Last Updated on January 3, 2024 by admin
मूंगफली क्या है ? : Peanut in hindi
मूंगफली सर्वविदित एवं प्रसिद्ध एक उत्तम खाद्य पदार्थ है। इसकी बेल होती है, जो जमीन पर फैलती है, इसमें पीले रंग के फूल आते हैं तथा इसके पत्ते चकबड़ या पंवाड़ के पत्तों के सदृश होते हैं। इसकी फलियां जमीन के अन्दर (कन्द जैसे) गुच्छों में लगती हैं । जब ऊपर की बेल सूखने लगती है तब समझा जाता है कि अन्दर की फलियाँ पक गई हैं, और प्रत्येक बेल के आस-पास मिट्टी खोदकर फलियां निकाल ली जाती हैं।
इसका कोई भी भाग व्यर्थ नहीं जाता है। बेल तथा बेल की पत्तियां एवं फलियों का छिलका भी जानवरों के लिए एक पौष्टिक खाद्य है। मूंगफली की कच्ची फली भी भूनकर खाई जाती है जो अत्यन्त स्वादिष्ट होती है।
मूंगफली के औषधीय गुण : mungfali ke gun in hindi
- मूंगफली मधुर, स्निग्ध, वादी, कफकारक, पित्तकारक, मलावरोध (मल को बांधने वाली) है ।
- इसके तेल के गुण भी इसी प्रकार है । इसमें बहुत सा भाग स्टार्च (Starch) तेल और एल्ब्यूमिन से परिपूर्ण होता है ।
मूंगफली खाने के फायदे : mungfali khane ke fayde / labh
1. हृदय के लिए लाभप्रद : सप्ताह में पांच दिन मूंगफली के कुछ दाने खाने से दिल की बीमारियां होने का खतरा कम रहता है। मूंगफली खाने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है।
2. हर उम्र मे रखे जवान : इसमें प्रोटीन, लाभदायक वसा, फाइबर, खनिज, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं, इसलिए इसके सेवन से त्वचा उम्र भर जवां दिखाई देती है।
3. हड्डियों के लिए लाभदायक : मूंगफली में कैल्शियम और विटामिन डी अधिक मात्रा में होता है, इसलिए इसे खाने से हड्डियां मजबूत हो जाती हैं।
4. हार्मोस का संतुलन : रोजाना थोड़ी मात्रा में मूंगफली खाने से महिलाओं और पुरुषों में हार्मोस का संतुलन बना रहता है।
5. पोषक तत्वों से भरपूर : मूंगफली प्रोटीन का सबसे सस्ता स्रोत है। इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अंडे से 2.5 गुना और फलों से 8 गुना अधिक होती हैं। 100 ग्राम कच्ची मूंगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है। यह आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक का अच्छा स्रोत हैं। इसमें विटामिन ई, के और बी 6 भी भरपूर मात्रा में पाए जाते है।
6. कब्ज : मूंगफली में तेल का अंश होने से यह पेट की बीमारियों को खत्म करती है। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती है। साथ ही, गैस व एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है।
7. फेफड़ों की मजबूती : मूंगफली गीली खांसी में भी उपयोगी है। इसके नियमित सेवन से आमाशय और फेफड़ों को मजबूती मिलती है, पाचन शक्ति बढ़ती है और भूख न लगने की समस्या भी दूर होती है।
8. गर्भवती स्त्री के लिए लाभप्रद : मूंगफली का नियमित सेवन गर्भवती स्त्री के लिए भी बहुत अच्छा होता है। यह गर्भावस्था में शिशु के विकास में मददकरती है।
9. त्वचा को दे पोषण : मूंगफली में ओमेगा-6 फैट भी भरपूर मात्रा में मिलता है, जो स्वस्थ कोशिकाओं और अच्छी त्वचा के लिए जिम्मेदार है, इसलिए मूंगफली त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होती है।
10. एनीमिया मे लाभदायक : खाने के बाद यदि 50 या 100 ग्राम मूंगफली रोजाना खाई जाए तो सेहत बनती है, भोजन पचता है, खून की कमी नहीं होती है।
11. सिरदर्द : मूंगफली का तेल 1 पाव और ब्राह्मी रस 1 पाव लेकर मन्दाग्नि पर पकाकर तेल मात्र शेष रहने पर उतारकर, छानकर किसी साफ स्वच्छ शीशी में सुरक्षित रखलें। इस तेल को प्रतिदिन मस्तक पर मर्दन करने से सिरदर्द इत्यादि नष्ट होकर मस्तिष्क बलवान होता है तथा इससे अपस्मार रोग में भी फायदा होता है। ( और पढ़े – सिर दर्द को दूर करने के 145 घरेलु उपचार)
12. आतों की सफाई : मूंगफली का तेल 1 चम्मच और शहद दो चम्मच मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से दस्त साफ होकर कोष्ठाश्रित वात-नष्ट हो जाता है । इस ढंग से एक ही बार सेवन करने से कोठा साफ हो जाता है (जैसे कि एन्ड तेल से होता है) मूंगफली का तेल 60 ग्राम और शहद 30 ग्राम एकत्र कर एक ही बार सेवन करायें । ( और पढ़े – कब्ज दूर करने के 19 असरकारक घरेलू उपचार )
13. मस्तक को ठंडक : नित्य तालु तथा मस्तक पर केवल मूंगफली का तेल मर्दन करने से नेत्रों की उष्णता कम होकर मस्तक ठण्डा बना रहता है।
14. बुखार : मूंगफली का तेल आधा सेर, हल्दी 1 पाव, खश (उशीर) 12 ग्राम लेकर कल्क बनाकर तेल विधि से सिद्ध कर सुरक्षित रखें । इस तेल की शरीर में मालिश करने से जीर्ण ज्वर में लाभ होता है, शरीर की खुजली रक्त शुद्ध होता है। ( और पढ़े – खून की खराबी दूर करने के 12 घरेलु आयुर्वेदिक उपाय)
15. क्षय रोग : क्षय रोग से ग्रसित रोगी के शरीर में उपर्युक्त योग (तेल) की नित्य मालिश करने से क्षय रोग का जोर कम हो जाता है।
16. कान के रोग : मूंगफली का तेल, बच, बच्छनाग और अपामार्ग क्षार 12-12 ग्राम और मदार का दूध या रस आधा सेर लेकर मन्दाग्नि पर तेल सिद्ध कर सुरक्षित रखलें । इस तेल को कान में डालने से बहरापन कर्णनाद, कर्णस्राव आदि रोग नष्ट हो जाते हैं। ( और पढ़े – कान का बहना रोग के रामबाण घरेलु उपाय)
17. मिर्गी : मूंगफली के तेल की छाती, सिर, तालु सहित समस्त बदन पर करने के उपरान्त उष्ण जल से स्नान कराने से बालकों को अपस्मार रोग नहीं होता है ।
18. घाव : शरीर पर कहीं पर भी जख्म होने के कारण रक्तस्राव होने पर मुंगफली के तेल को कपास के फाहे में तर करके लगा देने से तुरन्त ही रक्त स्राव बन्द हो जाता है ।
19. छाती में दर्द : 250 ग्राम मूंगफली का तेल गरम करके उसमें दो तोला कपूर मिलाकर शीशी में सुरक्षित रखलें । सन्धिवात वेदना इसकी मालिश से दूर हो जाती है। यदि छाती में दर्द हो तो इस तेल की अथवा मात्र मूंगफली केतेल की ही मालिश करें । अत्यन्त लाभकारी है।शरीर में लाठी आदि की गुम चोट की पीड़ा व सूजन में भी उक्त तेल लाभकारी है। ( और पढ़े –वात नाशक 50 सबसे असरकारक आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )
20.पेट दर्द : मूंगफली का तेल 5 तोला की मात्रा में गरम कर इसमें पिपरमेन्ट का फूल (सत) ढाई तोला मिलाकर शीशी में मुख बन्द करके सुरक्षित रख लें । पेटदर्द की शिकायत होने पर इस तेल की 2-3 बूंदें शक्कर के साथ खाने से पेट का दर्द बन्द हो जाता है। ( और पढ़े – पेट दर्द या मरोड़ दूर करने के 10 रामबाण घरेलु उपचार)
21. दांत दर्द : उपरोक्त तेल की 2-3 बूंदें रुई के फाहे में डालकर दाढ़-दांत में पीड़ा होने पर दबाने से लाभ होता है।
22. साइनस : मूंगफली का तेल 48 ग्राम , भांगरा (शृंगराज) का रस दो तोला, बायविंडग तीन माशे, अपामार्ग क्षार दो माशा, कपूर दो माशा और कबीला आधा तोला लें । सर्वप्रथम बायविंडग क्षार तथा कबीला एकत्र कर खूब महीन चूर्ण कर लें तदुपरान्त उक्त तेल और रस में मिलाकर सब एकजान करलें । उसके बाद आग पर चढ़ा दें। जल रस जब जाए तो तब इसमें 12 ग्राम शहद डालकर गाढ़ा हो जाने तक पकालें । नित्य प्रति इसकी 2-3 बूंदें नाक में छोड़ने और तालु पर मालिश करने से 7 दिन में पीनस रोग में लाभ हो जाता है।
23. त्वचा रोग : मूंगफली का तेल 1 पाव, कपूर और मोम 12-12 ग्राम लें । तेल और मोम आग पर गरम करके तदुपरान्त नीचे उतारकर इसमें कपूर डालकर खूब घोटकर मलहम बनालें । इस मलहम के लगाने से दाद, खाज, खुजली आदि चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं।
24. नासूर : मूंगफली का तेल 72 ग्राम , मुर्दासंग, राल और मोम 12-12 ग्राम लें ।
सर्वप्रथम मोम और तेल को एकत्र कर पकायें फिर इसमें राल और मुर्दासंग का महीन चूर्ण डाल दें तथा खूब घोटकर मलहम तैयार कर लें। यह मरहम अस्थिव्रण, नासूर तथा भगन्दर को नष्ट कर देता है । इसके लगाने से कोई भी व्रण हो शीघ्र ही, रोपण हो जाता है। दिन में 2-3 बार लगाया करें।
25. मस्तक रोपन पाक : मूंगफली के दाने 1 पाव, बादाम की गिरी, छोटी इलायची, पिस्ता, चिरौंजी, किशमिश, खुशखश (प्रत्येक 9-9 टंक) और शुद्ध केसर 12 ग्राम लेकर सभी को एकत्र कर गाय के दूध में कूटकर 1 गोला सा बनाकर रखलें । फिर इसमें गाय के दूध का खोवा (मावा) 1 किलो मिलाकर कड़ाही में आधा सेर घी के साथ अच्छी तरह पका लें । तदुपरान्त मिश्री 1 सेर लेकर इसकी चाशनी बनाकर उपरोक्त गोला इसी में छोड़कर झटसे कड़ाई को नीचे उतारकर (करछुली से पाक और चाशनी को ठीक प्रकार से चला-फिराकर) एकत्रकर 9 टंक के लड्डू बनाकर अथवा थाली में डालकर चाकू से बर्फी के समान पीस काटकर सुरक्षित रखलें । इसे सुबह-शाम (भोजनोपरान्त) 9 टंक की मात्रा में खाने से मस्तक दर्द, शूल, आँखों की लाली, धुंधलापन, निद्रानाश इत्यादि विकार नष्ट होकर मस्तिष्क शान्त रहता है । इस योग की 14 या 1 दिन सेवन करें । प्रयोग काल में दही, तेल, अम्ल पदार्थ और लाल मिर्च न खायें ।
26. नेत्र ज्योति वर्धक पाक : मूंगफली के दाने 1 पाव, और बादाम की मींगी 1 पाव, कंकोल (कबाबचीनी), शहद और छोटी इलायची के दाने सभी आधा-आधा तोला गाय का घी तीन तोला, ताजा खोवा (मावा) दो तोला और मिश्री 250 ग्राम लेकर एकत्र सिल पर पीसकर मिलालें । इसे नित्य सुबह-शाम 12-24 ग्राम सेवन करें तथा उपयुक्त योग में वर्णित परहेज करें। इसके सेवन से नेत्रों तथा हाथ की हथेलियों और पैरों के तलुवों में होने वाली जलन, आंखों का धुंधलापन, तन्द्रा, दृष्टिक्षीणता, मस्तिष्क की गर्मी और वात पित्त जन्य व्याधियां नष्ट हो जाती हैं।
27. शवितवर्धक पाक : मूंगफली के दाने आधा सेर जल में भिगोकर दूसरे दिन छीलकर दूध के साथ सिल पर पीसलें । तदुपरान्त खोवा आधा सेर घृत में भूनकर कल्क को भी घी में भूनलें । दोनों को मिलाकर इसमें बादाम की गिरी, किसमिस 1-1 टंक और जायफल, जावित्री, लवंग, काली मिर्च, कलमी तज, इलायची, तमालपत्र, नागकेशर, वंशलोचन सभी 24-24 ग्राम लेकर महीन चूर्ण करके पाक में मिलायें। तदुपरान्त 3 सेर मिश्री की चाशनी बनाकर उक्त सभी द्रव्य इसमें डालकर कतली काट लें । इस पाक के सेवन से जीर्ण ज्वर और क्षय रोग नष्ट हो जाते हैं। यह अत्यन्त शवितवर्धक पाक है । इसे नित्य सुबह-शाम (आयु अवस्था अर्थात् बलाबलानुसार) सेवन करें, तथा ऊपर से दुग्धपान करें । दूध, घृत और गेहूँ की रोटी खायें । दही, तेल, अचार व खट्टा तेल और वातकारक पदार्थों से परहेज करें । इस योग के सेवन से पीनस रोग भी नष्ट हो जाता है ।
28. सूखा रोग (रिकेट्स) : 10-10 ग्राम भुनी मूंगफली के दानों का चूर्ण और मिश्री चूर्ण मिलाकर भोजनोपरान्त सूखा रोग (रिकेट्स) से ग्रसित बच्चे को खिाने से लाभ हो जाता है।
नोट-औषधि की खुराक धीरे-धीरे बढ़ाते जायें ।
मूंगफली खाने के नुकसान : mungfali khane ke nuksan
- अधिक मात्रा में मूंगफली सेवन आपको पेट में गैस की समस्या दे सकता है।
- संवेदनशील त्वचा वालों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए, इससे स्किन एलर्जी हो सकती है।
- मूंगफली को हमेसा लाल छिलके हटाकर या साफ करके ही खाना चाहिए नहीं तो यह आंतों में चिपक रोगों का कारण बन सकता है ।
- गर्म प्रकृति या तासीर के लोगों को मूंगफली से परहेज करना चाहिए अन्यथा उनको पित्त बढ़ने कि समस्या हो सकती है।
- मूंगफली खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए इससे कफ खांसी जैसी परेशानी हो सकती है।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)