Last Updated on November 20, 2019 by admin
हंसासन /Hansa Asana
परिचय-
हंसासन आसन (Hansa Asana)के अभ्यास के समय व्यक्ति के पूरे शरीर का संतुलन दोनों हथेलियों पर करना पड़ता है। इसके अभ्यास में शरीर की स्थिति हंस के समान होने के कारण इसे हंसासन कहते हैं।
आसन के अभ्यास से रोगों में लाभ :Benefits of Hansa Asana in Hindi
★ इस आसन से हाथ व पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा गर्दन का मोटापा कम होता है।
★ इससे छाती मजबूत, पुष्ट व चौड़ी होती है तथा शरीर शक्तिशाली बनता है।
★ इस आसन से चेहरे पर तेज, चमक तथा शरीर में स्फूर्ति व ताजगी आती है।
★ नाड़ी-तंत्र (स्नायुतंत्र) सही रूप से काम करने लगता है, जिससे रक्त संचार (खून का बहाव) तेज हो जाता है।
★ यह पेट की चर्बी को कम कर मोटापे को घटाता है।
★ इससे फेफड़े स्वच्छ एवं अधिक मजबूत व सक्रिय बने रहते हैं।
★ यह मल-मूत्र की रुकावट को दूर करता है
★ यह पेट दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द, पसली का दर्द तथा प्लूरिसी आदि रोगों को खत्म करता है।
हंसासन (Hansa Asana)के अभ्यास की विधि-
हंसासन (Hansa Asana) को हवादार कमरे में या खुले स्थान पर करना अधिक लाभकारी होता है। इस आसन के लिए स्वच्छ वातावरण का होना आवश्यक है।
★ आसन के लिए चटाई बिछाकर घुटनों के बल बैठें।
★ अब दोनों हाथों को सामने फर्श पर टिकाकर रखें।
★ उंगलियों को आगे की ओर करके व अंगुलियों को खोलकर रखें।
★ दोनों हाथों के बीच 10 इंच की दूरी रखें।
★ अब घुटनों को मोड़कर आगे की ओर और कोहनियों को मोड़कर पीछे की ओर करें।
★ इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों हथेलियों पर जोर देकर अपने शरीर के पिछले भाग को ऊपर उठाएं तथा शरीर का पूरा भार हथेलियों पर रखकर संतुलन बनाएं।
★ अब गर्दन को आगे की ओर झुकाकर शरीर का आकार पक्षी की तरह बनाएं।
★ इस स्थिति में 10 से 30 सैकेंड तक रहें और इस क्रिया को 2 से 3 बार करें।
★ शुरू में यह अभ्यास कठिन होता है, परंतु प्रतिदिन अभ्यास करने से यह सरल हो जाता है।
सावधानी-
इस आसन का अभ्यास शुरू में करना कठिन होता है। इस आसन की सभी क्रिया धीरे-धीरे करें तथा सांस लेने व छोड़ने की क्रिया सामान्य रूप से करें।