Last Updated on April 21, 2020 by admin
kundalini jagran ke upay : Maha Bandha / Maha Vedha
योग साधना में कुंडलिनी शक्ति जागरण(kundalini jagran) का विशेष महत्त्व है । इसकी सिद्धि के लिए योगीजन कई वर्ष तपस्या करते हैं । जो साधक अपने प्राणों का नियमन करके चित्त को परमात्मा में लगाता है वह शीघ्रता से ध्येय सिद्धि प्राप्त करता है । कुंडलिनी शक्ति के जागरण के सहायक कुछ बंध है । उनमें महाबंध और महावेधबंध भी उपयोगी है ।
महाबंध करनेवाले साधक के प्राण ऊध्र्वगामी होते हैं, वीर्य की शुद्धि होती है, इडा,पिंगलाऔर शुषुम्ना का संगम होता है और बल की वृद्धि होती है ।
महाबन्ध Maha Bandha Yoga
★ बाँयें पैर की एडी को सिवनी (गुदा और लिंग के बीच का स्थान) में जमावें ।
★ अब दायें पैर को बाँयी जंगा के ऊपर स्थित करें ।
★ समसूत्र (सीधे तन कर) बैठें ।
★ अब बाँये नथूने से पूरक करके जालंधर बंध लगायें और मलद्वार से वायु का ऊपर की ओर आकर्षण करके मूलबंध लगायें । दोनों नासापुटों के बीच जो नाडी है वह खुल रही है ऐसा भाव करें और यथाशक्ति कुम्भक करें ।
★ तत्पश्चात् दाँयें नथूने से धीरे-धीरे रेचक करें ।
★ अब दाँयें पैर की एडी को सिवनी में स्थापित करके बाँयें पैर को दाँयें पैर की जंघा पर जमायें ।
★ अब समसूत्र बैठकर दाँये नथूने से पूरक कर उपरोक्त विधि से कुम्भक कर फिर बाँयें नथूने से धीरे धीरे श्वास छोिडये ।
★ दोनों नथूनों से समान संख्या में पूरक करें ।
महावेध बंध Maha Vedha
यह बंध करने पर सुषुम्ना में प्राण का प्रवेश शीघ्र होता है और कुंडलिनी शक्ति(kundalini shakti)जाग्रत होने में बडी सहाय मिलती है ।
★ जिस प्रकार महाबंध में बैठे थे उसी प्रकार बैठकर कुम्भक किये हुये दोनों हाथों की हथेलियों को भूमि में दृढ स्थित करके हाथों के बल पर ऊपर ऊठें और नीचे गिरें ।
★ इसमें दोनों नितंबों का ताडन करें ।
★ जब तक कुम्भक बना रहे तब तक धीरे-धीरे वह क्रिया लगातार चालू रखें । फिर धीरे-धीरे श्वास छोड दें ।
★ इससे शीघ्र ही सुषुम्ना का द्वार खुलता है और प्राणवायु उसमें प्रवेश करता है ।
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