सर्व सिद्धिदायी विजय काल

Last Updated on July 24, 2019 by admin

दशहरा के दिन शाम को जब सूर्यास्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय हो वो सर्व सिद्धिदायी विजय काल कहलाता है |

उस समय घूमने-फिरने मत जाना | दशहरा मैदान मत खोजना … रावण जलाता हो देखकर क्या मिलेगा ? धूल उड़ती होगी, मिटटी उड़ती होगी रावण को जलाया उसका धुआं वातावरण मे होगा …. गंदा वो श्वास में लेना …. धूल, मिटटी श्वास में लेना पागलपन है |

ये दशहरे के दिन शाम को घर पे ही स्नान आदि करके, दिन के कपडे बदल के शाम को धुले हुए कपडे पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाये | थोडा

” राम रामाय नम: ।  “

मंत्र जपते, विजयादशमी है ना तो रामजी का नाम और फिर मन-ही-मन  गुरुदेव को प्रणाम करके गुरुदेव सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है की हम विजय के लिए ये मंत्र जपते है –

“ॐ अपराजितायै नमः “

ये मंत्र १ – २ माला जप करना और

इस काल में श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए इस मंत्र की एक माला जप करें :-

“पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।
कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥”

पवन तनय समाना की भी १ माला कर ले उस विजय काल में, फिर गुरुमंत्र की माला कर ले । फिर देखो अगले साल की दशहरा तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत-बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते है |

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