जायफल के 58 अदभुत फायदे और औषधीय उपयोग – Jaiphal Ke Fayde aur Nuksan In Hindi

Last Updated on September 30, 2022 by admin

जायफल क्या है ? : Nutmeg (Jaiphal) in Hindi

जायफल रूचि उत्पन्न करनेवाला, जठराग्नि – प्रदीपक तथा कफ और वायु का शमन करनेवाला है । जायफल जितना वयस्कों के लिए हितकर है, उतना ही बालकों के लिए भी हितकर है । यह ह्रदयरोग, दस्त, खाँसी, उलटी, जुकाम आदि में लाभदायी है ।

जायफल के औषधीय गुण : Jaiphal ke Gun in Hindi

यूनानी मतानुसार जायफल पेशाब लानेवाले, दुग्धवर्धक, नींद लानेवाले, पाचक व पौष्टिक होते हैं । वजन में हलके, पोले और रूखे जायफल कनिष्ठ और बड़े, चिकने व भारी जायफल श्रेष्ठ माने जाते हैं।

जायफल का पेड़ काफी बड़ा होता है। इसकी 80 जातियां मानी जाती हैं। भारत व मालद्वीप में कुल 30 जातियां पायी जाती हैं।

जायफल सेवन की मात्रा :

  • चूर्ण लगभग आधा ग्राम से एक ग्राम।
  • तेल 1 से 3 बूंद।

जायफल के फायदे और उपयोग  : Jaiphal Ke Fayde aur Upyog

1. हिचकी :

  •  तुलसी के रस में जायफल (jaiphal)को घिसकर एक चम्मच की मात्रा में 3 बार खायें। इससे हिचकी बंद हो जाती है।
  •  चावल के धुले पानी में जायफल को घिसकर पीने से हिचकी व उल्टी बंद हो जाती है।

2. सिर दर्द :

  •  कच्चे दूध में जायफल(jaiphal) घिसकर सिर में लगाएं। इससे बहुत आराम मिलेगा।
  •  सिर में दर्द होने पर जायफल को पानी में घिसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

3. मुंह के छाले :

  •  जायफल (jaiphal)के काढे़ से 3-4 बार गरारें करें। इससे मुंह के छाले नष्ट हो जाते हैं।
  •  जायफल के रस में पानी मिलाकर कुल्ले करने से छाले ठीक हो जाते हैं।

4. बच्चों के दस्त : जायफल को पानी में घिसकर आधा-आधा चम्मच 2-3 बार पिलाएं। इससे बच्चों का दस्त बंद हो जाता है।

5. दस्त :

  •  जायफल(jaiphal) को पानी में घिसकर दिन में खुराक के रूप में पीने से सर्दी लगने से बच्चों को होने वाले दस्त में लाभ होता है।
  •  जायफल में गुड़ को मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर 1-1 गोली को 2-2 घंटे के बाद खाने से कब्ज और बदहजमी के कारण होने वाले दस्त दूर होता है।
  •  जायफल को पानी में घिस लें, फिर उसमें पिसी हुई सौंफ को अच्छी तरह मिला लें। इसे पानी के साथ छोटे बच्चों को 1 दिन में 2 से 3 बार खुराक के रूप में देने से अतिसार यानी टट्टी के लगातार आने में रुकावट होती है।
  •  1 ग्राम जायफल के चूर्ण को आधे कप पानी के साथ दिन में सुबह और शाम पीयें इससे पेट का फूलना, पेट में दर्द और पतले दस्त बंद हो जाते हैं।
  •  जायफल 1 ग्राम, केशर 1 ग्राम और तज 1 ग्राम, छोटी इलायची 480 मिलीग्राम, लौंग 480 मिलीग्राम, खड़िया मिट्ठी 5 ग्राम और चीनी (शक्कर) 9 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें, इस चूर्ण को चाटने से अतिसार (दस्त) समाप्त हो जाता है।
  •  जायफल को भूनकर 240 मिलीग्राम से लेकर 960 मिलीग्राम की मात्रा में लेकर सेवन कराने से लाभ होता है। ध्यान रहे कि इससे अधिक मात्रा में लेने से चक्कर और बेहोशी (सन्यास) भी हो सकती है।
  •  जायफल के बारीक चूर्ण को देशी घी और चीनी के साथ चटाने से आमातिसार में लाभ होता है।
  •  जायफल को घिसकर चाटने से बच्चों के दांत के निकलते समय होने वाले दस्त में आराम मिलता है।
  •  जायफल के पिसे हुए चूर्ण को लगभग 500 मिलीग्राम से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से अतिसार समाप्त हो जाता है।

6. नींद न आना :

  •  गाय के घी में जायफल घिसकर पैर के तलुवों और आंखों की पलकों पर लगाएं, इससे नींद अच्छी आएगी।
  •  जायफल को जल या घी में घिसकर पलकों पर लेप की तरह लगाने से नींद जल्दी आ जाती है।

7. सर्दी व जुकाम :

  •  जायफल को पानी में घिसकर लेप बना लें। इस लेप को नाक पर, नथुनों पर और छाती पर मलने से जल्दी आराम मिलेगा। साथ ही जायफल का चूर्ण सोंठ के चूरन के बराबर की मात्रा में मिलाकर एक चौथाई चम्मच 2 बार खिलायें। इससे सर्दी और जुकाम का रोग दूर हो जाता है।
  •  जायफल पिसा हुआ एक चुटकी की मात्रा में लेकर दूध में मिलाकर देने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में सेवन करने से सर्दी नहीं लगती है।

8. मुंहासे : कच्चे दूध में जायफल घिसकर रोजाना सुबह और रात में पूरे चेहरे पर लगाएं। इससे मुंहासें के अलावा चेहरे के काले धब्बे भी दूर होंगे और चेहरा भी निखर जायेगा।

9. गैस, कब्ज की तकलीफ : नींबू के रस में जायफल घिसकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस, कब्ज की तकलीफ दूर होगी।

10. मुंह की दुर्गन्ध और फीकापन :

  •  जायफल के छोटे-छोटे टुकड़ों को दिन में 2-3 बार चूसते रहने से मुंह की दुर्गन्ध और फीकापन दूर हो जाता है।
  •  जायफल के टुकड़े 240 से 360 मिलीग्राम की मात्रा में चबाने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है। इसके सेवन से चक्कर एवं मुर्च्छा (बेहोशी) के लक्षण प्रकट हो सकते हैं।

11. दांत दर्द : रूई से जायफल का तेल दांत की जड़ में लगाने और खाली भाग में फोहा भर कर दबाए रखने से दर्द में आराम मिलेगा।

12. कमर दर्द :

  •  पान में जायफल का टुकड़ा डालकर खाने और जायफल को पानी में घिसकर बने लेप को गर्म-गर्म ही कमर में लगाकर मालिश करें। इससे कमर का दर्द समाप्त हो जाता है।
  •  जायफल को घिसकर रात में कमर पर इसका लेप करने से कमर दर्द मिट जाता है।
  •  जायफल को पानी के साथ सिल पर घिस लें। फिर उसे 200 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में अच्छी तरह गर्म करें। ठण्डा होने पर कमर की मालिश करें। इससे कमर दर्द से छुटकारा मिलता है।

13. बच्चों के दूध न पचने पर : मां का दूध छुड़ाकर ऊपरी दूध पिलाने पर यदि शिशु को न पच रहा हो, तो दूध में एक जायफल डालकर खूब उबालें। फिर ठण्डा करके पिलाएं। इससे दूध आसानी से हजम होगा और मल बंधा हुआ दुर्गन्ध रहित होगा।

14. भूख न लगना : शहद के साथ एक ग्राम जायफल का चूरन सुबह-शाम खिलाएं। इससे भूख का लगना बंद हो जाता है।

15. जोड़ों का दर्द : एक भाग जायफल का तेल और चार भाग सरसों का तेल मिलाकर जोड़ों के दर्द, सूजन, मोच पर 2-3 बार मालिश करें। इससे आराम मिलेगा।

16. नपुंसकता और शीघ्रपतन :

  •  जायफल का चूर्ण एक चौथाई चम्मच सुबह-शाम शहद के साथ खायें और इसका तेल सरसों के तेल में मिलाकर शिश्न (लिंग) पर मलें। इससे नपुंसकता और शीघ्रपतन का रोग समाप्त हो जाता है।
  •  जायफल का चूर्ण आधा ग्राम शाम को पानी के साथ खाने से 6 हफ्ते में ही धातु (वीर्य) की कमी और मैथुन की कमजोरी दूर होगी।

17. दुर्बलता : जायफल और जावित्री 10-10 ग्राम और अश्वगन्धा 50 ग्राम मिलाकर पीस लें। एक-एक चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ नियमित लें।

18. घाव : जायफल के तेल का मरहम बनाकर घाव पर लगाएं। इससे घाव में लाभ पहुंचेगा।

19. दांत के कीडे़ : जायफल के तेल को दान्तों के नीचे रखने से दांत के कीड़े मरते हैं और दर्द भी खत्म हो जाता है।

20. आंख आना : जायफल को पीसकर दूध में मिलाकर आंखों में सुबह और शाम लगाने से लाभ मिलता है।

21. दमा :

  •  लगभग एक ग्राम की मात्रा में जातिफलादि के चूर्ण को एक ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम के समय लेने से दमा ठीक हो जाता है।
  •  एक ग्राम जायफल और एक ग्राम लौंग के चूर्ण में 3 ग्राम शहद और एक रत्ती बंगभस्म मिलाकर खाने से श्वास रोग में लाभ मिलता है।

22. खांसी : जायफल, पुष्कर मूल, कालीमिर्च, पीपल सभी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण तैयार कर लें, फिर इसमें से 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से खांसी दूर हो जाती है।

23. अफारा (गैस का बनना) : जायफल का चूर्ण, सोंठ का चूर्ण और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस बने चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लेने से आध्मान (अफारा, गैस) नहीं होता है।

24. गर्भधारण : जायफल और मिश्री 50-50 ग्राम की मात्रा में पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इसे छह ग्राम की मात्रा में माहवारी के बाद सेवन करना चाहिए। आहार में चावल और दूध का सेवन करें। इससे गर्भधारण हो जाएगा।

25. वमन (उल्टी) : जायफल को पानी के साथ पीसकर पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है।

26. पेट की गैस बनना :

  •  जायफल और सोंठ का चूर्ण बना लें। इस बने चूर्ण को खाना खाने के बाद थोड़ी-सी मात्रा में रोजाना पीने से लाभ होता है।
  •  जायफल को नींबू के रस में घिसकर चाटने से लाभ होता है।

27. जुकाम :

  •  जायफल, सोंठ और जावित्री को एक साथ पीसकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम में आराम आता है।
  •  जायफल को पानी के साथ पीसकर शहद में मिलाकर सुबह और शाम को बच्चों को चटाने से बच्चों को बार-बार होने वाला जुकाम ठीक हो जाता है।
  •  जायफल और सौंठ को गाय के घी में घिसकर चटाने से बच्चों को जुकाम के कारण लगने वाले दस्त बंद होते हैं।

28. आमातिसार : 240 से 960 मिलीग्राम जायफल सुबह-शाम लेने से आमातिसार के रोगी को लाभ मिलता है। जायफल को उम्र के हिसाब लेना चाहिए।

29. कान की सूजन और गांठ : जायफल को पानी के साथ पीसकर लगाने से कान की सूजन दूर हो जाती है।

30. संग्रहणी (पेचिश) : जायफल, चित्रक, सफेद चंदन, वायबिडंग, इलायची, भमसेनी कपूर, वंशलोचन, सफेद जीरा, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, तगर, लौंग इन सबको बराबर-बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इसमें 500 ग्राम मिश्री को पीसकर उसमें मिला दें। इस चूर्ण में से चुटकी भर चूर्ण मट्ठा (लस्सी) के साथ खाने से संग्रहणी अतिसार में लाभ होता है। (इसे भी पढ़े  :बेलपत्र  : औषधीय गुणों से मालामाल एक दिव्य वनस्पति)

31. बवासीर (अर्श) :

  •  10 जायफल को देशी घी में इतना सेंके की वह सूख जाये। इसे पीस-छानकर इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेंकें और शक्कर मिलाकर रखें। इसे 1 चम्मच रोजाना सुबह भूखे पेट खायें। इससे बवासीर से छुटकारा मिल जाता है।
  •  जायफल के बीजों की गिरी 25 ग्राम तथा सौंफ 25 ग्राम कूट छान कर उसमें 50 ग्राम खांड मिला लें। इस मिश्रण को 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ लेने से वादी तथा खूनी बवासीर में लाभ होता है।

32. चोट : जायफल के गाढ़े तेल से मालिश करने से चोट, मोच के दर्द में अच्छा लाभ मिलता है।

33. पक्षाघात-लकवा-फालिस फेसियल, परालिसिस : जायफल, सरसों, बायबिडंग, बच, कूट, मंजीठ, कचूर, अजमोद, पुष्करमूल, चंदन, राई, मोथा, कलौंजी, चव्य और चिरायता इन सभी को लगभग 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर 2 किलो तिल्ली के तेल में डालकर गर्म कर लें। इस तेल की मालिश करने से लकवा, गठिया आदि अनेक प्रकार के वात रोग भी ठीक हो जाते हैं।

34. आंवरक्त (पेचिश) : जायफल, छुहारा और अफीम को बराबर मात्रा में लेकर नागरबेल के पान के रस में मिला लें। उसके बाद 1-1 गोलियां बना लें। एक-एक गोली 7 दिनों तक मट्ठे (लस्सी) के साथ सेवन करने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

35. अग्निमान्द्यता (अपच) : जायफल का चूर्ण शहद के साथ खाने से मन्दाग्नि (भूख का न लगना) और दिल की दुर्बलता दूर होती है।

36. प्रसव के समय का दर्द : प्रसव के समय होने वाले कमर दर्द में जायफल घिसकर लेप करने से लाभ होता है।

37. प्यास अधिक लगना : किसी भी प्रकार के रोग में प्यास अधिक लगने पर जायफल का टुकड़ा मुंह में रखने से लाभ होता है।

38. शीतपित्त : पुराने पित्ती में जायफल के तेल में जैतून का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।

39. वात रोग : जायफल, अम्बर और लौंग मिलाकर खाने से हर तरह के वात रोग दूर होते हैं।

40. वीर्य रोग :

  •  जायफल, जावित्री, माजूफल, मस्तगी, नागकेसर, अकरकरा, मोचरस, वंशलोचन, अजवायन, छोटी इलायची दाना 10-10 ग्राम कूटकर छान लें। फिर इस मिश्रण को कीकर के गोंद के पानी में मिलाकर चने के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1-1 गोली सुबह-शाम दूध या पानी से लें।
  •  जायफल 1 ग्राम, रूमीमस्तगी, लौंग, छोटी इलायची दाना 2-2 ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इसे संभोग से दो घंटे पहले एक गोली गर्म दूध से लें। इससे वीर्य का पतलापन दूर होता है।

41. पेट में दर्द :

  •  जायफल को भूनकर 240 मिलीग्राम से लेकर 960 मिलीग्राम की मात्रा में देने से पेट की पीड़ा और गैस में लाभ होता है। ध्यान रहे की इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से रोगी को चक्कर और बेहोशी भी हो सकती है।
  •  जायफल, हल्दी, 120 मिलीग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी के साथ आधा चम्मच को खुराक के रूप में प्रयोग करें। इससे पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।
  •  कुचला हुआ जायफल 30 मिलीग्राम और जावित्री को पीसकर एक साथ लेने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
  •  जायफल का एक चौथाई चम्मच चूर्ण गर्म पानी से सेवन करें। इससे पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।

42. योनिभ्रंश (योनि का चिर जाना) : जायफल को अच्छी तरह पीसकर पानी में डालकर काढ़ा बनाकर छानकर उतार लें, जब यह ठण्डा हो जाए तो इसमें रूई को भिगोकर योनि में रखने से योनिभ्रंश में लाभ मिलता है।

43. गठिया रोग :

  •  गठिया के दर्द में जायफल के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
  •  जायफल की बनी गोलियों को लौंग के साथ काढ़ा बनाकर सेवन करने से गठिया का दर्द दूर होता है।

44. बहुमूत्र रोग : जायफल और सफेद मूसली को बराबर मात्रा में लेकर फंकी की तरह खाने से बहुमूत्र रोग (बार-बार पेशाब आना) ठीक हो जाता है।

45. चेहरे की झांईयां :

  •  जायफल को पीसकर कच्चे दूध में मिलाकर इसके अन्दर 10 कालीमिर्च मिलाकर चेहरे पर लेप कर लें। लगभग 2 घंटे के बाद चेहरा धोने से कुछ ही समय में मुहासें समाप्त हो जाते हैं।
  •  जायफल को बिल्कुल बारीक पीसकर कपड़े में छान लें। फिर इसे गाय के कच्चे दूध में मिलाकर गाढ़ा सा मिश्रण बनाकर दिन में कम से कम चार बार चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग और धब्बे दूर हो जाते हैं।
  •  जायफल या मसूर की दाल को पीसकर दूध में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर चमक आ जाती है।
  •  जायफल को पीसकर दूध में मिलाकर चेहरे पर बहुत गाढ़ा लेप करने से धब्बे (निशान) मिट जाते हैं और चेहरा निखर जाता है।
  •  जायफल को पानी के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झांईयां दूर हो जाती है।

46. हैजा :

  •  जायफल का 10 ग्राम चूर्ण गुड़ में मिलाकर 3 ग्राम की गोलियां बना लें। 1 गोली आधा-आधा घंटे के अन्तराल से सेवन करके ऊपर से थोड़ा-सा गर्म पानी पिलाने से हैजा के दस्त बंद होते हैं।
  •  1 जायफल का चूर्ण 100 मिलीलीटर तेल में मिलाकर धीमी आंच पर चूल्हे पर रखकर गर्म करें। अच्छी तरह उबलने पर उतार लें। ठण्डा हो जाने पर इस तेल से हाथ-पैरों की मालिश करें। इससे हैजे के दर्द में राहत मिलती है।
  •  जायफल, नागरमोथा और कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाएं।
  •  जायफल के टुकड़े को मुंह में रखकर सुपारी की भान्ति हर समय चूसते रहने से भी हैजा के रोगी की प्यास कम हो जाती है।

47. हाथ-पैरों की ऐंठन :

  •  हाथ-पैरों की ऐंठन को दूर करने के लिए जायफल के गाढ़े तेल से मालिश करनी चाहिए। इससे बहुत लाभ मिलता है।
  •  जायफल और तांबा घिसकर सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करने से ऐंठन दूर होती है।

48. चेहरे का कालापन : जायफल को पीसकर पानी में या कच्चे दूध में मिलाकर चेहरे की छाया (चेहरे पर कहीं-कहीं कालापन) पर लगाने से चेहरा साफ हो जाता है।

49. मिर्गी (अपस्मार) : 21 जायफलों की माला मिरगी के रोगी को पहनाने से यह रोग ठीक हो जाता है।

50. बच्चों का बुखार : जायफल को पीसकर माथे, छाती और नाक पर लेप करने से बुखार उतर जाता है।

51. बिवाई के फटने पर : बिवाई (फटी एड़ियों) में जायफल को घिसकर लगाने से एड़ियां ठीक हो जाती हैं।

52. जल जाने पर : जायफल को पीसकर कच्चे दूध में मिलाकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन दूर होती है और जलने के निशान भी नहीं पड़ते हैं।

53. नाड़ी का दर्द : नाड़ियों में अगर दर्द हो तो उसके लिये जायफल घिसकर दर्द वाली जगह पर लेप करने से दर्द में आराम मिलता है।

54. शारीरिक सुन्दरता : चंदन के पाउडर में जायफल को पीसकर मिला लें, फिर इसमें दूध मिलाकर रात को सोते समय चेहरे पर लेप करें। दूसरे दिन सुबह चेहरा धो लें। इससे चेहरे के धब्बे (निशान), और काले दाग समाप्त हो जाते हैं।

55. नाड़ी की जलन : जायफल को पानी में घिसकर नाड़ी की सूजन पर लेप करने से सूजन मिट जाती है।

56. गले की सूजन : पानी में जायफल को घिसकर एक गिलास पानी में मिलाकर कुल्ला करें।

57. गर्दन में दर्द : जायफल को पीसकर गर्दन पर इसका लेप करना चाहिए।

58. शरीर को शक्तिशाली बनाना :

  •  लगभग 240 मिलीग्राम पिसा हुआ जायफल और लगभग 120 मिलीग्राम बंग भस्म को शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम के समय लेने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
  •  जायफल, मिश्री और पीपल के चूर्ण को एक साथ मिलाकर इसमें नाग भस्म मिलाकर सेवन करने से शरीर शक्तिशाली बनता है।

जायफल के नुकसान (Jaiphal Ke Nuksan in Hindi)

 अधिक मात्रा में जायफल के उपयोग करने से मादक (नशीला) प्रभाव उत्पन्न होता है।इसके अलावा प्रलाप, चक्कर आना, मूढ़ता (बांझपन), वीर्य का पतला होकर नपुंसकता आना, यकृत और फेफड़ों पर दुष्प्रभाव होना, सिर दर्द और बेहोशी तक उत्पन्न हो सकती है। गर्म प्रकृति के लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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