नागकेशर क्या है ? : Nagkesar Kya Hota Hai in Hindi
नागकेशर एक छोटा और सुन्दर वृक्ष होता है जो सदा हरा भरा रहता है। यह साधारण और मध्यम ऊंचाई वाला होता है। इसका तना चिकना, सीधा, छाल रहित और राख के रंग का होता है। इसके फूल सफेद रंग के, चार पंखड़ी वाले होते हैं, सुगन्धित होते हैं और वसन्त ऋतु में आते हैं। इसे नागचंम्पा भी कहते हैं। यह बाग-बगीचों में लगाया जाता है। इसकी पैदावार विशेषतः नेपाल, पूर्वोत्तर हिमाचल प्रदेश, दक्षिण भारत तथा अण्डमान में 5000 फिट की ऊंचाई पर की जाती है नागकेशर जड़ी बूटियां बेचने वाली दुकानों पर भी मिलता है।
नागकेशर के विभिन्न भाषाओं में नाम :
✦ संस्कृत – नागपुष्प
✦ हिन्दी – नागकेशर
✦ मराठी – नागकेशर
✦ गुजराती – पील नागकेसर
✦ बंगला – नागेश्वर
✦ तेलगु – नागचंपकम
✦ तामिल – नांगु
✦ कन्नड़ – नागकेसर
✦ मलयालम – नंगा।
✦ फारसी – नारेमुष्क
✦ इंगलिश – मेसुआ (Mesua)
✦ लैटिन – मेसुआ फेरिया (Mesua ferrea)
नागकेशर के औषधीय गुण : Nagkesar ke Gun in Hindi
☛ नागकेशर कसैला, गरम, रूखा और हलका होता है
☛ नागकेशर आम को पचाने वाला है
☛ ज्वर, खुजली, प्यास, पसीना और वमन को दूर करता है।
☛ यह दुर्गन्ध, कुष्ठ, विसर्प, कफ पित्त और विष को दूर करता है।
नागकेशर के रासायनिक संघटन :
✥ कच्चे फल में एक तैलीय राल होता है जिससे एक पीताभ, सुगन्धित तैल प्राप्त होता है।
✥ बीज मज्जा से 60-70% रक्ताभ या गहरे भूरे रंग का गाढ़ा तैल प्राप्त होता है।
✥ फलावरण में कषाय द्रव्य होता है। केशर में दो तिक्त पदार्थ तथा एक पीत रंजक द्रव्य होते हैं।
✥ पुष्पों से एक रक्ताभ भूरे रंग का सुगन्धित तैल प्राप्त होता है।
✥ बीजों में लैक्टोन (Mesoul) तथा फेनोलिक पदार्थ (Mesuone)पाये जाते हैं जिनमें जन्तुघ्न शक्ति होती है।
(‘द्रव्य गुण विज्ञान’ से साभार उद्धृत)
नागकेशर के उपयोग : Nagkesar ke Upyog in Hindi
नागकेशर का उपयोग विभिन्न व्याधियों को दूर करने वाले नुस्खों में किया जाता है।
☛ हाथ पैर की त्वचा में जलन, खूनी बवासीर में गुदा दार की जलन और कफ युक्त खांसी की चिकित्सा में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है।
☛ इसके बीजों के तेल का उपयोग गठिया रोग में मालिश के लिए किया जाता है।
☛ इसका लेप घाव भरने और दुर्गन्ध दूर करने में उपयोगी होता है।
☛ खूनी बवासीर में गिरने वाले खून को रोकने में इसका उपयोग अत्यन्त लाभकारी होता है।
इसके कुछ घरेलू उपयोग प्रस्तुत हैं।
रोग उपचार में नागकेशर के फायदे : Nagkesar ke Fayde in Hindi
खूनी बवासीर में नागकेशर के इस्तेमाल से लाभ –
नागकेशर 5 ग्रा., मिश्री 10 ग्रा. और मख्खन 10 ग्रा. – तीनों को मिला कर एक जान कर लें। इसे सुबह खाली पेट चाट लें। फिर दूसरे दिन इसी तरह सुबह के वक्त खाली पेट इसे सेवन करें। ऐसे 2 या 3 बार प्रयोग करने से ही खून गिरना बन्द हो जाता है। परीक्षित है।
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पैरों की जलन में फायदेमंद नागकेशर का लेप –
नागकेशर का चूर्ण 10 ग्राम ले कर पानी में मिला कर लेप बना लें। इसे जहां-जहां जलन होती हो वहां लेप करें।
गठिया का दर्द मिटाए नागकेशर का उपयोग –
गठिया (सन्धिवात) में जोड़ों में दर्द होता है। नागकेशर का तेल लगा कर हलकी हलकी मालिश करने से दर्द दूर होता है।
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सर्पदंश में नागकेशर के इस्तेमाल से फायदा –
जहां सांप ने काटा हो वहां पर, नागकेशर के पत्ते पीस कर रखें।
श्वेत प्रदर में नागकेशर से फायदा –
छाछ के साथ, नागकेशर का चूर्ण आधा चम्मच सुबह शाम लें।
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नागकेशर के इस्तेमाल से पुराना घाव में लाभ –
कभी कोई घाव ठीक नहीं होता, पुराना पड़ जाता है, दुर्गन्धयुक्त पीव निकलने लगती है। ऐसे बिगड़े हुए पुराने घाव पर नागकेशर का तैल लगाएं।
खांसी में फायदेमंद नागकेशर के औषधीय गुण –
नागकेसर की छाल और जड़ को लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में लाभ मिलता है।
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गुदा प्रदाह में नागकेशर के प्रयोग से लाभ –
पीली नागकेसर के चूर्ण को लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में लेकर मक्खन और मिश्री के साथ रोजाना खिलाएं। इसके सेवन से गुदा द्वार की जलन दूर होती है।
कांच निकलना (गुदाभ्रंश) दूर करने में नागकेशर फायदेमंद –
लगभग 1 ग्राम नागकेसर को एक अमरूद के चौथा भाग के साथ मिलाकर बच्चे को खिलायें। इससे गुदाभ्रंश का रोग दूर हो जाता है।
बांझपन मिटाता है नागकेशर –
1 ग्राम पीला नागकेशर के चूर्ण को गाय के दूध के साथ नित्य सेवन करें । यदि प्रदर रोग सम्बन्धी रोगों की शिकायत न हो तो निश्चित ही गर्भस्थापन होगा। गर्भाधान होने तक इसका नियमित सेवन करने से अवश्य ही लाभ मिलती है।
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हिचकी रोकने में फायदेमंद नागकेशर के औषधीय गुण –
5-11 ग्राम पीला नागकेसर को मिश्री और मक्खन के साथ प्रात काल और शाम को रोगी को देने से हिचकी में लाभ होता है।
खूनी दस्त रोकने में मदद करता है नागकेशर का सेवन –
10 ग्राम गाय के मक्खन में 3 ग्राम नागकेसर के चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग कम हो जाता है।
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मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानियों में लाभकारी नागकेशर –
अशोक की छाल ,नागकेसर, पठानी लोध्र, सफेद चन्दन, सभी की 10-10 ग्राम की मात्रा लेकर बारिक चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म के रोगों में लाभ होता है।
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आहार नली की जलन कम करने में नागकेशर करता है मदद –
पीला नागकेसर की छाल और जड़ को मिलाकर उसका काढ़ा बना लें। रोजाना 1 दिन में 2 से 3 बार इस काढ़े का सेवन करने से आमाशय की जलन में लाभ होता है।
शीतपित्त मिटाए नागकेशर का उपयोग –
शहद में नागकेसर की 5 ग्राम मात्रा मिलाकर शुबह-शाम सेवन करने से शीतपित्त में बहुत फायदा होता है।
नाक के रोग में लाभकारी है नागकेशर का प्रयोग –
पीला नागकेसर के पत्तों का लेप सिर पर लगाने से जुकाम में फायदा होता है।
वीर्य रोग में नागकेशर से फायदा –
मक्खन के साथ नागकेसर की 2 ग्राम मात्रा को पीसकर खाना चाहिए।
खाज-खुजली में नागकेशर के इस्तेमाल से फायदा –
खाज-खुजली में पीले नागकेसर के तेल को लगाने से रोग दूर हो जाता है।
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खून बहना रोकने में फायदेमंद नागकेशर का औषधीय गुण –
नागकेसर के चूर्ण को घाव पर लगाने से खून का बहना बन्द हो जाता है।
ज्यादा पसीना आने पर नागकेशर के इस्तेमाल से लाभ –
पीले नागकेसर के लेप या चूर्ण की मालिश करने से बहुत ज्यादा पसीना आने की परेशानी में आराम मिलता है।
नागकेशर के नुकसान : Nagkesar ke Nuksan Hindi mein
1- नागकेशर लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- नागकेशर को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
3- बच्चों की पहुच से दूर रखें।