथ पीसकर अंजनहारी पर लेप करना चाहिए। इससे अजंनहारी में जल्दी लाभ मिलता है। कालीमिर्च लगाने से तेज दर्द होता है परन्तु यह इस रोग के लिए बेहद लाभकारी है।

27) आंखों का रोग: यदि आंखों के अन्दर पलकों के बाल घुसते हो जिसके कारण दर्द हो तो सबसे पहले चिमटी से उन बालों को सावधानी से उखड़वा लें। इसके बाद पिसी हुई कालीमिर्च को कपड़े से छानकर इसमें गुड़ व पिसा हुआ गेरू मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को पलकों के उखड़े बाल वाले स्थान पर लेप करने से आंखों का दर्द दूर होता है।

28) बालों को काला करना: कभी-कभी जुकाम के कारण भी बाल सफेद हो जाते हैं। अगर बाल जुकाम में सफेद हो गये हों तो 5 कालीमिर्च प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इससे कफ-विकार (बलगम वाला रोग) दूर होकर जुकाम ठीक होता है। इसके प्रयोग से सफेद बाल गिर जाते हैं और उसके स्थान पर नए बाल निकल आते हैं। इसका प्रयोग लगभग एक साल तक करने और साथ ही तिल के तेल में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर बालों पर लगाने से सफेद बाल काले होते हैं।

29) रतौंधी (रात में दिखाई न देना):

  • रतौंधी से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च के बारीक चूर्ण को दही के पानी में मिलाकर सुबह-शाम आंखों में काजल की तरह लगाना चाहिए। इसका प्रयोग कुछ महीनों तक करते रहने से रतौंधी का रोग समाप्त हो जाता है।
  • कालीमिर्च को पीसकर दही में मिलाकर आंखों में लगाने से रतौंधी और आंखों की खुजली दूर होती है।
  • रतौंधी रोग में उपचार के लिए कालीमिर्च के 5 दाने को घी के साथ प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से रतौंधी रोग समाप्त होता है।
  •  कालीमिर्च, छोटी पीपल और सोंठ को शहद के साथ पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से `रतौंधी´ (रात में दिखाई ना देना) रोग जल्दी ठीक होता है।
  • 5 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम कमीला और 5 ग्राम पीपल को बारीक पीसकर कपड़े में छान लें और इसे दिन में 3 बार आंखों में लगाएं। इससे रतौंधी का रोग समाप्त होता है।

30) सूखी खांसी:

  • सूखी खांसी होने पर 5 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम पिप्पली एवं 20 ग्राम अनार के दानों का प्रयोग करना चाहिए। इन सभी को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और गुड़ में मिलाकर चने के आकार की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रखें। सूखी खांसी से पीड़ित रोगी को इसमें से 1-1 गोली दिन में 3-4 बार चूसना चाहिए। इससे सूखी खांसी में बेहद लाभ मिलता है
  • कालीमिर्च और मिश्री को बराबर की मात्रा में लेकर पीसक लें और इसमें देशी घी मिलाकर बेर के आकार की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इस तैयार गोगियों में से 1-1 गोली दिन में 3-4 बार चूसने से सभी प्रकार की सूखी खांसी ठीक होती है।
  • बारीक पिसी हुई कालीमिर्च के चूर्ण को चार गुना गुड़ के साथ मिलाकर आधे-आधे ग्राम की गोलियां बना लें। सूखी खांसी से पीड़ित रोगी को इसमें से 1-1 गोली दिन में 3-4 बार खाना चाहिए। इसके सेवन से गले की खराश के साथ सभी प्रकार की सूखी खांसी ठीक होती है।
  • कालीमिर्च और मिश्री को मुंह में रखकर चूसते रहने से गले की खराश के साथ सूखी खांसी दूर होती है। इसके सेवन से बैठा हुआ गला ठीक होता है।
  • 10 ग्राम कालीमिर्च को पीसकर शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से सूखी खांसी दूर होती है। सूखी खांसी से पीड़ित रोगी को रात को सोते समय कालीमिर्च व दूध को गर्म करके पीना चाहिए। इससे सूखी खांसी ठीक होती है।
  • कालीमिर्च, अदरक, शर्करा और घी को मिलाकर गर्म करके 12 से 24 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करने से सूखी खांसी नष्ट होती है।

31) कांच निकलना (गुदाभ्रंश):

  • कालीमिर्च और स्याह जीरा बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 360 से 720 मिलीग्राम की मात्रा में शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने से गुदाभ्रंश के रोग ठीक होता है।
  • गुदाभ्रंश होने पर 5 ग्राम कालीमिर्च को 10 ग्राम भूना हुआ जीरा के साथ पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण छाछ के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद होता है।

32) अतिक्षुधा भस्मक रोग (भूख का अधिक लगना): एक ग्राम कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से भस्मक रोग ठीक होता है।

33) मुंह का बिगड़ा स्वाद: यदि मुंह का स्वाद बिगड़ गया हो तो 2 कालीमिर्च को प्रतिदिन चबा-चबाकर खाएं। इसका प्रयोग 2-3 दिनों तक करने से मुंह का स्वाद ठीक हो जाता है। इसके प्रयोग से जी मिचलाता व हकलाहट भी दूर होती है।

34) हिचकी का रोग:

  • हिचकी से परेशान रोगी को कालीमिर्च के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चाटना चाहिए। इससे हिचकी की परेशानी दूर होती है।
  • यदि अधिक हिचकी आती हो तो कालीमिर्च को तवे पर जलाकर उसका धुआं सूंघे। इससे हिचकी में बेहद लाभ मिलता है।
  • 10 पीस कालीमिर्च, 2 पीस छोटी इलायची और 8-10 बताशे को एक कप पानी में मिलाकर आग पर पकाएं। जब यह पकते-पकते आधा रह जाए तो इसे छानकर पीएं। इसके सेवन से हिचकी ठीक होती है। इसका प्रयोग जुकाम, खांसी में भी किया जाता है।
  • सूखी कालीमिर्च और धनियां के कुछ दाने मुंह में रखकर चबाने से हिचकी दूर होती है।
  • हिचकी से पीड़ित रोगी को 1-2 ग्राम कालीमिर्च के चूर्ण को 5 से 10 ग्राम शर्करा के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इससे हिचकी में लाभ मिलता है।
  • हिचकी से परेशान रोगी को कालीमिर्च का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटना चाहिए। इससे हिचकी ठीक होती है।

35) हकलाना, तुतलाना:

  • 5 ग्राम कालीमिर्च और 5 ग्राम नौसादर को पीस-छानकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण में 50 ग्राम शहद मिलाकर 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम जीभ पर मलें और मुंह से निकलने वाले लार को बाहर निकलने दें। इसका प्रयोग कुछ दिनों तक करने से जीभ साफ होती है और तुतलापन दूर होता है।
  • कालीमिर्च और बादाम की 7 से 8 गिरी को पानी के साथ पीसकर इसमें मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट खाएं। इसके सेवन से हकलापन ठीक होता है।

36) पेशाब की रुकावट: खीरा या ककड़ी के बीजों के साथ कालीमिर्च पिसकर खाने से पेशाब खुलकर आता है।

37) कमर में दर्द: कालीमिर्च, हरड़ के 2 बक्कल, सोंठ, करंजवा की गिरी और काली जीरी। ये सभी 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 ग्राम मुनक्का के साथ कूट-छानकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन पानी के साथ सेवन करने से कमर दर्द दूर होता है। इसके साथ तेल से पूरे शरीर की मालिश भी करानी चाहिए।

38) बवासीर (अर्श):

  • कालीमिर्च और स्याहजीरा (काला जीरा) को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 360 से 720 मिलीग्राम की मात्रा में शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मस्से सूख कर झड़ जाते हैं और बवासीर ठीक होती है।
  • 11 कालीमिर्च और गवार के 11 हरे पत्ते को एक साथ पीसकर 62 ग्राम पानी में मिला लें। इस पानी को सुबह पीने से बादी बवासीर ठीक हाती है।
  • बवासीर के रोग से पीड़ित रोगी को कालीमिर्च और जीरे को पीसकर चूर्ण बना थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर छाछ के साथ पीएं। इसका सेवन कुछ दिनों तक करते रहने से बवासीर जल्दी ठीक होती है।
  • कालीमिर्च 3 ग्राम, पीपल 5 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम तथा जिमीकन्द 20 ग्राम को सूखाकर महीन चूर्ण बना लें। उस चूर्ण में 200 ग्राम गुड़ डालकर अच्छी तरह मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। इसमें से 1-1 गोली दूध या जल के साथ प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से खूनी तथा बादी बवासीर ठीक होती है।  ( और पढ़ें –  बवासीर के घरेलु उपचार  )

39) संग्रहणी (पेचिश, दस्त में आंव व खून आना):

  • कालीमिर्च, चीते की जड़ की छाल तथा सेंधानमक ये सभी 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर लस्सी के साथ सेवन करने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर होता है।
  • कालीमिर्च, चित्रक मूल और काला नमक इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर इसको अच्छी तरह से कूट-छान लें। उसके बाद 3 से 10 ग्राम की मात्रा में लस्सी के साथ सेवन करने से दस्त में आंव व खून आना ठीक होता है।

40) मासिकधर्म की अनियमितता: 4 से 5 कालीमिर्च को बारीक चूर्ण बनाकर एक चम्मच शहद में मिलाकर 20-25 दिनों तक सेवन करने से मासिक-धर्म की अनियमितता दूर होती है।

41) मासिक-धर्म का कष्ट: मासिकधर्म के समय दर्द या अन्य कष्ट होने पर एक ग्राम कालीमिर्च और 3 ग्राम रीठे का चूर्ण को कूटकर पानी के साथ सेवन करने से मासिकधर्म का कष्ट दूर होता है।

42) मासिकस्राव का रुक जाना: कालीमिर्च 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, काला तिल 10 ग्राम और पुराना गुड़ 60 ग्राम। इन सभी को एकसाथ पीसकर तीन खुराक बना लें। इसका सेवन करने से मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है।

43) पेट का निकलना: यदि पेट अधिक निकल गया हो तो 30 ग्राम कालीमिर्च, 30 ग्राम एलुवा, 20 ग्राम अजवायन एवं 5 ग्राम भुना सुहागा का प्रयोग करें। इन सभी के लेकर एक साथ कूट-छानकर छोटी-छोटी गोलिया बना लें। इन में से 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से पेट निकलना कम होता है।

44) कौआ गिरना:

  • कालीमिर्च के चूर्ण को पानी में मिलाकर काढ़ा बनाकर गरारे करने से कौआ गिरना ठीक होता है। इसका सेवन प्रतिदिन सुबह-शाम करने से कौआ अपने आप सही रुप में आ जाता है।
  • कौआ गिरने पर शुण्ठी या कालीमिर्च का चूर्ण या यवक्षार का चूर्ण को आधे जीभ पर रगड़ना चाहिए। इससे कौआ गिरना रोग ठीक होता है।

45) पक्षाघात (लकवा, फालिस, फेसियल, पैरालिसिस):

  • लगभग 200 मिलीलीटर तेल में लगभग 50 ग्राम पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर पकाएं और पक जाने पर इसका हल्का गर्म लेप रोगग्रस्त भाग पर लगाएं। इसके प्रयोग से लकवा रोग में बेहद लाभ मिलता है।
  • पिसी हुई कालीमिर्च को सरसों के तेल में मिलाकर पक्षाघात से पीड़ित स्थान पर लगाएं। इससे पक्षाघात में आराम मिलता है।
  • एक चम्मच पिसी हुई कालीमिर्च और तीन चम्मच देशी घी को एक साथ मिलाकर लेप बना लें और इसका लेप लकवा ग्रस्त अंगों पर करें। इससे लकवा रोग में बेहद जल्दी लाभ मिलता है।
  • पिसी हुई कालीमिर्च के चूर्ण को तेल के साथ मिलाकर रोगग्रस्त अंगों पर मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।

46) भगन्दर: 10 कालीमिर्च और 5 ग्राम कत्था एक साथ पीसकर भगन्दर पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।

47) अग्निमान्द्य (पाचन शक्ति का कमजोर होना):

  • 4 कालीमिर्च, 4 लौंग के पीस और 2 चुटकी काला नमक को मिलाकर चूर्ण बनाकर आधे कप पानी में उबालकर पीएं। इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है और भूख भी खुलकर लगती है।
  • अग्निमान्द्य का उपचार करने के लिए कालीमिर्च, सोंठ, बड़ी हरड़, अनारदाना, चीता की जड़, काला नमक, भुनी हुई हींग का प्रयोग करें। इन सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण सुबह-शाम चौथाई चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ लेने से अपच दूर होता है।
  • कालीमिर्च, सोंठ, पीपल, जीरा और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग 2 ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।
  • कालीमिर्च, हरड़, पीपल, सोंठ, शुद्ध कुचला, शुद्ध हींग और गंधक को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर 240-240 मिलीग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसमें से 1-1 गोली सुबह-शाम भोजन करने के बाद खाने से पाचन शक्ति की कमजोरी (मन्दाग्नि) दूर होती है। इसके प्रयोग से पेट का दर्द भी ठीक होता है।
  • अपच के रोग में 4 कालीमिर्च के दाने, 2 लौंग के दाने, चुटकी भर सेंधा नमक, 1 चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच सूखा पुदीना और 2 दाने बड़ी इलायची प्रयोग करें। इस सभी को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद पानी के साथ सेवन करें। इससे अपच दूर होती और पाचन शक्ति बढ़ती है।
  • अपच से पीड़ित रोगी को भोजन से पहले थोड़ी कालीमिर्च का चूर्ण अदरक और सेंधानमक के साथ लेना चाहिए। इससे पाचन क्रिया ठीक होती है।
  • ताजा पोदीना, खारिक, कालीमिर्च, सेधानमक, हींग, द्राक्षा और जीरा, इन सभी को एक साथ मिलाकर चटनी बना लें। उसमें नीबू का रस निचोड़कर खाने से मुंह का फीकापन दूर होता है और पेट का गैस भी दूर होती है। इससे पाचन क्रिया तीब्र होती है।

48) पथरी: कालीमिर्च 5 ग्राम तथा 10 ग्राम पत्थर फोड़ी बूटी को 50 ग्राम पानी के साथ पीस लें। इसे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम 10 से 15 दिन तक सेवन करने से गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।  ( और पढ़ें –  पथरी के घरेलु उपचार )

49) प्रदर रोग: कालीमिर्च, छोटी पीपल, कूठ, शतावर, सेंधानमक और उड़द इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और पानी में मिलाकर लंबी बत्ती बना लें। रात को सोते समय इस बत्ती को योनि में रखने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।

50) अम्लपित्त: कालीमिर्च और स्वाद के अनुसार सेंधानमक मिलाकर पीसकर आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम खाने से अम्लपित्त का रोग ठीक होता है।

51) कफ:

  • नीम की 30 पत्ती और कालीमिर्च 5 पीस को एक साथ पीसकर कफ से पीड़ित रोगी को पिलाएं। इससे खांसी, कफ (बलगम) आदि निकल जाता है।
  • 10 कालीमिर्च को पीसकर 2 कप पानी में मिलाकर उबालें। जब यह उबलते-उबलते चौथाई बच जाए तो इसे छानकर एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम रोगी को पिलाएं। इसके सेवन से खांसी, गले में कफ का जमा होना आदि दूर होता है।
  •  10 कालीमिर्च और 15 तुलसी के पत्ते को एक साथ पीसकर शहद में मिलाकर प्रतिदिन 3 बार रोगी को चाटने के लिए दें। इससे बलगम बाहर निकलकर गला साफ होता है।

काली मिर्च के दुष्प्रभाव : Kali Mirch ke Nuksan in Hindi

  1. काली मिर्च की तासीर गर्म होने के कारण इसका अधिक मात्रा में सेवन करना हमारे लिए खतरनाक हो सकता है।
  2. इसके पाउडर का अधिक सेवन करने से गले में खराश और जलन की समस्या पैदा हो सकती है।
  3. काली मिर्च का अधिक सेवन फेफड़ो को अवरुद्ध कर देती है। जिसके कारण हमें साँस लेने में दिक्कत पैदा हो सकती है |

Read the English translation of this article hereBlack pepper (Kali mirch):108 Amazing Uses, Benefits, Dosage and Side Effects

अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।

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