Last Updated on July 22, 2019 by admin
नवजात पैदा होने के तुरंत बाद स्तनपान के लिए तैयार होता है, वह अपने व्यवहार से
दर्शाता है कि वह स्तनपान करना चाहता है जैसे चूसने की कोशिश करना, अपने मुंह के पास उंगलियां लाना। पैदा होने के बाद पहले 45 मिनट से ले कर 2 घंटों के भीतर बच्चे का ऐसा व्यवहार देखा जा सकता है।
बच्चे के जन्म के बाद 6 सप्ताह स्तनपान के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं, बच्चे को जन्म के बाद पहले 1 घंटे के अंदर स्तनों के पास रखें। हर 3-4 घंटे में बच्चे की जरूरत के अनुसार उसे स्तनपान कराएं। ऐसा करने से फीडिंग की समस्याएं कम होंगी, साथ ही आप इस से स्तनों में अकड़न की समस्या से भी बचेंगी।( और पढ़े – माँ के दूध को बढ़ाते हैं यह 22 घरेलु उपाय)
कैसे करें शुरुआत :
• एक आरामदायक नर्सिंग स्टेशन बनाएं और खुद को रिलैक्स रखें।
• स्तनपान कराते समय आरामदायक स्थिति में बैठे, जैसे आप कुरसी पर बैठ सकती हैं या बिस्तर पर बैठ कर तकिए का सहारा ले कर । स्तनपान करा सकती हैं। बच्चे को अपने हाथों से सपोर्ट दें। इस दौरान ध्यान रखें कि आप के पैर सही स्थिति में हों। अगर आप बिस्तर पर हैं तो अपने पैरों के नीचे तकिया रखें। इसी तरह अगर कुरसी पर बैठ कर स्तनपान कराना चाहती हैं, तो फुटस्टूल का इस्तेमाल करें।आइये जाने शिशु को दूध पिलाने के नियम
बच्चे को दूध पिलाने की विधि / स्तनपान की कुछ तकनीकें :
क्रैडल होल्ड –
स्तनपान की इस तकनीक में आप बच्चे के सिर को अपनी बाजू से सहारा देती हैं। बिस्तर या कुरसी पर आराम से बैठ जाएं। अगर बिस्तर पर बैठी हैं तो तकिए का सहारा लें। अपने पैरों को आराम से किसी स्टूल या कौफी टेबल पर रख लें ताकि आप बच्चे पर झुकें नहीं।
बच्चे को अपनी गोद में इस तरह लें कि उस का चेहरा, पेट और घुटने आप की तरफ हों। अब अपनी बाजू को बच्चे के सिर के नीचे रखते हुए। उसे सहारा दें। अपनी बाजू को आगे की ओर निकालते हुए उस की गरदन, पीठ को सहारा दें। इस दौरान बच्चा सीधा या हलके कोण पर लेटा हो।
यह तरीका उन बच्चों के लिए सही है, जो फुल टर्म में और नौर्मल डिलीवरी प्रक्रिया से पैदा हुए हैं। लेकिन जिन महिलाओं में सी सैक्शन हुआ हो, उन्हें इस तकनीक को नहीं अपनाना चाहिए, क्योंकि इस से पेट पर दबाव पड़ता है।
क़ौस ओवर होल्ड-
इस तकनीक को क्रौस कैंडल होल्ड भी कहा जाता है। यह कैंडल होल्ड से अलग है। इस में आप अपनी बाजू से बच्चे के सिर को सपोर्ट नहीं करती।
अगर आप अपने दाएं स्तन से बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो बच्चे को बाएं हाथ से पकड़े, बच्चे के शरीर को इस तरह घुमाएं कि उस की छाती और पेट आप की तरफ हो। बच्चे के मुंह को अपने स्तन तक ले जाएं। यह तकनीक बहुत छोटे बच्चों के लिए सही है जो ठीक से लेट नहीं पाते।
क्लच या फुटबौल होल्ड-
जैसाकि नाम से पता चलता है इस तकनीक में आप बच्चे को हाथों से ठीक वैसे पकड़ती हैं जैसे फुटबौल या हैंडबैग (उसी तरफ जिस तरफ से स्तनपान करा रही हैं)।
बच्चे को अपनी बाजू के नीचे साइड में इस तरह रखें कि उस की नाक का स्तर आप के निपल पर हो, गोद में तकिया रख कर अपनी बाजू उस पर टिका लें और बच्चे के कंधे, गरदन और सिर को हाथ से सपोर्ट करें। सी होल्ड से बच्चे को निपल तक ले जाएं।यह तकनीक उन महिलाओं के लिए अच्छी हैं जिन के बच्चे सिजेरियन से पैदा हुए हों।
रिक्लाइनिंग पोजिशन-
बच्चे को इस तरह अपने पास लाएं कि उस का चेहरा आप की तरफ हो। उस के सिर को नीचे वाली बाजू से सपोर्ट करें और नीचे वाला हाथ उस के सिर के नीचे रखें।
अगर बच्चे को स्तन तक लाने के लिए थोड़ा ऊंचा करने की जरूरत हो तो छोटा सा तकिया या फोल्ड की हुई चादर उस के सिर के नीचे रखें। ध्यान रखें कि बच्चे को आप के निपल तक पहुंचने के लिए अपनी गरदन पर खिंचाव न लाना पड़े और न ही आप को झुकना पड़े।
अगर आप के लिए बैठना मुश्किल है, तो आप इस तरह से लेट कर बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं। इस के अलावा जब आप रात या दिन में आराम कर रही हों, तो भी इस तरह बच्चे को लेटेलेटे स्तनपान करा सकती हैं।( और पढ़े –शिशु का दूध की उल्टी करना इसके कारण और उपचार )
स्तनपान कराने के बाद बच्चे को डकार दिलवाना बहुत जरूरी होता है। इस के लिए उस के पेट पर हलके से दबाव डालें। अगर 5 मिनट बाद भी बच्चे को डकार न आए और वह सहज लगे तो डकार दिलवाने की जरूरत नहीं है।