Last Updated on June 7, 2020 by admin
सिर में दर्द होने के कारण : sar / sir dard ke karan
कब्ज, अजीर्ण ,नींद पूर्ण न होना, थकावट, संक्रामक रोग, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएंजा, मस्तिष्क तथा सुषुम्ना के आवरणों का प्रदाह, ज्वर, लंगड़ा ज्वर, अत्यधिक मानसिक श्रम, चिन्ता, तेज धूप या गर्मी में चलना-फिरना, नजला, जुकाम, दुर्बलता, हिस्टीरिया, मृगी, पेट में गैस, तथा रक्त-भार आदि कारणों से सिरदर्द हुआ करता है।
सिर दर्द के लक्षण : sar / sir dard ke lakshan
- सिर में दर्द हल्का भी होता है तथा तीव्र रूप से भी हुआ करता है।
- किसी-किसी को वेदना के कारण उठना-बैठना भी मुश्किल हो जाता है।नींद भाग जाती है कुल मिलाकर रोगी की हालत पागलों की भाँति हो जाती है।
- सिरदर्द के साथ ही साथ मिचली तथा कै आदि विकार भी हो जाते हैं।
- आमतौर पर सिरदर्द कपाल के सामने दोनों कनपटियों में अथवा पीछे की ओर हुआ करता है।
- सिरदर्द 2-3 दिन तक रहता है। किन्तु पेट में गैस, स्नायुविक दुर्बलता अथवा रक्त भार के रोगी को चौबीसों घण्टे (रात-दिन) सिरदर्द बना ही रहता है।
सिर दर्द में क्या करें / आहार विहार : sar dard me kya kare
- सिरदर्द स्वयं में कोई रोग न होकर दूसरे रोगों का लक्षण है। इसलिए जिन कारणों से सिरदर्द हो, उसे दूर करें। पाचन-संस्थान तथा नाड़ी संस्थान की क्रियाहीनता दूर करके उनको सबल बनायें।
- रोगी को कब्ज न होने दें तथा न गैस बनने दें।
- हल्का तथा पौष्टिक भोजन नियत समय पर दें।
- नित्य कर्म भी नियमित करायें।
- रात को जल्दी सुलायें, सुबह को जल्दी उठायें एवं प्रातः भ्रमण एवं हल्का व्यायाम (Light Exercise) करायें।
- सिर-दर्द में बढ़ोत्तरी करने वाले मिथ्या आहर-विहार पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दें।
- रोग का आक्रमण होने पर उपवास करायें ।
- अधिक मात्रा में गरम जल दें। यदि मस्तिष्क में रक्तसंचय के कारण सिरदर्द हो तो शीतल जल की धारा दें, पट्टी या बर्फ की थैली रखवायें।
- यदि सिर को कसकर पकड़ने से सिर दर्द में राहत मिलती हो तो सिर पर सूखा या गीला बड़ा रूमाल (कपड़ा) बँधवा दें।
- रोगी को ठण्डे कमरे में पूर्ण विश्राम दें। यदि लाभ करे तो बीच-बीच में माथे पर “अमृत द्रव्य “की मालिश करायें।
सिर दर्द के घरेलू नुस्खे : sar / sir dard ke gharelu nuskhe
1) नौशादर और बिना बुझा चूना समान मात्रा में लेकर थोडा जल मिलाकर शीशी में सुरिक्षत रखलें, नजले से उत्पन्न सिरदर्द के रोगी को सुंघायें, तुरन्त आराम मिलेगा। ऐलोपैथी में इसी योग से बना पेटेन्ट फारमूला (स्प्रिट ऐमोनियां फोर्ट) बहुत मशहूर है। ( और पढ़ें – सर दर्द मिटाने के 13 घरेलू उपचार )
2) शुद्ध तिल का तेल 250 ग्राम, कपूर, चन्दन का तेल एवं दालचीनी का तेल (प्रत्येक 10-10 ग्राम) सबको शीशी में डाल कर हिलाकर मिलायें तथा सुरक्षित रख लें। आवश्यकता पड़ने पर इस तेल की माथे पर मालिश करायें, तुरन्त दर्द छूमन्तर हो जायेगा। इसकी 4-4 बूंद दोनों कानों में भी डाल दें। ( और पढ़ें – सिर दर्द के 145 घरेलू नुस्खे )
3) नीबू की पत्तियों को कूटकर रस निकालें तथा उसे नाक में सुड़कें। जिन्हें सदा सिरदर्द रहता हो, वे रोगी यह प्रयोग करें। दर्द का रोग सदा के लिए समाप्त हो जायेगा।
4) छोटी पीपल डेढ़ ग्राम बारीक पीसकर 10 ग्राम शुद्ध शहद के साथ रोगी को चटायें । दर्द पांच मिनट में गायब हो जायेगा।
5) सर्प की केंचुली 10 ग्राम को खूब बारीक पीसकर उसमें बराबर (समान) मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी खरल में खूब घुटाई करें तथा बाद में शीशी में सुरक्षित रखलें। आवश्यकता पड़ने पर 2ग्रेन (2 चावल भर) बताशे में भरकर दें, ऊपर से तीन-चार घूट पानी पिला दें। पुराने से पुराना सिरदर्द भी मात्र 2-4 खुराकों से ही सदा के लिए चला जायेगा।
6) धतूरे के 3-4 बीज प्रतिदिन निगलने से पुराना से पुराना सिर्द कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। ( और पढ़ें – धतूरा के 60 लाजवाब फायदे )
7) सामान्य सिर दर्द दबाने या सेंकने से ही ठीक हो जाता है।
8) सिर और माथे पर बादाम रोगन की मालिश से सिर दर्द में लाभ हो जाता है। ( और पढ़ें – बादाम खाने के 67 जबरदस्त फायदे )
9) पीपल का चूर्ण शहद के साथ चाटने से वातजन्य सिरदर्द भी ठीक होता है । चूर्ण की मात्रा लंगभग 1 ग्राम लें ।
10) मुचकुन्द के फूलों को कॉजी के साथ पीस कर लेप करें । वातज सिर दर्द में तुरन्त लाभ प्रतीत होगा । नींद भी ठीक से आयेगी । अथवा मट्ठा के साथ मुचकुन्द के फूलों को पीस कर लगाना चाहिये ।
11) कूठ और एरण्डमूल को कॉजी के साथ पीस कर लेप करने से भी सिर दर्द मिट जाता है |
12) पित्तजन्य शिरोरोग में घी और दूध का अधिक सेवन करें। घी सिर पर मलें तथा उसे सूंघे भी ! इसमें पुराने धी का लेप या नस्य अधिक लाभप्रद है।
13) जीवनीयगण से सिद्ध किया हुआ घृत पित्तजन्य शिरोरोग में अत्यन्त हितकर है।
14) लाल चन्दन, खस, मुलहठी, खिरेंटी, नखी, नील- कमल समान भाग को गोदुग्ध के साथपीस कर लेप करना पित्तज शिरःशूल का उत्तम उपाय है।वस्तुतः पित्तज़ शिरोरोग में शीतल उपचार किये जाने चाहिये । उन पदार्थों और औषधि- द्रव्यों का सेवन किया जाना चाहिये, जो प्रकुपित पित्त का शमन कर सकें। ठण्डे पानी से धोया हुआ घृत अभ्यंग के लिये उत्तम रहता है । शीतल वायु का सेवन भी बहुत लाभदायक है।
15) पीपल, नागरमोथा, सोंठ, मुलहठी, सोया, नील कमल और कूट समान भाग को पानीके साथ पीस कर सिर पर लेप करने से कफजन्य सिर दर्द का शमन होता है ।
16) देवदारु, तगर, कूट, जटामांसी और सोंठ समान भाग को कॉजी के साथ पीस कर लेपकरने से सिर दर्द मिट जाता है ।
17) अनन्तमूल, नीलकमल, कूट और मुलहठी समान भाग को कॉजी के साथ पीसें और उसे घी में या तैल में मिला कर लेप करें। इससे अर्धावभेदक (आधाशीशी) और सूर्यावर्त दोनों प्रकार के सिर दर्द में लाभ होता है।
18) सोंठ के कल्क में चौगुना दूध मिला कर नस्य लेने से सभी प्रकार का सिर- दर्द मिट जाता है । ( और पढ़ें – गुणकारी अदरक के 111 औषधीय प्रयोग )
19) सूरजमुखी के चूर्ण को सूरजमुखी के ही रस के साथ पीस कर सिर पर लेप करें। इससे सूर्यावर्त और आधासीसी दोनों में ही लाभ होता है। दशमूल के क्वाथ में घी और सेंधानमक मिला कर पूँघने से आधा- शीशी और और सूर्यावर्त दोनों ठीक होते हैं।
20) नौसादर और चूना महीन करके शीशी में, कड़ी डाट लगा कर रखें । इसे पूँघने से सब प्रकार का सिर दर्द तत्काल दूर होता है। यदि इसके साथ किंचित् कपूर भी मिला लिया जाय तो अधिक उपयोगी होता है। मूर्च्छित व्यक्ति को सुंघा कर होश में लाया जा सकता है ।
21) रक्तज शिरःशूल में फिटकरी और कर्पूर को महीन पीस कर सूंघे । इससे रक्त भी बन्द हो जाता है और सिरदर्द भी मिट जाता है। नकसीर के लिए यह उत्तम योग है। ( और पढ़ें – फिटकरी के 22 कमाल के फायदे )
22) सिरस और मूली के बीजों के स्वरस को सूंघने से सूर्यावर्त में लाभ होता है ।
23) छोटी पीपल और वच के स्वरस अथवा क्वाथ की नस्य भी सूर्यावर्त और अधकपारी को दूर करती है।
24) भाँगरे का रस और बकरी का दूध समान भाग लेकर मिलायें और धूप में रख कर गर्म कर लें। इसकी नस्य सूर्यावर्त में अत्यन्त लाभदायक और उत्तम है । आधा शीशी में हितकर है।
25) नासिका द्वारा ठण्डा जल चढ़ाने से अधकपारी और सूर्यावर्त में लाभ होता है । अथवा नारियल का पानी नासिका के द्वारा चढ़ाना चाहिये। ( और पढ़ें – नारियल पानी के 38 लाजवाब फायदे )
26) शर्करा मिश्रित दूध की नाक के द्वारा सेवन करना भी अधकपारी (माइग्रेन) और सूर्यावर्त में हितकारी होता है।
27) तिल और जटामसी पानी में पीस कर, उसमें नमक मिलावें तथा सिर पर लेप करें। अधकपारी के लिये बहुत प्रभावकारी है।
28) काले तिल और वायविडंग समान भाग पीस कर और गर्म पानी में मिला कर नस्य लें। इससे भी आधा शीशी में शीघ्र लाभ होता है ।
29) चूल्हे की जली हुई मिट्टी और काली मिर्च महीन पीस कर, नस्य लेने से अधकपारी (माइग्रेन) का दर्द दूर हो जाता है।
30) शंखक नाम के शिरोरोग में भी यही सब उपाय काम में लाये जा सकते हैं। अथवाशतावर, काले तिल, मुलहठी, नील कमल, दूर्वा और पुनर्नवा का पानी के साथ लेप करने भी शंखक में शीघ्र लाभ होता है।
31) बरगद के कल्क का लेप भी शंखक नामक शिरोरोग में लाभदायक है।ठण्डे पानी और ठण्डे दूध से सिर पर तरड़ा देना चाहिये । इससे भी शंखक में शीघ्र लाभ होता है।
32) विष्णुकान्ता के फल का स्वरस अथवा उसकी जड़ का चूर्ण नस्य में प्रयुक्त करें और विष्णुकान्ता की ही जड़ को कान में बाँधे । इससे सब प्रकार का सिर दर्द दूर होता है |
33) गुंजा और कंजा के बीजों को पानी के साथ पीस कर नस्य लेने से सब प्रकार के सिर दर्द में लाभ होता है ।
34) काली मिर्च का चूर्ण, भाँगरे के रस के साथ पीस कर नस्य लेना भी सब प्रकार के सिर दर्द में हितकर है। ( और पढ़ें – कालीमिर्च के 51 जबरदस्त फायदे )
35) छोटी लाल मिर्च और बड़ी लाल मिर्च, समान भाग लेकर थूहर के दूध के साथ पीस कर लेप करें। इससे सब प्रकार की शिरोवेदना मिट जाती है ।
36) कृमिजन्य शिरोरोग में, हुलहुल के पत्तों का स्वरस नाक में टपकाना चाहिये । दोनों नासा- छिद्रों में 7-8 बूंद यह स्वरस टपका कर कुछ देर रोगी को लेटे रहने का निर्देश दें। ऐसा करने से छींके आने लगेंगी तथा दूषित स्राव के साथ कृमियाँ भी निकल जायेंगी। वस्तुतः कृमिजन्य सिर दर्द तभी ठीक हो सकता है जब कृमियाँ नष्ट हो जाती हैं।
37) बादाम की मिगी 10 ग्राम, कर्पूर और केशर 1-1 ग्राम, मिश्री तथा गोघृत मिला कर मन्दाग्नि पर पकायें तथा घृत मात्र शेष रहने पर छान कर शीशी में रखें।सभी प्रकार के सिर दर्द में इसकी मालिश और मुख द्वारा सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है । कफजन्य शिरोरोग में तो विशेष रूप से उपयोगी है।
38) तुलसीपत्र के स्वरस में कर्पूर डाल कर उसे चन्दन काष्ठ से घिसें और मस्तक पर लेप | करे। इससे सब प्रकार का सिरदर्द मिट जाता है।
39) भाँगरे का स्वरस और गोदुग्ध समान भाग मिला कर पीने से सब प्रकार का सिरदर्द मिट जाता है।
40) रोजाना सुबह के समय एक मीठा सेब खाली नमक लगाकर खाने से पुराना सिर दर्द दूर हो जाता है। यह प्रयोग पद्रह दिन करें ।
41) सुबह खाली पेट दूध से जलेबियां खाने से भी सिरदर्द ठीक हो जाता है।
आइये जाने सिरदर्द की आयुर्वेदिक औषधि के बारे में |sir dard ki medicine,sar dard ka ayurvedic dawa
सिर दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : sar dard ki dawa
- “षडबिन्दु तेल” की नस्य सभी प्रकार के सिरदर्द में उपयोगी है।
- सिर दर्द की आयुर्वेदिक दवा – “अमृत द्रव” की 2 से 3 बूंद माथे पर लगाने से सभी प्रकार के सिरदर्द दूर होता है ।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)