Last Updated on June 21, 2021 by admin
बहरापन के क्या कारण है ? : Behra Pan Hone ke Karan in Hindi
बहरापन शरीर की कमजोरी या नसों की खराबी के कारण होता है। कान में बहुत तेज आवाज पहुंचना, सर्दी लगना, सिर में या दिमाग में चोट लगना, नसों की कमजोरी, नहाते समय कान के बिल्कुल अन्दर तक पानी का चले जाना, कान के अन्दर बहुत ज्यादा मैल का जमा हो जाना, कान का बहना, दिमाग या गले की बीमारी, लकवा, टाइफाइड, मलेरिया, जुकाम का बार- बार होना आदि कारणों से यह रोग हो सकता है।
बहरापन का घरेलू उपचार : Behra Pan ka Desi ilaj Hindi me
- पहला प्रयोगः – दशमूल, अखरोट अथवा कड़वी बादाम के तेल की बूँदें कान में डालने से बहरेपन में लाभ होता है।
- दूसरा प्रयोगः – ताजे गोमूत्र में एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर हर रोज कान में डालने से आठ दिनों में ही बहरेपन में फायदा होता है।
- तीसरा प्रयोगः – आकड़े के पके हुए पीले पत्ते को साफ करके उस पर सरसों का तेल लगाकर गर्म करके उसका रस निकालकर दो- तीन बूँद हररोज सुबह- शाम कान में डालने से बहरेपन में फायदा होता है।
- चौथा प्रयोगः – करेले के बीज और उतना ही काला जीरा मिलाकर पानी में पीसकर उसका रस दो- तीन बूँद दिन में दो बार कान में डालने से बहरेपन में फायदा होता है।
- पाँचवाँ प्रयोगः – कम सुनाई देता हो तो कान में पंचगुण तेल की 3- 3 बूँद दिन में तीन बार डालें। औषधि में सारिवादि वटी 2- 2 गोली सुबह, दोपहर तथा रात को लें। कब्ज न रहने दें। भोजन में दही, केला, फल व मिठाई न लें।
विभिन्न औषधियों से बहरापन का आयुर्वेदिक इलाज : Bahrapan ka Ayurvedic ilaj
1). शुंठ – 10 ग्राम पानी में 2 ग्राम गुड़ और 2 ग्राम शुंठ के चूर्ण को अच्छी तरह मिलाकर कान में बूंद- बूंद करके डालने से बहरापन कम हो जाता है।
2). काकजंघा –
- 500 मिलीलीटर काकजंघा का रस लेकर 250 मिलीलीटर तेल में डालकर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुये तेल बाकी रह जाये तो उसे छानकर सुबह और शाम बूंद- बूंद करके कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
- काकजंघा के पत्तों के रस को गर्म करके बूंद- बूंद कान में डालने से बहरेपन के रोग में लाभ मिलता है।
3). जैतून – 10 मिलीलीटर जैतून के पत्तों के रस में 10 ग्राम शहद में मिलाकर गुनगुना करके कान में डालने से कुछ ही महीनों में बहरापन ठीक हो जाता है।
4). बादाम – कड़वे बादाम के तेल को गुनगुना करके रोजाना सुबह और शाम कान में बूंद- बूंद करके डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
5). लहसुन – 100 मिलीलीटर बादाम के तेल में लहसुन की 10 कलियों को डालकर पका लें। जब पकने पर लहसुन की कलियां जल जायें तो इस तेल को छानकर कान में बूंद- बूंद करके डालने से बहरापन दूर होने लगता है।
6). फिटकरी – 3- 3 ग्राम गुलाबी फिटकरी, केसर और एलुवा को पीसकर तुलसी के 50 ग्राम रस में मिलाकर 3- 4 बूंदे कान में डालें। ऐसा कुछ दिन तक लगातार करने से कुछ ही दिनों में बहरापन दूर हो जाता है।
7). अजवायन – अजवायन से बने तेल को रोजाना कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
8). बेलपत्र – बेलपत्र को गौमूत्र के साथ पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर आग पर पकाकर तेल बना लें। इस तेल को कान में बूंद- बूंद करके डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
9). राई – राई के तेल को गर्म करके इसकी 2- 2 बूंदे कान में डालने से कितना भी पुराना बहरापन हो वह ठीक हो जाता है।
10). दूब – धोली दूब (घास) को घी में डालकर आग पर पकाकर जला लें। फिर इसे आग पर से उतारकर ठंड़ा कर लें। इस तेल को चम्मच में हल्का सा गर्म करके 2- 2 बूंदे दोनों कानों में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
11). हींग –
- असली हींग को स्त्री के दूध में मिलाकर बूंद- बूंद करके बच्चे के कान में डालने से बहरेपन में लाभ होता है।
- हीरा हींग को गाय के दूध के साथ पीसकर कान में डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
- हींग, दारुहल्दी, बच, कूट, सौंफ, सोंठ और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इन सबको बकरे के मूत्र में मिलाकर तेल में पकाने के लिये आग पर रख दें। जब पकते हुये बस तेल ही बाकी रह जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें। इस तेल में से 3- 4 बूंद कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
12). आक –
- 20 ग्राम आक (मदार) के सूखे पत्तों को लेकर उनके ऊपर गौमूत्र के छींटे मार दें। इसके बाद इन पत्तों को पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को थोड़े से सरसों के तेल में भून लें। फिर इस तेल को छानकर किसी साफ शीशी में भर लें। इस तेल की 2- 2 बूंदे रोजाना दोनों कानों में डालने से बहरेपन में आराम मिलता है।
- आक (मदार) के पत्तों पर घी लगाकर आग में गर्म करके उसका रस निचोड़ लें। इस रस को हल्का सा गर्म करके रोजाना कान में डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
13). जीरा – थोड़े से जीरे को दूध के साथ फांकने से कम सुनाई देने का रोग दूर हो जाता है।
14). गौ मूत्र –
- बड़ी बछिया (गाय का बड़ा बच्चा) का 1.5 लीटर मूत्र लेकर कढ़ाही में डालकर पकाने के लिये रख दें। जब यह सिर्फ लगभग 150 मिलीलीटर बाकी रह जाये तो इसे छानकर शीशी में भरकर रख लें। इसको रोजाना 1- 1 बूंद करके कान में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
- काली गाय का सवा लीटर मूत्र मन्दी आग पर पकाएँ । जब 100 या 120 ग्राम शेष रह जाए छानकर शीशी में सुरक्षित रख लें। इसमें अढ़ाई बूंद रोज कान में टपकाने से बहरेपन में लाभ हो जाता है।
15). सौंफ – 5 ग्राम सौंफ को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब उबलने पर पानी करीब चौथाई हिस्सा बाकी रह जाये तो इसे 10 ग्राम घी और 200 मिलीलीटर गाय के दूध में मिलाकर पीने से बहरेपन का रोग कुछ समय में समाप्त होने लगता है।
16). धतुरा – धतूरे के पीले पत्तों को हल्का- सा गर्म करके उसका रस निकालकर 2- 2 बूंदे करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
17). दालचीनी
- दालचीनी के तेल को बूंद- बूंद करके सुबह और शाम कान में डालने से बहरापन खत्म हो जाता है।
- दालचीनी के चूर्ण और शहद समान मात्रा में मिलाकर 1- 1 चम्मच सुबह और रात सेवन करने से सुनने की शक्ति दुबारा आ जाती है अर्थात् बहरापन दूर होता है।
18). मूली – मूली का रस निकालकर इसमें इसका चौथाई हिस्सा तिल के तेल में मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकने पर बस तेल बाकी रह जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें। इस तेल को दिन में 2 बार 3 से 4 बूंद कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
19). बांस – बांस के फूल के रस की 2- 3 बूंदे रोजाना 3- 4 बार कान में डालने से बहरेपन के रोग में धीरे- धीरे लाभ मिलने लगता है।
20). तुलसी – तुलसी के पत्तों के रस को हल्का सा गर्म करके बूंद- बूंद करके कान में डालने से सुनने की शक्ति तेज होती है और बहरापन ठीक हो जाता है।
21). सरसों –
- सरसों के तेल में धनिये के थोड़े से दाने डालकर पका लें। फिर इस तेल को छानकर रोजाना कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
- 5 ग्राम फिटकरी, 3 ग्राम नौसादर और 100 ग्राम कलमी शोरा को 100 ग्राम सरसों के तेल में डालकर पका लें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भरकर शीशी का मुंह बन्द करके रख दें। इस तेल की 2- 3 बूंदे कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
- 1- 1 चम्मच आंवले के पत्तों का रस, जामुन के पत्तों का रस और महुए के पत्तों के रस को 100 मिलीलीटर सरसों के तेल में मिलाकर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जाये तो उस तेल को शीशी में भरकर रख लें। इस तेल की 2- 3 बूंदे रोजाना कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
- सरसों के तेल को गर्म करके कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
22) प्याज –
- प्याज के रस को हल्का गर्म करकें 2- 2 बूंद करके कान में डालने से कुछ ही महीनों में सुनने की शक्ति, कान का दर्द ठीक हो जाता है और कान का बहना भी दूर हो जाता है।
- सफेद प्याज के रस को कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है। बहरेपन को दूर करने का यह बहुत ही लाभकारी नुस्खा है।
23) अदरक –
- अदरक का रस हल्का- सा गर्म करके बूंद- बूंद कान में डालने से बहरापन नष्ट होता है।
- अदरक के रस में शहद, तेल और थोड़ा- सा सेंधानमक मिलाकर कान में डालने से बहरापन और कान के दूसरे रोग समाप्त हो जाते हैं।
24). करेला – करेले को पीसकर 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में मिलाकर रख लें। फिर उसे आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुये करेले जल जायें तो तेल को कपड़े में छानकर रख लें। इस तेल को बूंद- बूंद करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
25). कालाजीरा – कालाजीरा और करेले के बीज को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर छान लें। इस पानी को कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
26). फिटकरी –
- 300 ग्राम सरसों के तेल में 20 ग्राम नौसादर, 120 ग्राम कलमी शोरा और 30 ग्राम सफेद फिटकरी की राख को मिलाकर पका लें। फिर इसे छानकर रख लें। इसमें से 1- 1 बूंद कान में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
- 300 मिलीलीटर सरसों के तेल में 20 ग्राम नौसादर, 120 ग्राम कलमी शोरा और 30 ग्राम सफेद फिटकरी की राख को मिलाकर पका लें। फिर इसे छानकर रख लें। इसमें से 1- 1 बूंद कान में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
- 5 ग्राम फिटकरी, 3 ग्राम नौसादर और 100 ग्राम कलमी शोरा को 100 ग्राम सरसों के तेल में डालकर पका लें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भरकर शीशी का मुंह बन्द करके रख दें। इस तेल की 2- 3 बूंदे कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
27). बेल –
- बेल के पत्तों का तेल, काली मिर्च, सोंठ, पीपल, पीपलामूल, कूट, बेल की जड़ का रस और गाय के मूत्र को बराबर मात्रा में लेकर हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को `बधिरता हर तेल´ कहते हैं। इस तेल को कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
- बेल के पके हुये बीजों का तेल निकालकर बूंद- बूंद करके कान में डालने से बहरापन समाप्त हो जाता है।
28). तिल – 20 मिलीलीटर काले तिल के तेल में 40 ग्राम लहसुन को पीसकर जलाकर तेल बना लें। फिर इस तेल को छानकर रोजाना 2- 3 बार कान में डालने से लाभ मिलता है।
29). दशमूल काढ़ा – दशमूल काढ़े को तेल में पकाकर ठंडा कर लें। फिर इस तेल को चम्मच में लेकर गुनगुना करके 2- 2 बूंद करके दोनों कानों में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
30). इलायची – मिश्री और लाल इलायची को लेकर बारीक पीस लें। फिर इस चूर्ण को सरसों के तेल में डालकर 2 घंटों तक रहने दें। 2 घंटे के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 3- 4 बूंदे रोजाना सुबह और शाम कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
31). लहसुन –
- 1 चम्मच वरना का रस, 1 चम्मच लहसुन का रस और 1 चम्मच अदरक के रस को लेकर हल्का सा गर्म करके कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
- लहसुन के रस को हल्का- सा गर्म करके या लहसुन से बने तेल की 2 बूंदे रोजाना 3- 4 बार कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
32). अनार – आधा लीटर अनार के पत्तों का रस, आधा लीटर बेल के पत्तों का रस और 1 किलो देसी घी को एक साथ मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब केवल घी ही बाकी रह जाये तो इसमें से 2 चम्मच घी रोजाना दूध के साथ रोगी को खिलाने से उसका यह रोग ठीक हो जाता है।
33). सेंधानमक – सेंधानमक को गौमूत्र में मिलाकर कान में डालने से सिर्फ 7 दिनों में ही बहरापन ठीक हो जाता है।
33). बावची – सुरमा, बावची, कलिहारी को तिल्ली के तेल में डालकर हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। जब पकते हुये सारी चीजें जलकर बस तेल बच जाये तो इसे कान में बूंद- बूंद करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
34). शहद – 1 चम्मच अदरक का रस, चुटकीभर सेंधानमक और 1 चम्मच शहद को एक साथ लेकर गर्म कर लें। फिर इसे ठंडा करके रोजाना कान में डालने से कानों का दर्द, बहरापन और कान के अन्दर की फुंसियां ठीक हो जाती हैं।
35). लौंग –
- 10 मिलीलीटर सरसों के तेल में 5 लौंग डालकर आग पर उबालने के लिये रख दें। उबलने के बाद इस तेल को छानकर 1- 1 बूंद करके कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
- लहसुन की 8 कलियों को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर पका लें। फिर इस तेल की 2 बूंदे कान में डालने से थोड़े ही दिनों के अन्दर बहरेपन से छुटकारा हो जाता है।
36). मदार – मदार के पीले पत्ते (जिसमें छेद न हों) आग पर गरम करके रस निकालें और कान में टपकाएँ । पन्द्रह दिन तक निरन्तर इस प्रयोग को करने से बहरेपन में लाभ होता है।
37). प्याज – प्याज का रस कुछ गरम करके कान में टपकाने से ऊँचा सुनने, कान भिन-भिन करने, कान में दर्द होने और कान के बहने इत्यादि में लाभ होता है ।
38). इन्द्रायण – हरी इन्द्रायण का फल तिल के तेल में औंटाकर छान लें और रख लें। इसमें से 2-3 बूंद तेल कान में डालने से कान के बहरेपन और भरभराहट में लाभ होता है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)