चोकर युक्त आटा के फायदे गुण और उपयोग | Chokar (Bran) Benefits in Hindi

Last Updated on December 7, 2021 by admin

फाइबर का स्वास्थ्य पर प्रभाव : Bran (Chokar) in Hindi

आजकल चिकित्सक अक्सर रोगियों को ब्रान खाने के लिए कहते हैं। ब्रान को आम भाषा में चोकर कहा जाता है।एक जमाना था, जब हमारी दादी हमें गेहूं पिसवाने भेजती थी, तो यह हिदायत देती थीं कि “देखना कहीं चोकर न छान ले। दादी को पता था कि चोकर में रेशा अधिक होता है, जो खाने के बाद पाचन प्रक्रिया में मदद करता है। आजकल तो हम पैक्ड आटा लेते हैं जिसमें चोकर तो होता ही नहीं, हां, मैदा जरूर मिला होता है। और तो और हम लोग गेहूं को बारीक पिसवाकर रोटी बनाते समय बचे हुए चोकर को फेंक देते हैं।

सच्चाई तो यह है कि चोकर में आटे से ज्यादा स्वास्थ्य रक्षकगुण विद्यमान रहते हैं आजकल तो डॉक्टर्स भी चोकर सहित आटे की रोटी बनाने को कहते हैं। इसलिए आटे को छानकर चोकर को अलग कर देने की मानसिकता कदापि ठीक नहीं हो सकती है। चोकर फाइबर का मुख्य स्रोत है।और इसके नियमित सेवन से पेट खुलकर साफ होता है और भोजन के प्रति रुचि भी बढ़ती है। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ, खासतौर से चोकर युक्त आटे से बनी रोटियाँ आंतों की पैरास्टाल्टिक मूवमेंट को बढ़ा देती हैं। फलस्वरूप कब्ज़ दूर होने लगता है।

स्वाद और मज़े के लोभ में हम आहार के पोषक तत्वों के बारे में विचार नहीं करते और जो पोषण हमें सहज ही प्राप्त हो सकता है। उससे वंचित रह जाते हैं। ऐसा ही एक पोषक तत्व है चोकर जिसे आटे को छान कर अलग करके कचरे में फेंक दिया जाता है। जो व्यक्ति इस बात का इच्छुक हो कि उसके शरीर में किसी प्रकार का मलअवरोध न हो उसे अपने आहार में चोकर को विशेष महत्व देना चाहिए क्योंकि भोजन के बचे हुए अंश को बाहर निकालने में चोकर सहायक सिद्ध होता है और आंतों में मल को अवरुद्ध नहीं होने देता।

अप्राकृतिक आहार और अनियमित दिनचर्या के कारण आंतों में मल रुक जाता है। मल के इस अवरोध को क़ब्ज़ होना कहते हैं। क़ब्ज के कारण आंतों में रुके हुए मल से सड़ांध उत्पन्न होती है जिससे गैस बनती है, वातजन्य विकार पैदा होते हैं जैसे पेट में मरोड़ होना, दस्त होने पर पेट साफ़ न होना और पेट भारी रहना, मल के साथ चिकना पदार्थ (आंव) निकलना, गुदा से दुर्गन्धयुक्त वायु निकलना आदि अनेक व्याधियां पैदा होती है क्योंकि अकेला क़ब्ज़ होना कई प्रकार की व्याधियों को जन्म देने का कारण सिद्ध होता है। अनेक रोगों की जड़, इस क़ब्ज़ को दूर करने में ‘चोकर का प्रयोग विशेष सहायक सिद्ध होता है। चोकर के उचित प्रयोग से, आंतों में फंसे मल को आगे बढ़ाने और बाहर निकालने की प्रक्रिया में मदद मिलती है और शौच खुल कर होता है।

चोकर क्या है ?

गेहूं के छिलके को चोकर कहते हैं। इसमें सब्ज़ियां के फुजला (फोक) से अधिक रोग प्रतिरोधक शक्ति होती है, साथ ही लौहा, कैल्शियम और विटामिन ‘बी’, पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं जो क्रमशः रक्त बढ़ाने, हड्डियों को मज़बूत करने और भूख बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं।
पुराने ज़माने में अनाज घर में ही, हाथ की चक्की से पीसा जाता था। हाथ से पीसे गये अनाज के आटे में चोकर रहा करता था | लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है जो काफ़ी बारीक पिसता है तो उसमें चोकर नाम मात्र का होता है, उसको भी ऊपर से बारीक छन्नी से छान कर बिल्कुल निकाल दिया जाता है। बहुत महीन बारीक आटे का उपयोग करने से क़ब्ज़ होना बहुत सामान्य बात है। जब तक चोकर रहित आटे का उपयोग किया जाता रहेगा तब तक क़ब्ज़ से छुटकारा मिलना बहुत ही मुश्किल है।

आटे में चोकर ज़रूरी :

यदि हाथ की चक्की से घर पर अनाज पीसना सम्भव न हो तो पनचक्की पर अनाज पिसाते समय मोटा पिसवाना चाहिए। और इसे छाने बिना ही उपयोग में लेना चाहिए। आटा गूंध कर कुछ घण्टे रखें इसके बाद ही रोटी बनाएं। इससे चोकर के कण फूल जाते हैं। फूल जाने पर चोकर पानी सोख कर नरम हो जाता है और उदर में पहुंच कर खलबली मचा देता है। इससे पेट खुल कर साफ़ होता है। यदि कचरा अलग करने के लिए आटा छानना ज़रूरी हो तो आटा छान लें और अगर चोकर में कोई कचरा दिखे तो उसे बीन कर चोकर को शुद्ध करके वापिस आटे में मिला कर रोटी बनाएं और चोकर युक्त आटे की रोटी खाएं।

चोकर के फायदे और उपयोग : chokar ke fayde aur upyog

choker atta benefits in hindi

आजकल किसी भाग्यवान व्यक्ति को ही अपच और क़ब्ज़ का रोग नहीं होगा वरना तो अधिकांश स्त्री पुरुष अपच और क़ब्ज़ के रोगी बने हुए हैं। ऐसे लोग दवाओं का सेवन कर क़ब्ज़ दूर करते रहते हैं और इसके ऐसे आदी हो जाते हैं कि दवा सेवन न करें तो पेट साफ़ ही नहीं होता। क़ब्ज़ को जड़ से समाप्त करने के लिए निम्नलिखित विधियों के अनुसार चोकर का सेवन करें और प्रतिदिन योगासनों एवं प्राणायाम का नियमित अभ्यास करते रहें।

1-चोकर के लड्डू- चोकर को तवे पर सेक लें और इसे ठण्डा करके इसमें किशमिश, मुनक्का, खजूर का गूदा या गुड़। मिला कर इमाम दस्ते में डाल कर कूट लें और लड्डू बना लें।

2-पेट साफ़ होना- चोकर को पानी से धो कर इसमें लगा आटा अलग करके मन्दी आंच पर भूनलें इसमें थोड़ा सा गुड़ और किशमिश या मुनक्का मिला कर रख लें। भोजन के साथ 2-2 चम्मच खाएं। इससे पेट अच्छा साफ़ होता है।

3-चोकर का हलवा- एक गिलास उबलते पानी में उचित मात्रा में गुड़ मसल कर डाल दें और घोलें। जब गुड़ घुल जाए तब इसमें साफ़ किया हुआ और सिका हुआ चोकर 50 ग्राम डाल कर 10 मिनिट तक उबालें। इसके बाद इसमें दो चम्मच मख्खन या घी डाल कर उतार लें । चाहें तो किशमिश व चिरौंजी डाल दें। हलवा तैयार है। यह हलवा स्वादिष्ट, सुपाच्य और पौष्टिक है तथा शौच खुल कर लाता है।

4-चोकर की चाय- 25 ग्राम चोकर धो लें और इसमें लगे आटे का अंश अलग करके आधा लिटर पानी में डाल कर दस पत्ती तुलसी की डाल दें और उबालें जब पानी लगभग 3-4 सौ मि. लि. बचे तब उतार लें । मिठास के लिए गुड़ या देशी शक्कर (खाण्ड) मिला लें। बस, चोकर की चाय तैयार है। खुद पिएं, औरों को पिलाएं।

5-चोकर का पेय- रात को 50 ग्राम चोकर आधा लिटर पानी में डाल कर रखें। सुबह मसल छान कर इसमें 2 चम्मच शहद घोल कर पी जाएं। मिश्री या देशी शक्कर भी मिला सकते हैं। यह पेय रक्त की कमी, कैल्शियम और लोह तत्व की कमी को दूर कर रक्ताल्पता, हड्डियों की कमज़ोरी और दुबलापन दूर करता है।

भोजन में फाइबर बढ़ाने के लिए उपयोगी बात :

  • जूस की जगह ताजे फलों में रेशा अधिक होता है।
  • छिलके सहित फल और सब्जियों का इस्तेमाल करे।
  • साबुत दाले, चोकर सहित आटा का उपयोग अत्यंत लाभकारी है।
  • फाइबर इनटेक बढ़ाने के साथ-साथ पानी की मात्रा भी बढाइए।
  • अंकुरित दालों का सेवन भी प्रतिदिन करें।
  • प्राकृतिक फाइबर के स्त्रोत ज्यादा पौष्टिक होते है। हो सके तो फाइबर सप्लिमेंट का प्रयोग कम से कम करें।
  • तेल में पकाने की अपेक्षा अनाज (चना, पॉपकार्न आदि) भून कर खाए।

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