Last Updated on December 10, 2019 by admin
गर्भपात (मिसकैरेज) क्या है ? : Miscarriage in Hindi
नियत समय से पहले यदि गर्भाशय से बच्चा निकल जाये तो इसे गर्भपात कहते हैं। इसको साधारण बोलचाल में हमल गिरजाना, गर्भ गिरना, कच्चा पड़ना कहा जाता है। इसी को गर्भस्राव भी कहते हैं । अंग्रेजी में इसे मिसकैरेज (Miscarriage) कहते हैं।
गर्भपात के लक्षण : Miscarriage Symptoms in Hindi
गर्भपात होने पर रोगी स्त्री के कमर तथा पेट के तल में दर्द होता है, बच्चा पेट के नीचे खिसक आता है, खून या कफ जैसे पदार्थ का स्राव होने लगता है।
बार बार गर्भपात होने के कारण : Garbhpat Hone ke Karan in Hindi
गर्भवती स्त्री का गर्भपात होने के बहुत से कारण होते हैं जैसे-
☛ स्त्री के शरीर में हामोन्स की गड़बड़ी का होना ।
☛ किसी तरह की चोट आदि लगने के कारण ।
☛ दिमागी सदमे के कारण ।
☛ किसी तरह का रोग हो जाने के कारण ।
☛ इसके अलावा इन्फैक्शन या गर्भाशय की कमजोरी ।
☛ गर्भावस्था में कसे हुए कपड़े पहनने, अधिक मेहनत करने, अधिक गाड़ी पर सफर करने, रेलगाड़ी पर चढ़ने, अधिक पसीना आने, चेचक का बुखार होने, योनि में दर्द आदि के कारण से भी गर्भपात हो सकता है।
गर्भपात रोकने के लिए घरेलू उपाय : Garbhpat ko Rokne ke Upay in Hindi
महर्षि चरक जिन्हें आयुर्वेद का संस्थापक कहा जाता है । एक योग ‘कल्याण घृत’ की चरक संहिता में बहुत ही प्रशंसा की है। सर्व प्रथम हम | अपने प्रिय पाठकों के लिए वही योग यहाँ लिख रहे हैं। यह योग विशेषकर उन गर्भवती स्त्रियों के लिए रामबाण साबित हुआ है, जिनको बार-बार गर्भपात हो जाता है । इसके अतिरिक्त यह औषधि रुग्णा के शरीर में नवीन शक्ति उत्पन्न करती | है। मष्तिष्क की कमजोरी में भी विशेष लाभकर है । मिर्गी, पागलपन, हिस्टीरिया | के कारण आवाज बैठ जाना (Aphonia) शरीर व मष्तिष्क का पोषण कर वृद्धा को जवान बनाती है।
गर्भपात रोकने में कल्याण घृत का प्रयोग लाभदायक (Kalyan Ghrat: Home Remedy for Miscarriage in Hindi)
हरड़, बहेडा, आँवला, इन्द्रवारूणी, रेनुका, शालपर्णी, सारिबा, दरबी, तगर, उत्पला, इलायची, मजीठ, दन्ती, नागकेशर, अनार, तालीसपत्र, बायविडंग,कूठ, पृष्ठपर्णी, चन्दन, पदमाख, सभी औषधियों को समभाग लेकर कूट पीसकर 1 सेर लुग्दी बना लें । शुद्ध घी 4 सेर, पानी 8 सेर, दवाओं को घी तथा पानी में मिलाकर बहुत ही धीमी आग पर पकायें। जब सिर्फ घी रह जाये तो छानकर सुरक्षित रख लें । इस ‘‘कल्याण घृत” को 1 छोटे चम्मच से लेकर 4 चम्मच तक दिन में 2 बार दूध के साथ पिलायें । खटाई, लाल मिर्च एवं चटपटे तथा मसालेदार भोजनों एवं पदार्थों से पूर्णतः परहेज रखें ।
गर्भपात में केले का इस्तेमाल फायदेमंद (Banana Benefits in Miscarriage Problem in Hindi)
यदि स्त्री को गर्भ स्थिति होते ही उसके गिर जाने की व्याधि लग जाये तो इसे हर माह केले के रस में शहद मिलाकर पिलाते रहने से गर्भस्राव नहीं होने पाता है।
गर्भपात रोकने में फिटकरी का प्रयोग (Alum Benefits in Miscarriage Problem in Hindi)
केले के कान्ड के भीतर के श्वेत गूदे का स्वरस 40 से 50 ग्राम में उत्तम शहद 20 ग्राम मिलाकर दिन भर में ऐसी 2-3 मात्रायें रोगिणी को पिलायें | उक्त स्वरस में 10 ग्राम फिटकरी महीन पीसकर घोल दें, फिर शीशे या मिट्टी के किसी साफ स्वच्छ पात्र में रख लें । इस घोल में स्वच्छ रुई डुबोकर जिस प्रकार स्त्रियाँ माहवारी के समय कपड़ा लेती हैं, उसी तरह योनि में दिन भर में 2-3 बार रखें । दूध भात का प्रयोग काल में सेवन करायें, तो बार-बार होने वाले गर्भपात का भय नहीं रहता है।
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श्वेत दूब से गर्भपात का उपचार (Coach Grass : Home Remedies for Miscarriage in Hindi)
जब गर्भवती को रक्तस्राव होने लगे तो हरी श्वेत दूब का 5 ग्राम स्वरस में स्वर्णमाक्षिक भस्म तथा मुक्ताशुक्ति भस्म 1-1 रत्ती मिलाकर 2-3 बार देने से गर्भपात नहीं होने पाता है ।
बबूल के पत्ते के उपयोग कर गर्भपात का इलाज (Acacia leaf : Benefits to Treat Miscarriage in Hindi)
गर्भाधान होने के पश्चात् खरैटी या बबूल के पत्ते 25 ग्राम लेकर उनका क्वाथ (काढा) कर लें और उसमें मिश्री मिलाकर नित्य प्रात:काल सात दिन तक सेवन करने से गर्भाव व गर्भपात का भय नहीं रहता है।
मिट्टी के उपाय से बार-बार होने वाले गर्भपात का उपचार
कुम्हार बरतन बनाता हुआ जो हाथ पोंछता जाता है, उस मिट्टी को शहद या बकरी के दूध के साथ मिलाकर पिलाने से गिरता हुआ गर्भ निश्चित ही रुक जाता है।
बर्फ का इस्तेमाल से गर्भपात से रक्षा में लाभ
योनि के मुख में बर्फ का टुकड़ा रखने से भी गर्भाशय संकुचित होकर गर्भपात में लाभ होता है।
गर्भपात रोकने में समुद्र सोख का प्रयोग लाभप्रद
समुद्र सोख को कूटपीसकर कपड़छन कर सुरक्षित रख लें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में शीतल जल से सेवन कराने से गर्भपात में लाभ हो जाता है। अनेक अंग्रेजी औषधियों के निष्फल होने पर भी यह परम लाभकारी योग है।
मुलहठी के उपाय से गर्भपात से रक्षा
मुलहठी का बारीक चूर्ण कर सुरक्षित रख लें। इसे निरोगी स्वस्थ गाय जिसका बछड़ा जीवित हो, के 250 दुग्ध में इतना ही जल मिलाकर 3 ग्राम मुलहटी चूर्ण मिलाकर मन्दाग्नि पर गरम करें और जब दुग्ध मात्र शेष रह जाये तब शीतल होने पर बिना मिश्री मिलाये रोगिणी को (ऐसी खुराक नित्य) सुबह शाम निरन्तर गर्भ स्थिति से 9 वे मास तक सेवन कराने से गर्भपात का भय नहीं रहता है तथा प्रसव सुखपूर्वक सम्पन्न हो जाता है ।
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आयुर्वेद में गर्भ रक्षा के उपाय
नाग केशर 50 ग्राम, असली बंसलोचन 50 ग्राम, छोटी इलाइची के दाने 25 ग्राम, असली केशर 6 ग्राम, मिश्री कुंजा 150 ग्राम लें । मिश्री को छोड़कर सभी औषधियों को गुलाब जल में सुरमे की भाँति खरल करें। सूख जाने पर मिश्री मिलाकर शीशी में भरकर सुरक्षित रख लें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में गौ दुग्ध के साथ (ऐसी गाय—जिसका बछड़ा न मरा हो तो अधिक उत्तम है) सेवन करायें। गर्भस्राव (गर्भपात) अकाल गर्भपात का भय समाप्त हो जायेगा।
बार बार गर्भपात होने से रोकने वाली दिव्य आयुर्वेद औषधि – गर्भपाल रस
गर्भपाल रस (शास्त्रीय आयुर्वेद औषधि) 1 रत्ती से 2 रत्ती तक मधु 125 से 250 मिग्रा० से चटाकर ऊपर से दूध पिलाने से (गर्भावस्था के प्रारम्भ से ही) गर्भपात रोकने हेतु अचूक योग है।
गूलर से बार बार गर्भपात होने का इलाज
गूलर की छाल 12 ग्राम को 250 मि.ली. जल में मिलाकर काढ़ा बनायें। जब जल 30 मिली० शेष बचे तब छानकर गर्भिणी को प्रात:काल पिलाने से गर्भपात रुक जाता है ।
गर्भपात के समस्त लक्षण नष्ट करने वाला प्रयोग
जवासा सारिवा, पदमाख, राना, मुलहठी, कमल के फूल प्रत्येक 22 ग्राम लेकर एक साथ गाय के दूध में पीसकर सुबह शाम पिलाने से गर्भपात के समस्त लक्षण नष्ट होकर गर्भ गिरने से रुक जाता है ।
नाग केशर का उपाय गर्भपात से करता है रक्षा
गर्भावस्था के तीसरे मस में शर्करा और नाग केशर प्रत्येक 3-3 ग्राम को दूध के साथ पीसकर पिलाने से अत्यधिक अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियों का स्राव होकर हारमोन की पूर्ति हो जाती है ।
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पीपल का इस्तेमाल रक्तस्राव बन्द करने में फायदेमंद
पीपल वृक्ष की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम तक ठण्डे जल से पिलाने से रक्तस्राव बन्द से जाता है।
सफेद राल के प्रयोग से गर्भपात का उपचार
सफेद राल का चूर्ण और सोना गेरू सममात्रा में लेकर मिश्री मिलाकर कच्चे दूध के साथ पिलाने से रक्तस्राव बन्द होकर गर्भपात होना रुक जाता है तथा गर्भ पृष्ट हो जाता है।
गाय का घी गर्भपात से बचाव में लाभदायक
सहस्र अथवा सौ बार का धोये हुए गाय के घी को गर्भवती के पेड़ पर मालिश करने से गर्भपात होना रुक जाता है । किन्तु गर्भवती को पूर्ण विश्राम दें। चारपाई का पायताना (पैर की ओर के पाये) के नीचे 1-1 ईट रखकर पैर ऊँचे और सिर नीची करके आराम से लिटायें ।
गर्भस्राव रोकने में शिवलिंगी का इस्तेमाल फायदेमंद
शिवलिंगी के बीज 5 या 7 अथवा 11 दाने लेकर गर्भवती को प्रतिदिन गो-दुग्ध से निगलवा दें । गर्भस्राव रुक जायेगा
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न : FAQ (Frequently Asked Questions)
प्रश्न – डाक्टर साहिबा, आज हम महिलाओं की एक गम्भीर समस्या के विषय में आपसे बातचीत करने के लिए उपस्थित हुए हैं। काफ़ी लम्बे समय से जिस व्याधि के विषय में विशेष रूप से पूछताछ की जा रही है वह व्याधि है गर्भपात होने की या गर्भस्थ शिशु का शुरू से ही उचित और आवश्यक विकास न होना और इस कारण से गर्भाशय की,डी.एन.सी. करके, सफाई कराने पर विवश हो जाना। कृपया आप यह बताएं कि कुछ युवतियों को 7-8 सप्ताह में ही गर्भपात क्यों हो जाता है या कि गर्भ में शिशु का विकास क्यों रुक जाता है ? यह समस्या बहुत ज्यादा पाई जा रही है।
डॉ. शैला त्यागी – आपने बिल्कुल ठीक कहा – इस तरह के जो एबॉरशन होते हैं वे वाक़ई में तीन महीने के अन्दर-अन्दर कॉमनली होते हैं यानी 12 सप्ताह के अन्दर । ये एबॉरशन दो तरह के होते हैं। एक तो स्वस्थ गर्भ का गर्भपात होना और दूसरा, जिसमें गर्भ में शिशु का विकास नहीं होना। इस दूसरे गर्भपात को मिस्ड एबॉरशन (Missed abortion) कहते हैं। इस केस में ऐसा होता है कि छः सप्ताह तक बच्चे का विकास होता है पर फिर रुक जाता है या बच्चे की धड़कन शुरू नहीं होती या सिर्फ झिल्ली बन कर रह जाती है आगे विकास नहीं होता। ऐसे एबॉरशन, जिनमें विकास नहीं होता, उनके कारण अलग होते हैं और जो स्वस्थ शिशु वाला गर्भपात होता है उनके भी कारण अलग होते हैं।
स्वस्थ शिशु का गर्भपात होने का प्रमुख कारण हार्मोन्स से सम्बन्धित होता है। महिला में हार्मोन्स की कमी होती है, डिस्बेलेन्स होता है तो हमें उसे हार्मोन्स देकर सपोर्ट करना पड़ता है, बेड रेस्ट कराना पड़ता है। सारा ट्रीटमेण्ट उसी हिसाब से किया जाता है और जो मिस्ड एबॉरर्शन होते हैं, उनमें ब्लड की कई खराबियां हो सकती हैं, कई तरह के इन्फेक्शन हो सकते हैं। आजकल हर जगह इनकी जांच करने के सेण्टर हैं, जहां हर खराबी की अच्छे से जांच हो जाती है पर ये जांचें बहुत महंगी होती हैं इसलिए मैं हर पेशेण्ट की रूटीनजांच नहीं कराती। जिसको बार-बार एबॉरशन होते हैं उस पेशेण्ट की ही सारी जांचें कराती हूं। जिनमें खास कर ब्लड ग्रूप, वी डी आर एल. टार्च टेस्ट आदि होती हैं। आजकल एक नई जांच चली है एण्टी कार्डियोलिपिन एण्टीबाडीज़ जिसे एसीए कहते हैं एसीए एण्टीबाडीज़ होते हैं जो इन्फेक्शन से हो जाते हैं।
डॉ. शैला त्यागी – कुछ किस्म के संक्रामक कीटाणु होते हैं उन्हें एण्टी कार्डियोलिपिन एण्टीबाडीज़ यानी ACA कहते हैं ये कीटाणु अलग-अलग होते हैं और शरीर विरोधी होने से एण्टीबाडीज़ कहे जाते हैं जैसे T.O.R.C.H. अलग-अलग कीटाणुओं के नाम हैं जिन्हें मिला कर टार्च और इनकी जांचों को टार्च टेस्ट कहते हैं। रूटीन में सारी जांचें नहीं कराते जब तक कि बहुत ज़रूरी न हो।
कई बार पेशेण्ट ही बोलते हैं कि आपने सारी जांच पहले ही करा ली होती तो ऐसा नहीं होता फिर भी जब तक कोई डेफिनेट हिस्ट्री न हो तब तक अपन सारी जांच नहीं कराते। जांचों में कई चीजें पाजिटिव आती हैं जैसे हरपिज़ है, टाक्सोप्लासमोसिस है वगैरह लेकिन इनका ट्रीटमेण्ट दे दिया जाए तो फिर कोई प्राब्लम नहीं आती है। महिला आमतौर पर गर्भ धारण कर ही लेती है।
प्रश्न – स्वस्थ बच्चे का गर्भपात हो जाने का क्या कारण होता है ?
डॉ. शैला त्यागी – उसका मुख्य कारण हार्मोन्स की कमी या गड़बड़ होना होता है। हार्मोन्स की कमी से बच्चेदानी कमजोर हो जाती है। किसी किसी महिला की बच्चेदानी में फायब्राइड्स होते हैं या बच्चेदानी छोटी होती है या कोई लोकल कारण होता है या हार्मोन्स का सपोर्ट कम होता है तो पेशेण्ट को हार्मोन्स का सपोर्ट देते हैं, बेड रेस्ट करवाते हैं और तीन महीने के बेडरेस्ट और सपोर्ट से सब ठीक हो जाता है। एक एबॉरशन ऐसा होता है जो तीसरे महीने से लेकर छठे महीने के बीच यानी बारह हफ्ते से लेकर चौबीसवें हफ्ते के अन्दर होता है। इसका खास कारण बच्चेदानी का मुंह ढीला होना होता है। तो अपन चौथे महीने में सोनोग्राफी करवाते हैं । इसे इनकाम्पीटेण्ट ऑस बोलते हैं। इसमें चौथे महीने में टांके लगा देते हैं तो फिर पेशेण्ट पूरे नो माह तक सकुशल गर्भ सम्भाल लेती है।
प्रश्न – यह जो गर्भाशय का मुंह ढीला रहता है यह प्राकृतिक रूप से रहता है या बाद में हो जाता है ?
डॉ.शैला त्यागी – नेचरली तो यह बहुत कम होता है लगभग 5% में ही नेचरल होता है बाकी ज्यादातर एक डिलीवरी होने के बाद हो सकता है या बार-बार एबॉरशन कराने से हो जाता है। इसका पता पहली बार प्रेग्नेण्ट होने पर चल जाता है । पेशेण्ट जब ऐसी हिस्ट्री देती है कि चौथे-पांचवें महीने में एबॉरशन हो गया, मामूली दर्द हुआ और 2-3 घण्टे के अन्दर ही बच्चा गिर गया और विशेष तकलीफ नहीं मालूम पड़ी तब बच्चेदानी के मुंह की तरफ ध्यान जाता है।
प्रश्न – एक बार आपने बताया था कि पति-पत्नी का ब्लड ग्रूप नहीं मिलता और गर्भ रह जाता है तो अगली बार प्रेग्नेण्ट होने में बाधा पड़ती है। वह क्या मामला था?
डॉ. शैला त्यागी – हां, ऐसा होता है कि मां का ब्लड नेगेटिव है और गर्भ का बच्चा पाजिटिव है तो डिलीवरी होने के बाद 72 घण्टे के अन्दर मां को एक इंजेक्शन दिया जाता है। इससे आगे बच्चा होने में कोई प्राब्लम नहीं आती बच्चा पाजिटिव हो और मां नेगेटिव हो और उस ने नो माह तक बच्चे को गर्भ में रखा हो तो मां के शरीर में एण्टीबाडीज़ बन जाते हैं।
प्रश्न – ऐसी पोजीशन हो कि पत्नी नेगेटिव है और पति पाज़िटिव है तो क्या गर्भ धारण करने में बाधा आ सकती है ?
डॉ. शैला त्यागी – पहली डिलीवरी में तो कोई बाधा नहीं होती पर पहले बच्चे से जो एण्टीबाडीज़ मां के शरीर में आ जाते हैं उनसे महिला के दूसरी बार गर्भवती होने पर परेशानी हो सकती है। दूसरा बच्चा खराब हो सकता है या गिर सकता है। दरअसल पति-पत्नी दोनों नेगेटिव हों या दोनों पाज़िटिव हों तो कोई प्राब्लम नहीं होती। प्राब्लम तब होती है जब दोनों विपरीत ब्लड ग्रूप के हों। इसमें भी पति नेगेटिव हो तो कोई प्राब्लम नहीं होती, पत्नी नेगेटिव ग्रूप की हो तो प्राब्लम होती है। पति नेगेटिव और पत्नी पाजिटिव हो तो कोई प्राब्लम नहीं होती, बच्चा नेगेटिव हो और मां पाजिटिव हो तो भी कोई प्राब्लम नहीं होती। प्राब्लम होती हैं मां के नेगेटिव होने पर।
प्रश्न – किसी स्त्री को, एक बार गर्भपात हो जाए, तो क्या दूसरी बार गर्भ धारण करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ?
डॉ. शैला त्यागी – हां, जरूर करना चाहिए। प्रेग्नेन्सी हो जाने पर बहुत सी लिमिटेशन्स हो जाती हैं। तब जांचें नहीं करवा सकते, दवाइयां नहीं दे सकते। इसलिए यदि ऐसी हिस्ट्री हो तो पहले जांचें करवाकर सही इलाज करा लेना बहुत जरूरी होता है। इसके बाद प्रेग्नेन्सी हो तो कोई दिक्कत नहीं होती। एक बार एबॉर्शन हो जाए तो इसके बाद 5-6 महीने तक प्रेग्नेन्सी होने ही नहीं देना चाहिए। पुनः गर्भ धारण करने से पहले गर्भाशय को शुद्ध और शक्तिशाली करना जरूरी है। ऐसा न करने से ही बार-बार गर्भपात होते हैं। सही चिकित्सा करके, पहले गर्भाशय को मज़बूत बना लेना चाहिए उसके बाद ही गर्भ धारण करना चाहिए।
इतनी अच्छी और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित जानकारी देने के लिए हमनें श्रीमती शैला त्यागी को धन्यवाद दिया और उनसे विदा ली।
गर्भपात के बाद सावधानियां : Precautions after Miscarriage in Hindi
यदि गर्भवती का खून अत्यधिक बहुत अधिक बहने लग गया हो और दर्द भी बहुत बढ जाये एवं गर्भाशय का मुख भी अधिक खुल चुका हो और यह डर हो कि अब गर्भ रहना सम्भव नहीं है अथवा गर्भ का कुछ भाग लोथड़ों के रूप में निकल चुका हो तो ऐसी परिस्थिति में गर्भ निकालने की दवायें प्रयोग की जाती हैं और यही प्रयत्न किया जाता है कि गर्भ शीघ्र से शीघ्र और आसानी से निकल जाये ताकि स्त्री को कम से कम कष्ट हो । गर्भ निकल चुकने के बाद ऑबल और झिल्ली का निकालने के लिए 2-4 दिन तक मासिक धर्म लाने वाली निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करायें, ताकि गर्भाशय की पूर्णरूपेण सफाई हो जाये।
1-योग–कपास की जड़ 12 ग्राम, गाजर के बीज, खरबूजे के बीज 66 ग्राम, पुराना गुड़ 24 ग्राम, सभी को 120 मि०ली० पानी में उबालें । जब पानी आधा रह जाये तब मल छानकर पिलायें । यह क्वाथ कई बार पिलाते रहने से गर्भ-आँवल और अन्य तमाम दूषित पदार्थ निकल जाते हैं और गर्भाशय की पूर्ण रूपेण सफाई हो जाती है ।
नोट:-(यदि दूषित पदार्थ रोगिणी के गर्भाशय में रुक जाये तो संक्रामक (इन्फैन्शन) होकर, कई प्रकार के रोग हो सकते हैं और मृत्यु तक हो सकती है ।)
2- काले तिल 25 ग्राम, पुराना गुड़ 9 ग्राम, शुद्ध हींग 4 ग्राम, तिलों को कूटकर आधा किलो पानी में औटायें जब चौथाई रह जाये तब उतारकर कर छान लें । इसमें गुड़ और हींग मिलाकर मासिकधर्म (माहवारी) के पहले और दूसरे दिन भी दे सकते हैं किन्तु चौथे दिन न दें । इसके प्रयोग से गर्भाशय की शुद्धि हो जाती है।
नोट – ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।