Last Updated on July 24, 2019 by admin
लाभ : यह सरल योग ग्रीष्म ऋतू (२० अप्रैल से २० जून’ २०१४ तक) में स्वास्थ्य-रक्षा हेतु परम लाभदायी हैं | यह त्रिदोश्शामक व शरीर को शुद्ध करनेवाला उत्तम रसायन योग है | इसके सेवन से अजीर्ण, अम्लपित्त, संग्रहणी, उदरशूल, अफरा, कब्ज आदि पेट के विकार दूर होते है | छाती व पेट में संचित कफ नष्ट होता है, जिसमे श्वास, खाँसी व गले के विविध रोगों में भी लाभ होता है | इसके नियमित सेवन से बवासीर, आमवात, वातरक्त (Gout), जीर्णज्वर, गुर्दे के रोग, पीलिया, रक्त की कमी व यकृत के विकारों में लाभ होता है | यह ह्रदय के लिए बलदायक व श्रमहर हैं |
विधि : १०० ग्राम गुड में थोडा-सा पानी मिलाकर गाढ़ी चाशनी बना लें | इसमें १०० ग्राम बड़ी हरड का चूर्ण मिलाकर १ – १ ग्राम की गोलियाँ बना लें | प्रतिदिन १ गोली चूसकर अथवा पानी से लें | शरीर मोटा हो तो १ से ४ ग्राम दिनभर में चूसें |
‘हरड रसायन’ सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों, श्री योग वेदांत सेवा समितियों एवं साधक-परिवारों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है |