Last Updated on September 25, 2021 by admin
ऋषियों ने सोने की सुंदर कला सिखाते हुए बताया है – “रात को थके-मांदे होकर भरे बोरे की नाँईं बिस्तर पर मत गिरो। सोते समय बिस्तर पर ईश्वर से प्रार्थना करो कि ‘हे प्रभु! दिनभर में जो अच्छे काम हुए वे तेरी कृपा से हुए।’ गलती हो गई तो कातर भाव से प्रार्थना कर लो कि ‘प्रभु ! तू क्षमा कर। बुराई से मुझे बचा ले। कल से कोई बुरा कर्म न हो। हे प्रभु ! मुझे तेरी प्रीति दे दे….’ भगवान के नाम का उच्चारण करना बाहर से कर्म दिखता है लेकिन भगवान के नाम का उच्चारण करना, यह पुकार है।” आइये जाने योग निद्रा की विधि
रात की नींद को योगनिद्रा बनाने की कला : yoga nidra technique in hindi
रात को नींद तमस के प्रभाव से आती है परंतु ऋषि ने नींद को साधना बनाने की युक्ति बतायी है –
“भगवन्नाम का उच्चारण करो और कह दो कि ‘हम जैसे-तैसे हैं, तेरे हैं। ॐ शांति…. ॐ शांति… ॐ आनंद….’ ऐसा करके लेट गये और श्वास अंदर जाय तो ॐ, बाहर आये तो 1…. श्वास अंदर जाय तो शांति, बाहर आये तो 2….. इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सो जायें।
इस प्रकार सोने से रात की निद्रा कुछ सप्ताह में योगनिद्रा बनने लगेगी और परमात्मा में पहुँच जाओगे।”
अच्छी व गहरी नींद की युक्ति / उपाय : Gehri Neend ke liye Upay
- “अच्छी नींद के लिए रात्रि का भोजन अल्प तथा सुपाच्य होना चाहिए।
- सोने से दो घंटे पहले (शाम 5 से 7 के बीच) भोजन करना अत्यंत उत्तम है।
- धरती पर सोते वक्त नीचे कोई गर्म कम्बल आदि बिछाकर सोयें ताकि आपके शरीर की विद्युतशक्ति भूमि में न उतर जाय।
- स्वच्छ, पवित्र स्थान में अच्छी, अविषम (ऊँची-नीची नहीं) एवं घुटनों तक की ऊँचाई वाली शय्या पर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए। इससे जीवनशक्ति का विकास होता है तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है। जबकि उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से जीवनशक्ति का ह्रास होता है व रोग उत्तपन्न होते हैं।
- यथाकाल निद्रा के सेवन से शरीर पुष्ट होता है तथा बल और उत्साह की प्राप्ति होती है। निद्राविषयक उपयोगी नियमः
- जिस किसी के बिस्तर पर, तकिय पर सिर न रखना ताकि उसके हलके स्पंदन तुमको नीचे न गिरायें।
- जब आप शयन करें तब कमरे की खिड़कियाँ खुली हों और रोशनी न हो। शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें।
- सोने से कुछ समय पहले हाथ पैर धोयें, कुल्ला करें। फिर हाथ पैर अच्छी तरह पौंछकर सोना चाहिए। इससे गहरी नींद आती है तथा स्वप्न नहीं आते।
- रात्रि के प्रथम प्रहर में सो जाना और ब्राह्ममुहूर्त में प्रातः 3-4 बजे नींद से उठ जाना अत्यंत उत्तम है।
- रात्रि 9 बजे से प्रातः 3-4 बजे तक गहरी नींद लेने मात्र से आधे रोग ठीक हो जाते हैं। कहा भी गया हैः अर्धरोगहारी निद्रा……। इससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस समय में ऋषि-मुनियों के जप-तप एवं शुभ संकल्पों का प्रभाव शांत वातावरण में व्याप्त रहता है। इस समय ध्यान-भजन करने से उनके शुभ संकल्पों का प्रभाव हमारे मनःशरीर में गहरा उतरता है।
- सूर्योदय के बाद तक बिस्तर पर पड़े रहना अपने स्वास्थ्य की कब्र खोदना है।
बुरे व विकारी सपनों से बचने का उपाय : Daravne bure sapne se bachne ke upay / Mantra
★ रात्रि को सोने से पूर्व 21 बार ‘ॐ अर्यमायै नमः‘ मंत्र का जप करने से तथा तकिये पर अपनी माँ का नाम लिखने से (स्याही-पेन से नहीं, केवल उँगली से) व्यक्ति बुरे एवं विकारी सपनों से बच जाता है।
नींद लाने का सरल उपाय : Need lane ka Upay / Mantra
नींद लाने हेतु लोग दवाइयाँ खाते हैं परंतु उससे भी लाभ नहीं होता है। वैदिक संस्कृति का दोहन कर ऋषि ने सात्त्विक व सरल उपाय बताया है –
- neend aane ka mantra -“रात्रि को नींद न आती हो या बुरे स्वप्न आते हों तो सोते समय 15 मिनट हरि ॐऽऽऽऽ….. इस प्रकार गुंजन करें। फिर
‘शुद्धे-शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा।’ इस मंत्र का जप करें। - कब्जियत और पेट संबंधी बीमारी के कारण नींद न आती हो तो सुबह 5 से 7 तुलसी-पत्ते चबाकर ताँबे के बर्तन में रात का रखा आधा से डेढ़ गिलास पानी पियें तो अच्छा है। रविवार को तुलसी नहीं लेनी चाहिए।
- वृद्ध लोगों को यदि नींद नहीं आती हो तो रात को बिस्तर पर बैठकर ॐ के केवल ओ का उच्चारण करें। ॐऽऽऽऽऽ….. बोलते-बोलते जितना दीर्घ उच्चारण कर सकें, करें। फिर जितना समय ओ बोलने में लगाया, उतना ही समय चुप हो जायें। ऐसा 10 मिनट करें, फिर सीधे सो जायें। नींद नहीं आती यह भूल जायें। नींद आये चाहे न आये, उसकी फिक्र छोड़ दें। थोड़े ही दिनों में कम नींद आने की शिकायत दूर हो जायेगी और यदि ज्यादा नींद आती होगी तो नपी-तुली हो जायेगी। बुरे स्वप्न दूर हो जायेंगे और रातभर भक्ति करने का फल मिलेगा।
क्षमा-प्रार्थना करके रात्रि को सोयें :
रात्रि को सोते समय और सुबह उठने के बाद अनामिका उँगली से आज्ञाचक्र (भ्रूमध्य) पर रगड़ के 3 मिनट ॐ गुरु, ॐ गुरु…. जप करें और गुरु का ध्यान, गुरु से सम्पर्क करें, फिर शशकासन में दोनों हाथ जोड़कर मन-ही-मन क्षमा प्रार्थना करें- ‘हे प्रभु! हे गुरुदेव!! आज जो अच्छे कर्म हुए हैं वे आपकी करूणा-कृपा से हुए हैं। जो बुरे कर्म हुए हैं वे मेरी बेवकूफी, नादानी से हुए है। अब ऐसी कृपा करना कि अच्छे कर्म ही हों, बुरे कर्म न हों। मैं जैसा-तैसा हूँ, आपका हूँ। फिर एक हाथ अपने इष्टदेव या सदगुरु का और एक हाथ अपना मानकर जोर से मिलाओ और मन में बोलो- ‘बिन फेरे, हम तेरे….”
विशेष : neend ki ayurvedic dawa – Shankhpushpi syrup मस्तिष्क को तरोताज़ा करने में फायदेमंद है तथा यह अच्छी नींद को लाने में भी मदद करती है|