भोजन न पचना : कारण, इलाज और बचाव के उपाय – Indigestion in Hindi

Last Updated on September 7, 2020 by admin

आमतौर पर कई लोगों की शिकायत होती है कि उनका खाया भोजन ठीक से पचता नहीं है । इस वजह से वे हमेशा कब्ज, एसिडिटी, अजीर्ण, अपच आदि से पीड़ित रहते हैं । इसके लिए वे नियमित रूप से दवा गोली का सेवन करते हैं। फिर भी उनकी शिकायत दूर नहीं होती आखिर भोजन पचता क्यों नहीं है ? क्या इसके लिए हमारी जीवनशैली और खानपान ही दोषी है या फिर यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत है ? आइये जानें –

खाना न पचने के कारण ? (Indigestion Causes in Hindi)

khana na pachne ke karan –

कुछ लोग जरूरत से ज्यादा खाते हैं, तो कुछ जरूरत से बहुत कम । दोनों प्रवृत्तियां पाचन को प्रभावित करती है । आपकी खुराक आपकी आयु, शारीरिक श्रम आदि पर निर्भर करती है । इंसान को अपनी आयु के मुताबिक अपनी खुराक को तय करना चाहिए । मानसिक श्रम की तुलना में शारीरिक श्रम करने वालों को अधिक भोजन चाहिए होता है ।

अपच के लिए जिम्मेदार कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं –

1). लीवर की कमजोरी – भोजन के पाचन में यकृत यानी लीवर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि वह कमजोर है या उसमें कोई समस्या है तो भी पाचन ठीक से नहीं होता है।

2). मादक पदार्थों का सेवन – जो लोग शराब पीते हैं या धूम्रपान करते हैं, उन्हें भी अपच की समस्या का सामना करना पड़ता है। ये दोनों ही व्यसन लीवर को प्रभावित करते हैं।

3). पानी की कमी या अती – भोजन के सही पाचन के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। लेकिन आप पानी पीने में कंजूसी बरतते हैं, तो वह पचेगा नहीं। इसी प्रकार यदि आप भोजन के दौरान ढेर सारा पानी पीते हैं या उसके तत्काल बाद एक-दो गिलास पानी पीते हैं, तो उससे भी पाचन प्रभावित होता है। पाचक रस बनने के लिए जरूरी है कि भोजन के एक घंटा पश्चात ही पानी का सेवन करना चाहिए।

4). व्यायाम की कमी – जो लोग न तो मॉर्निंग वॉक करते हैं और न ही अन्य कोई व्यायाम तो उन्हें पाचन संबंधी शिकायत होती ही है।

5). आरामतलब जीवनशैली – आरामतलब जीवनशैली जीने वाले लोगों को भी इसका सामना करना पड़ता है क्योंकि उनकी शारीरिक गतिविधियां सीमित रहती हैं। ऑफिस में आठ घंटे बैठकर काम करने वालों को भी अपच होता है। इसलिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना बेहद जरूरी है।

6). ऐलापैथिक दवाएं – ऐलापैथिक दवाएं, खासकर एंटीबायोटिक व पेनकिलर्स पाचन को प्रभावित करती हैं। जब तक ये दवाएं चलती रहती हैं, अपच की शिकायत बनी रहती है। दवाएं पूरी हो जाने के कुछ दिनों बाद तक यह समस्या बनी रहती है।

7). वृद्धावस्था – बुढ़ापे में पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। आंतों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इसका एक बड़ा कारण दांतों का गिरना होता है। जब दांत कमजोर हो या गिरने की वजह से कुछेक दाढ़ें ही शेष बची हों तो भोजन ठीक से चबाना मुश्किल हो जाता है। उसे निगलना पड़ता है। ऐसे में दांतों का काम आंतों को करना पड़ता है। परिणामस्वरूप आंतें ठीक से भोजन को पचा नहीं सकती।

8). लंबी बीमारी – यदि आप किसी लंबी बीमारी से पीड़ित हैं जिसकी वजह से चल फिर नहीं पा रहे हैं या बिस्तर पर रहना मजबूरी है तो भी पाचन प्रभावित होता है। लकवा या पक्षाघात के रोगी भी इस श्रेणी में आते हैं। मलेरिया, डेंगू आदि में भी पाचन गड़बड़ा जाता है।

9). गर्भावस्था – गर्भावस्था में भी महिलाओं को अपच की शिकायत देखने को मिलती है। इसका मुख्य कारण उनकी शारीरिक गतिविधियां कम होना है।

10). तनाव – तनाव मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। यदि आप तनाव में हैं तो आप बहुत खाएंगे या भूख मर जाएगी। तनाव से पूरा पाचन तंत्र प्रभावित होता है। तनाव से डिप्रेशन हो सकता है। यह पाचन को और अधिक प्रभावित करता है।

11). अनिद्रा – नींद से भी पाचन का सीधा संबंध है। यदि नींद पूरी नहीं होती है या अनिद्रा रोग से पीड़ित हैं, तो पाचन क्रिया प्रभावित होती है। एक वयस्क व्यक्ति को आठ घंटे की नींद की जरूरत होती है। यह उसे मिलनी ही चाहिए।

12). कुपोषण – कुपोषण भी अपच का एक बड़ा कारण है । पर्याप्त या समुचित मात्रा में पोषक आहार नहीं मिलना कुपोषण माना जाता है । गरीबी इसकी मुख्य वजह है । यदि भोजन में सभी आवश्यक पोषक तत्वों का समावेश होगा तभी वह सुपाच्य होगा । प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण, कार्बोहाइड्रेट, वसा और रेशा इसके मुख्य तत्व हैं । विटामिनों में विटामिन ए, बी, सी, डी, ई एवं के संतुलित मात्रा में मिलना चाहिए । खनिज लवणों में कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नेशियम, सोडियम, आयरन, कॉपर, सल्फर, जिंक आदि सभी होने चाहिए।

खाना न पचने की समस्या का इलाज (Indigestion Treatment in Hindi)

khana na pachne ka ilaj –

1). त्रिफला – आयुर्वेद में त्रिफला का इस्तेमाल कब्ज के साथ कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है । रात में गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन अपच और मंदाग्नि जैसी कई समस्यों से छुटकारा देता है ।

2). हरड़ – चूर्ण व गोलियों के रूप में उपलब्ध हरड़ का सेवन कब्ज और अपच की समस्या की कारगर दवा है । इसका सेवन आप नित्य कर सकते हैं ।

3). नींबू – रोज सुबह गुनगुने पानी में नींबू का सेवन पाचन शक्ति को मजबूत करता है साथ ही यह कब्ज के साथ पेट संबंधी कई अन्य समस्यों से हमे बचाता है ।

4). फाइबरयुक्त आहार – जो लोग अपच की शिकायत करते हैं, उन्हें अपने भोजन पर ध्यान देना चाहिए। अंकुरित अनाज जैसे मूंग, मोंठ, चने, साबुत दालें, दलिया आदि रेशे प्रधान होते हैं। अतः इनका सेवन करना चाहिए। हरे पत्तेदार सब्जियां जैसे- पालक, मूली, मेथी, बथुआ आदि में फाइबर होता है। फलों में सेब, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर रहता है। सूखे मेवों से भी फाइबर प्राप्त किया जा सकता है।

5). सौंफ – भोजन के बाद यदि आप मुखशुद्धि के लिए सौंफ, अजवाइन का सेवन करें तो आपको अच्छा लगेगा तथा राहत भी मिलेगी। चाय, कॉफी, सोडा, शावर ड्रिंक या एल्कोहल से खाने का भारीपन दूर नहीं होगा। अतः इनका सेवन नहीं करने में भी भलाई है।

6). मौसमी फल – भोजन के पाचन के लिए मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए। इसमें पपीता, अमरूद, पके केले, अंगूर, चीकू आदि मुख्य हैं । फलों का जूस लेने की बजाय उन्हें सीधे खाना अधिक लाभदायक है क्योंकि इससे फाइबर पहुंचता है। फलों का सेवन भोजन करने के एक घंटा पहले या दो घंटे बाद करना चाहिए।

7). छाछ – दूध, दही पाचन को दुरूस्त करते हैं। रात को सोने से एक घंटा पहले एक गिलास दुध लेना चाहिए। दिन में दही या छाछ यानी मट्ठे का सेवन करना हितकर होता है। दही में भोजन पचाने वाले तत्व होते हैं।

खाना न पचने (बदहजमी या अपच) की समस्या से बचने के उपाय (Prevention of Indigestion in Hindi)

badhajmi (apach) se bachne ke upay –

1). भोजन की अनियमितता से बचें – भोजन के समय की अनियमितता भी अपच का कारण बनती है। असमय भोजन करने से वह पचता नहीं है। इसी प्रकार जो लोग एक बैठक में अधिक खाते हैं, उन्हें भी अपच की शिकायत होती है। भोजन टुकड़ों या अंतराल में दिन में तीन चार बार थोड़ा थोड़ा लेने से अपच की समस्या नहीं रहती है। इसी तरह भोजन का एक समय निर्धारित कर लें। कोशिश करें कि उसी समय भोजन करें।

2). भोजन चबा-चबा कर करें – जल्दबाजी में किया गया भोजन ठीक से पचता नहीं है। भोजन के ग्रास छोटे छोटे लेना चाहिए तथा उसे ठीक से चबाना चाहिए। इसी प्रकार खड़े होकर खाने की बजाय बैठकर खाने से भोजन का पाचन सही होता है ।

3). बजारू आहार से परहेज करें – जो लोग घर की बजाय बाजार के खाने को प्राथमिकता देते हैं, वे अक्सर अपच के शिकार रहते हैं। होटल, रेस्टारेंट अथवा ठेलों पर मिलने वाली चीजें स्वादिष्ट भले ही होती हों लेकिन सुपाच्य नहीं होती। उसमें चिकनाई मिर्च मसाले भी बहुत अधिक होते हैं जो कि हमारे पाचन को प्रभावित करते हैं ।

4). अती आहार से बचें – वैसे तो हर व्यक्ति की अपनी खुराक होती है, जिसके मुताबिक ही वह भोजन करता है, लेकिन कई बार ब्याह शादी या अन्य विशिष्ट अवसर पर जब आप ज्यादा खा लेते हैं तो कुछ समय बाद आप अपने आपको असहज पाते हैं। घर हो या बाहर, जब पसंदीदा व्यंजन सामने हो, तो हाथ नहीं रूकता और हम खाते चले जाते हैं। पेट तो भर जाता है लेकिन मन नहीं भरता। यदि मनुहार के कच्चे हुए तो इतना खा लेते हैं कि वहां से उठते ही नहीं बनता या वहीं नींद आने लगती हैं। कई बार आपको यह अहसास भी हो जाता है कि आपने जरूरत से ज्यादा खा लिया है। परिणामस्वरूप घबराहट, बैचेनी, हृदय की धड़कन बढ़ना, दम फूलना, सुस्ती आना आदि जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।

5). भोजन के बाद थोड़ा चलें – यदि सुबह के समय अधिक भोजन कर लिया हो तो 20 मिनट तक बाईं करवट लेकर लेट जाएं। इससे हल्कापन महसूस होगा। भोजन के तुरंत बाद तेज चलकर उसे पचाने की कोशिश न करें क्योंकि इसका हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हां, यदि रात के भोजन में ज्यादा खाने हो जाए, तो उसके बाद आप 20 मिनट चहलकदमी कर सकते हैं ।
भोजन को पचने में जितना समय लगता है, वह तो लगेगा ही और तभी आपको राहत मिलेगी।

6). भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से बचें – भोजन के दौरान पानी न पीएं तो ही अच्छा है। उसके एक घंटा बाद पानी पीएं। हर एक घंटे बाद एक गिलास पानी का सेवन करना चाहिए । इससे मूत्र त्याग की आवृत्ति बढ़ेगी और हल्कापन महसूस होगा।

7). बासी भोजन से बचें – अपच की शिकायत से पीड़ित लोगों को हमेशा सादा तथा ताजा बना हुआ भोजन लेना चाहिए। बासी भोजन का पूर्णतः त्याग करना चाहिए। गरिष्ठ भोजन न ही करें।

8). मांसाहार का त्याग करें – मांसाहार की तुलना में शाकाहार जल्दी पचता है । इसलिए शाकाहार को अपनाना चाहिए। चीनी तथा मैदे से बनी चीजों का उपयोग भी कम से कम करना चाहिए।

9). मैदा-बेसन से बनी वस्तुओं का सेवन कम करें – कुछ चीजें सुपाच्य नहीं होती अथवा उनके पाचन में अधिक समय लगता है। फास्टफूड इसी श्रेणी में आता है। इसका आधार मैदा होता है।

10). चाय, कॉफी से दूरी बनाये – यदि आप चाय, कॉफी या कोल्डड्रिंक का अधिक सेवन करते हैं तो भी भोजन का पाचन प्रभावित होता है। खासकर तब, जब भोजन के तुरंत बाद इसका सेवन किया जाए। इनकी अति ठीक नहीं है।

11). भोजन के तुरंत बाद न सोयें – रात में खाने के तुरंत बाद सोना ठीक नहीं है। इससे अपच होता है। बेहतर होगा कि रात्रि भोजन के बाद दो घंटे तक जागो तब सोने जाएं।

12). देर तक कम्प्यूटर टीवी देखने से बचे – जो लोग अपने घरों में घंटों टीवी देखते हैं या कम्प्यूटर, लेपटॉप पर काम करते हैं, उनकी शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं। चौबीस घंटे में दो घंटे से अधिक समय तक टीवी न देखें। कम्प्यूटर, मोबाइल पर गेम खेलने की बजाय यदि आप मैदानी खेल खेलते हैं तो इससे पाचन में सहायता मिलती है।

13). शारीरिक रोगों का उपचार करें – यदि आप डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं या हार्ट के मरीज हैं तो डॉक्टर की सलाह पर ही अपनी डाइट निर्धारित करें। इसी प्रकार लीवर, किडनी आदि की समस्या होने पर ही डॉक्टर के बताए अनुसार डाइट लेनी चाहिए।

14). रात्री में सुपाच्य आहार लें – रात्रि भोजन थोड़ा कम और सुपाच्य लेना चाहिए। अधिक कैलोरी वाला भोजन नहीं लेना चाहिए। टीवी के सामने बैठकर भोजन करना ठीक नहीं है। इससे पता ही नहीं चलता है कि कितना खा गए। आमतौर पर अधिक ही खाया जाता है।

15). फास्टफूड से बचें – इन दिनों भोजन के बारे में लोगों की पसंद भी बदल गई है। बर्गर, पिज्जा और चाइनीज जैसे फास्टफूड के आगे घर का खाना उन्हें बेस्वाद लगने लगा है। टीनएजर्स तो इसके दीवाने हैं। इसके अलावा डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ तो अपनी जगह हैं ही। पश्चिम के खाने ने भारत के देशी खाने को पीछे छोड़ दिया है। फिर भले ही वह पचे या न पचे।

16). बार-बार खाने की बुरी आदत से बचें – यदि पहले किया हुआ भोजन पचता नहीं है और आप पुनः कुछ खाते हैं तो यह प्रवृत्ति ठीक नहीं। भोजन और नाश्ते के बीच तीन घंटे का अंतर होना चाहिए तथा दोपहर और रात्रि भोजन में छह से आठ घंटे का अंतराल रखें।

17). भोजन के बाद बाईं करवट लेटें – रात को बाईं करवट सोने से भी पाचन में राहत मिलती है। रात्रि भोजन के एक घंटे बाद कुछ कदम टहलना चाहिए। दोपहर के भोजन के आधा घंटा बाद बाईं तरफ करवट लेकर 20 मिनट लेटना चाहिए।

18). सदा सम और प्रसन्न रहने का प्रयास करें – मनुष्य भावना प्रधान होता है। खुशी और गम दोनों ही उसके हित से जुड़े होते हैं। इन दोनों ही पलों में उसका खानपान प्रभावित होता है जिसका परिणाम अपच होता है। क्रोध, गुस्सा भी पाचन को प्रभावित करता है। यदि व्यक्ति सहज, सामान्य रहता है तो किसी भी परिस्थिति में वह विचलित नहीं होता है और उसका पाचन तंत्र सही तरीके से काम करता रहता है।

यदि आपको लंबे समय से अपच की शिकायत है तो आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए। आयुर्वेद में इसका उपचार है। एलोपैथी में डॉक्टर गहन परीक्षण और विभिन्न जांचें करके अपच का कारण देखते हैं। फिर उसके अनुसार उपचार करते हैं। घरेलू नुस्खे कुछ समय के लिए राहत अवश्य दे सकते हैं लेकिन समस्या का निदान नहीं कर सकते। हां, हम यदि अपने खानपान और जीवनशैली को व्यवस्थित कर लें तो अपच की समस्या होगी ही नहीं।

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