दशहरा के दिन शाम को जब सूर्यास्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय हो वो सर्व सिद्धिदायी विजय काल कहलाता है |
उस समय घूमने-फिरने मत जाना | दशहरा मैदान मत खोजना … रावण जलाता हो देखकर क्या मिलेगा ? धूल उड़ती होगी, मिटटी उड़ती होगी रावण को जलाया उसका धुआं वातावरण मे होगा …. गंदा वो श्वास में लेना …. धूल, मिटटी श्वास में लेना पागलपन है |
ये दशहरे के दिन शाम को घर पे ही स्नान आदि करके, दिन के कपडे बदल के शाम को धुले हुए कपडे पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाये | थोडा
” राम रामाय नम: । “
मंत्र जपते, विजयादशमी है ना तो रामजी का नाम और फिर मन-ही-मन गुरुदेव को प्रणाम करके गुरुदेव सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है की हम विजय के लिए ये मंत्र जपते है –
“ॐ अपराजितायै नमः “
ये मंत्र १ – २ माला जप करना और
इस काल में श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए इस मंत्र की एक माला जप करें :-
“पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।
कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥”
पवन तनय समाना की भी १ माला कर ले उस विजय काल में, फिर गुरुमंत्र की माला कर ले । फिर देखो अगले साल की दशहरा तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत-बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते है |