ब्रश करने का सही तरीका व दांतों की देखभाल के नियम – Brush Karne ka Sahi Tarika

Last Updated on August 7, 2022 by admin

ब्रश व टूथपेस्ट का प्रयोग :

जैसे-जैसे समाज में आधुनिकता व्याप्त होती जा रही है मनुष्य के सामाजिक जीवन में भी बदलाव आता जा रहा है। समय की कमी, उपयुक्त वस्तुओं की अनुपलब्धता ने मनुष्य को हर चीज़ का विकल्प खोजने पर मजबूर कर दिया है। प्राकृतिक वनस्पतियों के लुप्तप्राय हो जाने के कारण शहरी जीवन में वह नीम, बबूल व कीकर जैसी वन्य प्रजाति के पौधों की दातुन से भी वंचित होता जा रहा है इसकी जगह अब विभिन्न प्रकार के टूथब्रश ने ले ली है, इस्तेमाल के लिए कैसा होना चाहिए टूथ ब्रश-आइए जानें

ब्रश कैसा खरीदें :

ब्रश खरीदते समय ब्रश की बनावट व रंग से भी अधिक महत्त्व इन बातों का होता है।

  • ब्रश के रेशे मुलायम हों, सख्त नहीं।
  • सभी रेशे शीर्ष छोर पर समान सतह पर कटे हों।
  • अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ रेशों का ब्रश मसूड़ों को छील सकता है।
  • एक समान रेशे के हल्के से मुड़े हुए (अंदर की ओर) हैंडल वाले ब्रश अच्छे माने जाते हैं।
  • ब्रश साफ करके बंद डिब्बे में रखें व प्रयोग से पहले धो लें।
  • अच्छी कम्पनी का ब्रश ही खरीदें। यदि रेशे जरा भी कठोर लगें तो ब्रश बदल दें।
  • अधिक टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो कई आकार के सिरे वाला ब्रश प्रयोग में लाया जा सकता है किंतु रेशे नर्म ही होने चाहिए।( और पढ़े –दांतों को मजबूत व सुरक्षित रखने के 10 उपाय)

ब्रश कैसे करें ? :

यद्यपि बहुत से दंत चिकित्सक हर भोजन के बाद ब्रश करने की सलाह देते हैं, परन्तु व्यावहारिक रूप से यह सम्भव नहीं है

  1. प्रत्येक व्यक्ति खाना-पीना करने के बाद साफ पानी से कुल्ला ढंग से करें।
  2. दांतों के बीच खाली जगह में अन्नकण फंसे नहीं रहने चाहिये। ऐसे
  3. अन्नकणों को निकालने के लिए टूथपिक का इस्तेमाल करें। मुलायम लकड़ी, तांबा, चांदी या सोने की साफ टूथपिक से अन्नकण निकालें।
  4. भूलकर भी ऑलपीन, सूई या लोहे की किसी भी वस्तु से दांत न कुरेदें। जरा-सी लापरवाही से टिटनस रोग हो सकता है, घाव हो सकते हैं, जख्म बन सकते हैं और मसूड़ों का रोग भी हो सकता है।
  5. प्लाक 14 घंटे बाद बनना शुरू होता है। अतः दिन में दो बार प्रातःकाल शौच करने के बाद व रात्रि में सोते समय ब्रश अवश्य करना चाहिये।
  6. याद रखें, प्रत्येक दांत को साफ करना है और उसकी प्रत्येक सतह को भी पीछे की सतह को पहले साफ करें।
  7. दांतों की चबाने वाली सतह जरूर साफ होनी चाहिए।
  8. तालू तथा जीभ की भी, साफ, मुलायम जीभी से या हाथ की उंगलियों से सफाई अवश्य करें।
  9. नीचे के जबड़े के बीच वाले (आगे के) दांतों के पीछे (जीभ वाली सतह पर) दंत पाषाण अधिक बनता है क्योंकि लार का सर्वाधिक स्राव भी यहीं से होता है। इस सतह की सफाई जरूर करें।
  10. ऊपर के दांतों पर मसूड़ों से नीचे व नीचे के दांतों पर मसूड़ों के ऊपर ब्रश अवश्य करना चाहिए।
  11. मीठी वस्तुएं जैसे बर्फी, रसगुल्ले, आइसक्रीम, चॉकलेट, टॉफी, शकरकंदी,गन्ना आदि खाने के बाद कुल्ला अवश्य करें।
  12. भोजन के अंत में सलाद कच्ची सब्जी, फल जैसे सेब आदि खाना स्वास्थ्य व दांतों के लिए लाभकारी रहता है। इनमें छिपे/फसे हुए अन्नकण भी निकल जाते हैं। बाद में सादे पानी से कुल्ला कर लें।
  13. यदि प्रत्येक नाश्ते एवं भोजन के बाद नमक मिले पानी या फिटकरी के पानी का कुल्ला करें तो दांतों की सेहत के लिए अच्छा रहता है।
  14. प्रातःकाल ब्रश करने के बाद नमक के गुनगुने पानी से गरारे करने से गले के साथ-साथ दांतों की भी सफाई हो जाती है।
  15. सप्ताह में एक दिन एक चाय का चम्मच पिसे हुए नमक में दस-बारह बूंद शुद्ध पीली सरसों के तेल को मिलाकर, दांतों व मसूढ़ों की उंगली से मालिश करें आठ-दस मिनट हल्के-हल्के मालिश करते रहें।
  16. नित्यप्रति (एक बार में) कम से कम तीन मिनट तक ब्रश अवश्य करना चाहिए। ( और पढ़े – दांतों में कीड़े लगने के कारण लक्षण और उपचार )

रेशमी लोमक कैसे करें ? :

जिन लोगों को पायरिया हो चुका है व उनकी हड्डी गलकर दो दांतों के बीच जगह बना चुकी है, उनको अन्य सफाई के तरीके भी प्रयोग में लाने होंगे। सामान्यतः प्रयोग में आने वाले ब्रश दांतों के बीच के स्थान को साफ नहीं कर पाएंगे, इसलिए विशेष प्रकार के ब्रश बनाए गए हैं। इन्हें Intridental Brush कहते हैं। जो अधिक विकसित पायरिया के शिकार हैं, इलाज करवा रहे हैं या करवा चुके हैं उन व्यक्तियों के लिए Intridental Space को प्लाक से मुक्त करने का एक ही उपाय है, ब्रश। यह ब्रश छोटे आकार का होता है तथा सामान्य ब्रश के प्रयोग से पहले प्रयोग किया जाता है। ( और पढ़े –पायरिया का आयुर्वेदिक इलाज )

टूथपेस्ट का चयन कैसे करें ? :

सामान्यतः टूथ ब्रश का पूरक टूथपेस्ट होता है। कोई भी अच्छा कैल्शियम जेल युक्त टूथपेस्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। अधिकतर मिंट फ्लेवर होता है, कुछ टूथपेस्ट सौंफ, केला, गुलाब फ्लेवर के भी आते हैं। जिन क्षेत्रों में पानी में फ्लोराइड की कमी होती है, वहां फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट इस्तेमाल किया जाता है। टूथपेस्ट झागदार होना चाहिए। अनावश्यक फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल न करें।

भारत में बनने वाले टूथपेस्टों में मूलतः निम्नलिखित रसायन होते हैं-कैल्शियम सल्फेट, कैल्शियम कार्बोनेट, सोडियम मैटा फॉस्फेट, डायबेसिक कैल्शियम फॉस्फेट, हाइड्रेटिड एल्यूमिंस, कैल्शियम पायरों फॉस्फेट, ट्राई कैल्शियम फॉस्फेट, ग्लीसरीन, कोलाइडन, हाइड्रेटेड, एल्यूमिनियम सिलिकेट, गोंद का घोल, सैक्रीन, स्टार्च, सोडियम नमक, सोडियम बेंजोएट, पानी, सुगंधित मिश्रण, पीपरमेंट, दालचीनी का तेल आदि।

आजकल जेल आधारित पेस्ट अधिक लोकप्रिय हैं। इसके अलावा फ्लोरीन युक्त पेस्ट भी उपलब्ध हैं।
आयुर्वेदिक व होमियोपैथिक औषधियों से निर्मित पेस्ट भी उपलब्ध हैं जो विभिन्न दंत रोगों से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं।

कैसा हो बच्चों में टूथ ब्रश ? :

सामने के दांत आने के बाद बच्चे को टूथ ब्रश का प्रयोग शुरू कराना चाहिए। प्रारम्भ में माता-पिता बच्चे को ब्रश कराएं और सिखाएं। तीन वर्ष पुरे हो जाने पर बच्चा स्वयं ब्रश कर सकता है। बच्चे का ब्रश बहुत नर्म होना चाहिए तथा टूथपेस्ट बहुत तीखा नहीं होना चाहिए।

तीन वर्ष का हो जाने पर पहली बार बच्चे को दंत चिकित्सक को दिखा लेना चाहिये। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चे के दांत यदि खोखले हैं या टूट गए हैं तो दंत चिकित्सक से अवश्य ही सलाह लेनी चाहिए। । ध्यान रखें कि ऊपर के जबड़े के दांतों का नीचे के जबड़े के दांतों से ठीक प्रकार से मिलान होता है या नहीं? तीन वर्ष की आयु में २० दांत मुंह में होने चाहिए।

Leave a Comment

Share to...
error: <b>Alert: </b>Content selection is disabled!!