Last Updated on July 22, 2019 by admin
योनि में घाव के कारण एवं लक्षण : Yoni me Ghav ke karn aur lakshan
स्त्रियों की योनि के अन्दर अक्सर घाव हो जाया करते हैं। जिनमें सख्त जलन के साथ अत्यधिक पीड़ा होती है।”वेजाइना स्पेक्यूलम” (एक विशेष यन्त्र) से योनि को फैलाकर इन घावों को भली प्रकार देखा जा सकता है। ये घाव नये शोथ(सूजन ) में पीप पड़ जाने और फुन्सियों के फूट जाने से हो जाया करते हैं। योनि में अत्यधिक खटास हो जाने से भी घाव हो जाया करते है। उपदंश तथा सुजाक रोगों के कारण भी योनि में घाव हो जाते हैं।
योनि में घाव के घरेलू इलाज / उपचार : Yoni me Ghav ka ilaj in hindi
1- तिलों का तेल 5 तोला लेकर इसमें नीम के पत्ते व मेहन्दी के सूखे पत्ते 1-1 तोला डालकर जलाकर इस तेल को छानकर इसमें विशुद्ध मोम 1 तोला डालकर पिघला लें, फिर इसमें कमीला सवा तोला, मुर्दा संग और काशगरी 4-4 माशा खरल करके मिलालें। इसके प्रयोग से योनि, गर्भाशय, योनि कपाट के घाव, फुन्सियां, खुजली को आराम आ जाता है और घाव तुरन्त भर जाते हैं।
2- योनि के मामूली घाव नीम के पत्तों के क्वाथ का डूश (पानी का स्प्रे)करते रहने से ही ठीक हो जाते हैं।
3- खून में गर्मी आने से कई तरह के त्वचा रोग पैदा हो जाते हैं। नीम की पत्तियों का रस 1 से डेढ़ चम्मच पीने से लाभ मिलता है तथा नीम की पत्तियाँ डालकर (गर्म पानी में) ठन्डा करके स्नान भी करना चाहिए। रक्तशुद्धि हेतु नीम प्रकृति का अमूल्य वरदान है। खून में जहरीला तत्व फैलने से ही, फोड़े-फुन्सियां, दाद, खाज, खुजली आदि चर्म रोग यहाँ तक कि कोढ़ तक के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। नीम की छाल रक्त का शोधन करती है। छाल का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। छाल का चूर्ण बनाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। बसन्त ऋतु में नीम की नाजुक कोपलें 20-25 तोड़कर 5-7 काली मिर्ची के साथ पीसकर इसकी पीठी को बेसन की रोटी में पकाकर के घी में तर करके एक सप्ताह के प्रयोग से लाभ (रक्त शुद्ध) हो जाता है।
4- निमौली (नीम की), एन्ड के बीज तथा नीम की पत्तियां 50-50 ग्राम लें । एन्ड के बीजों तथा निबौलियों का गूदा निकाल लें और पत्तियों के रस में मिलाकर लेप करें। इससे योनि के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।
(वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)