नागकेशर के फायदे, गुण, उपयोग और नुकसान – Nagkesar ke Fayde aur Nuksan Hindi mein

Last Updated on April 9, 2023 by admin

नागकेशर क्या है ? : Nagkesar Kya Hota Hai in Hindi

नागकेशर एक छोटा और सुन्दर वृक्ष होता है जो सदा हरा भरा रहता है। यह साधारण और मध्यम ऊंचाई वाला होता है। इसका तना चिकना, सीधा, छाल रहित और राख के रंग का होता है। इसके फूल सफेद रंग के, चार पंखड़ी वाले होते हैं, सुगन्धित होते हैं और वसन्त ऋतु में आते हैं। इसे नागचंम्पा भी कहते हैं। यह बाग-बगीचों में लगाया जाता है। इसकी पैदावार विशेषतः नेपाल, पूर्वोत्तर हिमाचल प्रदेश, दक्षिण भारत तथा अण्डमान में 5000 फिट की ऊंचाई पर की जाती है नागकेशर जड़ी बूटियां बेचने वाली दुकानों पर भी मिलता है।

नागकेशर के विभिन्न भाषाओं में नाम :

  • संस्कृत – नागपुष्प
  • हिन्दी – नागकेशर
  • मराठी – नागकेशर
  • गुजराती – पील नागकेसर
  • बंगला – नागेश्वर
  • तेलगु – नागचंपकम
  • तामिल – नांगु
  • कन्नड़ – नागकेसर
  • मलयालम – नंगा।
  • फारसी – नारेमुष्क
  • इंगलिश – मेसुआ (Mesua)
  • लैटिन – मेसुआ फेरिया (Mesua ferrea)

नागकेशर के औषधीय गुण : Nagkesar ke Gun in Hindi

  • नागकेशर कसैला, गरम, रूखा और हलका होता है
  • नागकेशर आम को पचाने वाला है
  • ज्वर, खुजली, प्यास, पसीना और वमन को दूर करता है।
  • यह दुर्गन्ध, कुष्ठ, विसर्प, कफ पित्त और विष को दूर करता है।

नागकेशर के रासायनिक संघटन :

  • कच्चे फल में एक तैलीय राल होता है जिससे एक पीताभ, सुगन्धित तैल प्राप्त होता है।
  • बीज मज्जा से 60-70% रक्ताभ या गहरे भूरे रंग का गाढ़ा तैल प्राप्त होता है।
  • फलावरण में कषाय द्रव्य होता है। केशर में दो तिक्त पदार्थ तथा एक पीत रंजक द्रव्य होते हैं।
  • पुष्पों से एक रक्ताभ भूरे रंग का सुगन्धित तैल प्राप्त होता है।
  • बीजों में लैक्टोन (Mesoul) तथा फेनोलिक पदार्थ (Mesuone)पाये जाते हैं जिनमें जन्तुघ्न शक्ति होती है।

नागकेशर के उपयोग : Nagkesar ke Upyog in Hindi

नागकेशर का उपयोग विभिन्न व्याधियों को दूर करने वाले नुस्खों में किया जाता है।

  • हाथ पैर की त्वचा में जलन, खूनी बवासीर में गुदा दार की जलन और कफ युक्त खांसी की चिकित्सा में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है।
  • इसके बीजों के तेल का उपयोग गठिया रोग में मालिश के लिए किया जाता है।
  • इसका लेप घाव भरने और दुर्गन्ध दूर करने में उपयोगी होता है।
  • खूनी बवासीर में गिरने वाले खून को रोकने में इसका उपयोग अत्यन्त लाभकारी होता है।

इसके कुछ घरेलू उपयोग प्रस्तुत हैं।

रोग उपचार में नागकेशर के फायदे : Nagkesar ke Fayde in Hindi

1. खूनी बवासीर में नागकेशर के इस्तेमाल से लाभ : नागकेशर 5 ग्रा., मिश्री 10 ग्रा. और मख्खन 10 ग्रा. – तीनों को मिला कर एक जान कर लें। इसे सुबह खाली पेट चाट लें। फिर दूसरे दिन इसी तरह सुबह के वक्त खाली पेट इसे सेवन करें। ऐसे 2 या 3 बार प्रयोग करने से ही खून गिरना बन्द हो जाता है। परीक्षित है। ( और पढ़े – खूनी बवासीर के देशी उपाय )

2. पैरों की जलन में फायदेमंद नागकेशर का लेप : नागकेशर का चूर्ण 10 ग्राम ले कर पानी में मिला कर लेप बना लें। इसे जहां-जहां जलन होती हो वहां लेप करें।

3. गठिया का दर्द मिटाए नागकेशर का उपयोग : गठिया (सन्धिवात) में जोड़ों में दर्द होता है। नागकेशर का तेल लगा कर हलकी हलकी मालिश करने से दर्द दूर होता है। ( और पढ़े – गठिया के लक्षण और इलाज )

4. सर्पदंश में नागकेशर के इस्तेमाल से फायदा : जहां सांप ने काटा हो वहां पर, नागकेशर के पत्ते पीस कर रखें।

5. श्वेत प्रदर में नागकेशर से फायदा : छाछ के साथ, नागकेशर का चूर्ण आधा चम्मच सुबह शाम लें। ( और पढ़े – श्वेत प्रदर के 17 घरेलू उपचार )

6. नागकेशर के इस्तेमाल से पुराना घाव में लाभ : कभी कोई घाव ठीक नहीं होता, पुराना पड़ जाता है, दुर्गन्धयुक्त पीव निकलने लगती है। ऐसे बिगड़े हुए पुराने घाव पर नागकेशर का तैल लगाएं।

7. खांसी में फायदेमंद नागकेशर के औषधीय गुण : नागकेसर की छाल और जड़ को लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में लाभ मिलता है। ( और पढ़े – चुटकियों में दूर करे खाँसी इन आसान उपायों से  )

8. गुदा प्रदाह में नागकेशर के प्रयोग से लाभ : पीली नागकेसर के चूर्ण को लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में लेकर मक्खन और मिश्री के साथ रोजाना खिलाएं। इसके सेवन से गुदा द्वार की जलन दूर होती है।

9. कांच निकलना (गुदाभ्रंश) दूर करने में नागकेशर फायदेमंद : लगभग 1 ग्राम नागकेसर को एक अमरूद के चौथा भाग के साथ मिलाकर बच्चे को खिलायें। इससे गुदाभ्रंश का रोग दूर हो जाता है।

10. बांझपन मिटाता है नागकेशर : 1 ग्राम पीला नागकेशर के चूर्ण को गाय के दूध के साथ नित्य सेवन करें । यदि प्रदर रोग सम्बन्धी रोगों की शिकायत न हो तो निश्चित ही गर्भस्थापन होगा। गर्भाधान होने तक इसका नियमित सेवन करने से अवश्य ही लाभ मिलती है। ( और पढ़े – बाँझपन के 16 रामबाण घरेलू उपाय )

11. हिचकी रोकने में फायदेमंद नागकेशर के औषधीय गुण :  5-11 ग्राम पीला नागकेसर को मिश्री और मक्खन के साथ प्रात काल और शाम को रोगी को देने से हिचकी में लाभ होता है।

12. खूनी दस्त रोकने में मदद करता है नागकेशर का सेवन : 10 ग्राम गाय के मक्खन में 3 ग्राम नागकेसर के चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग कम हो जाता है। ( और पढ़े – दस्त रोकने के 33 घरेलू उपाय )

13. मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियों में लाभकारी नागकेशर : अशोक की छाल ,नागकेसर, पठानी लोध्र, सफेद चन्दन, सभी की 10-10 ग्राम की मात्रा लेकर बारिक चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म के रोगों में लाभ होता है। ( और पढ़े – मासिक धर्म की अनियमितता दूर करने के घरेलू उपाय )

14. आहार नली की जलन कम करने में नागकेशर करता है मदद :  पीला नागकेसर की छाल और जड़ को मिलाकर उसका काढ़ा बना लें। रोजाना 1 दिन में 2 से 3 बार इस काढ़े का सेवन करने से आमाशय की जलन में लाभ होता है।

15. शीतपित्त मिटाए नागकेशर का उपयोग : शहद में नागकेसर की 5 ग्राम मात्रा मिलाकर शुबह-शाम सेवन करने से शीतपित्त में बहुत फायदा होता है।

16. नाक के रोग में लाभकारी है नागकेशर का प्रयोग :  पीला नागकेसर के पत्तों का लेप सिर पर लगाने से जुकाम में फायदा होता है।

17. वीर्य रोग में नागकेशर से फायदा  :  मक्खन के साथ नागकेसर की 2 ग्राम मात्रा को पीसकर खाना चाहिए।

18. खाज-खुजली में नागकेशर के इस्तेमाल से फायदा :  खाज-खुजली में पीले नागकेसर के तेल को लगाने से रोग दूर हो जाता है। ( और पढ़े – दाद खाज खुजली के रामबाण इलाज )

19. खून बहना रोकने में फायदेमंद नागकेशर का औषधीय गुण : नागकेसर के चूर्ण को घाव पर लगाने से खून का बहना बन्द हो जाता है।

20. ज्यादा पसीना आने पर नागकेशर के इस्तेमाल से लाभ : पीले नागकेसर के लेप या चूर्ण की मालिश करने से बहुत ज्यादा पसीना आने की परेशानी में आराम मिलता है।

21. खांसी:

  • नागकेसर की जड़ और छाल को लेकर काढ़ा बनाकर पीने से खांसी के रोग में लाभ मिलता है।
  • ऐसी खांसी जिसमें बहुत अधिक कफ आता हो उसमें लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम नागकेसर (पीला नागकेसर) की मात्रा को मक्खन और मिश्री के साथ सुबह-शाम रोगी को सेवन कराने से अधिक कफ वाली खांसी नष्ट हो जाती है।

22. गुदा पाक: नागकेसर (पीली नागकेसर) का चूर्ण लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में मिश्री और मक्खन के साथ मिलाकर रोजाना खिलाएं। इसको खाने से गुदा द्वार की जलन (प्रदाह) दूर होती है।

23. कांच निकलना (गुदाभ्रंश) : नागकेसर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को एक अमरूद के साथ मिलाकर बच्चे को खिलायें। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बन्द हो जाता है।

24. बांझपन: नागकेसर (पीला नागकेशर) का चूर्ण 1 ग्राम गाय (बछड़े वाली) के दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करें और यदि अन्य कोई प्रदर रोग सम्बन्धी रोगों की शिकायत नहीं है तो निश्चित रूप से गर्भस्थापन होगा। गर्भाधान होने तक इसका नियमित रूप से सेवन करने से अवश्य ही सफलता मिलती है।

25. गर्भधारण (गर्भ ठहराने के लिए): पिसी हुई नागकेसर को लगभग 5 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय बछड़े वाली गाय या काली बकरी के 250 ग्राम कच्चे दूध के साथ माहवारी (मासिक-धर्म) खत्म होने के बाद सुबह के समय लगभग 7 दिनों तक सेवन कराएं। इससे गर्भधारण के उपरान्त पुत्र का जन्म होगा।

26. हिचकी का रोग: 4-10 ग्राम पीला नागकेसर मक्खन और मिश्री के साथ सुबह-शाम रोगी को देने से हिचकी मिट जाती है।

27. गर्भपात (गर्भ का गिरने) से रोकना: यदि तीसरे महीने गर्भपात की शंका हो तो नागकेशर के चूर्ण में मिश्री मिलाकर दूध के साथ खाना चाहिए। इससे गर्भपात की संभावना समाप्त हो जाती है।

28. बवासीर (अर्श):

  • नागकेसर और सुर्मा को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा ग्राम चूर्ण को 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर चाटने से सभी प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।
  • नागकेशर का चूर्ण 6 ग्राम, मक्खन 10 ग्राम और मिश्री 6 ग्राम लेकर मिला लें। इस मिश्रण को 6 से 7 दिनों तक रोजाना चाटने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) से खून का गिरना बन्द हो जाता है।

29. खूनी अतिसार: 3 ग्राम नागकेसर के चूर्ण को 10 ग्राम गाय के मक्खन में मिलाकर खाने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग कम हो जाता है।

30. मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियां: नागकेसर, सफेद चन्दन, पठानी लोध्र, अशोक की छाल सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, फिर इसमें से 1 चम्मच चूर्ण सुबह-शाम 1 चम्मच ताजे पानी के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म के विकारों में लाभ मिलता है।

31. चोट लगने पर: नागकेशर का तेल शरीर की पीड़ा और जोड़ों के दर्द में बहुत उपयोगी होता है।

32. अन्न नली (आहार नली) में जलन: नागकेसर (पीला नागकेसर) की जड़ और छाल को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे रोजाना 1 दिन में 2 से 3 बार खुराक के रूप में सेवन करने से आमाशय की जलन (गैस्ट्रिक) में लाभ होता है।

33. घाव: नागकेसर का तेल घाव पर लगाते रहने से घाव शीघ्र भर जाता है।

34. प्रदर रोग:

  • 3 ग्राम नागकेसर का चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ होता है।
  • लगभग 40 ग्राम नागकेसर, 30-30 ग्राम मुलहठी और राल, 100 ग्राम मिश्री लेकर कूट-छानकर चूर्ण बना लें। इसे 3-4 ग्राम की मात्रा में मिश्री मिले गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर रोग मिट जाते हैं।
  • लगभग 1 चम्मच नागकेसर लेकर प्रतिदिन 20 दिनों तक मठ्ठे के साथ सेवन करने से सफेद प्रदर मिट जाता है।
  • 10-10 ग्राम की मात्रा में नागकेशर, सफेद चन्दन, लोध्र और अशोक की छाल को लेकर सबका चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण दिन में 4 बार ताजे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है।
  • नागकेशर को 3 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
  • नागकेशर का चूर्ण चावलों के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ होता है।
  • नागकेशर को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। इसे आधे ग्राम की मात्रा में रोजाना मठ्ठे के साथ सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है। इससे शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है।
  • आधा से 1 ग्राम पीला नागकेसर सुबह-शाम मिश्री और मक्खन के साथ खाने से सफेद प्रदर और रक्त (खूनी) प्रदर दोनों मिट जाते हैं।
  • नागकेसर (पीलानागकेसर) आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है। यह औषधि श्वेत (सफेद) प्रदर के लिए भी लाभकारी है।
  • नागकेशर चूर्ण 1-3 ग्राम को 50 मिलीलीटर चावल धोवन (चावल का धुला हुआ पानी) के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्त (खूनी) प्रदर में आराम मिलता है।

35. शीतपित्त:

  • नागकेसर 5 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम खाने से शीतपित्त में बहुत लाभ होता है।
  • आधा चुटकी नागकेसर को 25 ग्राम शहद में मिलाकर खाने से लाभ होता है।

36. नाक के रोग: नागकेसर (पीला नागकेसर) के पत्तों का उपनाह (लेप) सिर पर लगाने से बहुत तेज जुकाम भी ठीक हो जाता है।

37. वीर्य रोग: नागकेसर 2 ग्राम को पीसकर मक्खन के साथ खाना चाहिए।

38. जोड़ों के (गठिया रोग) दर्द में:

  • जोड़ों के दर्द के रोगी को नागकेसर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है।
  • नागकेशर के बीजों के तेल की मालिश करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।

39. हैजा: बड़ी इलायची, धान की खील, लौंग, पीली नागकेसर, मेंहदी, बेर की गुठली की गिरी, नागरमोथा तथा सफेद चन्दन-इन सबको बराबर मात्रा में लेकर, कूट-पीस छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के एक भाग में पिसी हुई मिश्री मिला दें। इस चूर्ण को शहद के साथ चटाने से तीनों दोषों के कारण उत्पन्न भयंकर वमन (उल्टी) भी दूर हो जाती है।

40. चेहरे के दाग और खाज खुजली: पीले नागकेसर के तेल को लगाने से खाज-खुजली दूर हो जाती है।

41. खून बहना: नागकेसर का चूर्ण बनाकर इसके चूर्ण को घाव पर लगाने से खून का बहना बन्द हो जाता है।

42. ज्यादा पसीना आने पर: बहुत ज्यादा पसीना आने पर नागकेसर (पीला नागकेसर) का लेप या चूर्ण की मालिश करने से आराम आता है।

नागकेशर के नुकसान : Nagkesar ke Nuksan Hindi mein

1- नागकेशर लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- नागकेशर को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
3- बच्चों की पहुच से दूर रखें।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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