Last Updated on August 27, 2022 by admin
लवण भास्कर चूर्ण क्या है ? :
लवण भास्कर चूर्ण स्वादिष्ट तो है ही साथ ही यह भोजन पचाने की सर्वोत्तम आयुर्वेदिक औषधि भी है। इसे लेने पर यह हमारे पेट संबंधी सभी रोगों को दूर करता है। इस चूर्ण को आप छाछ (Buttermilk) के साथ ले सकते है । साथ ही इसे आप हलके गर्म पानी के साथ भी ले सकते है।
लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि : lavan bhaskar churna bnane ki vidhi
नागकेशर, तालीसपत्र ,सेंन्धा नमक, विडू (काला) नमक, धनियाँ, पीपल, पीपलामूल, स्याहजीरा, तेजपात और अम्लवेत – प्रत्येक 24 -24 ग्राम । समुद्र नमक 192 ग्राम, सेंचर-नमक (मनिहारी) 120 ग्राम, काली मिर्च, जीरा और सोंठ 12 -12 ग्राम, अनारदाना 60 ग्राम, दालचीनी, बड़ी इलायची 66 ग्राम इन दवाओं को कूट छान चूर्ण बना रखें।
वक्तव्य – कुछ वैद्य इसमें निम्बू रस की भावना देकर सुखाकर रखते हैं, इससे यह अधिक स्वादिष्ट एवं रोचक बन जाता है।
सेवन की मात्रा और अनुपान :
1 ग्राम से 3 ग्राम, सुबह शाम भोजन के बाद शीतल जल, छाछ (मट्ठा), दही के पानी आदि के साथ दे।
लवण भास्कर चूर्ण फायदे और उपयोग : lavan bhaskar churna ke fayde
1. आम-विकार – इसके सेवन से मन्दाग्नि, अजीर्ण, वातकफज गुल्म, तिल्ली, उदर रोग, क्षय, अर्श, ग्रहणी, कुष्ठ, विबन्ध, शूल, आम-विकार आदि रोग नष्ट होते हैं।
2. स्वादिष्ट – यह चूर्ण खाने में बहुत स्वादिष्ट और अत्यन्त लाभकारी भी है।
3. पेट के रोग : रोज भोजन के बाद यदि इस चूर्ण का सेवन किया जाय तो पेट के रोग होने की संभावना नहीं रहती।
4. कब्ज : रात को सोते समय गरम पानी से लिया जाय तो प्रातः पाखाना साफ होता है। यदि सम भाग पंचसकार चूर्ण मिलाकर रोगी को दिया जाय तो सुखपूर्वक दो-तीन दस्त खुलासे हो जाते हैं।( और पढ़े – कब्ज दूर करने के 18 रामबाण देसी घरेलु उपचार)
5. मन्दाग्नि : मन्दाग्नि और संग्रहणी रोग की यह उत्कृष्ट दवा है। वात-पित्त-कफ इनमें से कोई भी दोष प्रधान होने के कारण मन्दाग्नि या संग्रहणी हो तो इसके सेवन से दूर हो जाती है।
6. गैस : हिंग्वष्टक चूर्ण 400 ग्राम, लवण भास्कर चूर्ण 400 ग्राम, बीज निकाला हुआ मुनक्का 400 ग्राम, एरंड तेल से शुद्ध किया हुआ कुचला, नौसादर, सुहागे का फूला प्रत्येक 25-25 ग्राम तथा पिपरमिंट 6 ग्राम लें। सर्वप्रथम मुनक्का अच्छी तरह पीसकर कल्क कर लें। अब पिपरमिंट तथा अन्य सभी चीजों का कपड़छन चूर्ण मुनक्का कल्क में मिलाकर खरल करके 1-1 रत्ती (121.50 मि.ग्रा.) की गोलियाँ बना लें। आवश्यकतानुसार 1-2 गोली 3-4 बार पानी के साथ सेवन करनी चाहिए। गैस के पुराने रोगी भी इससे ठीक हो जाते हैं। ( और पढ़े –पेट की गैस को ठीक करने के आयुर्वेदिक उपाय )
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
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