Last Updated on July 14, 2021 by admin
गले के रोगों का घरेलू इलाज (gale me kharash,dard aur sujan ka ilaj)
गले की खराश ,दर्द व सुजन से जल्द राहत पाना चाहें तो नीचे बताए गए सरल एवं सफल देसी नुस्खों को अपनाएं।
1). अनार – दस ग्राम अनार के छिलके सौ ग्राम पानी में उबालें, इसमें दो लौंग भी पीसकर डाल दें। जब पानी आधा रह जाये तब थोड़ी-सी फिटकरी डाल दें। गुनगुने पानी से गरारे करें। गले की खराश मिट जायेगी। ( और पढ़े – बैठ हुये गले के 60 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )
2). लसोडा – लसोड़े (गोंदा) की छाल दस ग्राम, सौ ग्राम पानी में मंदी आंच पर चढ़ा दें। आधा पानी होने पर उस पानी से गरारे करें। गले की खराश ठीक हो जायेगी।
3). धनियाँ – गले में सूजन आने पर हरे धनिये को पीसकर उसमें गुलाब जल या बेसन मिलाकर गले पर लेप करें। ( और पढ़े – गले की सूजन से छुटकारा पाने के 17 उपाय )
4). नमक – एक कप गर्म पानी में एक चम्मच नमक की मिलाकर हर दो घंटे बार गरारे करें। दिन के अंत तक सूजन से बहुत राहत मिलेगी।
5). लहसुन – लहसुन में एंटी-माइक्रोबियल गुण होता है, जो बैक्टीरिया और वायरस को मारने में मदद करता है। लहसुन खाने से गले की सूजन और बैठना की समस्या खुद ही कम हो जाती है। इसके लिए लहसुन की एक छोटी सी कली लेकर अपने मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसे। जल्द राहत के लिए उपाय को दिन में कई बार करें। ( और पढ़े – स्वरयंत्र की सूजन के 9 घरेलु उपचार )
6). अदरक – अदरक, गले के चारों ओर श्लेष्मा झिल्ली को शांतकर, सूजन से तुरंत राहत प्रदानकरता है। समस्या होने पर एक पैन में कटा हुआ अदरक उबाल लें और कुछ देर उबालने के बाद इसे थोड़ा ठंडा होने के लिए रख दें। इसमें नीबू के रस की कुछ बूंदे और मीठा करने के लिए शहद मिला सकते हैं। इस अदरक की चाय का सेवन दिन में कई बार करें। इसके अलावा अदरक के टूकड़े को ऐसे भी मुंह में रखकर चूस सकते हैं।
7). नीबू – नीबू के रस की कुदरती एसिड होता है, इसलिए यह बैक्टीरिया को मारकर कण्ठमाला की सूजन के लक्षणों से राहत प्रदान करने में मददकरता है। गले की सूजन की समस्या से बचने के लिए एक कप गर्म पानी में थोड़ा सा नमक और नीबू के रस की कुछ बूंदे मिलाकर मिश्रण से गरारे करें। तुरंत राहत पाने के लिए इस उपाय को दिन में कई बार करें। ( और पढ़े – रसीले नींबू के नायाब 30 घरेलू नुस्खे)
8). पान – ताम्बूल पत्रा (पान, मीठा पत्ता) में लौंग, मुलहठी, पिपरमेंट लगाकर दिन में तीन चार बार सेवन करें। पान का डंठल भी डाला जा सकता है।
9). दालचीनी – गले में काकल की वृद्धि होने पर दालचीनी बारीक पीसकर अंगूठे से सुबह-सुबह काकल पर लगायें और लार टपका दें। इससे काकल वृद्धि दूर होगी।
10). आंवला – आंवले का चूर्ण गाय के धारोष्ण (दूध ताजा) के साथ सेवन करने से बैठा गला ठीक हो जाता है। ( और पढ़े – आँवला रस के इन 16 फायदों को जान आप भी रह जायेंगे हैरान )
11). हल्दी – यदि सर्दी-जुकाम के कारण गला बैठ गया हो तो एक गिलास पानी में चुटकीभर हल्दी डालकर पानी को उबालें। जब पानी गुनगुना हो जाए तब गरारे करने से लाभ होगा।
12). शहतूत – अनार की कली, सूखा धनिया, पोस्त व शहतूत के हरे पत्ते, मसूर की दाल छह-छह माशे लेकर एक सेर पानी में काढ़ा बनाएं। इसका कुल्ला करने से गले की सूजन और दर्द दूर हो जाता है। ( और पढ़े –अनार के 118 चमत्कारिक फायदे )
13). अजवायन – एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवायन डालकर इतना उबालें कि पानी लगभग आधा रह जाए। इस पानी से गरारे करने पर गले की सूजन, दर्द आदि में लाभ होता है।
14). गुनगुना पानी – एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ें और उसमें नमक मिलाकर उस पानी से गले के अंदर तक सुबह थोड़ीथोड़ी देर बाद 3-4 बार गरारे करें। 1-2 दिन में गला सामान्य हो जाएगा और स्वर विकृति व सूजन भी जाती रहेगी।
15). नींबू – गले की खराश से छुटकारा पाने के लिए गरारे करें। गुनगुने पानी में नींबू का रस निचोड़कर हर रोज 2-3 बार गरारे करें। यह क्रिया लगातार कुछ दिन तक करें, गले की खराश से तो छुटकारा मिलेगा ही, गले के अन्य विकारों का भी दमन होगा।
16). शहद – शहद गले के विकारों में रामबाण असर करता है। एक गिलास गर्म पानी में 2 चम्मच शहद घोलें, फिर यूंट लेकर धीरेधीरे पिएं, गले को राहत पहुंचेगी। सुबह 1-1 घंटे के अंतराल में दो बार शहद मिले गर्मा-गर्म पानी के घंट लें, गला सामान्य हो जाएगा।
17). प्याज – गले की सूजन का इलाज प्याज के टुकड़े दही व मिश्री के साथ खाने से हो जाता है। दही व मिश्री के घोल में पड़े प्याज के टुकड़े खाने से गले की सूजन व कांटों-सी चुभन भी जाती रहेगी।
18). प्याज का रस – अगर गला, जीभ अथवा तालू पक जाए तो प्याज के रस मिले पानी से गले की तह तक गरारे करें। गरारे धेरे-धीरे करें और पानी को जीभ व तालू तक अच्छी तरह घुमाएं। इस विधि से हर रोज सवेरे गरारे करने से 2-3 दिन में गले, जीभ व तालू का पकना थम जाएगा।
19). गन्ना – गन्ना को भूनकर चूसने से भी बैठा हुआ गला खुल जाता है।
20). बच – बच, खुरासानी अजवायन, मालकांगनी, कुलंजन, हरड़ की गिरी, सेंधा नमक-इन सबको बराबर पीसकर चूर्ण बना लें। इसका सुबह शाम शहद के साथ सेवन करें।
21). कालीमिर्च – बड़ा गोखरू, खिरेंटी, सोंठ, छोटी पीपल, कालीमिर्च इन सबको 1 तोला लेकर सिल पर पीसकर मिश्री के साथ चाटें।
22). अकरकरा – अकरकरा, कुलंजन और मुलहठी के टुकड़े, सुपारी की तरह मुंह में रखने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
23). पीपल – सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, हरड़, बहेड़ा, आंवला और जवाखार-इन सबका चूर्ण थोड़ा-थोड़ा मुंह में डालते रहें।
24). सेब – सेब साइडर सिरका बैक्टीरिया के कारण होनेवाली कण्ठमाला की सूजन के खिलाफ बहुत कारगर उपाय है। इसके लिए एक कप पानी में दो बड़े चम्मच सेब साइडर सिरका और थोड़ा सा शहद मिलाकर इस मिश्रण को एक दिन में दो बार पीएं
25). नीलगिरी तेल – नीलगिरी के तेल में एंटी-वायरल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी बैक्टीरियल जैसे गुण इसे कंठमाला में जलन को शांत करने का सबसे सर्वोत्तम उपाय बनाते है। नीलगिरी के तेल को उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसकी भाप लें। इसके लिए एक पैन में उबलते पानी में कुछ बूंदे नीलगिरी के तेल की मिला लें। इसके बाद एक तौलिए के साथ सिर को कवरकरके 10 मिनट तक इस भाप से सांस लें। दिन में दो बार इस उपाय को करें।
26). प्याज का सिरप – प्याज कंठमाला के इलाज के लिए सबसे प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है। प्याज का सिरप गले की सूजन को प्रातिक तरीके से ठीककरता है। गले में दर्द होने पर प्याज को छोटे-छोटे टुकड़ो में काटकर मिक्सी में पीसकर सिरप तैयारकर लें। उसके बाद गर्म पानी में दो चम्मच रस डालकर पीएं। दर्द में तुरंत आराम
27). मुलहठी – गले में दर्द, सूजन, जलन, होने पर मुलहठी मुंह में डालकर चूसे, अत्यंत उपयोगी है।
28). सिरका – यदि गले में खराश और दर्द हो तो गुनगुने पानी में सिरका मिलाकर गरारे करें। इससे गले की पीड़ा समाप्त हो जाएगी।
29). जामुन – गले के रोगों में जामुन की छाल के सत को पानी में घोलकर ‘माउथ वॉश’ की तरह इससे गरारा करना चाहिए।
30). पालक – गले में जलन व सूजन होने पर पालक के पत्ते थोड़े-से पानी में उबालकर लुगदी गले में बांध लीजिए, थोड़ी देर में आराम आ जायेगा।
गले की खराश,दर्द व सूजन की दवा : gale me kharash, dard aur sujan ki ayurvedic dawa
गले की खराश व दर्द में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
- अमृत धारा (Amrit Dhara )
- तुलसी अर्क (Tulsi Ark )
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(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)