Last Updated on April 24, 2021 by admin
अजीर्ण व मंदाग्नि के कारण और लक्षण :
अजीर्ण (Dyspesia) रोग को बदहजमी, अपच, मन्दाग्नि तथा अग्निमांद्य आदि के नामों से भी जाना जाता है। अजीर्ण रोग लम्बे समय तक कब्ज के रहने ,पाचनतंत्र की खराबी,संक्रामक रोग , ऋतू परिवर्तन ,यकृत (जिगर) की खराबी आदि के कारण होता है | इसके साथ ही ज्यादा चिंता, डर, गुस्सा और घबराहट के कारण भी भूख समाप्त हो जाती है।
भोजन ठीक से न पचना, खट्टी डकारें आना, पेट फूलना, पेट में मीठा-मीठा दर्द होना, गले और कलेजे में जलन होना, मुँह में भीतर से पानी आना, जी-मिचलाना, दिल की धड़कन, घबराहट, दिमागी परेशानी, पाखाना न होना अथवा पतला पाखाना होना एवं भूख न लगना आदि अजीर्ण के लक्षण हैं।
अजीर्ण व मंदाग्नि दूर कर भूख बढ़ाने के घरेलु उपाय : ajirn mandagni dur kar bhukh badhane ke upay
(1) पीपर – नाशपाती के रस में पीपर का चूर्ण डालकर पीने से अरुचि मिट जाती है। ( और पढ़े – पिप्पली के 8 लाजवाब फायदे )
(2) नीबू – नीबू के रस में उसका दुगुना पानी तथा लोंग और कालीमिर्च का चूर्ण डालकर पीने से अरुचि दूर होती है।
(3) नमक-गुड़ में संचर नमक का चूर्ण डालकर गोली बनाकर खाने से अरुचि दूर हो जाती है।
(4) अनार- अनार के रस में जीरा और शक्कर मिलाकर पीने से अरुचि मिट जाती है। ( और पढ़े – अनार के 118 चमत्कारिक फायदे )
(5) इमली- पकी हुई 20 ग्राम इमली को 50 ग्राम पानी में भिगो दें। 2-3 घण्टे बाद उसे रगड़कर छान लें। फि उसमें 2 ग्राम काला नमक, 4 ग्राम पोदीना और 1 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण डालकर पीने से एक सप्ताह में अरुचि दूर हो जाती है।
(6) अनार- छः ग्राम खट्टे अनार का रस और 12 ग्राम शहद मिलाकरे उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर पीने से असाध्य अरुचि रोग भी मिट जाता है।
(7) सोडा- भोजन के समय 1 ग्राम सोडा-बाई-कार्ब को 100 ग्राम पानी में मिलाकर उसमें आधे नीबू का रस निचोड़कर पीने से अरुचि मिटकर भोजन की रुचि बढ़ती है।
(8) सोंठकल्प– पीपली-कल्प अथवा सोंठ-कल्प का सेवन करने से भूख बढ़ जाती है।
(9) सनाय- बीस ग्राम सनाय के पत्तों को बारीक पीसकर उसमें 30 ग्राम मुनक्का डालकर घोटें और बेर के बराबर गोलियाँ बनाकर रख लें। प्रतिदिन रात को 1 गोली दूध या पानी के साथ खाने से भूख बढ़ जाती है।
(10) अनार- खट्टे अनारदाने 8 तोला, मिश्री 12 तोला, दालचीनी 4 तोला, छोटी इलायची 4 तोला, तेजपात 4 तोला का चूर्ण बना लें। यह चूर्ण खाने से अरुचि मिट जाती है।
(11) छाछ- दो सौ ग्राम दही में भुनी हुई राई, सोंठ, जीरा तथा सेंधानमक मिलाकर थोड़ी देर रख दें, फिर उसे कपड़े में छानकर इंतना पानी मिलाएँ कि छाछ की तरह हो जाए। इसे पीने से अरुचि दूर हो जाती है।
(12) हींग- हींग, नौसादर(खानेवाला), सेंधानमक 10-10 ग्राम लेकर 600 ग्राम पानी में खरल करें तथा एक बोतल में भरकर रख लें। 25 ग्राम दवा पीने से भूख न लगना और अरुचि में लाभ होता है। ( और पढ़े – हींग खाने के 73 सेहतमंद फायदे )
(13) कालीमिर्च- सोडा-बाई-कार्ब, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल छोटी और नौसादर (खानेवाला)बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। डेढ़ ग्राम दवा दिन में तीन बार पानी के साथ खाने से अरुचि दूर होती है और भूख लगती है।
(14) अजवायन- देशी अजवायन 250 ग्राम और 60 ग्राम कालानमक मिलाकर शीशी में डालकर ऊपर से नीबू का रस डाल दें। इस बोतल को छाया में रख दें। जब नीबू का रस सूख जाए, तब उसमें फिर नीबू का रस डाल दें। इस प्रकार सात बार नीबू का रस डालकर रख लें। दो ग्राम दवा भोजन के बाद खाने से अरुचि मिटकर भूख लगती है।
(15) करेला- तिक्त रस वाले पदार्थ जैसे करेला अरुचिकर होते हुए भी अरुचि को नष्ट कर देते हैं । करेला अग्नि को दीप्त करने वाला तथा भोजन को पचाने वाला (पाचक) और अरुचि नाशक है । अत: इसकी तरकारी मन्दाग्नि पर तैयार करवायें और अधिक मिर्च मसाला और तेल न डलवायें तथा तलते समय वह अधिक जलकर कोयला न बन जाये । करेले की तरकारी को भोजन के साथ खाते रहने से अरुचि मंदाग्नि, अफरा, कब्ज इत्यादि उदर विकार दूर हो जाते हैं ।
(16) धनिया – धनिया 60 ग्राम, काली मिर्च 250 ग्राम, नमक 25 ग्राम को मिलाकर सूक्ष्म चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें। भोजनोपरान्त इसे 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से जठराग्नि तेज होती है जिसका पाचन ठीक न होता हो, मैदे में आहार कम ठहरता हो, जल्दी ही शौच-क्रिया द्वारा निकल जाता हो । ऐसे रोगी को यह अमृत तुल्य योग है।
(17) काला नमक- भोजनोपरान्त 1 ग्राम काला नमक के चूर्ण को जल से सेवन करने से अजीर्ण नहीं होता है ।
(18) प्याज-अग्निवृद्धि हेतु अर्थात् अग्निमांद्य में प्याज को सिरके के साथ खायें।
(19) सौंफ- सौंफ 2 तोला को 1 सेर पानी में औटायें जब पानी चौथाई रह जाये तो उसे छान लें उसमें सेंधा नमक और काला नमक 2 माशा मिलाकर कुछ दिनों के सेवन कराने से आध्मान (अफारा) नष्ट हो जाता है।
(20) सौंठ- सौंफ 9 माशा, सौंठ 3 माशा, मिश्री 1 तोला सभी को बारीक पीसकर 6-6 माशे की मात्रा में सेवन करने से बदहज्मी शान्त हो जाती है ।
(21) प्याज- प्याज को कच्चा (सलाद के रूप में) खाने से अजीर्ण, अग्निमांद्य व उदर के कृमि दोष इत्यादि दूर हो जाते हैं। ( और पढ़े – प्याज खाने के 141 फायदे व चमत्कारिक औषधीय प्रयोग )
(22) अजवायन –साफ की हुई अजवायन को 3 दिनों तक छाछ (तक्र या मठ्ठा) में भिगोकर छाया में सुखा लें, फिर अजवायन के बराबर घी में सेकी हुई हरड़ एवं काला नमक डालकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें । इसे 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से डकारें आना (वातिक अर्श–रक्तस्राव युक्त न हो), पेट फूलना, पेशाब कम आना तथा टट्टी की कब्जियत में अत्यन्त लाभ होता है।
(23) धनियां – नित्यप्रति प्रात:काल 6 ग्राम धनियां को उबालकर थोड़ी शक्कर व दूध मिलाकर चाय की भाँति एक कप में छानकर पिलाने से जठराग्नि प्रदीप्त होकर पाचनशक्ति बढ़ जाती है तथा आमदोष का पाचन होकर शरीर में हल्कापन व स्फूर्ति आ जाती है।
(24) नीबू- धनियां 50 ग्राम को कुचलकर (मीगीं निकालकर) एक मिट्टी के पात्र में रखकर लें । तदुपरान्त काली मिर्च तथा नमक 1-1 प्राम मिलाकर तथा थोड़ासा नीबू रस निचोड़ कर मुंख में रखकर धीरे-धीरे चबाने से अरुचि मिट जाती है।
(25) जीरा – जीरा 100 ग्राम लेकर भली प्रकार कूड़ा-करकट साफ कर स्वच्छ कर लें । फिर इसमें 50 मि. ली. नीबू का रस 3, ग्राम नमक चूर्ण तथा 6 ग्राम काली मिर्च चूर्ण मिलाकर डाल दें और काँच के बर्तन में ढककर धूप में रख दें । चौबीस घण्टे धूप में रखने के बाद एक चौड़े बर्तन (पात्र) में निकालकर छाया में शुष्क होने के लिए रख दें। शुष्क हो जाने पर सुरक्षित रूप से रख लें । यह औषधि अरुचि नाशक, भूख बढ़ाने वाली स्वादिष्ट तथा मन प्रसादक है । खाना खाने के बाद 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर मुख में रखकर धीरे-धीरे चबायें । आवश्यकता के समय मेहमानों को स्वागत स्वरूप प्लेट में रखी जा सकती हैं।
(26) जीरा – जीरा 20 ग्राम लेकर 250 मि. ली. गोदुग्ध में भिगो दें । फिर 2 घंटे के बाद मन्दाग्नि पर खीर की भांति गाढ़ा होने तक पकायें, इसमें 20 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें। यह एक मात्रा है। इसे शीतल होने पर प्रात:काल खिलायें किन्तु इसके सेवन के पश्चात् 1 घन्टा तक जल पीने को निषेध कर दें । इसके प्रयोग से भूख बढ़ती है, प्रदर नाशक है । प्रदर एवं तज्जन्य हस्त, पाद नेत्रों की एवं वस्तिगत जलन नष्ट हो जाती है। ( और पढ़े –जीरा खाने के 83 बेमिसाल फायदे )
(27) लहसुन- अन्तर्जिह्वा निकाले हुए लहसुन 1 तोला, जीरा 1 माशा, अदरक 1 माशा, काली मिर्च 1 माशा की चटनी नित्य प्रति भोजन के साथ प्रयोग करने से मन्दाग्नि, अम्लपित्त, आध्मान, कृमि, यकृत विकार, आन्त्र विकार इत्यादि नष्ट हो जाते हैं।
(28) पोदीना – पोदीना के रस में शक्कर मिलाकर पिलाने से तृषा, दाह, अजीर्ण, यकृतविकार तथा कामला रोग नष्ट हो जाता है।
(29) गौ झरण – गाय की बछिया का ताजा मूत्र ढाई तोला से 4 तोला तक नित्य प्रति खाली पेट पीने से जलोदर, उदरशूल, कामला, पाण्डु, यकृत वृद्धि, प्लीहा वृद्धि, अण्डवृद्धि, खाज, खुजली, कब्जियत, मन्दाग्नि, अम्लपित्त इत्यादि नष्ट हो जाता है। बच्चों को इसकी मात्रा 1 से 2 तोला तक दें।
(30) नीबू – नीबू का रस 20 तोला में 100 तोला शक्कर मिलाकर एक काँच के बर्तन (पात्र) में भरकर 15 दिनों तक धूप में रखें । जब नीबू रस व शक्कर घुलमिलकर एकजान हो जायें, तब उसे सुरक्षित रूप से रख लें। इसे 1 तोला की मात्रा में भोजन के साथ लें। इसके प्रयोग से मन्दाग्नि, अरुचि, अजीर्ण कभी नहीं होता है ।
(31) हींग – नौसादर (खानेवाला) 5 तोला, काला नमक 2 तोला, सफेद जीरा भुना हुआ 1 तोला, भुनी हुई हींग आधा तोला को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखें। इसे 3-3 माशा की मात्रा में जल के साथ प्रयोग करने से उदरशूल, अफारा व अपची में शीघ्र लाभ होता है ।
(32) नीबू- 100 पके कागजी नीबू लेकर उनके 4-4 टुकड़े करें । (ध्यान रखें कि टुकड़े बिल्कुल ही अलग-अलग न होकर नीबू में ही लगे रहना चाहिए। फिर उनको स्टील के बर्तन में पकायें, आग धीमी रखें। जब सभी नीबू उबलकर कुछकुछ गल जाये तब उसमें निम्न मसाला भरकर काँच के पात्र में मुँह बन्द करके सुरक्षित रख लें। अजवायन 250 ग्राम, काला नमक, सेंधा नमक, जीरा 50-50 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम, काली मिर्च 25 ग्राम, शक्कर 1500 ग्राम डालकर रख दें । फिर 15 दिनों के बाद प्रयोग करें । वैसे, यह नीबू का मीठा अचार जितना अधिक पुराना होगा, उतना ही अधिक प्रभावी होगा किन्तु इसके बर्तन को प्रतिदिन हिलाते रहना चाहिए। इसके प्रयोग से कब्ज दूर होकर पेट साफ रहता है, वमन दूर होती है। यह दीपन व पाचक तथा अत्यन्त ही स्वादिष्ट है।
(33) सौंठ- सौंफ, भुना जीरा, सौंठ 10-10 ग्राम, भुना धनियां, मिश्री 20-20 ग्राम, नीबू का सत (टाटरी) 5 ग्राम, पिपरमेन्ट 2 ग्राम, सैंधा नमक 15 ग्राम सभी औषधियों को कूट पीसकर चूर्ण बनायें, अन्त में टाटरी और पिपरमेन्ट मिलाकर घोट लें । यह चूर्ण अग्निवर्धक, अग्निदीपक, पाचक एवं स्वादिष्ट है । ( और पढ़े – अदरक के 111 फायदे व दिव्यऔषधीय प्रयोग)
(34) पोदीना- हरा पोदीना 15 पत्ते, तुलसी की हरी पत्तियां 15 को 400 ग्राम जल में डालकर आग पर उबाल लें । आधा जल रह जाने पर छान कर ठण्डा करके शीशी में भरकर रख लें । अपनी रुचि के अनुसार इसमें नमक मिला लें। इसे 30 मि. ली. की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करने से अरुचि, बदहजमी, मितली, पेट का भारीपन नष्ट होता है ।
(35) सौंठ- गरम पानी के साथ सौंठ का चूर्ण प्रयोग करने से अरुचि दूर होती है। भूख खुलकर लगने लगती है तथा भोजन पचने भी लगता है।
(36) इलायची –सौंठ 5 रत्ती, अजवायन 3 रत्ती, छोटी इलायची 15 रत्ती लें सभी को मिलाकर भोजनोपरान्त सेवन करने से अफारा, अजीर्ण, अरुचि में लाभ होता है।
(37) प्याज- लाल प्याज के रस को थोड़ा सा गरम करें । फिर थोड़ा सा नमक डालकर व नीबू निचोड़कर भोजन के साथ (सॉस) चटनी की भाँति प्रयोग करने से अजीर्ण, कब्ज इत्यादि नष्ट होते हैं।
(38) लहसुन- लहसुन की छिली कलियों को पीसकर और उसमें कागजी नीबू का रस और थोड़ा-सा नमक मिलाकर खाने से अजीर्ण व अरुचि नष्ट होती है ।
(39) सौंठ- धनिये का चूर्ण 3 माशा तथा इतना ही सौंठ का चूर्ण को 2 छटांक गरम पानी के साथ सेवन कराने से अजीर्ण में लाभ होता है ।
(40) अनारदाना – सौंठ 3 ग्राम, काली मिर्च 15 ग्राम, सूखा पोदीना 15 ग्राम, अनारदाना 15 ग्राम, काला जीरा, सफेद जीरा, पिप्पली, छोटी इलायची के दाने, चित्रक, सभी 5-5 ग्राम तथा कमल गट्टे की मींगी 10 ग्राम, अमचूर 5 ग्राम, सैंधा नमक 40 ग्राम, नीबू सत 8 ग्राम, पिपरमेन्ट 2 ग्राम, मिश्री 150 ग्राम लें। सभी औषधियों को अलग-अलग कूट पीसकर छानकर मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसे 3 से 5 ग्राम की मात्रा में भोजन के पश्चात् प्रयोग कर लें । अत्यन्त स्वादिष्ट, मृदु चूर्ण है । इसके व्यवहार करने वाले का रोम-रोम पुलकित हो जायेगा। इसके सेवन से अरुचि (भूख न लगना) मन्दाग्नि, अजीर्ण, अफारा, अम्ल पित्त, व हाजमें की कमजोरी, खाना हजम न होना इत्यादि में अचूक लाभ प्राप्त होगा।
(41) अजवायन- देसी अजवायन 3 तोला तथा सौंठ डेढ़ माशा को रात्रि में सोते समय 3 पाव पानी में भिगो दें। प्रात:काल भली-भाँति मथकर थोड़ा गरम कर लें । चुटकी भर नमक मिलाकर पिलाने से पाचनशक्ति की क्षीणता दूर हो जाती है ।
अजीर्ण व मंदाग्नि के प्राकृतिक उपचार :
- चिकित्सा प्रथम तीन दिनों का उपवास कागजी नीबू के रस मिले जल पर रहकर करें अथवा फलों के रस पर रहें । गाजर, सन्तरा, टमाटर आदि के रस उपयोग में ले सकते हैं । तदुपरान्त 4-5 दिनों तक अल्पाहार करना चाहिए। सुबह के समय एक मीठा सेब या 2 पके टमाटर, दोपहर के समय कोई उबाली हुई हरी तरकारी, तीसरे पहर के समय गाजर, टमाटर या अनन्नास का रस तथा रात्रि के समय थोड़ी-सी उबाली हुई तरकारी अथवा उसका केवल रस लेना चाहिए। इन दिनों गुनगुने पानी का एनिमा भी 1 वक्त या दोनों वक्त लेना आवश्यक है।
- उपवास और अल्पाहार के बाद भूख और पाचनशक्ति के अनुसार सादा और सात्विक आहार करना आरम्भ करना चाहिए। हल्का व्यायाम, शुष्क घर्षणस्नान खुली हवा में वात तथा मानसिक शान्ति प्राप्त करना, इस रोग को दूर करने में बहुत ही सहायक सिद्ध होते हैं। मामूली अजीर्ण रोग तो मात्र इतने ही उपचार से ठीक हो जाता है परन्तु प्रबल और पुराने अजीर्ण में निम्नलिखित उपचार को आवश्यकतानुसार और जोड़ देने चाहिए।
- सप्ताह में एक दिन एप्सम साल्ट बाथ लें अथवा प्रतिदिन 2 बार पेट को गरम पानी में तौलिया भिगो-भिगोकर 15 मिनट तक सेकें । बीच-बीच में 3-4 मिनट के अन्तराल से ठण्डे पानी से भीगी तौलिया से भी 1 मिनट तक सेकें अथवा गरम जल की बोतल या थैली रखकर फेरें या पेडू, पेट और पीछे की ओर (मेरुदण्ड के निचले हिस्से पर) गरम ठण्डी सेंक दें ।
- रात भर के लिए पेडू पर गीली मिट्टी की पट्टी रखें अथवा ठण्डी सेंक दें ।
- रात भर के लिए पेडू पर गीली मिट्टी की पट्टी रखें अथवा कमर की भीगी लपेट लगाएँ।
- भोजन से 1 घण्टा पूर्व 1 गिलास ठण्डे जल में एक कागजी नीबू का रस डालकर सेवन करें।
- आवश्यकता होने पर सबल रोगी को समूचे शरीर को भीगी चादर की लपेट, वाष्प स्नान या आतप-स्नान भी कराया जा सकता है, जिससे जल्दी लाभ प्राप्त होता है।
- उदर और मेहन स्नान विशेषकर गरम और ठण्डा उदर स्नान इस रोग में बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है। 5 मिनट तक गरम पानी में उदर स्नान करने के बाद 3 मिनट तक ठण्डे पानी में वही स्नान लें और इस क्रिया को 3-4 बार दोहराएँ।
- धनुरासन और उत्थान पादासन का प्रयोग भी अजीर्ण रोग में लाभप्रद है।
- नीली बोतल के सूर्य-तप्त जल की 4 खुराके आधा छटाँक की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से भी लाभ होता है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)