बादाम खाने के चमत्कारी लाभ और उपयोग | Health Benefits of Almond in Hindi

Last Updated on May 19, 2022 by admin

बादाम के वृक्ष भारत वर्ष में पैदा नहीं होते। यह यूरोप और तुर्की से यहाँ आता है। कश्मीर और पंजाब के अंदर इसकी खेती की जाती है। इसका वृक्ष मध्यम कद का होता है। इसके पत्ते कुछ भूरे और फूल सफेद होते हैं। इसकी दो जाति होती है, एक मीठी और दूसरी कड़वी।

बादाम खाने के औषधीय गुण :

  • बादाम का फल गरम, तेलयुक्त, पचने में भारी, उद्दीपक, मृदु, विरेचक, वात और पित्त को नष्ट करने वाला और गलित कुष्ठ में लाभदायक है।
  • इसका तेल मृदु, विरेचक, उद्दीपक, मस्तक शूल को दूर करनेवाला, पित्त और वात में लाभदायक है। ✥शरीर की अन्तरंग जलन को शान्त करने वाला और धातुपतन को रोकने वाला होता है।
  • बादाम भीतरी और बाहरी दोनों प्रयोगों में कई प्रयोजन से उपयोग में आता है।
  • सिरके के साथ इसे पीसकर उसका प्लास्टर बनाकर स्नायुशूल को दूर करने के लिये लगाया जाता है।
  • इसका अञ्जन बनाकर नेत्रों की दृष्टि को बढ़ाने के लिये उपयोग में लिया जाता है। बादाम को पीसकर उसका द्रव बनाकर पीपरमेंट के साथ कफ और खाँसी को दूर करने के लिये उपयोगी है। ✥यह मूत्रल और पथरी को गलाने वाला भी माना जाता है।
  • यह यकृत् और तिल्ली की बाधाओं को दूर करने के लिये भी उपयोग में लिया जाता है।
  • सिर के जुओं को मारने के लिये यह लगाया जाता है। इसकी बत्ती बनाकर गर्भाशय में रखने से कष्टप्रद मासिक धर्म और उससे होनेवाली वेदना दूर होती है।
  • इसका पुल्टिस दुस्साध्य फोड़े और चर्मरोगों के ऊपर बहुमूल्य लेप का काम देता है।
  • बादाम सारक, गरम, भारी, कफकारक, स्निग्ध, सुस्वाद, कसैला, शुक्रजनक, वातनाशक और उष्णवीर्य होता है।
  • कच्चा बादाम सारक, भारी, पित्तजनक तथा कफ, वात और पित्तके कोप को नष्ट करता है।
  • पका बादाम मधुर, स्निग्ध, पौष्टिक, शुक्रल, कफकारक तथा रक्तपित्त और वातपित्तको नष्ट करता है। सूखा बादाम मधुर, धातुवर्धक, स्निग्ध, बलकारक होता है।

बादाम के फायदे और उपयोग :

1. मस्तिष्क और नेत्रों की दृष्टि के लिए यह बलप्रदायक है – बादाम का मगज ६ तोले भर मिस्री के साथ रात को सोते समय खाने से दिमाग की कमजोरी मिट जाती है। आँतों की जलन में भी यह लाभदायक है। आमाशय में चिकने दोषोंके इकट्टे होनेसे जो पेचिश हो जाती है उसमें यह लाभदायक है। इसके सेवन से नया वीर्य पैदा होता है और पुराने वीर्य की गरमी और दोष दूर होते हैं। गुर्दे के लिये एक पौष्टिक वस्तु है। बादाम को भूनकर खाने से मेदे की सुस्ती और ढीलापन नष्ट हो जाता है। (और पढ़े – बादाम पाक के फायदे व बनाने की विधि )

2. आँखों की कमजोरी – कड़वे बादाम का मगज खराब स्वादवाला, सूजनके लिये लाभदायक, जलोदर, मस्तकशूल और आँखों की कमजोरी में श्रेयस्कर है। यह ब्रोंकाइटीज, पुराने व्रण, गीली खुजली और पागल कुत्तेके विषपर भी उपयोगी मानी जाती है। कड़वे बादाम का तेल मृदु, विरेचक, कृमिनाशक और घाव को अच्छा करनेवाला होता है। यह गुदा, यकृत् और तिल्लीकी वेदना को दूर करता है। पुरातन प्रमेह, कर्णशूल, गलेकी वेदना और चर्मरोग तथा क़ब्ज़ियत को दूर करता है।

3. कफ और खाँसी में लाभप्रद – इस पौधे की जड़ धातुपरिवर्तक है और यह भीतरी एवं बाहरी दोनों प्रयोगों के काम में आती है। बादाम का रस शक्कर के साथ मिलाकर कफ और खाँसी को दूर करने के लिये दिया जाता है। बादाम को अंजीर के साथ मिलाकर मृदु, विरेचक और आँतों के दर्द को दूर करनेके लिये दिया जाता है।

4. दाँतों को मजबूत करता है – मीठे बादाम का जला हुआ छिलका दाँतों को मजबूत करता है। इसका तेल मीठा, मृदु, विरेचक, मस्तिष्कके लिये पौष्टिक, मूच्र्छा और यकृत्की शिकायतों के लिये लाभदायक, सूखी खाँसीको दूर करनेवाला, गले को साफ और कॉलिक शूल को दूर करनेवाला होता है।

5. सिर दर्द – मीठे बादाम का तेल हलका होता है और दिमाग में बहुत तरी पैदा करता है। सिर दर्द को मिटाता है। संनिपात और निमोनिया में लाभदायक है। क़ब्ज को दूर करता है। जुलाब की औषधियों में इसे मिलाने से उनका प्रतिक्रियात्मक दोष दूर हो जाता है। इसका निरन्तर उपयोग हिस्टीरिया की बीमारी में बहुत लाभदायक है।

6. गर्भवती स्त्री – गर्भवती स्त्री को 9 वाँ महीना लगते ही मीठे बादाम के ताजे तेल को प्रतिदिन प्रातः 1 तोले की मात्रा में दूध के साथ या और किसी प्रकार भी देने से प्रसव में बहुत सरलता हो जाती है।

7. कब्ज मिटाता है – यह शरीर के लिये बहुत अच्छी शक्ति है। यह नया खून पैदा करता है और पुराने खून को शुद्ध और साफ करता है। इसका शीत निर्यास शक्कर के साथ सूखी खाँसी को आराम करता है। इसको देने से कफ के साथ आनेवाला खून बंद हो जाता है। दमा और निमोनिया के लिये भी यह लाभदायक है। यह मूत्रनली की सूजन और सुजाक में भी सेवनीय है। अंजीरके साथ बादाम देनेसे क़ब्ज़ियत मिट जाती है।

8. बादाम की गोंद – मीठे बादाम की गोंद गरम, तर, काबिज और गले के दर्द, पुरानी खाँसी तथा राजयक्ष्मा में श्रेयस्कर है। यह शरीरको मोटा करता है और कफमें खून आनेको रोकता है। पथरी में भी इसका प्रयोग श्रेष्ठ है।

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