Last Updated on July 22, 2019 by admin
मन को कैसे जीते :
मन सिर्फ चंचल ही नहीं बल्कि बहुत शक्तिशाली भी होता है तभी तो हमसे अपनी मन-मानी करवा लेता है और उसके आगे हमारी एक भी नहीं चलती। जैसे वायु को वश में करना कठिन होता है वैसे ही मन को वश में करना भी कठिन होता है। जैसे वायु अगर स्थिर हो तो उसके होने का पता नहीं चलता, उसके चंचल होने पर ही उसके होने का अनुभव होता है वैसे ही मन का भी तभी अनुभव होता है जब वह चंचल होता है। मन की स्थिति है- प्रतिपल चंचल, प्रतिपल बदलता हुआ और वायु की तरह न दिखने वाला। एक बात और समझनी होगी कि हमें वायु के स्पर्श की ही प्रतीति होती है, गति का ही अनुभव होता है वायु का नहीं उसी प्रकार मन की चंचलता की प्रतीति होती है, अहसास होता है, मन का नहीं । चंचल और गतिशील होना ही मन का होना है। यह बात भी सही है कि मन को वश में करना कठिन ही नहीं बल्कि अत्यन्त कठिन है पर असम्भव नहीं है। आइये जाने man ko kaise control kare
मन को वश में करने के तीन उपाय :
(1) मंगलकारी विचारों द्वारा मन को वश में करने का उपाय :
विवेक से काम लेकर मन को अच्छे और कल्याणकारी विचार करने देना, बुरे और विनाशकारी विचार न करने देना। बुरे विचार आएं भी तो तुरन्त सतर्कतापूर्वक भगा देना जैसे घर में कुत्ता घुसता है तो हम दुत्कार कर भगा देते हैं, न भागे तो छड़ी उठा लेते हैं पर उसे घुसने नहीं देते वैसे ही मन में बुरा विचार आते ही दुत्कार से भगा देना चाहिए, उस विचार के साथ सह्योग नहीं करना चाहिए। ऐसा बार-बार करने पर बुरे विचार का आना वैसे ही बन्द हो जाता है जैसे बार-बार भगाने पर कुत्ते का आना बन्द हो जाता है।
(2) एकाग्रता के अभ्यास द्वारा मन को वश में करने का उपाय :
एकाग्रता का अभ्यास करना अगला उपाय है। एकाग्रता यानी किसी एक ही विचार पर मन को केन्द्रित बनाये रखना । प्रभु के नाम का या किसी मन्त्र या श्लोक का जाप करने के पीछे यही उद्देश्य होता है कि मन एकाग्र बना रह सके, उसकी एकाग्रता (Concentration) बनी रहे। यह मन को वश में करने का सबसे प्रबल और प्रमुख उपाय है। इस तरह से धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए एकाग्र-अवस्था की अवधि बढ़ाई जा सकती है। किसी एक विचार या एक विषय पर देर तक मन को एकाग्र बनाये रखने का प्रतिदिन अभ्यास करने से मन वश में होने लगता है।
(3) ध्यान द्वारा मन को वश में करने का उपाय :
तीसरा उपाय है ध्यान (Meditation) करना। विचार का न होना ध्यान करना होता है। ध्याननिर्विपयं मनः’ के अनुसार विषय या विचार रहित होने को ‘ध्यान’ कहते हैं। पहले अच्छे विचारों को धारण करते हुए और बुरे विचारों को दूर रखने का अभ्यास करना चाहिए। इसके लिए विवेक का प्रयोग किया जाना ज़रूरी होता है। तत्पश्चात मन में किसी एक ही अच्छे विचार को अधिक से अधिक समय तक टिकाये रखने का प्रयास करना चाहिए। इसे एकाग्रता कहते हैं। जब लम्बे समय तक एक ही विचार पर एकाग्रता बनाये रखने में सफलता मिल जाए तो समझ लें कि मन वश में आ चला है। इसके बाद उस एक विचार को भी हटा दें और कोई भी विचार पैदा न होने दें। ये तीनों उपाय, नियमित रूप से लगातार प्रतिदिन करते रहने पर, धीरे-धीरे हमारा मन पूरी तरह से वश में हो जाता है।