Last Updated on May 13, 2024 by admin
अरण्डी तेल के फायदे और नुकसान : Castor oil Benefits and Side Effects
अरण्डी(एरंड) दो प्रकार का होती है पहला सफेद और दूसरा लाल। इसकी दो जातियां और भी होती हैं। एक मल एरंड और दूसरी वर्षा एरंड। वर्षा एरंड, बरसात के सीजन में उगता है। मल एरंड 15 वर्ष तक रह सकता है। वर्षा एरंड के बीज छोटे होते हैं, परन्तु उनमें मल एरंड से अधिक तेल निकलता है। एरंड का तेल पेट साफ करने वाला होता है, परन्तु अधिक तीव्र न होने के कारण बालकों को देने से कोई हानि नहीं होती है।
अरण्डी तेल का स्वभाव : अरण्डी तेल गर्म प्रकृति का होता है।
आइये जाने एरंड तेल के उपयोग
अरण्डी (एरंड) के औषधीय गुण : Arandi tel ke Aushadhiya gun
1) Ayurvedic use of Castor Oil :अरण्डी तेल पेट की बीमारी, फोड़े-फुन्सी, सर्दी से होने वाले रोग, सूजन, कमर, पीठ, पेट और गुदा के दर्द का नाश करता है।
2) लाल एरंड का तेल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ लेने से योनिदर्द, वायुगोला, वातरक्त, हृदय रोग, जीर्णज्वर (पुराना बुखार), कमर के दर्द, पीठ और कब्ज के दर्द को मिटाता है। यह दिमाग, रुचि, आरोग्यता, स्मृति (याददास्त), बल और आयु को बढ़ाता है और हृदय को बलवान करता है।
अरण्डी तेल के फायदे / रोगों का उपचार : Arandi Tel ke Fayde
1) त्वचा का फटना : एरंड (अरण्डी)के तेल की मालिश करते रहने से शरीर के किसी भी अंग की त्वचा फटने का कष्ट दूर होता है।
२) सिर पर बाल उगाने के लिए : ऐसे शिशु जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हो या ऐसे पुरुष-स्त्री जिनकी पलकों व भौंहों पर बहुत कम बाल हों तो उन्हें एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करना चाहिए। इससे कुछ ही हफ्तों में सुंदर, घने, लंबे, काले बाल पैदा हो जाएंगे। ( और पढ़ें – नये बाल उगाने के 47 घरेलु नुस्खे )
3) सिर दर्द : एरंड(अरण्डी) के तेल की मालिश सिर में करने से सिर दर्द की पीड़ा दूर होती है। एरंड की जड़ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में राहत मिलती है।
4) खांसी : एरंड के पत्तों का क्षार 3 ग्राम, तेल एवं गुड़ आदि को बराबर मात्रा में मिलाकर चाटने से खांसी दूर हो जाती है। ( और पढ़ें – कफ खांसी दूर करने के 35 घरेलु उपचार )
5) पेट के रोग :
• एरंड के बीजों के बीच के भाग को पीसकर, गाय के चौगुने दूध में पकायें जब यह खोवा की तरह हो जाय तो उसमें दो भाग चीनी मिला लें। इसे प्रतिदिन 15 ग्राम खाने से पेट की गैस मिटती है।
• पुराने पेट के दर्द में रोज रात को सोने के समय 125 मिलीलीटर गर्म पानी में एक नींबू का रस निचोडकऱ, एरंड का तेल डालकर पीने से कुछ समय में ही दर्द दूर हो जाता है।
6) प्रवाहिका (संग्रहणी) : यदि मल के साथ आंव और खून निकलता हो तो आरम्भ में ही 10 मिलीलीटर एरंड तेल देने से आंव आना कम हो जाता है और खून का गिरना भी कम हो जाता है।
7) एपैन्डिक्स : इस रोग के प्रारम्भ में ही एरंड तेल 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन देने से आपरेशन करने की आवश्यकता नहीं रहती। और एपैन्डिक्स रोग ठीक हो जाता है।
8) अर्श (बवासीर) :
• एरंड के पत्तों के 100 मिलीलीटर काढ़े में घृतकुमारी का रस 50 मिलीलीटर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
• एरंड तेल और घृत कुमारी का स्वरस मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से जलन शांत हो जाती है।
• मस्से और गुदा की त्वचा फट जाने पर प्रतिदिन रात्रि को एरंड तेल देने से बहुत लाभ होता है।
• एरंड के तेल की मालिश नियमित रूप से करते रहने से बवासीर के मस्से, पैरों की कील (कार्नस), मुहासें, मस्से, बिवाई, धब्बे, गठानों पर की सारी तकलीफें धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी।
• नीम और एरंडी के तेल को गर्म करें तथा उसमें 1 ग्राम अफीम व 2 ग्राम कपूर का चूर्ण डालकर मलहम (गाढ़ा पेस्ट) बना लें। इस पेस्ट को मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।
• एरंड का तेल लेकर प्रतिदिन मस्सों पर लगाने से कुछ ही दिनों में बादी बवासीर ठीक हो जाती है। ( और पढ़ें – बवासीर के मस्से खत्म करने के 9 देशी घरेलु उपचार )
9) पेट की चर्बी : पेट पर चढ़ी हुई चर्बी को उतारने के लिए हरे एरंड की 20 से 50 ग्राम जड़ को धोकर कूटकर 200 मिलीलीटर पानी में पकाकर 50 मिलीलीटर शेष रहने पर पानी को प्रतिदिन पीने से पेट की चर्बी उतरती है।
10) प्रसव कष्ट (डिलीवरी के दौरान स्त्री को होने वाली पीड़ा) : प्रसवकाल में कष्ट कम हो सके इसके लिए गर्भवती स्त्री को 5 महीने बाद, एरंड तेल का 15-15 दिन के अन्तर से हलका जुलाब देते रहें। प्रसव के समय 25 ग्राम एरंड तेल को चाय या दूध में मिलाकर देने से प्रसव शीघ्र होता है। ( और पढ़ें – प्रसव पीड़ा दूर करने के 38 घरेलु उपाय )
11) वातरक्त : वातरक्त में एरंड (अरण्डी)का 10 मिलीलीटर तेल एक गिलास दूध के साथ सेवन करना चाहिए।
12) शय्याक्षत (बिस्तर पर पडे़ रहने से होने वाले घाव) : एरंड तेल लगाने से शय्याक्षत बड़ी जल्दी मिटते हैं। बच्चों के उल्टी, दस्त और बुखार में एरंड तेल से लाभदायक कोई और वस्तु नहीं है।
13) वात प्रकोप और वात शूल :
• एरंड के बीजों को पीसकर लेप करने से छोटी संधियों और गठिया की सूजन मिटती है।
• वात रोग में एरंड तेल उत्तम गुणकारी है। कमर व जोड़ों का दर्द, हृदय दर्द, कफ और जोड़ों की सूजन, इन सब रोगों में एरंड की जड़ 10 ग्राम और सोंठ का चूर्ण 5 ग्राम का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए तथा दर्द पर एरंड तेल की मालिश करनी चाहिए।
14) विद्रधि (फोड़ा) होने पर : एरंड की जड़ को पीसकर घी या तेल में मिलाकर कुछ गर्म कर गाढ़ा लेप करने से फोड़ा मिट जाता है।
15) किसी भी प्रकार की सूजन : किसी भी प्रकार की सूजन, आमवात इत्यादि में एरंड के पत्तों को गर्म कर तेल चुपड़कर बांधने से लाभ होता है।
16) तिल मस्से :
• पत्ते के वृन्त पर थोड़ा चूना लगाकर तिल पर बार-बार घिसने से तिल निकल जाता है।
• एरंड के तेल में कपड़ा भिगोकर मस्से पर बांधने से मस्से मिट जाते हैं।
• चेहरे या पूरे शरीर पर तिल, धब्बे या भूरे-भूरे दाग (लीवर स्पोंटस) हो या गाल या त्वचा पर छोटी-छोटी गिल्टियां (गांठे), सख्त गुठलियां निकलने पर रोजाना दिन में 2 से 3 बार लगातार एरंड के तेल की मालिश करने से धीरे-धीरे सब समाप्त हो जाते हैं। एरंड का तेल लगाने से जख्म भी भर जाते हैं और इसकों मस्सों पर लगाने से मस्सा ढीला होकर गिर जाता है।
• एरंड के तेल को सुबह और शाम 1-2 बूंद हल्के हाथ से मस्से पर मलने से 1 से 2 महीनों में मस्से गिर जाते हैं।
17) पित्तजगुल्म : पित्तजगुल्म एवं पैत्तिक शूल में यष्टिमधु के 50 मिलीलीटर काढे़ में एरंड तेल 5-10 मिलीलीटर मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
18) सौंदर्यवर्धक : एरंड के तेल में चने का आटा मिलाकर चेहरे पर रगड़ने से झांई आदि मिटकर चेहरा सुंदर हो जाता है।
19) नाखून : एरंड के गुनगुने (हल्के गर्म) तेल में नाखूनों को कुछ मिनट डुबोये रखें, फिर उसी तेल की मालिश करें। यदि डूबोना सम्भव नहीं हो तो गर्म तेल में रुई डुबोकर नाखूनों पर रखें। इससे नाखून चमकने लगेंगे।
20) घाव :
• यदि कहीं चोट लगकर खून आने लगे, घाव हो जाए तो एरंड का तेल लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है।
• एरंडी के तेल को घाव पर लगायें।
• एरंडी के तेल में नीम का तेल मिलाकर घाव पर लगायें।
21) दाग-धब्बे :
• तिल, मस्से, चेहरे पर धब्बे, घट्टा-आटन, कील-मुंहासे हो तो एक दो महीने तक सुबह-शाम एरंड के तेल की मालिश करें। इससे उपर्युक्त विकार ठीक हो जाते हैं। मस्से, औटन पर तेल में गाज (कपड़ा) भिगोकर पट्टी बांधकर रखना चाहिए।
• एरंड (अरण्डी)के तेल में चने का आटा मिलाकर चेहरे पर रगड़ने से झांई आदि दूर होकर चेहरा साफ हो जाता है।
22) बिवाइयां (एड़ी का फटना) : पैरों को गर्म पानी से धोकर उनमें एरंड का तेल लगाने से बिवाइयां (फटी एड़ियां) ठीक हो जाती हैं। ( और पढ़ें – फटी एड़ियों के 34 घरेलु उपचार )
23) आंख में कुछ गिर जाना : आंख में मिट्टी, कंकरी गिर जाये, धुआं, तीव्र गंध से दर्द हो तो एरंड के तेल की एक बूंद आंख में डालने से लाभ होता है। तेल डालने के बाद हर 25 मिनट में सेंक करें।
24) वायु गोला और गुल्म : पेट में गांठ की तरह उभार को वायुगोला कहते हैं। यह घटता बढ़ता है। एरंड का तेल 2 चम्मच, गर्म दूध में मिलाकर पीने से इसमें लाभ होता है।
25) गठिया (जोड़ का दर्द) :
• पेट में आंव दब जाने से गठिया हो जाती है। गठिया में एरंड का तेल कब्ज दूर करने हेतु सेवन करें। इससे आंव बाहर निकलेगी और गठिया में आराम होगा।
• घुटने के दर्द को दूर करने के लिए 1 ग्राम हरड़ और एरंड का तेल साथ सेवन करने से रोगी के घुटनों का दर्द दूर होता है।
• 25 मिलीलीटर एरंड का तेल रोजाना सुबह-शाम खाली पेट पीये इससे गठिया के रोग में लाभ होता है।
• एरंड के बीजों को पानी में पीसकर गर्म कर सूजन व दर्द के स्थानों पर बांधने से राहत मिलती है। ( और पढ़ें – वात नाशक 50 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )
26) आंत्रवृद्धि :
• एक कप दूध में 2 चम्मच एरंड का तेल डालकर 1 महीने तक पीने से आंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
• खरैटी के मिश्रण के साथ अरंडी का तेल गर्मकर पीने से पेट का फूलना, दर्द, आंत्रवृद्धि व गुल्म खत्म होती है।
• इन्द्रायण की जड़ का पाउडर, अरंडी के तेल या दूध में मिलाकर पीने से निश्चित रूप से अंत्रवृद्धि खत्म हो जायेगी।
• 250 मिलीलीटर गर्म दूध में 20 मिलीलीटर एरंड का तेल मिलाकर 1 महीने तक पीयें इससे वातज अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
• 2 चम्मच एरंड का तेल और बच का काढ़ा बनाकर उसमें 2 चम्मच एरंड का तेल मिलाकर खाने से लाभ होता है।
27)आंखों का फूला, जाला : 30 मिलीलीटर एरंड के तेल में 25 बूंद कार्बोलिक एसिड मिलाकर सुबह और शाम 2-2 बूंद आंख में डालने से आंखों के फूले और जाले से छुटकारा मिलता है।
28) पेट का साफ होना : यदि मल त्यागने में कठिनाई का अनुभव हो तो एरंड के तेल को दूध के साथ देने से लाभ होता है।
29) वायु का विकार : एरंड के तेल की 2 चम्मच मात्रा को गर्म दूध में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
30) कांच निकलना (गुदाभ्रंश) :
• एरंडी के तेल को हरे कांच की शीशी में भरकर 1 सप्ताह तक धूप में सुखाये। इस तेल को गुदाभ्रंश पर रूई से लगाएं। इससे गुदाभ्रंश निकलना बंद होता है।
• एरंडी का तेल आधे से एक चम्मच की मात्रा में उम्र के अनुसार हल्के गर्म दूध में मिलाकर रोज रात को सोते समय दें। यह कब्ज और आमाशय दोनों शिकायतें को खत्म कर गुदा रोग को ठीक करता है।
31) बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) :
• अरंडी (एरंड) या सरसों के तेल में हल्दी जलाकर छान लें और इसमें थोड़ा सा कपूर मिलाकर सिर के गंजे जगह पर मालिश करें। इससे सिर पर बाल उगना शुरू हो जाते हैं।
• एरंड के गूदे को पीसकर बाल गिर जाने के बाद लगाने से बाल फिर से उग आते हैं।
32) पलकें और भौहें : एरंड (अरंडी) के तेल की मालिश 1-1 दिन के अन्तराल पर करने से पलकों और भौहें के बाल उग आते हैं।
33) कब्ज (कोष्ठबद्धता) :
• एरंड के तेल की 10 बूंदों को रात को सोते समय पानी में मिलाकर सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) की बीमारी में लाभ होता है।
• एरंड का तेल 30 मिलीलीटर को गर्म दूध में मिश्री के साथ पीने से कब्ज दूर हो जाता है।
• 1 कप दूध में 2 चम्मच एरंड का तेल मिलाकर सोते समय पिलाएं। इससे पेट की कब्ज नष्ट हो जाती है।
• एरंडी के तेल की 2 से 4 बूंद को माता के दूध में मिलाकर दें।
• अरंडी के तेल की पेट पर मालिश करने से पेट साफ हो जाता हैं।
• 6 मिलीलीटर अरंडी के तेल में 6 मिलीलीटर दही मिलाकर आधे-आधे घंटे के अन्तर के बाद पिलाने से वायुगोला हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।
• अरंडी का तेल 20 मिलीलीटर और अदरक का रस 20 मिलीलीटर मिलाकर पी लें, फिर ऊपर से थोड़ा-सा गर्म पानी पीने से वायु गोला में तुरन्त होता है।
• अरण्ड का तेल और उसकी 2 से 3 कलियां खाने से पेट साफ हो जाता है।
• अरंडी का तेल 3 चम्मच, बादाम रोगन 1 चम्मच को 250 मिलीलीटर दूध में गर्म कर सोने से पहले लें।
• 1 चम्मच एरंड का तेल दूध में मिलाकर सोने से पहले पीने से लाभ होता है।
• एरंड के तेल की 30 बूंदों तक की मात्रा को 250 मिलीलीटर तक दूध में मिलाकर सेवन करने से सामान्य पेट की गैस दूर हो जाती है। नवजात शिशुओं को छोटी चम्मच में दी जा सकती है।
• कोष्ठबद्धता (कब्ज) को नष्ट करने के लिए रात को सोते समय एरंड के 5 मिलीलीटर तेल को हल्के गर्म पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है।
• सोते समय 2 चम्मच एरंड का तेल पीने से कब्ज दूर होती है, दस्त साफ आता है। इसे गर्म दूध या गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं। ( और पढ़ें – कब्ज दूर करने के 18 रामबाण घरेलु उपाय )
34) आमातिसार : 1 चम्मच एरंड तेल को गर्म-गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से आमातिसार रोग में लाभ मिलता है।
35) बहरापन : असगंध, दूध, अरण्ड की जड़, शतावर और काले तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
36) कमर का दर्द :
• एरंड के बीज के अंदर का गूदा, दूध में पीसकर पिलाने से कमर दर्द में लाभ होता है।
• कमर दर्द होने पर एरंड के बीज की 5 मींगी दूध में पीसकर पिलाने से लाभ होता है।
• एरंड के पत्तों पर तेल लगाकर कमर में बांधकर हल्का-सा सेंकने से शीत ऋतु में उत्पन्न कमर का दर्द शांत हो जाता है।
• एरंड की जड़ और सोंठ को जल में उबालकर काढ़ा बनायें। काढ़े को छानकर उसमें भुनी हींग और काला नमक मिलाकर पीने से शीत लहर के कारण उत्पन्न कमर के दर्द से राहत मिलती है।
• 35 ग्राम अरंडी के बीजों की गिरी पीसकर 250 मिलीलीटर दूध में पकायें। जब इसका खोया बन जाये तो इसे 70 ग्राम घी में भून लें। इसमें 70 ग्राम चीनी मिलाकर सुबह 3 चम्मच लगातार खायें, इससे कमर दर्द मिट जाता है।
37) चोट लगने पर :
• चोट लगकर खून आने लगे, घाव हो तो एरंड का तेल लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है।
• एरंड के पत्ते पर तिल का तेल लगाकर गर्म करके बांधने से चोट से सूजन एवं दर्द में लाभ होता है।
38) आंवरक्त : पेचिश के रोगी को एरंड का तेल हल्के गुनगुने दूध में मिलाकर रात को सोते समय सेवन करने से रोग पेचिश ठीक हो जाता है।
39) अग्निमान्द्यता (अपच) :
• अरनी की जड़ का चूर्ण खाने से भूख बढ़ती है।
• 2 चम्मच अरंडी का तेल गौमूत्र (गाय का पेशाब) या दूध में मिलाकर सेवन करने से आंतें स्वस्थ होती हैं।
40) प्रदर रोग : अरण्ड (एरंडी) की जड़ की राख दूध के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है।
41) मोच :
• एरंड के पत्ते पर सरसों और हल्दी गर्म करके मोच वाले स्थान पर लगायें और पत्ते को उस पर रखकर पट्टी बांध दें।
• अरण्ड के बीज की गिरी 10 ग्राम काले तिल 10 मिलीलीटर दूध में पीसकर हल्का गर्म करके मोच पर बांध दें।
42) जलोदर (पेट में पानी की अधिकता) : अरंडी के तेल के साथ गोरखमुण्डी मिलाकर खाने से जलोदर में लाभ होगा।
43) शीतपित्त :
• कूठ का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से 1.80 ग्राम में एरंड का तेल मिलाकर दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आमवात में लाभ होता है। इसका बाहरी प्रयोग भी किया जाता है।
• एरंड के तेल में तारपीन का तेल बराबर मिलाकर मालिश करने से पित्ती में लाभ होता है।
• पित्ती उछलने पर सबसे पहले चार चम्मच एरंड का तेल पीकर पेट साफ कर लें। इसके बाद 5 ग्राम छोटी इलायची के दाने, 10 ग्राम दालचीनी, पीपर 10 ग्राम सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मक्खन के साथ खायें।
44) स्तनों का सुडौल और पुष्ट होना : एरंड के तेल से स्तनों की मालिश करने से स्तन सुडौल, पुष्ट और बढ़ते हैं।
45) वात रोग :
• अरण्ड के तेल में गाय का मूत्र मिलाकर 1 महीने तक रोज खाने से हर तरह के वात रोग खत्म हो जाते हैं।
• अरण्ड की लकड़ी जलाकर उसकी 10 ग्राम राख को पानी के साथ खाने से वात रोग में लाभ होता है।
• एरंड की जड़ को घी या तेल में पीसकर गर्म करके लगाने से वात विद्रधि (फोड़ा) रोग खत्म होते हैं।
46) स्तनों के आकार में वृद्धि : एरंड के तेल की मालिश करने से स्तनों का आकार बढ़ने लगता है।
47) स्तनों की घुंडी का फटना : एरंड के तेल से स्तन या स्तनों की चूंची विदार (घुंडी फटने) में मालिश करने से लाभ मिलता है।
48) शिरास्फीति : हाथ की शिराओं के रोग में 2 चम्मच एरंड का तेल दूध में मिलाकर रात में सेवन करें एवं एरंड तेल से मालिश करें। इससे रोगी शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
49) सभी प्रकार के दर्द : एरंड के पेड़ की जड़, सोंठ, कंटकारी, कटेरी, बिजौरा नींबू की जड़, पाषाणभेद और त्रिकुटा की जड़ों को अच्छी तरह पीसकर बारीक चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, इस बने काढ़े में जवाखार, हींग, सेंधानमक और अरंडी का तेल मिलाकर सेवन करने से आमजशूल, दिल का दर्द (हृदय शूल), स्तनशूल, लिंग शूल यानी लिंग (शिश्न) का दर्द और अनेक प्रकार के दर्द समाप्त हो जाते हैं।
50) स्तनों की रसौली (गांठे) : एरंड के तेल से स्त्री के स्तनों की मालिश करें और एरंड के पत्तों को स्तन पर बाँधे। इससे स्तन में होने रसूली (गांठें, गिल्टी) धीरे-धीरे कम होकर समाप्त हो जाती हैं। इसके साथ ही साथ स्तनों के आकार में बढ़ोत्तरी होती जाती है।
51) पेट में दर्द होने पर :
• एरंड का तेल 10 मिलीलीटर दूध में मिलाकर पीने से कब्ज के कारण होने वाला पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।
• एरंड के तेल में हींग को बारीक पीसकर मिलाकर पेट के ऊपर लेप करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
• एरंड के पत्तों को निचोड़कर प्राप्त हुए रस में थोड़ी-सी मात्रा में सेंधानमक मिलाकर प्रयोग करें।
• एरंडी के तेल में जवाखार मिलाकर सेवन करने से `कफोदर´ को समाप्त होता है। ( और पढ़ें – पेट दर्द के 10 घरेलु उपचार )
52) आसान प्रसव (बच्चे का जन्म आसानी से होना) :
• एरंड का तेल नाभि पर मलने से बच्चा आसानीपूर्वक हो जाता है।
• लगभग 20 से 25 मिलीलीटर एरंड का तेल गर्म दूध के साथ प्रसव (डिलीवरी) के पूर्व पिलाने से प्रसव (डिलीवरी) आसानी से होता है।
• अरण्ड का तेल 50 मिलीलीटर गर्म दूध में मिलाकर पिला दें। अगर प्रसव में दर्द हो तो दर्द तेज होकर बंद हो जायेगा।
53) बंद पेशाब खुल जायें : 1 छोटा चम्मच अरंडी का तेल बच्चे को पिलाने से बंद पेशाब खुल जाता है।
54) योनि की जलन और खुजली : एरंड का तेल लगभग 7 मिलीलीटर से लेकर 14 मिलीलीटर को 100-250 मिलीलीटर दूध के साथ 1 दिन में सुबह और शाम पीने से योनि की खुजली मिटती है।
55) चेहरे की झांई के लिए : अरंडी के तेल में बेसन मिलाकर लगाने से चेहरा साफ होकर खूबसूरत बनता है।
56) घट्टा रोग : सुबह-शाम एरंड का तेल मलते रहने से घट्टे ठीक हो जाते हैं। तेल में कपड़ा भिगोकर पट्टी बांधे। इसका प्रयोग 2 महीनों तक करने से घट्टे ठीक हो जाते हैं।
57) हाथ-पैरों की अकड़न :
• एरंडी के तेल से हाथ व पैरों पर 2 से 3 मिनट तक धीरे-धीरे मालिश करने से ठंड के कारण उत्पन्न अकड़न खत्म हो जाती है।
• 25 ग्राम एरंड की जड़ का छिलका (छाल) को कूटकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालें। पानी आधा रह जाने पर उसको छानकर इसमें 125 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर फिर गर्म करें। पानी जल जाने पर ठंडाकर कम गर्म तेल से पैरों के जोड़ों पर मालिश करने से लाभ मिलता है।
58) हाथ-पैरों की जलन :
• 30 ग्राम शुद्ध एरंडी के तेल को 100 मिलीलीटर गाय के पेशाब में मिलाकर पीने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।
• एरंड के तेल को बकरी के दूध में मिलाकर हाथ-पैरों पर मालिश करने से लाभ मिलता है।
• पैरों के तलवों की जलन दूर करने के लिए अरण्ड के बीज और गिलोय को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
59) दिल की बीमारी के लिए :
• एरंड तेल में भुना हुआ हरीतकी फल मज्जाचूर्ण 1 से 3 ग्राम, अंगूर, शर्करा, परूषक फल व शहद बराबर मात्रा में लेकर, दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए।
• एरंड तेल में भुनी हुई हरीतकी फल मज्जा 20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, श्वेत जीरा का बारीक पिसा हुआ चूर्ण एक भाग मिलायें। इसे 2 से 6 ग्राम की मात्रा में 5 से 10 ग्राम शर्करा के साथ दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए।
60) चेहरे के लकवा के रोग में : 10 से 20 मिलीलीटर एरंड के तेल को पकाकर गर्म दूध में मिलाकर सुबह और शाम रोगी को दें अगर रोगी को पैखाना (टट्टी) साफ आने लगे तो सिर्फ एक बार दें। इसके सेवन करने से पक्षाघात, चेहरे का लकवा ठीक हो जाता है। यह शरीर में शक्ति पैदा करता है।
61) फीलपांव (गजचर्म) :
• 20 मिलीलीटर एरंडी का तेल और 20 ग्राम हरड़ का चूर्ण को 250 मिलीलीटर गाय के पेशाब में मिलाकर 7 दिन तक सेवन करने से फीलपांव का रोग ठीक होता है।
• एरंडी के तेल में छोटी हरड़ भूनकर चूर्ण बना लें। 6 ग्राम दवा को 100 मिलीलीटर गाय के पेशाब के साथ पीने से फीलपांव का रोगी ठीक हो जाता है।
62) शरीर की जलन : एरंड के बीज के भीतर के भाग को पीसकर बकरी के दूध में मिलाकर पैरों के तलवों में मालिश करने से रोगी के शरीर की जलन दूर हो जाती है। एरंडी के तेल से भी मालिश करने से रोगी को लाभ मिलता है।
63) डब्बा रोग : बच्चे के पेट पर अरंडी के तेल की मालिश करके ऊपर से बकायन की पत्ती गर्म करके बांधने से डब्बा रोग (पसली चलना) ठीक हो जाता है।
64) मानसिक उन्माद (पागलपन) : 20 मिलीलीटर एरंड के तेल को दूध के साथ रात को सोते समय पिलाने से कब्ज के उत्पन्न मानसिक उन्माद ठीक हो जाता है।
65) सिर का दाद : बराबर मात्रा में एरंड और शुद्ध नारियल के तेल को मिलाकर इसमें नीम की पत्तियों को डालकर औंटायें और पानी से सिर को धोकर इस मिश्रण को सिर पर लगाने से सिर के दाद में काफी आराम मिलता है।
66) पृष्टार्बुद (गर्दन के पिछले हिस्से में से मवाद निकलना) : पृष्टार्बुद (गर्दन के पिछले हिस्से में से मवाद निकलना) के ऊपर रीठा का लेप करने से आराम आता है।
67) लिंग दोष : तिल, एरंडी, अजवायन, मालकंधनी, बादाम रोगन, लौंग, मछली और दालचीनी का तेल 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर एक साथ मिला लें। उसके बाद 2-4 बूंद लिंग पर डालकर मालिश कर ऊपर से पान के पत्ते रखकर धागे से लिंग पर थोड़ा ढीला बांध दें। इससे लिंग से सम्बंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं।
68) नाड़ी का दर्द : एरंड तेल में और तारपीन का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से नाड़ी का दर्द कम होता है।
69) शरीर में सूजन :
• एरंड के पत्तों पर सरसों का गर्म तेल लगाकर सूजन वाले अंग पर बांधने से सूजन दूर हो जाती है।
• एरंड के तेल को हल्का गर्म करके मालिश करने से घुटनों का दर्द और सूजन दूर हो जाती है।
• छिले हुए एरंड के बीजों और गोधूम को पीसकर चूर्ण बना लें, और इस चूर्ण को घी में मिलाकर दूध में उबालें, और गर्म-गर्म इस मिश्रण को लेप की तरह से शरीर पर लगाने से बदन की सूजन दूर हो जाती है।
70) बच्चों के विभिन्न रोग :
• बच्चे के पेट पर अरंडी का तेल मलकर, उसके ऊपर बकायन की पत्तियां गर्म करके बांधने से `डब्बे का रोग´ (पसली का रोग) दूर हो जाता है।
• लाल एरंड की जड़ को पीसकर चावलों के पानी में मिलाकर लेप करने से गलगण्ड रोग ठीक हो जाता है।
• लाल फूलों वाली एरंड की जड़ को पीसकर चावल के पानी में मिलाकर सुबह और शाम लेप करने से घेंघा रोग ठीक हो जाता है।
71) जलने पर : एरंड का तेल थोड़े-से चूने में फेंटकर आग से जले घावों पर लगाने से वे शीघ्र भर जाते हैं। एरंड के पत्तों के रस में बराबर की मात्रा में सरसों का तेल फेंटकर लगाने से भी यही लाभ मिलता है।
72) पायरिया : एरंड के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार नियमित रूप से मसूढ़ों की मालिश करते रहने से पायरिया रोग में आराम मिलता है।
73) मूत्र इंद्रिय की कमजोरी : मीठे तेल में एरंड के पीसे बीजों का चूर्ण औटाकर शिश्न (लिंग) पर नियमित रूप से मालिश करते रहने से उसकी कमजोरी दूर होती है।
• अरण्ड के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से मोटापा दूर हो जाता है।
74) स्तनों में दूध वृद्धि हेतु :
• मां के स्तनों पर एरंड के तेल की मालिश दिन में 2-3 बार करने से स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।
75) बालकों के पेट के कृमि (कीड़े) :
• एरंड का तेल गर्म पानी के साथ देना चाहिए अथवा एरंड का रस शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
• एरंड के पत्तों का रस नित्य 2-3 बार बच्चे की गुदा में लगाने से बच्चों के चुनने (पेट के कीड़े) मर जाते हैं।
76) पीनस रोग : एरण्ड के तेल को तपाकर रख लें और जिस ओर नाक में पीनस हो गया हो उस ओर के नथुने से एरण्ड के तेल को दिन में कई बार सूंघने से पीनस नष्ट हो जाती है।
• एरंड की जड़ और सोंठ को घिसकर योनि पर लेप करें। इससे योनि दर्द ठीक हो जाता है।
• एरंड तेल में रूई का फोहा भिगोकर योनि में धारण करने से योनि का दर्द मिट जाता है।
77) पीठ के दर्द में : एरंड के तेल को गाय के पेशाब में मिलाकर देना चाहिए। इससे पीठ, कमर, कन्धे, पेट और पैरों का शूल (दर्द) नष्ट हो जाता है।
78) बच्चों के दस्त : एरंड और चूहे की लेण्डी का चूर्ण नींबू के रस में मिलाकर बच्चों की नाभि और गुदा पर लेप करना चाहिए। इससे बच्चों का दस्त आना बंद हो जाता है।
79) पिसा हुआ कांच खा लेने पर : पिसा हुआ कांच खा लेने पर 30 ग्राम एरंड का तेल पिलाने से लाभ मिलता है।
80) होंठों का फटना : होंठों के फटने पर रात्रि को एरंड तेल होठ पर लगाने से लाभ मिलता है।
81) पेट में दर्द या बार-बार दस्त होना : एरंड के तेल का जुलाब देना चाहिए। इसका जुलाब बहुत ही उत्तम होता है। इससे पेट में दर्द नहीं होता और पानी की तरह पतले दस्त भी नहीं होते, केवल मल-शुद्धि होती है। यदि इसका जुलाब फायदा नहीं पहुंचाता तो यह कोई हानि नहीं पहुंचाता। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए यह समान उपयोगी है। सोंठ के काढ़े के साथ पीने से एरंड के तेल की दुर्गन्ध कम हो जाती है अथवा मट्ठे से कुल्ला करके एरंड का तेल पीने से उससे अरुचि नहीं होती ।
82) अंडकोष वृद्धि :
• 2 चम्मच एरंड तेल सुबह-शाम दूध में मिलाकार सेवन करने से अंडकोष के बढे़ हिस्से से आराम मिलता है। साथ ही इस तेल की मालिश भी करनी चाहिए।
• 10 ग्राम एरंड तेल को 3 ग्राम गुग्गुलु और 10 ग्राम गाय के पेशाब के साथ सुबह-शाम पीने से एवं अंडकोष पर एरंड पत्ते गर्म करके बांधने से अंडकोष वृद्धि ठीक हो जाती है।
83) आंखों के रोग में :
• एरंड के तेल के अंजन से आंखों से पानी बहता है, इसलिए इसे नेत्र विरेचन कहते हैं। एरंड तेल दो बूंद आंखों में डालने से, इनके भीतर का कचरा निकल जाता है और आंखों की किरकरी बंद हो जाती है।
• एरंड के पत्तों की जौ के आटे के साथ पुल्टिस बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों पर आई पित्त की सूजन नष्ट हो जाती है।
84) स्त्री के स्तन संबधी रोग :
• जब किसी स्त्री के स्तनों में दूध आना बंद हो जाता है और स्तनों में गांठें पड़ जाती हैं, तब एरंड के 500 ग्राम पत्तों को 20 लीटर पानी में घंटे भर उबालें, तथा गर्म पानी की धार 15-20 मिनट स्त्री के स्तनों पर डाले, एरंड तेल की मालिश करें, उबले हुए पत्तों की महीन पुल्टिस स्तनों पर बांधे। इससे गांठें बिखर जायेगी और दूध का प्रवाह पुन: प्रारम्भ हो जायेगा।
• स्तन के चारों ओर की त्वचा फट जाने पर एंरड तेल लगाने से तुरन्त लाभ होता है।
• एरंड के पत्तों को सिरके में पीसकर स्तनों पर प्रतिदिन मलने से कुछ ही दिनों में स्तन कठोर हो जाते हैं। इसके अलावा गांठें पिघलकर दूध उतरने लगता है तथा सूजन की तकलीफ दूर हो जाती हैं।
अरण्डी तेल के नुकसान : Arandi Tel ke nuksan
एरंड आमाशय को शिथिल करता है, गर्मी उत्पन्न करता है और उल्टी लाता है। इसके सेवन से जी घबराने लगता है। लाल एरंड के 20 बीजों की गिरी नशा पैदा करती है और ज्यादा खाने से बहुत उल्टी होता है एवं घबराहट या बेहोशी तक भी हो सकती है। यह आमाशय के लिए अहितकर होता है।
दोषों को दूर करने वाला : कतीरा और मस्तगी एरंड के गुणों को सुरक्षित रखकर इसके दोषों को दूर करता है।
Read the English translation of this article here ☛ Castor Bean (Arandi): 119 Health Benefits, Uses, Dose, Precautions & Side Effects