Last Updated on August 23, 2021 by admin
गंजापन (इंद्रलुप्त ) क्या है ? :
आधुनिक परिवेश में सभी स्त्री-पुरुष, किशोर अपने सौंदर्य-आकर्षण को बनाए रखने के लिए तरह-तरह के सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करते हैं। शारीरिक सौंदर्य आकर्षण में स्त्री-पुरुषों के काले, घने बालों का विशेष महत्त्व होता है। स्त्रियां अपने बालों को अधिक से अधिक लंबे और काले बनाए रखने के लिए तरह-तरह के तेलों का उपयोग करती हैं। प्रतिदिन बालों को शैंपू से साफ करती हैं। कितनी स्त्रियां ही हर्बल कास्मेटिक से बालों को लंबे समय सुरक्षित रखने की कोशिश करती हैं।
बालों की सुरक्षा के लिए नवयुतियां ब्यूटी पार्लर में जाकर बालों की सुरक्षा के लिए तेल मालिश कराती हैं। नवयुवक भी बालों का सौंदर्य आकर्षण बनाए रखने के लिए ब्यूटी पार्लर में जाते हैं। नवयुवक तरह-तरह की क्रीम, लोशन और तेलों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उनके बाल जल्दी सफेद होने लगते हैं। बाल तेजी से टूटते जाते हैं और सिर में जगह-जगह गंजापन दिखाई देने लगता है। इस गंजेपन को आयुर्वेद चिकित्सा में गंजापन(इंद्रलुप्त) कहा जाता है।
अपने देश में ही नहीं, विदेशों में भी गंजापन की विकृति तीव्र गति से फैल रही है। स्त्रियों की अपेक्षा गंजापन की विकृति के पुरुष अधिक शिकार होते हैं। स्त्रियों में इद्रलुप्त बहुत कम होता है। किसी संक्रामक रोग से पीड़ित होने पर बच्चे को जन्म देने के बाद स्त्रियों के बाल तीव्र गति से टूटते हैं लेकिन गंजापन नहीं होता।
गंजापन(इंद्रलुप्त) में सिर के बाल किसी एक जगह से जड़ों के पास से टूट जाते हैं। अधिक बालों के टूटने से उस भाग की त्वचा दिखाई देने लगती है। एक बार त्वचा से बाल टूटकर नष्ट हो जाने पर फिर वहां बाल नहीं उगते और उस भाग की त्वचा चिकनी होकर चमकने लगती है। इंद्रलुप्त की विकृति किसी भी आयु में हो सकती है। कुछ पुरुष प्रौढ़ावस्था के कारण इंद्रलुप्त विकृति से पीड़ित होते हैं।
गंजेपन के कारण (Ganjepan ke Karan)
गंजापन क्यों होता है ?
✧ गंजापन विकृति के विभिन्न कारण होते हैं। कुछ स्त्री-पुरुषों में तीव्र गति से बालों के टूटने के पीछे उनकी वंशानुगत विकृति हो सकती है। कुछ ऐसे परिवार होते हैं जिनमें पुरुष इंद्रलुप्त के अधिक शिकार होते हैं। यदि माता या पिता में से किसी एक को इंद्रलुप्त रोग रहा हो तो उनके बच्चों के बाल भी जल्दी नष्ट होते हैं। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि गंजापन वंशानुगत हो सकता है।
✧ आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथों में गंजापन(इंद्रलुप्त) के संबंध में महर्षि सुश्रुत ने लिखा है –
रोम कूपानुगं पित्तं वातेन सह मूर्च्छितम् ।
प्रच्यावयति रोमाणि तेलः श्लेष्मा सशोणितः॥
रुणद्धि रोमकूपांस्तु ततोऽज्येषामसम्भवः।
तदिन्द्रलुप्त खालित्यं रुज्योति च विभाव्यते॥
महर्षि सुश्रुत ने लिखा है, जब पित्त दोष वायु के साथ रोमकूपों में पहुंचकर रोमों को मूल (जड़) से नष्ट करते हैं तो गंजापन की विकृति होती है क्योंकि इसके साथ रक्त युक्त कफ दोष रोम कूपों के पोषक तत्वों को अवरुद्ध कर देते हैं। सिर की त्वचा के जितने भाग में रोमकूपों को अवरुद्ध कर दिया जाता है उस भाग पर नए रोमों (केशों) की उत्पत्ति नहीं होती है। इस परिस्थिति को इंद्रलुप्त कहा जाता है।
✧ आयुर्वेद चिकित्सा के अन्य ग्रंथ रस रत्न समुच्य में इंद्रलुप्त रोग की उत्पत्ति के संबंध में लिखा है: कीटभक्षति केशान्तः स्थान…,जब सिर में जुओं के अधिक होने से, उनके काटने से व्रण बन जाते हैं, तो उस भाग में बाल नहीं उगते । सूक्ष्म कृमि सिर की त्वचा में व्रण उत्पन्न करके बालों को नष्ट करके, इंद्रलुप्त की उत्पत्ति करते हैं।
✧ महर्षि सुश्रुत ने इंद्रलुप्त की उत्पत्ति के संबंध में लिखा है कि वात पित्त व कफ दोष विकृत होकर रक्त को दूषित करके बालों को नष्ट करके, गंजापन(इंद्रलुप्त) की उत्पत्ति करते हैं।
✧ आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञ गंजापन की उत्पत्ति का कारण कुपोषण मानते हैं। जब कोई व्यक्ति पौष्टिक व विटामिन युक्त भोजन ग्रहण नहीं करता और उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से निर्मित भोजन करता है तो उसके बालों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। ऐसी स्थिति में बाल क्षीण होकर जड़ से टूटकर नष्ट होते चले जाते हैं और अल्प आयु में गंजापन की विकृति उत्पन्न कर देते हैं।
✧ चिंता, शोक, भय आदि विकृतियों को भी इंदलुप्त की उत्पत्ति का कारण बताया गया है। वयस्क पुरुष उच्चशिक्षा व कार्य-व्यवसाय में सफलता पाने के लिए अधिक चिंतित देखे जाते हैं। कुछ व्यक्तियों को अपने बच्चों की अधिक चिंता रहती है। चिंता की अधिकता गहरे शोक में डूबे हुए व्यक्ति व किसी भय से पीड़ित नवयुवक गंजापन से अधिक पीड़ित होते हैं।
✧ शारीरिक स्वच्छता की लापरवाही का भी बालों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। कुछ व्यक्ति प्रतिदिन स्नान नहीं करते। बालों को सुगंधित साबुन से धोने पर भी हानि होती है और सुगंधित तेल भी बालों को हानि पहुंचाते हैं। आधुनिक परिवेश में विभिन्न रसायनों से बने तेलों का अधिक प्रचलन है। बड़े-बड़े विज्ञापनों के आधार पर रासायनिक तेलों को बेचा जाता है। इन तेलों के रसायनों से बालों को बहुत हानि पहुंचती है और अल्प आयु में इंद्रलुप्त की स्थिति बन जाती है।
✧ अधिक आयु में गंजापन की उत्पत्ति वात संस्थान क्षीण हो जाने के कारण होती है। कुछ व्यक्ति वातिक रोगों से अधिक पीडित रहते हैं। ऐसी स्थिति में भोजन का परिपाक पूरी तरह नहीं हो पाता, इससे शरीर में रुक्षता (शुष्कता) का समावेश होता है। रुक्षता के कारण सिर में वायु के स्थिर होने से बालों को हानि होती है। बाल जड़ों से क्षीण होकर तेजी से नष्ट होते चले जाते हैं। कुछ ही दिनों में सिर में गंजापन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
✧ विभिन्न रोगों के कारण भी गंजापन की विकृति देखी जाती है। आंत्रिक ज्वर के निवारण के साथ स्त्री-पुरुषों के बाल तेजी से नष्ट होकर गंजापन की स्थिति बना देते हैं। लेकिन पौष्टिक भोजन करने, हरी सब्जियों का सलाद खाने व घी, दूध,मक्खन का सेवन करने से बाल फिर उग आते हैं। यदि आंत्रिक ज्वर के रोगी को रोग निवारण के बाद पौष्टिक आहार नहीं मिले तो गंजापन की स्थिति बनी रहती है।
✧ चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार अपस्मार (मिरगी), सिर का विसर्प, अरुषिका (सिर की फंसियां), वात श्लैष्मिक ज्वर (फ्लू) उरक्षत रोगों में बालों को बहुत हानि पहुंचती है। इनके अतिरिक्त मधुमेह, रक्ताल्पता (एनीमिया) और हारमोन विकृति के कारण भी बाल तीव्र गति से नष्ट होते हैं। स्त्रियों में ऋतुस्राव (मासिक धर्म) की विकृति के कारण इंद्रलुप्त की स्थिति बन जाती है।
✧ आधुनिक परिवेश में मानसिक तनाव को भी इंद्रलुप्त का प्रमुख कारण कहा जा सकता है। मानसिक तनाव में चिंता, क्रोध, शोक व भय का समावेश भी देखा जा सकता है। तनाव से पीड़ित व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक लापरवाह हो जाता है। उसे अपने भोजन की भी परवाह नहीं रहती। ऐसी परिस्थितियों के बीच जीवनयापन करते व्यक्ति इंद्रलुप्त से पीड़ित होते हैं।
गंजेपन के लक्षण (Ganjepan ke Lakshan)
गंजापन (इंद्रलुप्त) की उत्पत्ति के कारण इंद्रलुप्त के लक्षण भी परिवर्तित हो जाते हैं। पित्त पदार्थों के सेवन से सिर में पित्त विकृति होने से बाल जड़ से कमजोर होकर तेजी से नष्ट होते हैं। कुछ पुरुषों में इंद्रलुप्त की विकृति दाढ़ी व मूंछों के बालों में देखी जाती है। जबकि कुछ व्यक्तियों में सिर के बालों के नष्ट होने के लक्षण दिखाई देते हैं। बालों के जगह-जगह से नष्ट होने और फिर नहीं उगने से गंजापन दिखाई देता है। कुछ व्यक्तियों में माथे की ओर से इंद्रलुप्त के लक्षण स्पष्ट होते हैं।
स्त्रियों में प्रसव के बाद तेजी से बाल टूटने की प्रवृत्ति देखी जाती है। लेकिन स्त्रियां इंद्रलुप्त से पीड़ित नहीं होतीं जबकि पुरुष अल्प आयु में इंद्रलुप्त के कारण गंजे दिखाई देने लगते हैं। सिर में जहां से बाल नष्ट हो जाते हैं, वहां की त्वचा का वर्ण शरीर की त्वचा के वर्ण से अलग होता है।
दोबारा बाल उगाने के प्राकृतिक तरीके (Naye Baal Ugane ke Nuskhe in Hindi)
गंजापन(इंद्रलुप्त) रोग की चिकित्सा से पहले रोगी को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए जिनसे पित्त अधिक मात्रा में बनता हो। पित्त की विकृति इंद्रलुप्त रोग को नष्ट नहीं होने देती। मानसिक तनाव भी इंद्रलुप्त की अधिक उत्पत्ति करता है। रोगी को मनोचिकित्सक से परामर्श करके मानसिक तनाव को नष्ट करने की कोशिश करनी चाहिए।
1). इंद्रलुप्त की चिकित्सा के चलते रोगी को सुगंधित रसायनों से बने तेल व क्रीमों का सिर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इंद्रलुप्त में विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित तेलों का सिर पर लेप करने पर सिर को खुला रखना चाहिए। ( और पढ़े – नये बाल उगाने के 47 घरेलु नुस्खे)
2). चिकित्सक को रोगी के सिर का परीक्षण करके इंद्रलुप्त की उत्पत्ति का कारण जान लेने के बाद औषधि चिकित्सा प्रारंभ करनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को रक्ताल्पता के कारण इंद्रलुप्त की विकृति हुई हो तो पहले रक्ताल्पता को नष्ट करने के लिए औषधियां देनी चाहिए। पौष्टिक आहार व हरी सब्जियां व फलों का सेवन कराकर रक्ताल्पता का निवारण किया जा सकता है।
3). पुरुषों द्वारा अधिक सहवास के कारण वीर्य क्षति से उत्पन्न इंद्रलुप्त की विकृति में रोगी को सहवास से अलग रहना आवश्यक होता है अन्यथा औषधि चिकित्सा से भरपूर लाभ नहीं हो पाता।
4). इंद्रलुप्त रोग में पंचकर्म चिकित्सा भी बहुत सफल होती है। रोगी का स्नेहन और स्वेदन करके सिर की शिरा का मोक्षण किया जाता है। उसके बाद इंद्रलुप्त से विकृत भाग पर मैनसिल, कासीस, तुत्थ और मरिच को जल के छींटे मारकर पीसकर लेप करने से बहुत लाभ होता है। ( और पढ़े –बालों के टूटने व झड़ने से रोकते है यह 26 रामबाण घरेलु उपाय )
5). चित्रक, करंज, चमेली और कनेर से सिद्ध किए तेल की नष्ट हुए बालों की त्वचा पर मालिश करने से गंजापन नष्ट होने लगता है।
6). कनेर का रस लगाने से भी लाभ होता है। मुस्ता व देवदारु को पीस कर सिर पर लेप करने से बहुत लाभ होता है।
7). मधु और छोटी कटेरी का रस मिलाकर इंद्रलुप्त से विकृत त्वचा पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
8). तिल के पुष्प, गोक्षुर, घी और मधु अच्छी तरह मिलाकर सिर पर लेप करने से फलों की उत्पत्ति होने लगती है। ( और पढ़े – बाल झड़ने और टूटने से रोकने के 12 घरेलू उपाय)
9). इंद्रलुप्त रोग में हाथी के दांत की भस्म तेल में मिलाकर सिर में लगाने से जल्दी बालों की उत्पत्ति होने लगती है।
10). इंद्रलुप्त रोग में औषधियों की चिकित्सा से यदि किसी पुरुष के सिर में सफेद बालों की उत्पत्ति होती हो तो उसे मेष (भेड़ा) के सींग की भस्म बनाकर, तेल में मिलाकर सिर पर लेप करना चाहिए। इस भस्म से काले बालों की उत्पत्ति होने लगती है।
11). कड़वे परवल के पत्तों का रस निकालकर सिर में मलने से गंजापन की विकृति नष्ट होती है। एक सप्ताह में ही बालों की उत्पत्ति होने लगती है। (भावप्रकाश ग्रंथ)
12). हाथी दांत की भस्म और रसौत को बकरी के दूध के साथ पीसकर सिर में लेप करने से गंजापन का निवारण होता है।( और पढ़े –बालों का गिरना रोकने के लिए घरेलू नुस्खे )
13). नीले कमल, मधुयष्टि (मुलहठी), मुनक्का, घी, तेल व दूध इन सबको किसी खरल में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों की उत्पत्ति होने लगती है।
14). वरुण की छाल, कनेर, चित्त, करंज, चमेली के पत्ते, इन सबको कूटपीसकर कल्क, बनाकर, तेल के साथ पकाकर, मालिश करने से गंजापन(इंद्रलुप्त) रोग नष्ट होता है।
15). मदार का दूध, थूहर का दूध, शृंगराज, वत्सनाभ विष, कलिहारी, गोमूत्र, बकरी का मूत्र, इंद्रायण की जड़, सरसों, वच और गुंजा, सब औषधियों को बराबर मात्रा में लेकर कल्फ बनाकर, तेल को पकाकर सिर पर प्रतिदिन लेप करने से इंद्रलुप्त की विकृति नष्ट होती है।
16). कलिहारी की जड़ को गोमूत्र में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों की उत्पत्ति होने लगती है।
17). सिर के बालों को नाई से उस्तरे से साफ कराकर भांगरे का रस मलने और भांगरे का तेल लगाने से बाल उगने लगते हैं।
18). आंवला, मुलहठी, कमल केशर और तिल को पीस कर, सिर पर लेप करने से इंद्रलुप्त की विकृति नष्ट होती है।
19). गुलबाबूना, कैसूम, हंसराज सभी चीजें 40-40 ग्राम मात्रा में लेकर रात्रि को जल में डालकर रखें। सुबह सबको जल में उबालकर छान लें। इस क्वाथ को 50 ग्राम रोगन पान मिलाकर आग पर खूब देर तक पकाएं। जब तेल शेष रह जाए तो सिर में लगाने से गंजापन नष्ट होता है।
खान-पान और सावधानियां :
- आधुनिक परिवेश में होटल, रेस्तरां में चाइनीज व दूसरे चटपटे, स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों सेवन करना फैशन बन गया है। उष्ण मिर्च मसाले और अम्लीय रसों से बने व्यंजन शरीर में पित्त की उत्पत्ति करके बालों को अधिक हानि पहुंचाते हैं। ऐसे पदार्थों का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए।
- हरी सब्जियों के सलाद और सूप बनाकर सेवन करने से सिर के बालों को पोषक तत्त्व मिलते हैं। बालों को पोषक तत्त्व मिलने से बाल जड़ों से नष्ट नहीं होते हैं। इंद्रलुप्त की विकृति से सुरक्षा के लिए धूप से बचना आवश्यक होता है। सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणें बालों को बहुत हानि पहुंचाती हैं।
- अधिक शारीरिक श्रम करने से भी बालों को हानि पहुंचती है।
- इंद्रलुप्त की विकृति से सुरक्षा के लिए सुबह-शाम भ्रमण के लिए अवश्य जाना चाहिए। शुद्ध वायु (ऑक्सीजन) के समावेश से रक्त संचार होता है और बालों को पोषक तत्त्व मिलते हैं।
- शीर्षासन करने से बालों को बहुत लाभ होता है। शीर्षासन में रक्त संचार होने से बालों को पोषक तत्त्व मिलते हैं और बाल मजबूत होते हैं।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)