Last Updated on January 9, 2017 by admin
भारत के महान वैज्ञानिक श्री जगदीशचन्द्र बसु ने क्रेस्कोग्रॉफ संयत्र की खोज कर यह सिद्ध कर दिखाया कि वृक्षों में भी हमारी तरह चैतन्य सत्ता का वास होता है। इस खोज से भारतीय संस्कृति की वृक्षोपासना के आगे सारा विश्व नतमस्तक हो गया। आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है।
तुलसी में विद्युतशक्ति अधिक होती है। इससे तुलसी के पौधे के चारों ओर की 200-200 मीटर तक की हवा स्वच्छ और शुद्ध रहती है। ग्रहण के समय खाद्य पदार्थों में तुलसी की पत्तियाँ रखने की परम्परा है। ऋषि जानते थे कि तुलसी में विद्युतशक्ति होने से वह ग्रहण के समय फैलने वाली सौरमंडल की विनाशकारी, हानिकारक किरणों का प्रभाव खाद्य पदार्थों पर नहीं होने देती। साथ ही तुलसी-पत्ते कीटाणुनाशक भी होते हैं।
तुलसीपत्र में पीलापन लिए हुए हरे रंग का तेल होता है, जो उड़नशील होने से पत्तियों से बाहर निकलकर हवा में फैलता रहता है। यह तेल हवामान को कांति, ओज-तेज से भर देता है। तुलसी का स्पर्श करने वाली हवा जहाँ भी जाती है, वहाँ वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है। तुलसी पत्ते ईथर (eugenol methyl ether) नामक रसायन से युक्त होने से जीवाणुओं का नाश करते हैं और मच्छरों को भगाते हैं।
तुलसी का पौधा उच्छवास में ओजोन गैस छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है।
आभामंडल नापने के यंत्र यूनिवर्सल स्कैनर द्वारा एक व्यक्ति पर परीक्षण करने पर यह बात सामने आयी कि तुलसी के पौधे की 9 बार परिक्रमा करने पर उसके आभामंडल के प्रभाव क्षेत्र में 3 मीटर की आश्चर्यकारक बढ़ोतरी हो गयी। आभामंडल का दायरा जितना अधिक होगा, व्यक्ति उतना ही अधिक कार्यक्षम, मानिस रूप से क्षमतावान व स्वस्थ होगा।
लखनऊ के किंग जार्ज कॉलेज में तुलसी पर अनुसंधान किया गया। उसके अनुसार पेप्टिक अल्सर, हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, कोलाइटिस और दमे (अस्थमा) में तुलसी का उपयोग गुणकारी है। तुलसी में एंटीस्ट्रेस (तनावरोधी) गुण है। प्रतिदिन तुलसी की चाय (दूधरहित) पीने या नियमित रूप से उसकी ताजी पत्तियाँ चबाकर खाने से रोज के मानसिक तनावों की तीव्रता कम हो जाती है।
पूज्य बापू जी कहते हैं- वैज्ञानिक बोलते हैं कि जो तुलसी का सेवन करता है उसका मलेरिया मिट जाता है अथवा होता नहीं है, कैंसर नहीं होता। लेकिन हम कहते हैं यह तुम्हारा नजरिया बहुत छोटा है, तुलसी भगवान की प्रसादी है। यह भगवत्प्रिया है, हमारे हृदय में भगवत्प्रेम देने वाली तुलसी माँ हमारी रक्षक और पोषक है, ऐसा विचार करके तुलसी खाओ, बाकी मलेरिया आदि तो मिटना ही है। हम लोगों का नजरिया केवल रोग मिटाना नहीं है बल्कि मन प्रसन्न करना है, जन्म-मरण का रोग मिटाकर जीते जी भगवद्रस जगाना है।
Sant Shri Asaram ji Ashram (Tulsi Rahasya Book)