Last Updated on July 22, 2019 by admin
शिशु रोग विशेषज्ञों के पास माता-पिता अकसर यह शिकायत लेकर आते हैं कि शिशु दूध पीते ही या दूध पीने के 10-15 मिनट के भीतर 2-3 चम्मच के बराबर दूध की मुँह से पिचकारी सी मारता है या थूक देता है। निकला हुआ दूध ताजा ही होता है। यह फटा हुआ, दही जैसा या खट्टी गंध का नहीं होता। यह शिकायत 6 महीने के छोटे बच्चों में होती है और 6 माह की आयु के बाद आमतौर पर स्वत: ठीक हो जाती है।
कारण :
कुछ नवजात शिशु कुछ महीने तक पीया हुआ दूध थूकते रहते हैं। ये ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि पीने के बाद दूध बार-बार इनके मुँह में आ जाता है। इसका मुख्य कारण पेट से मुँह की ओर की अवरोधक मांसपेशियों की कमी है। यह 6 महीने से 1 वर्ष की आयु तक सामान्य है। चूंकि शिशु ज्यादातर जब लेटे रहते है तो दूध, जो कि तरल पदार्थ है, आसानी से मुँह में आ जाता है। यदि जरूरत से ज्यादा दूध पिलाया जाए तो यह जरूर पेट से मुँह में आएगा।
क्या करें :
1. जहाँ तक हो सके, शिशु को बैठकर ही स्तनपान कराएँ। लिटाकर न कराएँ।
2. स्तनपान कराते हुए बीच-बीच में रुकें व उसे डकार दिलाएँ। जरूरी नहीं है कि स्तनपान समाप्त करने पर ही डकार दिलाएँ, पहले भी दिला सकती हैं।
3. दूध पिलाने (स्तनपान) के बाद शिशु को 15-20 मिनट कंधे से लगाकर घुमाएँ व पीठ सहलाएँ। इससे वह आसानी से डकार ले लेगा।
4. इसके बाद शिशु को करवट से लिटाएँ। इसके 15-20 मिनट के बाद उसे पीठ के बल लिटा दें।
5. डायपर (लँगोट) पेट पर ढीले बाँधे, कसे नहीं।
6. यदि बोतल से दूध देते हों तो एक आउंस (30 मि.ली.) कम बोतल भरें ।
कम दूध देने पर दूध उलटी करना काफी कम हो जाएगा। यदि एक हफ्ते तक कम न हो तो देने वाले दूध की मात्रा एक आउंस (30 मि.ली.) और कम कर दें।
7. स्तनपान करनेवाले शिशु को हर बार अंदाजन पाँच मिनट स्तनपान कम कराएँ।
8. स्तनपान कराने या दूध की बोतल देने में तीन घंटे का अंतराल रखें । यदि उपरोक्त
उपायों के बाद भी दूध उलटी करना कम न हो, उलटी वाले दूध में खून हो, खाँसी हो या बच्चा कमजोर होने लगे तो शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
लक्षणों के घटने का प्राकृतिक क्रम :
जब शिशु 6 महीने का हो जाता है, तब वह बैठना शुरू कर देता है। ठोस भोजन भी खाने लगता है। पेट व फूड पाइप की अवरोधिका, मांसपेशियाँ भी विकसित हो जाती हैं। इसलिए 6-7 महीने की आयु होने पर शिशु दूध उलटी करना, थूकना अपने आप बंद कर देता है।