Last Updated on April 27, 2024 by admin
चना क्या है ? : Gram (Chana) in Hindi
चना शरीर में ताकत लाने वाला और भोजन में रुचि पैदा करने वाला होता है। सूखे भुने हुए चने बहुत रूक्ष और वात तथा कुष्ठ को नष्ट करने वाले होते हैं। उबले हुए चने कोमल, रुचिकारक, पित्त, शुक्रनाशक, शीतल, कषैले, वातकारक, ग्राही, हल्के, कफ तथा पित्त नाशक होते हैं।
चना की तासीर : चना गर्म प्रकृति का होता है।
चना के गुण व सेवन की मात्रा : Chana ke Gun in Hindi
- चना शरीर को चुस्त-दुरुस्त करता है। खून में जोश पैदा करता है। यकृत (जिगर) और प्लीहा के लिए लाभकारी होता है। तबियत को नर्म करता है। खून को साफ करता है। धातु को बढ़ाता है। आवाज को साफ करता है। रक्त सम्बन्धी बीमारियों और वादी में लाभदायक होता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। इसको पानी में भिगोकर चबाने से शरीर में ताकत आती है।
- चना विशेषकर किशोरों, जवानों तथा शारीरिक मेहनत करने वालों के लिए पौष्टिक नाश्ता होता है। इसके लिए 25 ग्राम देशी काले चने लेकर अच्छी तरह से साफ कर लें। मोटे पुष्ट चने को लेकर साफ-सुथरे, कीडे़ या डंक लगे व टूटे चने निकालकर फेंक देते हैं। शाम के समय इन चनों को लगभग 125 ग्राम पानी में भिगोकर रख देते हैं। सुबह के समय शौचादि से निवृत्त होकर एवं व्यायाम के बाद चने को अच्छी तरह से चबाकर खाएं और ऊपर से चने का पानी वैसे ही अथवा उसमें 1-2 चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं। देखने में यह प्रयोग एकदम साधारण लगता है किन्तु यह शरीर को बहुत ही स्फूर्तिवान और शक्तिशाली बनाता है।
- चने की मात्रा धीरे-धीरे 25 से 50 ग्राम तक बढ़ाई जा सकती है। भीगे हुए चने खाने के बाद दूध पीने से वीर्य पुष्ट होता है।
- व्यायाम के बाद रात के भीगे हुए चने, चने का पानी के साथ पीने से स्वास्थय अच्छा बना रहता है।
अंकुरित चना खाने के लाभ : Ankurit Chana ke Fayde
Health Benefits Of Soaked Chana
अंकुरित चने खाना बहुत ही लाभप्रद होता है। अंकुरित चना धातु को पुष्ट, मांसपेशियों को सुदृढ़ व शरीर को वज्र के समान बना देता है तथा यह सभी चर्म रोगों को नष्ट करता है। विटामिन-सी की अधिकता वाला यह वजन को बढ़ाता है। खून में वृद्धि करता है और उसे साफ करता है। इसके अतिरिक्त अंकुरित चने का सेवन करने से फेफड़े मजबूत होते हैं। यह रक्त में कोलेस्ट्राल को कम करता है और दिल की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है।
चने अंकुरित करने की विधि : How to make Ankurit Chana
अंकुरित करने के लिए चने को अच्छी तरह पानी में साफ करके इतने पानी में भिगोएं कि उतना पानी चना सोख ले। इसे सुबह के समय पानी में भिगो दो और रात में साफ, मोटे, गीले कपडे़ या उसकी थैली में बांधकर लटका देते हैं। गर्मी में 12 घंटे और सर्दी के मौसम में 18 से 24 घंटों के बाद भिगोकर गीले कपड़ों में बांधने से दूसरे, तीसरे दिन उसमें अंकुर निकल आते हैं। गर्मी में थैली में आवश्यकतानुसार पानी छिड़कते रहना चाहिए। इस प्रकार चने अंकुरित हो जाएंगे। अंकुरित चनों का नाश्ता एक उत्तम टॉनिक है। अंकुरित चनों में कुछ व्यक्ति स्वाद के लिए कालीमिर्च, सेंधानमक, अदरक की कुछ कतरन एवं नींबू के रस की कुछ बून्दे भी मिलाते हैं परन्तु यदि अंकुरित चने को बिना किसी मिलावट के साथ खाएं तो यह बहुत अधिक उत्तम होता है।
चने की रोटी : Chana ki Roti
चने की रोटी बहुत ही स्वादिष्ट होती है। छिलके सहित चने को पीसकर आटा बनाकर रोटी तैयार की जा सकती है। यदि इस आटे में थोड़ा सा गेहूं का आटा मिला दें तो यह मिस्सी रोटी कहलाती है। इसे पानी की सहायता से गूंथकर 3 घंटे बाद दुबारा गूंथकर रोटी बनाएं। यह रोटी त्वचा सम्बंधी रोगों जैसे- खुजली, दाद, खाज, एक्जिमा में बहुत फायदेमंद है, इसमें सब्जी का रस मिला देने से यह और भी गुणकारी हो जाती है।
चने में प्रोटीन : Chana me Protein
बच्चों को मंहगे बादामों के बजाय काले चने खिलाने चाहिए जिससे वे अधिक स्वस्थ रहेंगे। जहां एक अण्डे में 1 ग्राम प्रोटीन और 30 कैलोरी उष्मा की प्राप्ति होती है, वहां इस मूल्य के काले चने में 41 ग्राम प्रोटीन और 864 कैलारी उष्मा प्राप्त होती है।
चने के फायदे और उपयोग : Chana ke Fayde in Hindi
1. दाद: 64 दिन तक लगातार बिना नमक के चने के आटे की रोटी खाने से दाद, खुजली और खून की खराबी दूर हो जाती है।
2. पीलिया का रोग:
- जौ के सत्तू की तरह चना का सत्तू भी पीलिया रोग में लाभदायक है।
- 1 मुट्ठी चने की दाल को 2 गिलास पानी में भिगो दें। फिर दाल को निकालकर बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 3 दिन तक खाना चाहिए। प्यास लगने पर दाल का वहीं पानी पीना चाहिए। इससे पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।
3. मानसिक उन्माद (पागलपन) :
- पित्त (गर्मी) के कारण पागलपन हो तो शाम को 50 ग्राम चने की दाल पानी में भिगो देते हैं। सुबह के समय पीसकर चीनी और पानी मिलाकर 1 गिलास भरकर पीने से पागलपन के रोग में लाभ होता है।
- चने की दाल को भिगोकर उसका पानी पिलाने से उन्माद (मानसिक पागलपन) और उल्टी ठीक हो जाती है।
- चावल, जौ, चना, मसूर और मटर को बराबर की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसमें से थोड़ा-थोड़ा चूर्ण लेकर लेप बना लें और चेहरे पर लगायें। थोड़े दिनों तक यह लेप रोजाना चेहरे पर लगाने से चेहरा चमक उठेगा।
- बेसन से चेहरा धोने से चेहरे के धब्बे, झांई मिट जाती हैं। चेहरा सुन्दर निकलता है। तेज धूप, गर्मी, लू से त्वचा की रक्षा के लिए बेसन को दूध या दही में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे सुबह-शाम आधा घंटे चेहरे पर लगा रहने दें। इससे रूप निखर जाता है।
5. शरीर की जलन: 2 मुट्ठी भर चने का छिलका लें। फिर 2 गिलास पानी लेकर एक मिट्टी के बर्तन में डाल दें और चने का छिलका उसमें भिगो दें। सुबह उठने पर इस पानी को छानकर पी जायें इससे शरीर की जलन बिल्कुल मिट जाती है।
6. सदमा: 20 ग्राम काले चने और 25 दाने किशमिश या मुनक्कों को ठण्डे पानी में शाम को भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इनको खाली पेट खाने से सदमे आना बंद हो जाता है।
7. बालरोग: चने के आटे को खूब बारीक पीसकर पानी में मिलाकर गर्म करके बच्चे के पेट पर मालिश करने से आराम आता है।
8. जलने पर: चने को दही के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से तुरन्त आराम आ जाता है।
9. सफेद दाग: मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। कम से कम 12 घंटों के बाद इन चनों को मोटे कपड़े में बांधकर रख दें और बचा हुआ पानी कपडे़ की पोटली के ऊपर डाल दें। फिर 24 घंटे के बाद पोटली को खोल दें अब तक इन चनों में से अंकुर निकल आयेंगे। यदि किसी मौसम में अंकुर न भी निकले तो चनों को ऐसे ही खा लें। इस तरह से अंकुरित चनों को चबा-चबाकर लगातार 6 हफ्तों खाने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
10. सिर का दर्द:
- सिर में दर्द होने पर कच्चे चनों का जूस बनाकर पीने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा नजला-जुकाम भी ठीक हो जाता है।
- 100 ग्राम नुकती, दाने या मोतीचूर के लड्डू पर आधा चम्मच घी और 10 पिसी हुई कालीमिर्च डालकर खाने से कमजोरी से होने वाला सिर दर्द समाप्त हो जाता है।
11. त्वचा का मुलायम और चमकदार होना: चने के बेसन को गुलाबजल में घोलकर चेहरे और पूरे शरीर पर मल लें। 10 मिनट के बाद नहा लें। इससे त्वचा में जो चिकनाई होती है वह निकल जाती है।
12. जुकाम :
- 50 ग्राम भुने हुए चनों को एक कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। इस पोटली को हल्का सा गर्म करके नाक पर लगाकर सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और सांस लेने में परेशानी नहीं होती है।
- गर्म-गर्म चने को किसी रूमाल में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। चने को पानी में उबालकर इसके पानी को पी जायें और चने को खा लें। चने में स्वाद के लिए कालीमिर्च और थोड़ा-सा नमक डाल लें। चने का सेवन करना जुकाम में बहुत लाभ करता है।
13. खूनी बवासीर: सेंके हुए गर्म-गर्म चने खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
14. कब्ज:
- 1 या 2 मुट्ठी चनों को धोकर रात को भिगो दें। सुबह जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पीने से कब्ज दूर होती है।
- अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहूं के आटे में चने को मिलाकर इसकी रोटी खाने से कब्ज मिट जाती हैं।
- रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
15. रूसी: 4 बड़े चम्मच चने का बेसन एक बड़े गिलास पानी में घोलकर बालों पर लगायें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे सिर की फरास या रूसी दूर हो जाती है।
16. श्वास नली के रोग: रात को सोते समय एक मुट्ठी भुने या सेंके हुए चने खाकर ऊपर से एक गिलास दूध पीने से श्वास नली (सांस की नली) में जमा हुआ बलगम निकल जाता है।
17. मधुमेह:
- रात को 50 ग्राम काले चने दूध में भिगो देते हैं और सुबह के समय खाते हैं। चने और जौ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके आटे की रोटी पहले सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।
- केवल बेसन (चने का) की रोटी ही 10 दिन तक लगातार खाते रहने से पेशाब में शक्कर का आना बंद हो जाता है।
18. पित्ती: 100 ग्राम चने के बेसन से बने मोतिया लड्डुओं के साथ 10 पिसी कालीमिर्च मिलाकर खाने से पित्ती की गर्मी में लाभ मिलता है।
19. पेशाब का बार-बार आना: 25 से 50 ग्राम की मात्रा में भुने हुए चने खूब चबाकर खायें बाद में ऊपर से थोड़ा गुड़ खाकर पानी पी लें। आधा महीने तक यह प्रयोग लगातार आधा पेट खाना खाने के बाद करें यदि पाचन क्रिया खराब हो तो इसे न लें।
20. नपुंसकता: भीगे हुए चने सुबह-शाम चबाकर खाने से ऊपर से बादाम की गिरी खाने से नंपुसकता खत्म होती है।
21. श्वास या दमा का रोग:
- भुने हुए चने रात में खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से सांस की नली का बलगम निकल जाता है।
- लगभग 150 ग्राम सेंके हुए चने व 150 ग्राम खेरी गोन्द को अलग-अलग पीसकर चूर्ण बनाकर दोनों को मिला देते हैं। दिन में 3-4 बार 2-3 चुटकी चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) में लाभ मिलता है।
22. अण्डकोष के एक सिरे का बढ़ना: चने के बेसन को पानी और शहद में मिलाकर अण्डकोष की सूजन पर लगाने से लाभ होता है।
23. खांसी: चने का जूस बनाकर पीने से जुकाम और कफज-बुखार में लाभ मिलता है।
24. गैस्ट्रिक अल्सर: चने का सत्तू बनाकर पीने से गैस्ट्रिक के मरीज को लाभ होता है।
25. स्तनों में दूध की वृद्धि: लगभग 50-60 मिलीलीटर की मात्रा में काबुली चने रात को दूध में भिगो देते हैं। सुबह के समय दूध को छानकर अलग कर लेते हैं। इसके बाद इन चनों को खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पीने से स्त्रियों के दूध में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि होती है।
26. अतिक्षुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना): चने को पानी में भिगोकर रातभर रख दें। सुबह इसका पानी पीने से भस्मक-रोग (बार-बार भूख लगना) मिट जाता है।
27. वमन (उल्टी):
- चनों को रात को पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसका पानी पी लें। अगर किसी गर्भवती औरत को उल्टी हो रही हो तो भुने हुए चने का सत्तू (जूस) बनाकर पिलायें।
- कच्चे चनों को पानी में भिगोकर रख दें। फिर कुछ समय बाद उसी पानी को छानकर पीने से उल्टी होना बंद जाती है।
28. हिचकी का रोग:
- चने की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
- चना और अरहर की भूसी चिलम में रखकर पीने से हिचकी नहीं आती है।
29. मुंह का सौंदर्य: चना के बेसन में नमक मिलाकर अच्छी तरह गौन्दकर लेप बना लें। इस लेप को चेहरे पर मलने से त्वचा में झुर्रियां नहीं आती हैं और चेहरा सुन्दर रहता है।
30. प्रदर रोग:
- भठ्ठी पर भूने हुऐ चने के छिलके उतारकर उसे पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें बराबर की मात्रा में मिश्री का चूर्ण मिलाकर 6-6 ग्राम की मात्रा में ठंडे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में रोग लाभ मिलता है।
- चने के सत्तू में मिश्री डालकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से ‘वेत प्रदर में लाभ होता है।
31. मोच: मोच के स्थान पर चने बांधकर उन्हें पानी से भिगोते रहें-जैसे-जैसे चने फूलेंगे मोच अपने आप ही दूर हो जायेगी।
32. पथरी: गुर्दे या मूत्राशय में पथरी हो तो रात को एक मुट्ठी चने की दाल को भिगो देते हैं। सुबह के समय इस दाल को शहद मिलाकर खाने से लाभ मिलता है।
33. अम्लपित्त:
- काले चनों और कालीमिर्च को मिलाकर पीसकर चटनी की तरह सेवन करने से अम्लपित्त शांत हो जाती है।
- चने की सब्जी खाने से गले की जलन कम हो जाती है।
34. दर्द व सूजन: कमर, हाथ, पैर या कहीं भी दर्द हो वहां बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। इस तरह मालिश करने से दर्द और सूजन ठीक हो जाती है।
35. शीतपित्त: चने से बने मोतिया लड्डुओं पर कालीमिर्च डालकर खाने से पित्ती ठीक हो जाती है।
36. मधुमेह के रोग:
- चने और जौ के आटे की रोटी खाने से मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है।
- 7 दिनों तक केवल चने की रोटी खायें। गूलर के पत्तों को उबालकर उसी पानी से नहायें। थोड़ा-थोड़ा पानी पीयें। पेशाब में शक्कर (चीनी) आना बंद हो जायेगी और मधुमेह में लाभ होगा।
- रात को लगभग 30 ग्राम काले चने दूध में भिगो दें और सुबह उठते ही खा लें। चने और जौ को बराबर मात्रा में मिलाकर इसके आटे की रोटी सुबह-शाम खायें। केवल चने (बेसन) की रोटी ही 10 दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर आना बंद हो जाता है।
- 25-30 ग्राम काले चनों को दूध में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें। चने और जौ को बराबर मात्रा में पीसकर उसकी रोटी खायें। इससे पेशाब में शक्कर आना कम हो जाता है।
37. जलोदर:
- 40 ग्राम चने को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी आधा रह जाये, तब इसको ठंडा करके रोगी को पिलाने से जलोदर रोग (पेट में पानी भरना) मिट जाता है।
- 50 ग्राम चने की दाल को थूहर के दूध में भिगोकर सुखा दें, ऐसा लगभग 3 बार करें। फिर सुखाकर कुछ दिन तक लगतार 2 दाने दाल खाने से दस्त आकर जलोदर ठीक हो जाता है।
38. शरीर में दर्द : कमर, हाथ-पैर जहां कहीं भी दर्द हो, उस जगह पर बेसन डालकर रोजाना मालिश करें। एक बार मालिश किये हुए बेसन को दुबारा मालिश के काम में ला सकते हैं। इस तरह से मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता है।
39. धातु पुष्टि: भीगी हुई चने की दाल में शक्कर मिलाकर रात को सोते समय खाएं। इससे धातु पुष्ट होती है। इसे खाकर पानी न पिये।
40. दाद-खुजली: चने के आटे की रोटी बिना नमक की लगभग 2 महीने तक लगातार खाने से दाद, खुजली और रक्तविकार (खून के रोग) नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ घी भी ले सकते हैं।
41. त्वचा का कालापन: लगभग 12 चम्मच बेसन, 3 चम्मच दही या दूध, थोड़ा सा पानी सभी को मिलाकर पेस्ट सा बनाकर पहले चेहरे पर मले और फिर सारे शरीर पर मलने के लगभग 10 मिनट बाद स्नान करें तथा स्नान में साबुन का उपयोग न करें। इस प्रकार का उबटन करते रहने से त्वचा का कालापन दूर हो जाएगा।
42. तेलीय त्वचा: यदि चिकनी त्वचा है तो बेसन में गुलाबजल मिलाकर चेहरे व शरीर पर लगाएं। इससे त्वचा का तैलीयपन हट जाता है।
43. चेहरे का सौंदर्यवर्धक: चने की भीगी हुई दाल को पीसकर उसमें हल्दी तथा कुछ बूंदे किसी तेल की डालकर उबटन बनाएं। यह बहुत ही लाभकारी होता है।
44. उल्टी: रात को एक मुट्ठी चने को एक गिलास पानी में भिगो देते हैं। सुबह इसके पानी को छानकर पी लेते हैं। यदि गर्भवती स्त्री को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू का सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भवती स्त्री की उल्टी बंद हो जाती है।
45. सफेद दाग: मुट्ठी भर काले चने और 10 ग्राम त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) को 125 मिलीलीटर पानी में भिगो देते हैं। 24 घंटे बाद अंकुर निकलने पर इन चनों को चबा-चबाकर लगातार कुछ महीने तक खाते रहने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं।
46. माता के स्तनों के दूध में वृद्धि: यदि माता अपने बच्चे को दूध पिलाने में दूध की कमी प्रतीत कर रही हो तो उसे लगभग 50 ग्राम काबुली चने रात को दूध भिगोकर सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। सुबह दूध को छानकर अलग कर लेते हैं। इन चनों को चबा-चबाकर खाएं। ऊपर से इसी दूध को गर्म करके पी लेते हैं। ऐसा करने से स्तनों में दूध बढ़ जाता है।
47. श्वेतप्रदर: सेंके हुए चने पीसकर उसमें खाण्ड मिलाकर खाएं। ऊपर से दूध में देशी घी मिलाकर पियें। इससे श्वेतप्रदर गिरना बंद हो जाता है।
48. गर्भपात: यदि किसी भी औरत को गर्भपात का भय हो उसे चनों का काढ़ा पिलाना चाहिए इससे गर्भपात होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
49. गिल्टी (ट्यूमर): चने का आटा गूगल में मिलाकर, टिकिया बनाकर गिल्टी (ट्यूमर) पर रखें। इससे गिल्टी (ट्यूमर) की सूजन दूर होती है।
50. सभी प्रकार के दर्द होने पर: भुने हुऐ चनों को खाने से `अन्नद्रव शूल´ यानी अनाज के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
51. चेहरे की झांई के लिए: 2 बड़े चम्मच चने की दाल को आधा कप दूध में रात को भिगोकर रख दें। सुबह दाल को पीसकर उसी दूध में मिला लें। फिर इसमें एक चुटकी हल्दी और 6 बूंदे नींबू की मिलाकर चेहरे पर लगाकर रखें। सूखने पर चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगाने से चेहरे की झाईयां दूर हो जाती हैं।
52. खाज-खुजली: बिना नमक के चने के आटे की रोटी को लगातार 64 दिन तक खाने से दाद, खुजली आदि रोग मिट जाते हैं।
53. घबराहट या बेचैनी: लगभग 50 ग्राम चना और 25 दाने किशमिश को रोजाना रात में पानी में भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट चने और किशमिश खाने से घबराहट दूर हो जाती है।
54. दिल के रोग: दिल के रोगियों को काले चने उबालकर उसमें सेंधानमक डालकर खाना चाहिए।
55. त्वचा के रोग के लिए: चने की रोटी खाने से या अंकुर फूटे हुए चने खाने से हर प्रकार के त्वचा के रोग दूर हो जाते हैं।
56. निम्नरक्तचाप: 20 ग्राम काला चना और 25 दाने किशमिश या मुनक्का रात को ठण्डे पानी में भिगो दें। सुबह रोजाना खाली पेट खाने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में लाभ होगा और साथ ही साथ चेहरे की चमक बढ़ जाती है।
57. शरीर को मोटा और शक्तिशाली बनाना:
- लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर शाम को 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। अब इस दाल को सुबह उठकर किशमिश और मिश्री में मिलाकर अच्छी तरह से चबाकर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का वीर्य बल भी बढ़ता है।
- रात को सोते समय थोड़े से देशी चने लेकर उनको पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को 2-3 तीन महीने तक खाना चाहिए।
58. वीर्य का पतलापन: 1 मुट्ठी सेंके हुए चने या भीगे हुए चने और 5 बादाम खाकर दूध पीने से वीर्य का पतलापन दूर होकर वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
चना खाने के नुकसान : chana khane ke nuksan
- जिसकी पाचक शक्ति (भोजन पचाने की शक्ति) कमजोर हो, या चना खाने से पेट में अफारा (गैस) होता है तो उन्हें चने का सेवन नहीं करना चाहिए।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
appka post bahut accha laga
Me bhi sachmuch chano se milne vale itne sare labho ko padhkar heran rah gya hu, purani kahavat bhi he na “jo khaye chana vah rahe bna”, iske itne sare faydo ko dekhte huae me jarur iska sevan karna shuru karunga.