Last Updated on July 22, 2019 by admin
संतुलित आहार क्या है? :
बहुत से लोग अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार के महत्त्व को तो स्वीकार करते हैं, लेकिन वे संतुलित आहार के बारे में भ्रम रखते हैं।
कुछ लोग भरपेट भोजन को, कुछ महँगे भोजन को तो कुछ स्वादिष्ट भोजन को संतुलित भोजन मान बैठते हैं। वास्तव में यह जरूरी नहीं है कि भरपेट, महँगा या स्वादिष्ट भोजन ही संतुलित आहार हो। कम मात्रा में, सस्ता और सामान्य भोजन भी संतुलित आहार हो सकता है।
जैसाकि आप जानते हैं, भोजन के आवश्यक पोषक तत्त्व प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज-लवण, विटामिन व जल आदि हैं। इनमें से कुछ तत्त्व शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, कुछ शरीर की वृद्धि या निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं और कुछ शरीर की जैविक क्रियाओं के नियंत्रण तथा उसे नीरोग बनाए रखने में योगदान करते हैं।
संतुलित भोजन का अर्थ है-शरीर के लिए आवश्यक इन सभी पोषक तत्त्वों का समुचित अनुपात और मात्रा में ग्रहण करना।
इस प्रकार संतुलित भोजन शरीर के स्वास्थ्य से संबंधित सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।
यदि आप चाहते हैं कि आपका शरीर सामान्य रहे तो आपके लिए संतुलित आहार के बारे में जानना भी आवश्यक है। यह आपका मोटापा घटाने के प्रयास में सहायक सिद्ध होगा। मोटापा अधिक बढ़ने से पहले ही आपको अपना आहार संतुलित आहार तालिका के अनुसार व्यवस्थित कर लेना चाहिए।
भारतीय जीवन-दर्शन में शुद्ध और संतुलित आहार के लाभों का सदियों से बखान होता आया है। आयुर्वेद के ग्रंथों में मनुष्य को खानपान के प्रति संयमी होने की सलाह दी गई है। पथ्य हर किसी के लिए स्वास्थ्यवर्धक है; किंतु कुछ व्याधियों में उसका महत्त्व औषध समान है। उसके बगैर रोग पर नियंत्रण पाने की कल्पना ही अधूरी है, सच्चे अर्थ में यह इलाज की पहली बुनियाद है जिस पर स्वस्थ जीवन की सुंदर इमारत खड़ी हो सकती है।
आहार में संयम कई प्रकार से स्वास्थ्यवर्धक है। इससे शरीर हृष्ट-पुष्ट बन सकता है। व्यक्ति तरह-तरह की व्याधियों और मोटापे से बच सकता है, वह अपने रक्त-शुगर पर बेहतर नियंत्रण पा सकता है, हृदय और धमनियों को रोगी होने से बचा सकता है और संपूर्ण व निरोग जीवन की कामना कर सकता है।
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स्वस्थ संतुलित आहार का नक्शा :
आहार की रूपरेखा सुनिश्चित करने के लिए सबसे पहले अपना वजन लें और उसे अपनी लम्बाई तथा उम्र के मुताबिक तालिका में दिए गए उपयुक्त वजन से मिलाएँ :
अब यह देखें कि आपका काम किस किस्म का है ! क्या आप प्रायः एक जगह पर बैठे रहते हैं ? या कुछ भाग-दौड़ जरूरी होती है? या पूरे दिन ही जमकर शारीरिक मेहनत करते हैं ? फिर यह सुनिश्चित करने के लिए कि रोजाना कितनी कैलोरी लेनी चाहिए, इस तालिका का प्रयोग करें :
अब कैलोरी का सही अंक चुनकर उसे अपने वजन से गुणा कर दें। उदाहरण के लिए, किसी 60 किलोग्राम वजनवाले व्यक्ति के लिए जिसका वजन उम्र के अनुसार सही है और काम प्रायः एक जगह बैठे रहने का है, दैनिक आवश्यकता 60×30=1800 कैलोरी है।
बच्चों पर यह फार्मूला लागू नहीं होता। उनके लिए इस फार्मूले का प्रयोग करेंः 100+(100xबच्चों की उम्र); जैसे, बच्चे की उम्र यदि सात वर्ष है, तो उसे रोजाना 100+(100×7)=800 कैलोरी चाहिए।
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खानपान का नक्शा खींचने के लिए अगला कदम कैलोरी के स्रोत यानी खाद्यों में छिपे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का सही अनुपात तय करना है ताकि आहार में सभी पोषक तत्त्व ठीक-ठीक मात्रा में हों और स्वास्थ्य ठीक बना रहे।
आहार में दो प्रकार के कार्बोहाइड्रेट होते हैं-असंयुक्त और संयुक्त।
असंयुक्त कार्बोहाइड्रेट कुछ ही अणुओं के मेल से बने होते हैं, इसलिए वे आसानी से टूट जाते हैं और उनमें मौजूद ग्लूकोस थोड़े ही समय में जज्ब होकर खून में पहुँच जाता है। चीनी, बूरा, शहद, गोली, टॉफी, चॉकलेट, जैम, मिठाई, केक और पेस्ट्री में असंयुक्त कार्बोहाइड्रेट की भरमार होती है। इन्हें कम मात्रा में लिया जाना चाहिए।
संयुक्त कार्बोहाइड्रेट के साथ यह परेशानी नहीं है। उसकी संरचना जटिल होती है, अतः उसे टूटने में समय लगता है। फलस्वरूप ब्लडशुगर धीरे-धीरे बढ़ता है। साबुत अनाज, दालें और कुछ सब्जियाँ इसी कारण स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।
कैलोरी का हिसाब लगाने के लिए यह जानना जरूरी है कि एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट से हमें चार कैलोरी मिलती हैं। । प्रोटीन शरीर के निर्माण में काम आती है। उससे भी शरीर को प्रति ग्राम चार कैलोरी मिलती हैं। दालें, साबुत अनाज, सोयाबीन, मूंगफली और दूध प्रोटीन-समृद्ध होते हैं।
वसा (चरबी) का प्रमुख कार्य शरीर को ऊर्जा देना है। दूसरे, उसकी उपस्थिति में ही हमारी आँतें भोजन से विटामिन-ए, विटामिन-डी, विटामिन-ई और विटामिन-के को जज्ब कर पाती हैं। घी, तेल, मक्खन, वसा के सबसे धनी स्रोत हैं। यों पनीर और सूखे मेवों में भी यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। वसा के एक ग्राम से हमें नौ कैलोरी मिलती हैं।
सामान्य आहार में 50 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 20 प्रतिशत प्रोटीन और 30 प्रतिशत वसा होना उपयुक्त है। लेकिन इस अनुपात में जरूरत के मुताबिक अदला-बदली की जाती है। इसके लिए आहार-विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी होता है।
आहार में विटामिन और खनिज भी पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी हैं। आहार-विशेषज्ञ (डाइटीशियन) उपर्युक्त आधार पर ही आहार-चार्ट तैयार करते हैं।