दाँतों का दर्द :
- दन्तशूल –नियमित दाँत साफ न करने, दांतों में भोजन के कण फँस जाने, कोई कड़ी बस्तु खाने चबाने, खट्टी, चटपटी वस्तुयें खानेचबाने इत्यादि के कारणों से दाँतों में दर्द (दन्तशूल) होता है ।
- पायोरिया—यह एक प्रकार से मसूढ़ों में होने वाली शोथ (सूजन) और प्रदाह है, जिसकी वजह से मसूढ़ों से रक्त और पीव आने लगता है । दाँतों की नियमित सफाई न करने से यह रोग भोगना पड़ता है ।
दांत दर्द का देसी उपचार : dant dard ka desi ilaj in hindi
1. अकरकरा – दाँतों में कृमि लगकर यदि मसूढे खोखले हो गये हों तो उन छेदों में अकरकरा का महीन चूर्ण भर देने से कृमि नष्ट हो जाते हैं । ( और पढ़े – दाँत का दर्द मिटाने के घरेलू उपाय )
2. कपूर – दन्त-कृमिजन्य पीड़ा को तत्काल दूर करने हेतु अकरकरा का महीन चूर्ण, नौसादर तथा अफीम सभी 1-1 रत्ती तथा कपूर आधा रत्ती मिलाकर दाँत के खोखले स्थान में भरना अत्यन्त ही लाभप्रद है।
3. सिरका – अकरकरा के चूर्ण को सिरके के साथ पकायें (जब यह खमीर जैसा हो जाये तो) कीड़े खाये दाँतों के ऊपर रखने से सब कीड़े झड़कर गिर जाते हैं । ( और पढ़े – दाँत दर्द की छुट्टी कर देंगे यह 51 घरेलू उपचार )
4. अजमोद – अजमोद को जलाकर दन्तपीड़ा वाले स्थान पर धूनी देने से या इसके महीन चूर्ण से मन्जन करने से दाँतों के दर्द में तत्काल लाभ मिलता है।
5. अनन्नास – दाढ़ या दाँत में दर्द होने पर पके हुए अनन्नास (फल) का रस दर्द युक्त स्थान पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है। शिशुओं को दाँत निकलते समय जो पीड़ा होती है, वह भी अनन्नास (पके हुए फल) के रस को धीरे-धीरे मसूढ़ों पर मलने से दूर हो जाती है तथा दाँत आसानी से निकल आते हैं । ( और पढ़े – हिलते दांतों को बनाये मजबूत व चमकदार इन 22 घरेलु उपायों से )
6. अपामार्ग – दाँतों में टीस होती हो, मसूढ़ों से रक्तस्राव होता हो, दाँत हिलते हों अथवा उनमें दुर्गन्ध आती हो (पायरिया की प्रारम्भिक अवस्था हो) तो अपामार्ग की ताजीमोटी लकड़ी या जड़ से दाँतुन करने से थोड़े ही दिनों में उक्त सभी विकार नष्ट हो जाते हैं। नियमित रूप से प्रयोग करें ।

7. आम के पत्ते – आम के पत्तों को जलाकर उसकी राख कपड़छन कर सुरक्षित रख लें या आम की गुठली की गिरी का महीन कपड़छन चूर्ण करके सुरक्षित रखें। इनमें से किसी एक को दाँतों तथा मसूढ़ों पर मलने से दाँत दृढ मजबूत होते हैं तथा दन्तपूय (पायरिया) आदि विकार भी नष्ट हो जाते हैं।
8. जायफल – जायफल के तेल का फाहा दाँत या दाढ़ के कोटर (खाली स्थान) में रखने से कीटाणु व अन्य विकार नष्ट हो जाते हैं । ( और पढ़े – जायफल के अदभुत फायदे व उसके 58 चमत्कारिक औषधीय प्रयोग )
9. ज्वार – ज्वार के दानों को जलाकर इसकी राख से मन्जन करने से दाँतों का हिलना, दन्तपीड़ा एवं मसूढ़ों की सूजन में लाभ होता है ।
10. झावुक – झावुक (झाऊ) के चूर्ण का मन्जन करने से दन्त-पीड़ा व मसूढ़ों की शिथिलता में विशेष लाभ होता है।
11. काली मिर्च – तम्बाकू (सुरती) तथा काली मिर्च 10-10 ग्राम तथा सांभर नमक 2 ग्राम, एकत्र महीन पीसकर दाँतों पर 2-3 बार मलने से (मन्जन करने से) दाँतों का दर्द एवं मसूढ़ों की सूजन इत्यादि दूर हो जाती है ।
12. तम्बाकू के फूल – तम्बाकू के सूखे फूल बीज रहित, कपूर, काली मिर्च, चूल्हे की जली हुई लाल मिट्टी (सभी सममात्रा में) लेकर चूर्ण कर लें । इसे दाढ़ या मसूढ़ों पर मलते ही दर्द ठीक हो जाता है।
13. नीबू – प्रतिदिन दाँतों तथा मसूढ़ों पर नीबू का रस या नीबू की फाँक को धीरे-धीरे मर्दन करते रहने से स्कर्वी, पायरिया, दन्त-कृमि एवं मसूढ़ों की सूजन इत्यादि में लाभ होता है। ( और पढ़े – रसीले नींबू के नायाब 30 घरेलू नुस्खे )
14. नीम – नीम की पतली कोमल शाखा की प्रतिदिन दाँतुन करने से दन्तविकार नष्ट हो जाते हैं । दाँतों में कीड़े नहीं लगते । दातुन को अधिक देर तक मुख में नहीं रखना चाहिए तथा बाद में जल से खूब भली प्रकार कुल्ला कर लेना चाहिए। ( और पढ़े – नीम के 51 कमाल के फायदे)
15. बबूल – बबूल की छाल 10 ग्राम, नौसादर, कालीमिर्च, अकरकरा एवं गेरू सभी 3-3 ग्राम एकत्र महीन पीसकर नित्य मंजन करने से मसूढ़ों एवं दाँतों के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं ।
16. बरगद की छाल – बरगद की छाल के साथ कत्था और काली मिर्च इन तीनों का खूब बारीक चूर्ण बनाकर प्रतिदिन मंजन करते रहने से दाँतों का हिलना, मैल व दुर्गन्ध नष्ट होकर दाँत स्वच्छ एवं श्वेत चमकदार हो जाते हैं।
17. बरगद का दूध – दाढ़ के दर्द में बरगद का दूध लगाना अत्यन्त लाभप्रद है। दाँतों से दुर्गन्ध आती हो, उसमें गड्ढे पड़ गये हों या कृमि हों तो बरगद के दूध में एक रूई की फुरैरी को भिगोकर छिद्र में रख देने से दुर्गन्ध दूर होकर दाँत ठीक हो जाते हैं एवं दन्त-कृमि नष्ट हो जाते हैं । ( और पढ़े – बरगद के 77 चमत्कारी औषधीय प्रयोग)
18. इलायची – बंशलोचन, छोटी इलायची के बीज, रूमी मस्तंगी (सभी सम मात्रा में लेकर) महीन पीसकर सुरक्षित रख लें। इससे नित्य सुबह शाम मन्जन करने से दाँतों का मैल एवं दंत विकार दूर होकर दाँत मोती के सदृश चमकने लगते हैं।
19. बादाम के छिलके – बादाम के छिलकों को 1 भाग कोयले के साथ आधा-आधा भाग काली मिर्च एवं सेंधा नमक मिलाकर खूब कूट पीसकर व छानकर सुरक्षित रख लें। इसका सुबह-शाम मंजन करने से मसूढ़ों से रक्त स्राव एवं दाँतों का हिलना इत्यदि विकार नष्ट हो जाते हैं।
20. भांगरा – रोगी की जिस दाढ़ या दाँत में दर्द हो उसके विपरीत कान के अन्दर पीले भाँगरे के स्वरस की 2-4 बूंदें टपका देने से दाँत का दर्द ठीक हो जाता है।
21. माजूफल – मसूढे शिथिल होकर दाँत हिलते हों तो माजूफल, कपूर, सफेद कत्था फूली हुई फिटकरी का चूर्ण 1-1 भाग तथा सेलखड़ी का चूर्ण 12 भाग मिलाकर नित्य मंजन करने से दाँत दृढ़ हो जाते हैं।
22. रीठा – रीठे का बीज जलाकर कोमल बनालें तथा इसी के समभाग भुनी हुई फिटकरी मिलाकर खूब बारीक पीसकर सुरक्षित रख लें। इसका नित्य मन्जन करने से हिलते हुए दाँतों से रक्त बहने एवं दन्त पीड़ा में अत्यन्त लाभ होता है ।
23. आक का दूध – आक के दूध को दाँत के गड्ढे में भर देने से तत्काल दन्त-शूल बन्द हो जाता है।
24. सुपारी – सुपारी को जलाकर इसकी काली राख बनाकर उसे मसूढ़ों पर मलने से दाँतों और मसूढ़ों से होने वाला रक्तस्राव रुक जाता है।
25. हल्दी – हल्दी महीन पीसकर कपड़े में रखकर दर्द वाले दाँत के नीचे रखने से तथा हल्दी को दाँतों पर मलने से दाँत का दर्द ठीक हो जाता है।
26. अदरक – अदरक के पतले कतलों पर नमक लगाकर पीड़ा वाले दाँतों के नीचे रखने से सर्दी से होने वाला दाँत-दर्द ठीक हो जाता है ।
27. गन्धक – थोड़ा सा गन्धक सिरके में घोलकर रुई भिगोकर कीड़े खाये हुए दाँत में रखने से दन्त-पीड़ा दूर होती है।
28. तूतिया – यदि किसी तरह दन्त शूल शान्त न होता हो तो तूतिया में थोड़ा सा बुझा हुआ चूना मिलाकर कृमि वाले दंत-छिद्र में भर दें, तत्काल लाभ होगा।
29. हींग – कपूर, हींग, वच तथा दालचीनी चारों को समभाग मिलाकर कपड़छन चूर्ण कर लें । इसे थोड़ा सा कपड़े में बाँधकर दाँतों के बीच दवा लेने से कृमि नष्ट होकर दाढ़ या दाँतों का शूल उसी समय शान्त हो जाता है ।
30. नमक – नमक और काली मिर्च को (सममात्रा) लेकर बारीक चूर्ण बनालें । सरसों के तेल में मिलाकर मंजन करने से (10 मिनट तक धीरे-धीरे मलने से दाँतों की पीड़ा तथा पायरिया में लाभ होता है ।
31. गुड़ – यदि मसूढ़े सूज गये हों तो गुड़ का शरबत बनाकर गरम कर मुख में । रखकर 3-4 बार कुल्ला करें । दाँतों की पीड़ा तथा पायरिया में लाभप्रद है ।
32. सेंधा नमक – मसूढ़ों में यदि तीव्र दर्द हो तो जीरा तवे पर भूनकर बराबर मात्रा में सेंधा नमक मिलाकर बारीक पीसकर धीरे-धीरे मसूढ़ों पर मलने से शीघ्र ही मसूढ़ों की सूजन दूर होकर दर्द बन्द हो जाता है।
33. फिटकरी – कपूर 10 ग्राम, फिटकरी का फूला, सुहागे की खील, माजूफल, अकरकरा प्रत्येक 6-6 ग्राम, तज और लवंग 3-3 ग्राम एवं सेलखड़ी 100 ग्राम लें । सभी को पीसकर कपड़छन कर किसी स्वच्छ शीशी में रखें। इसका मन्जन नित्यप्रति सदैव करते रहने से दाँत स्वच्छ रहते हैं तथा मजबूत हो जाते हैं। दांतों को ठण्डक पहुँचाने वाला अतीव गुणकारी मंजन है।
34. खड़िया – तम्बाकू 30 ग्राम, अकरकरा तथा खड़िया मिट्टी 50-50 ग्राम, काली मिर्च 30 ग्राम, फिटकरी की खील 20 ग्राम तथा देसी कपूर 10 ग्राम को पीसकर मंजन बनाकर नित्यप्रति सुबह-शाम दाँतों पर मलने (मंजन करने) से दंत सम्बन्धी सभी विकार नष्ट हो जाते हैं । दन्तपूय में अत्यन्त लाभकारी मन्जन है ।
35. हरड़ – हरड़, बहेड़ा, आँवला, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, नीला थोथा, (भुना हुआ) सेंधा नमक, सोंचर नमक, सांभर नमक, एवं माजूफल, (समस्त सम मात्रा में) लेकर कूट पीसकर कपड़छन कर मंजन बनाकर नित्य उपयोग करने से दाँत बज की भांति मजबूत हो जाते हैं।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)