Last Updated on October 10, 2024 by admin
शहद के फायदे और उपयोग : Shahad ke Labh aur Upyog
1. मोटापा – 25 ग्राम शहद को 120 ग्राम जल में मिलाकर नित्य प्रति पीने से मोटापा दूर होकर रक्त शुद्ध व साफ हो जाता है ।
2. नेत्रज्योति – मधु को नित्य रात्रि को आँख में डालने से नेत्रज्योति बढ़ती है। ( और पढ़ें – शहद खाने के 18 जबरदस्त फायदे )
3. शरीर पुष्टि – 12 ग्राम तोला शहद और 24 ग्राम मक्खन (ताजा) को मिलाकर खाने से शरीर पुष्ट होता है और धातुक्षय नष्ट होता है।
4. बिच्छू दंश– असली शहद वृश्चिक(बिच्छू) दंश पर लगाकर मलना अत्यन्त उपयोगी है। ( और पढ़ें – शहद खाएं तो इन बातों का रखें ध्यान वरना ये जहर बन जाएगा)
5. कीट दंश – सर्पदंश को छोड़कर प्रत्येक प्रकार का कीट दंश की पीड़ा शहद लगाने से मिट जाती है।
6. घाव – घाव पर शहद का फाया लगाते रहने से घाव ही शीघ्र भर जाता है । ( और पढ़ें –जमा शहद कितना असली कितना नकली ? )
7. खाँसी – शहद को बार-बार चाटते रहने से खाँसी का वेग कम हो जाता है।
8. कर्णनाद – शहद को पानी में घोलकर कान में टपकाने से कर्णनाद बन्द हो जाता है।
9. टूटी हड्डी – टूटी हुई हड्डी को तत्काल जोड़कर शहद से तर किया हुआ कपड़ा हड्डी पर लपेटना का प्रथम उपचार हेतु अतिशय उपयोगी है।
10. दीर्घायु – 2-2 या 3-3 चम्मच शहद दिन भर में 3-4 बार प्रतिदिन खाते रहने से लम्बी आयु होती है । बुढ़ापों में भी जवानी का आनन्द लिया जा सकता है।
11. हार्टफेल – 2-3 चम्मच शहद प्रतिदिन दिन में 3-4 बार सेवन करते रहने से हार्टफेल होने का भय दूर हो जाता है। ( और पढ़ें –हार्टफेल के 10 सबसे सफल आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )
12. वीर्यवान – मधु का नियमित सेवन करने से नामर्द भी मर्द बन जाता है । शहद में दूध से 6 गुना अधिक शक्ति होती है और इसमें 1 मुर्गी के अण्डे के बराबर शक्ति होती है।
13. बलवर्धक – सर्दी की ऋतु में 1 पाव दूध में शहद मिलाकर कम से कम 21 या 40 दिन नियमित सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट मजबूत हो जाता है।
14. प्राणबल – शहद को सेवन करते रहने से श्वासा-साधनाशक्ति बढ़ जाती है ।
15. आतों के घाव – शहद प्रतिदिन सेवन करने से आमाशय व आत्र के व्रण ठीक होते हैं।
16. कीटाणु नाशक – शहद सेवन करने से न्यूमोक्स सैप्टिक, व्रण, एमीबा, टाइकोसस इत्यादि बीमारी उत्पन्न करने वाले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं ।
17. पुराने घाव – पुराने घाव और कैन्सर भी मधु खाने और लगाने से ठीक हो जाते हैं।
18. आग से जलने पर – अग्न्दिग्ध स्थान पर शहद की पट्टी रखने से दर्द और जलन तुरन्त शान्त हो जाती है एवं व्रण भी ठीक हो जाता है ।
19. टानिक – छोटे बच्चों को शहद जनरल टानिक के स्थान पर सेवन करवाकर उन्हें हष्ट-पुष्ट और निरोग रखा जा सकता है।
20. शय्या मूत्र – 12 वर्ष तक आयु के बच्चों को सोते समय 1-2 चम्मच शहद निरन्तर सेवन करवाते रहने से उनका बिस्तर पर पेशाब करना बन्द हो जाता है ।
21. थकान – खिलाड़ियों को नित्य शहद सेवन करने से थकावट नहीं आती है ।
22. शराब की लत – जब-जब सुरापान की इच्छा हो, तब-तब (2-4 चम्मच शहद) पीने से शराब पीने की लत छूट जाती है ।
23. लकवा – पक्षाघात, लकवा, ऐंठन और स्नायुरोग 2-4 चम्मच दिन में 2-4 बार सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं । शहद कैल्शियम की मात्रा की पूर्ति करता है।
24. टायफाइड – टायफाइड ज्वर की कमजोरी में मधु सेवन अंग्रेजी टॉनिक जैसा काम करता है।
25. जोड़ों का दर्द – जोड़ों के दर्द और शोथ में मधु सेवन करते रहने से पोटाशियम की पूर्ति होकर रोग शान्त हो जाता है।
26. नेत्र रोग – 1-2 चम्मच शहद प्रतिदिन 12 बार निरन्तर 1-2 सप्ताह तक सेवन करते रहने से ही आँखें बार-बार झपकाने का रोग ठीक हो जाता है ।
27. आधासीसी – 1-2 चम्मच शहद दिन में 3-4 बार खाने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है ।
28. अनिद्रा रोग – 2-3 चम्मच शहद दिन में 1-2 बार तथा रात्रि को सोते समय सेवन करने से अनिद्रा रोग दूर होकर गाढा (गहरी) निद्रा आने लगती है ।
29. खांसी – एक पके नीबू को 10 मिनट पानी में उबालकर तदुपरान्त इसका रस निकालकर इसमें दो चम्मच ग्लैसरीन और 4 औंस शहद मिलाकर रखलें । इसे 1-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार चाटने से प्रत्येक प्रकार की खांसी नष्ट हो जाती है ।
30. कमजोरी -शरीर में झटके लगना, दांतों और अस्थियों के रोग, निर्बलता, सुस्ती, थकावट, चिन्ता, वृजन गिर जाना (कमजोरी होना), गले के रोग, साहस की कमी, कुरूपता, कैन्सर, जल्द बुढ़ापा आ जाना, क्षय रोग और मधुमेह इत्यादि में मधु सेवन अमृत की भांति लाभ प्रदान करता है ।
31. आयुर्वेदिक टानिक – जिस प्रकार अंग्रेजी (ऐलोपैथी) चिकित्सा में विटामिन बी काम्पलैक्स और विटामिन सी की गोलियाँ पेयो या इन्जेक्शनों को महत्वपूर्ण माना जाता है, उसी प्रकार आयुर्वेद मनीषियों ने सदियों पूर्व से ही शहद को महत्व प्रदान किया है।
32. तुरन्त शक्ति – मधु में सर्वाधिक मात्रा में ग्लूकोज है जो तुरन्त ही शक्ति प्रदान करता है।
33. मोटापा – मोंटापे में 1 गिलास ताजा पानी में आधा नीबू निचोड़कर चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
34. शरीर शुद्धि – 1 गिलास पानी में आधा ग्राम (पान में खाने वाला) चूना और तीन चम्मच शहद मिलाकर सुबह-साम पीने से मोटापा कम हो जाता है । चर्बी, रक्त व अन्य धातुऐं शुद्ध हो जाती हैं। तीन मास तक निरन्तर सेवन करें ।
35. रक्त विकार – पित्त तथा रक्त विकार में शहद को दूध में मिलाकर सेवन करें ।
36. आधासीसी – आधासीसी के दर्द में सिर दर्द के विपरीत ओर की नासिका में शहद 12 बूंद डालने से आराम मिलता है।
37. सर्दी – प्रतिश्याय में आधा नीबू का रस और 2-3 चम्मच शहद दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता है अथवा 1 चम्मच अदरक को शहद के साथ सेवन करना भी लाभकारी है ।
38. मुह के छाले – मुखपाक में मधु को मुख में धारण करने पर मुखपाक में लाभ होता है। अथवा मधु को शुद्ध सुहागे में मिलाकर मुख के अन्दर घावों पर लगाना अत्यन्त गुणकारी है। इससे घाव शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
39. दाँत में दर्द – कृमिदन्त में दाँत में दर्द होने पर दर्द वाले स्थान में रुई के फाहे में मधु को रखने से दाँत का दर्द मिट जाता है।
40. मसूढों की मजबूती – मधु को प्रतिदिन मंजन की भाँति मलने से दाँत साफ हो जाते हैं । मसूढे मजबूत हो जाते हैं । मुख के अन्दर के घाव में भी आराम हो जाता है।
41. बच्चों के दाँत – बच्चों के दाँत निकलने के समय मधु और शुद्ध फिटकरी को मिलाकर मसूढ़ों पर मलने से दाँत बगैर कष्ट के सरलता से निकल आते हैं ।
42. दाँतों की मजबूती – दाँतों के हिलने पर शुद्ध फिटकरी, शहद और सिरका को सम मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम दाँतों पर मलने से दाँतों का हिलना बन्द हो जाता है।
43. नेत्रज्योति – सोने के वर्क मधु के साथ सेवन करने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।
44. मोतिया बिन्द – प्याज का रस और शहद सममात्रा में लेकर प्रतिदिन 2-3 बार आँखों में डालने से मोतिया बिन्द में आराम पहुँचता है ।
45. आँखों का दर्द – 2-2 बूंद शहद दुखती आँखों में डालने से आँखें ठीक हो जाती हैं ।
46. कान का बजना – कलमी शोरा 1 भाग एवं शुद्ध मधु 3 भाग लेकर गरम जल में घोलकर कान में टपकाने से कर्णनाद (कान का बजना) दूर हो जाता है ।
47. कान बहना – कान को साफ करके शहद डालने से कर्ण स्राव (मवाद बहना) और दर्द ठीक हो जाता है।
48. सर्दी खांसी – तुलसी के पत्तों का स्वरस और मधु सममात्रा में मिलाकर पीने से खांसी और प्रतिश्याय में लाभ होता है ।
49. दमा- काली मिर्च, सौंठ, पीपल के चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से कफ जनित मल निकलकर श्वास कष्ट (श्वास रोग) में लाभ होता है ।
50. उर:क्षत – मधु का आरम्भ से ही प्रयोग करने से यह उर में होने वाले क्षत को भरता है तथा रोग के उपसर्ग, ज्वर और कास में भी लाभ होता है ।
51. उल्टी – गिलोय के क्वाथ में सममात्रा में शहद सेवन करने से वमन रुक जाती है।
52. हिचकी – मोरपंख के चन्दे की भस्म बनाकर शहद के साथ चाटने से हिचकियाँ रुक जाती हैं।
53. पाचन शक्ति – भोजनोपरान्त 1-2 तोला शहद चाट लेने से भोजन शीघ्र पचता है तथा पाचन शक्ति में वृद्धि भी होती है
54. पेट दर्द – पिसी हुई पीपल 6 माशा 2 तोला शहद के साथ सेवन करने से पेट दर्द दूर हो जाता है।
55. अधीक प्यास लगना – मधु को जल के साथ दिन में 2-3 बार पीने से तृष्णा शान्त हो जाती है।
56. पेट में मरोड – मधु को आधा या सममात्रा एरन्ड तैल में मिलाकर बच्चों को पिलाने से अजीर्ण रोग व मरोड़ दूर होती है ।
57. कब्ज – गरम दूध के साथ 2 चम्मच शहद को पीने से मलावरोध रोग दूर हो जाता है ।
58). जलोदर रोग – लम्बे समय तक निरन्तर जल और मधु का सेवन करते रहना जलोदर रोग में उपयोगी है ।
59. लिवर की कमजोरी – गाय के दूध में मधु मिलाकर सेवन करने से यकृत की निर्बलता मिटती है।
60. पथरी – सुहागे को मधु के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार चाट लेने से मूत्र की रुकावट दूर हो जाती है और अश्मरी गलकर बाहर निकल आती है।
61. पेशाब की रुकावट – शीतलचीनी के साथ मधु का शर्बत पीने से पेशाब की रुकावट दूर होकर मूत्र खुलकर आता है अथवा रुई की बत्ती को मधु में भिगोकर मूत्रमार्ग में रखने से मूत्र की रुकावट दूर हो जाती है ।
62. मधुमेह – शिलाजीत के साथ मधु सेवन करना मधुमेह रोग में परम लाभकारी है।
63. कुष्ठ रोग – कुष्ठ रोग में बकरी के दूध के साथ 1 से 2 तोला तक मधु सेवन करें। नमक का सेवन बन्द करके क्रमश: दूध और मधु की मात्रा बढ़ाते जाएँ। इस प्रकार के उपचार से रोग नष्ट होकर रोगी पूर्ण स्वस्थ हो जाता है ।
64. झाइयां – दाद और झाइयों में शहद लगाना अतीव गुणकारी है ।
65. सूजन – गेहूँ के आटे के साथ शहद गूंथकर सूजन पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है तथा फोड़े पर लगाने से फोड़ा पक जाता है ।
66. त्वचा के दाग-धब्बे – सिरका और नमक के साथ शहद मिलाकर लगाने से शरीर के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
67. मोटापा – मधु को गरम पानी के साथ (प्रारम्भ में 1 तोला) सेवन करने से तदुपरान्त शहद की मात्रा बढ़ाते जाने से मोटापा दूर हो जाता है।
68. घाव – तिलों को पीसकर मधु में मिलाकर मरहम बनाकर घावों पर लगाने से घाव अति शीघ्र भर जाते हैं।
69. विष उपचार- विष सेवन किये रोगी को मधु पिलाकर वमन द्वारा विष से मुक्त कर लिया जाता है। जब तक आमाशय में विष का प्रभाव अवशेष रहेगा तब तक निरन्तर वमन होकर विष निकलता रहेगा।
70. बल और शक्ति में वृद्धि – सफेद प्याज का रस और मधु मिलाकर सेवन करने से वीर्य की अधिक उत्पत्ति होती है और बाजीकरण शक्ति बढ़ती है अथवा भैंस के दूध में दो बड़े चम्मच मधु भली प्रकार मिलाकर पीने से शारीरिक बल और शक्ति में वृद्धि होती है।
71. स्त्री रोग – मधु स्त्री के गुप्त रोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी औषधि है । इसके सेवन से गर्भाशय मूत्र और आर्तव सम्बन्धी रोग नष्ट हो जाते हैं ।
72. बच्चों के दाँत – भैस के मक्खन शहद मिलाकर मसूढ़ों पर मलने से बच्चों के दाँत सरलता से निकलते हैं।
73. बाल रोग – बच्चों को मधु चटाने से उनका गला साफ रहता है और अजीर्ण और ऐंठन दूर हो जाती है ।
शुद्ध शहद की पहचान क्या है : shudh shahad ki pehchan
भाव प्रकाश निघन्टु में शहद आठ प्रकार का बतलाया गया है। जिसका यहाँ उल्लेख हम बिस्तारमय से नहीं कर रहे हैं फिर भी शुद्ध शहद की पहचान की जानकारी हम अपने प्रबुद्ध पाठकों को देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं-
- मक्खी को पकड़कर जोर से शहद में डालें तो वह डूब जाती है किन्तु फिर निकलकर वह साफ उड़ जाती है शहद में लिपटती नहीं है।
- कुत्ता शुद्ध शहद को कभी चाटता नहीं है ।
- शहद आंखों में आंजने पर चिपकता नहीं है।
- शहद जलाने पर जलने लगता है ।
शुद्ध शहद रूई में भिगोकर आग लगाये जाने पर सम्पूर्ण जल जाता है जबकि कृत्रिम (मिलावट) मधु होने पर उसका कोयला शेष रह जाता है । यदि गुड़ की चासनी शुद्ध शहद में मिली होगी (शहद में मिलावट होना) तो ऊपर शुद्ध शहद रहता है और नीचे चासनी रहती है । प्राय: बेईमान शहद व्यवसायी शहद में गुड़ की चासनी (बख्खर) की मिलावट कर देते हैं। नीम और जामुन के पेड़ पर लगे हुए छत्ते का शहद औषधि में गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ।
शहद (मधु) की सेवन मात्रा : shahad sevan ki matra
पुरुषों में (व्यस्कों में) 12 से 24 ग्राम तक तथा बच्चों को और निर्बल स्त्री-पुरुषों को दिन भर में 5 ग्राम तक का विधान है।
शहद के नुकसान : shahad ke nuksan
- शहद के साथ घी की समान मात्रा जहर (poison) के समान हानिकारक परिणाम उत्पन्न करती है।
- शहद को कभी गर्म न करें और न ही इसका सेवन ज्यादा गर्म चीजों जैसे गर्म भोजन, गर्म पानी, गर्म दूध के साथ करें । इस तरह से शहद का सेवन आपकी सेहत के लिए हानिकारक है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।