Last Updated on March 25, 2017 by admin
गले में सूजन और खुश्की का कारण
गले में सूजन और खुश्की मुख्यत: मादक पदार्थों के सेवन, पेट की गडबड़ी तथा प्रदूषित आहार-विहार से होती है| कई बार दूषित वायु तथा गंदे फूलों को सूंघने से भी गले का रोग हो जाता है| खट्टे तथा अम्लीय पदार्थों को अधिक खाने, ठंडी जगह में बैठकर देर तक बातें करने आदि के कारण भी गले में खराबी आ जाती है| थूक निगलने, भोजन करने तथा पूरा ज्वर निकालने में यदि कुछ बाधा उत्पन्न होती है तो उसका कारण गले का सूजन ही होता है| इससे गले में खुश्की की व्याधि भी उत्पन्न हो जाती है|
पहला प्रयोगः नमक के पानी से अथवा दो ग्राम फुलायी हुई फिटकरी को 125 ग्राम गर्म पानी में डालकर दिन में दो-तीन बार गरारे करने से गले की सूजन मिटती है।
दूसरा प्रयोगः हरड़े की छाल के साथ हल्दी को उबालकर उसके गरारे करने के साथ ही 2 से 5 ग्राम हरड़े का नियमित सेवन करें तो टॉन्सिल्स में लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः हल्दी, काली मिर्च, सेंधा नमक तथा अजवायन के समभाग चूर्ण को उँगली पर लेकर मुँह के अन्दर टॉन्सिल्स पर दबायें जिससे थोड़ी-सी डकारें आकर दो-चार बार कफ निकल जायेगा। यह प्रयोग दिन में तीन-चार बार, तीन दिन तक करें तो टॉन्सिल्स ठीक होते हैं।
चौथा प्रयोगः हल्दी एवं काली मिर्च को “अच्युताय हरिओम शहद” में मिलाकर टॉन्सिल्स के ऊपर लगाने से एवं तुलसी के 7 पत्ते, नागरबेल का 1 पत्ता और काली मिर्च के 3 दाने चबाने से बारंबार होने वाले टॉन्सिल्स में लाभ होता है।
दाँत पर दाँत रखकर मुँह से जोर से श्वास लें और ‘हाआ….’ करके श्वास को बाहर निकाल दें। भुने हुए चने व उबले मूँग का सेवन हितकारी है।
आईसक्रीम, चिंगम, मिठाई, चॉकलेट, दही, केला आदि न खायें।
गले में सूजन और खुश्की के घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:
* बबूल
बबूल की थोड़ी-सी छाल को पानी में उबलने के लिए रख दें| जब पानी मटमैला हो जाए तो उसे उतारकर छान लें| इस पानी से गरारें करें| गले की सूजन उतर जाएगी|
* शलजम
शलजम को उबालकर उसका पानी पिएं तथा कुल्ले करें| इससे गला खुलेगा और सूजन भी कम होगी|
* Harad हरड़
छोटी हरड़ को गलपटों में दबाकर चूसें या चौथाई चम्मच भुनी हुई हरड़ का चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन करें|
* मूली
एक चम्मच मूली के बीज का काढ़ा बनाकर घूंट-घूंट पिएं|
* पालक और चौलाई
पालक तथा चौलाई के पत्तों को पीसकर लेप बनाएं| इस लेप को गले में लगाएं| ऊपर से फलालैन की पट्टी बांध लें|
*अनार, पानी और फिटकिरी
10 ग्राम अनार के छिलके पानी में थोड़ी देर तक उबालें| फिर इसमें एक चुटकी फिटकिरी डालकर बार-बार कुल्ला करें|
* मुलहठी
पानी में 5 ग्राम मुलहठी डालकर उबलने के लिए रख दें| जब पानी आधा रह जाए तो उसे गुनगुना करके सेवन करें तथा गले पर लगाएं|
* जायफल
पानी में जायफल घिसकर चंदन की तरह गले पर लेप करें|
* नीम, कालीमिर्च और सेंधा नमक
चार-पांच नीम की पत्तियां, चार दाने कालीमिर्च, चार दाने लौंग तथा एक चुटकी सेंधा नमक-इन सबका काढ़ा बना-छानकर पी जाएं|
* आक
आक के फूलों को पानी में पीसकर गले पर लेप करें| यह सूजन तथा खुश्की दोनों के लिए लाभकारी है|
* सोंठ और मिश्री
एक चम्मच सोंठ में जरा-सी मिश्री पीसकर मिला लें| इस चूर्ण को सुबह-शाम ताजे पानी से लें|
* अदरक, कालीमिर्च, लौंग और हींग
एक चम्मच अदरक का रस, दो कलिमिर्चें, चार लौंग तथा दो रत्ती हींग-इन सबको पीसकर शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटें|
* लौंग और कालीमिर्च
दो लौंग तथा दो कालीमिर्च मुंह में डालकर चूसने से भी गले की सूजन कम हो जाती है|
गले में सूजन और खुश्की में क्या खाएं क्या नहीं
रोगी को गेहूं की रोटी, मूंग की दाल, तरोई, लौकी, पतली सेम, पालक, मेथी, गाजर, टिण्डे, टमाटर आदि की सब्जी खानी चाहिए| मिर्च-मसाले कम लेने चाहिए| सुबह निहार मुंह एक चम्मच अदरक के रस में एक चम्मच “अच्युताय हरिओम शहद” मिलाकर चाटना चाहिए| उरद की दाल, रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछली, मांस, ठंडे पानी से स्नान आदि नहीं करना चाहिए| रात को सोते समय आधा लीटर दूध का सेवन अवश्य करें| सिगरेट, शराब तथा अन्य मादक पदार्थों का त्याग करें|